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"स्वच्छता एक वरदान विषय"पर अनुच्छेद​

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सालों से गांव-गांव व शहर – शहर भारत माता अपना चेहरा देख रही थी लेकिन उसकी नालायक संताने चेहरे के रूप में जहाँ देखों वहां केवल कचरे के दर्शन करा रही थी। वह तो भला हो उस चायवाले नेता का जिसने प्रधान सेवक बनते ही देशवासियों को बतलाया कि भारत माँ की परम सेवा उसकी स्वच्छता बनाये रखना है।

हाँ जी स्वच्छता, वह स्वच्छता  जिसमें लक्ष्मी का निवास है, वही स्वच्छता जिसके डर से मच्छर मक्खी से लेकर गंभीर बीमारियाँ के वायरस तक दूर रहते है , वही स्वच्छता  जो किसी वस्तु पर आ जाये तो सुंदर लगने लगती और तो सुंदरी पर आ जाये तो गुलाब का फूल।



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