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विचारों के प्रदूषण पर एक छोटी सी कविता​

Answer» TION:कितने प्यार से किसी नेबरसों पहले मुझे बोया थाहवा के मंद मंद झोंको नेलोरी गाकर सुलाया  था ।कितना विशाल घना वृक्षआज  मैं  हो  गया  हूँफल फूलो से लदापौधे से वृक्ष हो गया हूँ  ।कभी कभी मन मेंएकाएक विचार करता हूँआप सब मानवों सेएक सवाल करता हूँ  ।दूसरे पेड़ों की भाँतिक्या मैं भी काटा जाऊँगाअन्य वृक्षों की भाँतिक्या मैं भी वीरगति पाउँगा ।क्यों बेरहमी से मेरे सीनेपर कुल्हाड़ी चलाते होक्यों बर्बरता से सीनेको छलनी करते हो ।मैं तो तुम्हारा सुखदुःख का साथी हूँमैं तो तुम्हारे लिएसाँसों की भाँति हूँ।मैं तो तुम लोगों कोदेता हीं देता हूँपर बदले मेंकछ नहीं लेता हूँ  ।प्राण वायु  देकर तुम परकितना उपकार करता हूँफल-फूल देकर तुम्हेंभोजन देता हूँ।दूषित हवा लेकरस्वच्छ हवा देता हूँपर बदले में कुछ नहींतुम से लेता हूँ ।ना काटो मुझेना काटो मुझेयही मेरा दर्द है।यही मेरी गुहार है।यही मेरी पुकार  है।


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