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1.

क्या सम्भव है कि ट्रान्जिस्टर में उत्सर्जक तथा संग्राही दोनों को अग्र अभिनति की दशा में रखा जाए । कारण दीजिए ।

Answer» ट्रान्जिस्टर में उत्सर्जक तथा संग्राही दोनों को अग्र अभिनति में रखना सम्भव नहीं है। क्योंकि इस अवस्था में उत्सर्जक के बहुसंख्यक धारावाहक तो उत्सर्जक से आधार की ओर चले जायेंगे , लेकिन संग्राही के धारावाहक आधार के संग्राही की ओर जाने के बजाय संग्राही से आधार की ओर जायेंगे ।
2.

क्या दो P-N सन्धि डायोडों को P-N व N-P क्रम में मिलाने पर बना संयोग P-N-P ट्रान्जिस्टर की भाँति कार्य कर सकता है ?

Answer» नहीं क्योंकि संयोग में N- क्षेत्र , जो आधार का कार्य करेगा , मोटा हो जाऐगा ।
3.

ऊर्जा बैन्ड से आप क्या समझते है ?

Answer» ठोसों में परमाणु असत्य संघन होते है , अतः उनके मध्य अन्योन्य क्रिया होते है । फलस्वरूप उनके ऊर्जा स्तर परिवर्तित होकर ऊर्जा बैण्ड बनाते है , जिसे ऊर्जा बैण्ड कहते है ।
4.

ट्रान्जिस्टर में उत्सर्जक को सदैव अग्र अभिनति तथा संग्रही को सदैव पश्च अभिनति में रखा जाता है , क्यों ?

Answer» इसका कारण है कि उत्सर्जक विघुत वाहकों ( इलेक्ट्रॉन या होल ) को तभी भेज सकता है , जब वह अग्र अभिनत हो तथा उन्हें सभी संग्रहित कर सकता है । जब वह पश्च अभिनत हो।
5.

क्या कारण है कि ट्रान्जिस्टर में उत्सर्जक व संग्राही के तुलना में आधार को बहुत पतला रखा जाता है ?

Answer» ट्रान्जिस्टर में उत्सर्जक व संग्राही के तुलना में आधार बहुत पतला रखा जाता है , इसका कारण है कि उत्सर्जक से संग्राही तक जाने में धारावाहक जब आधार पर्त को पार करे तो उनका क्षय बहुत कम हो। अर्थात आधार धारा अपेक्षाकृत अति अल्प हो ।
6.

अर्द्धचालकों को गर्म करने पर उनकी विद्दुत चालकता किस प्रकार प्रभावित होती है ?

Answer» अर्द्धचालकों को गर्म करने पर उनकी वाहक सांद्रता बढ़ जाने के कारण विघुत चालकता बढ़ जाती है ।
7.

ट्रान्जिस्टर के निर्माण में अर्द्धचालक का ही उपयोग क्यों किया जाता है ?

Answer» ट्रान्जिस्टर के निर्माण में अर्द्धचालक का ही उपयोग किया जाता है , इसका कारण यह है कि ट्रान्जिस्टर की क्रियाविधि मुक्त इलेक्ट्रॉन एवं होल की गति के नियंत्रण में निर्भर करती है , जो केवल अर्द्धचालक में सम्भव है , चालाक व कुचालक में सम्भव नहीं है ।
8.

एक शुद्ध अर्द्धचालक को P- प्रकार के अर्द्धचालक में किस प्रकार परिवर्तित किया जाता है ?

Answer» जब शुद्ध अर्द्धचालक में त्रिसंजोयी परमाणुओं ( जैसे - बोरॉन , एल्मुमिनियम , इण्डीयम आदि ) की अशुद्धियाँ मिलायी जाती है ,तो वह P- प्रकार के अर्द्धचालक में परिवर्तित हो जाता है ।
9.

आदर्श ट्रान्जिस्टर के लिए `alpha` का मान कितना होता है ?

Answer» आदर्श ट्रान्जिस्टर के लिए `alpha` का मान 1 होता है ।
10.

P-N संधि डायोड क्या है ?

