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ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:‘अच्छा, तुम्हारे सामने यह ढेर है। इसमें से जितना अनाज उठाकर ले जा सको, ले जाओ।’

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘सुजान भगत’ नामक कहानी से लिया गया है जिसके लेखक प्रेमचंद हैं।
संदर्भ : सुजान भगत अपने द्वार पर आये हुए भिक्षुक से यह वाक्य कहता है।
स्पष्टीकरण : चैत का महीना था। हर जगह अनाज के ढेर लगे थे। किसानों को अपना जीवन सफल लगता है। सुजान भगत टोकरे में अनाज भर देता था और उसके दोनों लड़के टोकरे लेकर घर में अनाज रख आते थे। कई भिक्षुक भगतजी को घेरे हुए थे। उनमें आठ महीने पहले भगत के द्वार से निराश लौटकर गया हुआ भिक्षुक भी था। भगत ने उस भिक्षुक से पूछा कि क्यों बाबा आज कहाँ चक्कर लगाकर आये? तब भिक्षुक ने कहा कि अभी तो कहीं नहीं गया भगतजी, पहले तुम्हारे पास आया हूँ। तब सुजान भगत ने उस भिक्षुक से कहा कि “अच्छा, तुम्हारे सामने यह ढेर है। इसमें से जितना अनाज उठाकर ले जा सको, ले जाओ।”



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