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तुलसी रघुवीर प्रियाश्रम जानि के, बैठि बेलंब लौ कंटक काढ़े​

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पोंछि पसेउ बयारि करौं, अरु पाय पखारिहौं भूभुरि-डाढ़े॥ तुलसी रघुबीर प्रियाश्रम जानि कै बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े। जानकीं नाहको नेहु लख्यो, पुलको तनु, बारि बिलोचन बाढ़े॥ शब्दार्थ- लरिका- बालक।



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