Answer» यदि P- प्रकार के अर्द्धचालक को N- प्रकार के अर्द्धचालक के साथ विशेष विधि द्वारा जिसे डोपिंग कहते है , जोड़ दिया जाए तो इस संयोजन को P-N- संधि डायोड कहते है । जिस संधि पर दो अर्द्धचालक एक - दूसरे से जुड़ते है । उसे P-N संधि कहते है ।
11.

अवक्षय पर्त किसे कहते है ?

Answer» P-N संधि के निकट स्थित आवेश वाहकहीन क्षेत्र को अवक्षय क्षेत्र कहते है ।
12.

P-N संधि में क्षीण परत की मोटाई संधि के प्रतिरोध पर क्या प्रभाव डालती है ?

Answer» अग्र अभिनति बायस के कारण क्षीण परत की मोटाई कम हो जाती है ।
13.

P-N संधि से संधि स्थल के पास P- भाग में कौन - सा विभव होता है ?

Answer» Correct Answer - ऋणात्मक विभव ।
14.

P-N संधि में विभव प्राचीर को परिभाषित कीजिए ।

Answer» P-N संधि पर बहुसंख्यक आवेश वाहकों के विस्थापन के कारण उत्पन्न विभवान्तर को विभव प्राचीर कहते है ।
15.

अग्र अभिनति तथा उत्क्रम अभिनति का P-N सन्धि के अवक्षय पर्त की मोटाई पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

Answer» अग्र अभिनति होने पर P-N संधि के अवक्षय पर्त की मोटाई घट जाती है तथा उत्क्रम अभिनति होने पर P-N संधि के अवक्षय पर्तों की मोटाई बढ़ जाती है ।
16.

P-N संधि में क्षीण परत संधि को परिभाषित कीजिए ।

Answer» संधि पर जो गतिमान आवेश चालकों से विहीन की पतली परत होती है उसे क्षीण परत कहते है ।
17.

किसी लॉजिक गेट की सत्य सारणी क्या होती है ?

Answer» लॉजिक गेट की सत्य सारणी किसी लॉजिक गेट के निवेशी सिग्नलों एवं निर्गत सिग्नलों का प्रतिरूपण होता है ।
18.

लॉजिक गेट क्या है ?

Answer» ऐसे विघुत परिपथ जो , किसी सिग्नल को जाने देते है किसी सिग्नल को रोक देते है , उसे लॉजिक गेट्स कहते है ।
19.

ग्राही अशुद्धि के दो उदाहरण लिखिए ।

Answer» 1. बोरान (B)
2. ऐल्युमिनियम (Al).
20.

Ge और Si में से कौन -सा अच्छा अर्द्धचालक है ?

Answer» Si की तुलना में Ge अच्छा अर्द्धचालक है ।
21.

अर्द्धचालक उपकरणों की विषेशताएँ तथा दोष बताइये ।

Answer» विशेषताएँ - (i) ये आकार में छोटे होते है ,
(ii) इनमे कोई तन्तु नहीं होता , अतः गर्म करने की आवश्यकता नहीं होती । स्विच ऑन करते ही ये कार्य करने लगते है ।
(iii) ये बहुत कम दिष्ट वोल्टेज पर कार्य करते है ।
(iv) ये टिकाऊ तथा सस्ते होते है ।
(v) इनमे बहुत ही कम पॉवर व्यव होती है ।
(vi) इनकी दक्षता अधिक होती है ।
(vii) ये बहुत सुरक्षित होते है ।
दोष - (i) उच्च आवृति पर इनकी अनुक्रिया मन्द होती है ,
(ii) ये ताप संवेदी होते है । ताप बढ़ाने पर इनकी दक्षता कम होने लगती है ।
22.

Ge को Al के साथ डेपिंग करने से कौन - सा अर्द्धचालक बनाता है ?

Answer» P- प्रकार का अर्द्धचालक ।
23.

Ge,Si की तुलना में अच्छा अर्द्धचालक क्यों है ?

Answer» Ge के लिए `E_(g)(0.8eV)` तथा Si के लिए `E_(g)(1.1e V)` है । इसलिए Ge में वाहन सुगमता से होती है ।
24.

P-N संधि डायोड की उत्क्रम अभिनति से आप क्या समझते है ?

Answer» जब बैटरी के धन सिरे को N- क्षेत्र बाह्रा सिरे से तथा ऋण सिरे को P- क्षेत्र के बाह्रा सिरे से जोड़ा जाता है तो इसे उत्क्रम अभिनति कहते है ।
25.

