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युधिष्ठिर के बारे में बताइए |

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पांडुराज के दो पत्नियाँ थीं – कुंती और माद्री | महर्षि दुर्वास के मंत्र प्रभाव से कुंती के तीन पुत्र और माद्री के दो पुत्र हुए | कुंती का प्रथम पुत्र धर्म देवता यम धर्मराज की कृपा से पैदा हुआ था । वही युधिष्ठिर था। उसे ही धर्मराज, पांडुनंदन नाम से पुकारते थे । युधिष्ठिर तो धैर्यवान, साहसी, निडर, साधु स्वभाव, दया, ममता, मानवता से पूरित महान व्यक्ति था।

अच्छी चालचलन, उत्तम चरित्र, विवेचना शक्ति संपन्न युधिष्ठिर को सब चाहते और आदर करते थे। सचमुच धर्म का दूसरा रूप था युधिष्ठिर, इसीलिए ही उसे धर्मराज कहते थे। यह सचमुच प्रेमालू था । अपने चारों भाइयों के प्रति वह असीम श्रद्धा रखता था । द्यूत क्रीडा में वह निपुण था। अपने अच्छे आचरण और गुणों से वह जीवन भर निष्कलंक बना रहा था । प्रजा की सेवा में तत्परता दिखाकर उनको सदा सुखी रखनेवाला श्रेष्ठ राजा था । नाम सार्थक करनेवाला महान व्यक्ति था युधिष्ठिर |



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