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ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:नारी अबला नहीं बल्कि यह नारी रणचंडी भी है,कृत्या है यह दुर्दम, दैत्य नाशिनी दुर्गा माँ भी है।शक्ति और शिवानी है यह और कात्यायिनी भी हैदैत्यों के शोणित को पीने वाली महाकाली भी है॥ 

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प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘अभिनंदनीय नारी’ नामक कविता से लिया गया हैं जिसके रचयिता जयन्ती प्रसाद नौटियाल हैं।
संदर्भ : नारी की शक्ति का परिचय देते हुए कवि कहते हैं कि नारी अबला नहीं। अन्याय और अत्याचार के विरोध में वह रणचण्डी से कम नहीं है।
स्पष्टीकरण : कवि कहते हैं कि नारी अबला नहीं, बल्कि रणचंडी है। राक्षसों का संहार करने वाली माँ दुर्गा है। नारी शक्ति-स्वरूपा, शिवानी और कात्यायनी है। नारी राक्षसों के खून को पीनेवाली महाकाली भी है।



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