P-N संधि डायोड की अग्र अभिनति से आप क्या समझते है ?

Answer» जब एक बैटरी के धन सिरे को P-N सन्धि डायोड के P- क्षेत्र के बाह्रा सिरे से तथा N- क्षेत्र के बाह्रा सिरे को ऋण सिरे से जोड़ा जाता है , तो इसे अग्र अभिनति कहते है ।
26.

डोपिंग किसे कहते है ?

Answer» निज अर्द्धचालक के वैकर में अशुद्ध परमाणु मिलाने की क्रिया को डोपिंग कहते है ।
27.

निज अर्द्धचालक में इलेक्ट्रॉन एवं होल का अनुपात कितना होता है ?

Answer» Correct Answer - `1:`.
28.

संयोजकता बैण्ड , चालन बैण्ड और ऊर्जा अन्तराल क्या है ?

Answer» सिलिकॉन क्रिस्टल में पूर्णतः भरे हुए 4N स्तरों को , जिनकी ऊर्जा कम होती है , संयोजकता बैण्ड कहते है । तथा 4N रिक्त स्तरों को जिनकी ऊर्जा अधिक होती है , चालन बैण्ड कहते है । संयोजकता बैण्ड और चालन बैण्ड के बीच ऊर्जा अन्तराल को ऊर्जा अन्तराल कहते है ।
29.

अर्द्धचालक क्या है ? किन्ही दो अर्द्धचालकों के नाम लिखिए ।

Answer» अर्द्धचालक के पदार्थ होते है , जिनकी विघुत चालकता , चालाक और विघुतरोधी के मध्य होते है , इनके परमाणुओं की बाहरी कक्ष में चार इलेक्ट्रॉन होते है , जिन्हे संयोजी इलेक्ट्रॉन कहते है । उदाहरण - (i) जर्मेनियम , (ii) सिलिकॉन ।
30.

निम्न में चालाक , विद्दुतरोधी और अर्द्धचालक के नाम लिखिए -टंगस्टन , चाँदी, वायु , कार्बन, जर्मेनियम , सिलिकॉन

Answer» चाकल - टंगस्टन , चाँदी ।
विधुतरोधी - वायु , कार्बन ।
अर्द्धचालक - जर्मेनियम , सिलिकॉन ।
31.

एक शुद्ध अर्द्धचालक को N- प्रकार के अर्द्धचालक में किस प्रकार परिवर्तित किया जाता है ?

Answer» जब शुद्ध अर्द्धचालक में पंचसंयोजी ( जैसे ऐंटीमनी , आर्सेनिक आदि ) की अशुद्धियाँ मिलाई जाती है , तो वह N- प्रकार के अर्द्धचालक में परिवर्तित हो जाती है ।
32.

P- प्रकार के अर्द्धचालक और N- प्रकार के अर्धचालक में विघुत वाहक क्या है ?

Answer» P-प्रकार के अर्द्धचालक में होल विघुत वाहक तथा N- प्रकार के अर्द्धचालक में इलेक्ट्रॉन विघुत वाहक होते है ।
33.

p- प्रकार का अर्द्धचालक क्रिस्टल विघुत रूपेण उदासीन क्यों होता है ? जबकि `n_n gt gt n_3 ?`

Answer» p- प्रकार अर्धचालक में त्रिसंयोजी पदार्थ की अशुद्धि अपमिश्रित की जाती है जिससे चौथा मूल परमाणु का एक इलेक्ट्रॉन बंध नहीं बना पाता है , तथा अशुद्ध अपमिश्रित के इलेक्ट्रॉन से बंध बना लेते है । अतः p- प्रकार का अर्धचालक पदार्थ विधुतीय उदासीन होता है ।
34.

CB और CE में कौन उत्तम है ? क्यों ?

Answer» CB और CE में CE उत्तम है क्योंकि CE में धारा लाभ व शक्ति लाभ दोनों CB से अधिक होता है ।
35.

प्रवर्धक के रूप में उपयोग के लिए आप NPN और PNP ट्रांजिस्टरों में से किसे पसंद करेंगे ?

Answer» Correct Answer - NPN ट्रांजिस्टर ।
36.

ठोस प्रायः निश्चित आकार के क्यों होते है?

