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उदारीकरण एवं वैश्वीकरण भारत के विकास की नई दिशा के समान है ।

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उदारीकरण एवं वैश्वीकरण भारत के विकास की नई दिशा के समान है यह विधान सत्य है । ई.सन् 1991 से पहले भारतीय अर्थतंत्र अनेक समस्याओं का शिकार था जैसे लायसन्स राज, करवेरा की दर अधिक पुराने यंत्रो द्वारा वस्तु का उत्पादन, विदेशचलन का प्रभाव कम इत्यादि समस्याओं से भारत का विकास सम्भव ही नहीं था परन्तु ई.सन् 1991 के पश्चात् सरकार ने उदारीकरण एवं विदेशीकरण के ख्याल को महत्त्व दिया जब से लायसन्स राज से नाबूदी, कानूनों में सरलता, करवेरा की दर कम, विदेशों के द्वारा वस्तु का उत्पादन, निर्यात में वृद्धि नए संशोधनो को प्रोत्साहन उपरोक्त परिबलों के प्रभाव से भारत में औद्योगिकरण का प्रभाव बढ़ा, तथा विदेशी मुद्रा से देश की तिजोरीया छलकने लगी और भारत एक विकसीत राष्ट्र द्वारा उभरने लगा अत: हम कह सकते हैं कि सरकार को उदारीकरण एवं वैश्वीकरण भारत के विकास की नई दिशा के समान है ।



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