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Answer» संसद की समितियाँ भारतीय संसद की निम्नलिखित समितियाँ हैं – 1. कार्य परामर्शदात्री समिति – यह समिति संसद के समस्त कार्यों के संचालन में सहायता करती है। इस समिति में 15 सदस्य होते हैं तथा लोकसभा का अध्यक्ष ही इस समिति का अध्यक्ष होता है। सदन का कार्य आरम्भ होते ही इस समिति का गठन किया जाता है। यह समिति सदन के कार्यों को संचालित करके उसके लिए नियमों का निर्माण करती है। 2. याचिका समिति – इस समिति में 15 सदस्य होते हैं जिनका नाम-निर्देशन अध्यक्ष द्वारा सदन के आरम्भ में ही किया जाता है। इस समिति का कार्य व्यक्तियों तथा लोकसभा द्वारा प्रेषित याचिकाओं पर सदन को परामर्श देना है। यह समिति प्रत्येक याचिका की जाँच करती है, जो उसे सौंपी जाती है। 3. प्राक्कलन समिति – इस समिति में 30 सदस्य होते हैं, जिनका चुनाव प्रत्येक वर्ष लोकसभा के सदस्यों में से आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय पद्धति द्वारा होता है। इस समिति का कार्य होता है कि वह प्रत्येक विभाग के आय-व्यय अथवा वार्षिक वित्तीय विवरण के प्राक्कलनों का समय-समय पर विश्लेषण करे तथा सदन को मितव्ययिता के सुझाव दे। 4. लोक-लेखा समिति – इस समिति का चुनाव प्रति वर्ष संसद के दोनों सदनों में होता है। इसमें दोनों सदनों के सदस्य लिए जाते हैं। इस समिति की कुल सदस्य संख्या 22 है, जिनमें से 15 सदस्य लोकसभा के तथा 7 सदस्य राज्यसभा के होते हैं। इन सदस्यों का चुनाव भी समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर होता है। समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा का अध्यक्ष करता है। इस समिति का कार्य है—लेखा-परीक्षण। प्रति वर्ष यह समिति नियन्त्रक तथा महालेखा परीक्षक के विवरणों की जाँच करती है तथा अपना प्रतिवेदन संसद के सम्मुख रखती है। समिति की रिपोर्ट सरकार के लिए चेतावनी का कार्य करती है। 5. प्रवर समिति – यह वह समिति है जो साधारणतया प्रत्येक विधेयक पर अपने विचार तथा उससे सम्बन्धित विवरण सदन के सम्मुख प्रस्तुत करती है। प्रवर समिति किसी विधेयक-विशेष हेतु बनाई जाती है और रिपोर्ट देने के बाद उसका समापन हो जाता है। प्रत्येक ऐसी समिति के निर्माण का प्रस्ताव, उसके सदस्यों की संख्या और उसकी सदस्यता का निर्माण विधेयक के प्रस्ताव के अनुसार होता है। प्रवर समितियों के अध्यक्ष की नियुक्ति सदन का अध्यक्ष करता है। 6. व्यक्तिगत सदस्यों के विधेयक तथा प्रस्तावों की समिति – इस समिति में 15 सदस्य होते हैं। इन सदस्यों को लोकसभा की अध्यक्ष एक वर्ष के लिए मनोनीत (Nominate) करता है। इस समिति का मुख्य कार्य गैर-सरकारी सदस्यों के द्वारा प्रस्तुत विधेयकों की जाँच करना है। समिति यह सुझाव भी प्रस्तुत करती है कि गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों के लिए कितना समय दिया जाए। 7. विशेषाधिकार समिति – इस समिति की सदस्य संख्या 15 होती है। सदन के प्रारम्भ में अध्यक्ष द्वारा सदस्यों का मनोनयन किया जाता है। यदि संसद तथा उसके विशेषाधिकारों का मामला उठ खड़ा हो तो यह समिति उसकी जाँच करती है तथा इसके द्वारा प्रस्तुत विवरण के अनुसार ही सदन आगे की कार्यवाही करता है। 8. नियम समिति – इस समिति में भी 15 सदस्य होते हैं, जिन्हें लोकसभा का अध्यक्ष एक वर्ष के लिए नियुक्त करता है। यह समिति संसद द्वारा निर्मित नियमों की जाँच करती है। इस समिति को इन नियमों में संशोधन के लिए संस्तुति करने का भी अधिकार है। 9. संसदात्मक समिति – यह समिति संसद से सम्बन्धित प्रश्नों पर विचार करती है तथा सदन के समक्ष अपने विवरण को प्रस्तुत करती है। 10. सरकार द्वारा प्रदत्त आश्वासन समिति – इस समिति का मुख्य कार्य यह जाँच करना है कि मंत्रियों ने समय-समय पर जो आश्वासन दिए हैं, वे कहाँ तक पूरे किए गए हैं। समिति सदन को रिपोर्ट प्रस्तुत करती है और बताती है कि मंत्रियों ने अपने आश्वासनों, प्रतिज्ञाओं और वचनों का पालन किस सीमा तक किया है। इस समिति में 15 सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति लोकसभा का अध्यक्ष एक वर्ष के लिए करता है। 11. अधीनस्थ विधि समिति – यह समिति पर्यवेक्षण करती है कि राज्यों तथा अन्य विभिन्न प्रशासनिक निकायों द्वारा विधि-निर्माण का कार्य समुचित रूप से चल रहा है या नहीं संविधान तथा अन्य विधियों का सम्यक् पालन अधीनस्थ प्राधिकारी कर रहे हैं या नहीं। इन सभी बातों की जाँच तथा सदन को इन सभी बातों से समय-समय पर अवगत कराना इस समिति का प्रमुख कार्य है। 12. अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के कल्याण सम्बन्धी समिति – इस समिति में 30 से अधिक सदस्य नहीं होते हैं। किसी मंत्री को इस समिति का सदस्य मनोनीत नहीं किया जा सकता है। इसके सदस्यों की पदावधि एक वर्ष से अधिक नहीं होती है। यह अनुसूचित जातियों और जनजातियों के कल्याण सम्बन्धी मामलों पर विचार करती है और अपनी रिपोर्ट देती है। इस समितियों के अतिरिक्त लोकसभा के अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति द्वारा कृषि सम्बन्धी समिति (22 सदस्य), पर्यावरण और वन सम्बन्धी समिति (22 सदस्य), विज्ञान और प्रौद्योगिकी सम्बन्धी समिति (22 सदस्य), सामान्य प्रयोजन समिति, आवास समिति (12 सदस्य), पुस्तकालय समिति (6 सदस्य), सांसदों के वेतन-भत्ते सम्बन्धी संयुक्त समिति तथा अन्य संसदीय समितियों का गठन किया जा सकता है।
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