Answer» अणुओं या परमाणुओं के बीच की औसत दूरी नियत होने के कारण ही प्रत्येक ठोस की निश्चित आकृति तथा आकार होती है ।
37.

P-N-P- ट्रान्जिस्टर की अपेक्षा N-P-N ट्रान्जिस्टर अधिक श्रेष्ट होता है , क्यों ?

Answer» P-N-P ट्रान्जिस्टर की अपेक्षा N-P-N ट्रांजिस्टर अधिक श्रेष्ठ होता है क्योंकि P-N-P ट्रांजिस्टर की अपेक्षा N-P-N ट्रांजिस्टर में इलेक्ट्रॉन आसानी से उपलब्ध हो जाते है ।
38.

ट्रांजिस्टर को प्रवर्धक के रूप में काम लाने के लिए कौन -सी संधि पश्च बायसित की जाती है ?

Answer» आधार संग्राहक संधि को पश्च बायसित किया जाता है ।
39.

ट्रान्जिस्टर को प्रवर्धक की भाँती उपयोग में लाने के लिए निवेशी प्रतिरोध अल्प तथा निर्गत प्रतिरोध उच्च रखा जाता है , क्यों ?

Answer» ट्रान्जिस्टर को प्रवर्धक की भाँति उपयोग में लाने के लिए निवेशी प्रतिरोध अल्प तथा निर्गत , प्रतिरोध उच्च रखा जाता है , जिससे कि निवेशी सिरों पर सिग्नल वोल्टता में अन्य परिवर्तन से उत्सर्जक धारा में बहुत अधिक परिवर्तन हो जाये तथा संग्राही वोल्टता में बहुत परिवर्तन करने से भी संग्राही धारा में अल्प परिवर्तन हो ।
40.

L-C परिपथ में दोलन क्यों अवमंदित होते है ? ट्रान्जिस्टर के रूप में इनका दोलन आयाम कैसे नियत रखा जाता है ?

Answer» L-C परिपथ में सर्वप्रथम संधरित्र आवेशित होता है ओर फिर से प्रेरकत्व द्वारा विसर्जित होता है । संधारित्र की विधुत ऊर्जा प्रेरकत्व की चुम्बकीय ऊर्जा में तथा प्रेरकत्व की चुम्बकीय ऊर्जा में तथा प्रेरकत्व की चुम्बकीय ऊर्जा संधारित्र की विधुत ऊर्जा में परिवर्तित होती रहती है । परिपथ के प्रतिरोध के कारण दोलन का आयाम लगातार घटता जाता है । दोलन आयाम को नियत रखने के लिए ऊर्जा में क्षति की पूर्ति ट्रान्जिस्टर की सहायता से उसके साथ लगे दिष्ट धारा स्त्रोत से की जाती है ।
41.

जब एक ट्रांजिस्टर प्रवर्धक प्रवर्धक उभयनिष्ट आधार परिपथ में प्रयुक्त किया जाता है , तो धारा प्रवर्धन 0.987 है । यदि उसे उभयनिष्ट उत्सर्जक परिपथ में प्रयुक्त किया जाये , तो धारा प्रवर्धन क्या होगा ?

Answer» सूत्र `E=(V)/(d)`
दिया है - `V=0.7` वोल्ट तथा `d=10^-6` मीटर ।
उपर्युक्त सूत्र में मान रखने पर ,
`E=(0.7)/(10^-6)=7.0xx10^5` वोल्ट/ मीटर ।
42.

अर्द्ध - तरंग दिष्टकरण में , यदि निवेश आवृति 50Hz है तो निर्गत ,आवृति क्या है ? समान निवेश आवर्ती हेतु पूर्ण तरंग दिष्टकरण की निर्गत आवृति क्या है ?

Answer» अर्द्ध - तरंग दिष्टकरण केवल AC के अर्द्धचक्र को प्रवर्धित करता है यह केवल निवेशी सिग्नल के आधे चक्र में धारा प्रवाहित करता है , जबकि पूर्ण तरंग दिष्टकरी सम्पूर्ण चक्र को प्रवर्धित करता है । अर्ध तरंग दिष्टकरण की निर्गत आवृति `=50Hz` पूर्ण तरंग दिष्टकरी की निर्गत आवृति `=2xx50=100Hz`.