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तृष्णा को परंपरागत डाकूरानी क्यों कहा गया है ?

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डाकू का उद्देश्य किसी भी प्रकार से दूसरे का माल असबाब लूटना होता है, इसी तरह अप्राप्य वस्तु को पाने की तीव्र इच्छा तृष्णा का उद्देश्य भी येन केन प्रकारेण वांछित वस्तु पाना है। इसमें इन्हें कोई बुराई नजर नहीं आती। इस तरह डाकू और तृष्णा में कोई अंतर नहीं ६ होता, इसीलिए तृष्णा को परंपरागत डाकूरानी कहा गया है।



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