InterviewSolution
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यहाँ प्रथम मानव ने खोले, निंदियारे लोचन अपने, इसी नभ तले उसने देखे, शत-शत नवल सृजन सपने,यहाँ उठे 'स्वाहा' के स्वर और, यहाँ 'स्वधा' के मंत्र बने,ऐसा प्यारा देश पुरातन, ज्ञान-निधान हमारा है।सतलज, व्यास, चिनाब, वितस्ता, रावी, सिंधु-तरंगवती,यह गंगा माता, यह यमुना गहर-लहर रस-रंगवती,ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, कावेरी, वत्सलता-उत्संग-मती,इनसे प्लावित देश हमारा, यह रसखान हमारा है। (arth) |
| Answer» TION:यहाँ प्रथम मानव ने खोले, निंदियारे लोचन अपने,इसी नभ तले उसने देखे, शत-शत नवल सृजन सपने,यहाँ उठे 'स्वाहा' के स्वर और, यहाँ 'स्वधा' के मंत्र बने,ऐसा प्यारा देश पुरातन, ज्ञान-निधान हमारा है।सतलज, व्यास, चिनाब, वितस्ता, रावी, सिंधु-तरंगवती,यह गंगा माता, यह यमुना गहर-लहर रस-रंगवती,ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, कावेरी, वत्सलता-उत्संग-मती,इनसे प्लावित देश हमारा, यह रसखान हमारा है। (ARTH) | |