1.

यदि बछड़े के गोबर में गोलकृमि (पेट का केंचुआ) है तो इससे बचने हेतु क्या उपाय करेंगे?

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बछड़े के लिए प्रथम बार कृमिहर दवा का प्रयोग 25 दिन की आयु में किया जाता है। प्रचलित कृमिहर दवाओं में पिपराजीन, नीलवार्म फोर्ट, बेनामिन्थ, निलजान तथा टोलजान दवाएँ प्रमुख हैं, जिन्हें पशु चिकित्सक के परामर्श के अनुसार देना चाहिए।



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