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स्वदेश-भक्ति के बारे में स्वामी विवेकानंद जी का आदर्श क्या है?

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स्वदेशभक्ति के बारे में स्वामीजी कहते हैं- बड़े काम करने के लिए तीन चीजों की आवश्यकता होती है- बुद्धि, विचारशक्ति और हृदय की महाशक्ति। अतः युवकों को चाहिए कि वे हृदयवान बने। यदि युवकों ने जान लिया है कि भारत के अपने गरीब, दीन-बन्धुओं की कई समस्याएँ हैं, तो समझ लो कि यही देशभक्ति की प्रथम सीढ़ी है। देशभक्ति का पहला पाठ है- स्वदेश-हितैषी होना। “उठो, जागो और तब-तक रुको नहीं, जब-तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाय।”



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