InterviewSolution
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विश्वेश्वरय्या मैसूर राज्य के निवासी थे। उन्हें अपनी मातृभूमि की सेवा करने में आनंद का अनुभव हुआ। वे मैसूर के चीफ़ इंजीनियर के पद पर नियुक्त हुए। इस पद पर उन्होंने तीन वर्षों तक कार्य किया। विश्वेश्वरय्या की कार्यकुशलता एवं शासन पटुता पर महाराज मुग्ध हुए। उन्होंने तीन साल बाद विश्वेश्वरय्या जी को अपना दीवान नियुक्त किया। इस पद पर वे छह साल तक कार्य करते रहे। इन नौ वर्षों की अवधि में विश्वेश्वरय्या ने अपनी योजनाओं पर अमल करके मैसूर राज्य का नक्शा ही बदल डाला।विश्वेश्वरय्या ने मैसूर राज्य के चीफ़ इंजीनियर के पद पर कितने वर्षों तक कार्य किया? |
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Answer» विश्वेश्वरय्या ने मैसूर राज्य के चीफ इंजीनियर के पद पर तीन वर्षों तक कार्य किया। |
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विश्वेश्वरय्या का जन्मदिन किस नाम से मनाया जाता है? |
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Answer» विश्वेश्वरय्या जी का जन्मदिन ‘इंजीनियर्स डे’ के रूप में मनाया जाता है। |
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विश्वेश्वरय्या ने ३१ वर्ष की उम्र में कौन-सा बड़ा कार्य किया? |
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Answer» विश्वेश्वरय्या ने 31 वर्ष की उम्र में शक्कर बैरेज तथा वाटर वर्क्स का निर्माण किया। |
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कावेरी नदी का बाँध किस नाम से मशहूर है? |
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Answer» कावेरी नदी का बाँध ‘कृष्णराजसागर’ नाम से मशहूर है। |
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अन्य वचन रूप लिखिए :नाली, माता, सेवा, व्यवस्था, योजना, कारखाना।1. नाली 2. माता 3. सेवा 4. व्यवस्था 5. योजना 6. कारखाना |
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Answer» 1. नाली – नालियाँ 2. माता – माताएँ 3. सेवा – सेवाएँ 4. व्यवस्था – व्यवस्थाएँ 5. योजना – योजनाएँ 6. कारखाना – कारखाने |
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विश्वेश्वरय्या की मृत्यु कब हुई? |
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Answer» १४ अप्रैल १९६२ को बेंगलूर में विश्वेश्वरय्या जी का निधन हुआ। |
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विश्वेश्वरय्या ने किस बाँध के लिए आटोमैटिक गेटों का डिज़ाइन किया? |
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Answer» विश्वेश्वरय्या ने पूना के निकट ‘खडकवासला’ नामक बाँध के लिए आटोमैटिक गेटों का डिज़ाइन किया था। |
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किस नदी में भयंकर बाढ़ आती थी? |
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Answer» मूसी नदी में भयंकर बाढ़ आती थी। |
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विश्वेश्वरय्या का जन्म कहाँ हुआ? |
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Answer» विश्वेश्वरय्या का जन्म मैसूर राज्य (अब कर्नाटक राज्य) के कोलार जिले के अन्तर्गत मुद्देनहल्ली नामक छोटे से गाँव में हुआ। |
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१९५५ में भारत सरकार ने विश्वेश्वरय्या को किस उपाधि से विभूषित किया? |
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Answer» १९५५ में भारत सरकार ने विश्वेश्वरय्या को भारत की सर्वोच्च उपाधि ‘भारत रत्न’ से विभूषित किया। |
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विलोम शब्द लिखिए :असाधारण, अच्छा, दीर्घायु, विश्वास, साकार।1. असाधारण2. अच्छा 3. दीर्घायु 4. विश्वास 5. साकार |
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Answer» 1. असाधारण × साधारण 2. अच्छा × बुरा 3. दीर्घायु × अल्पायु 4. विश्वास × अविश्वास 5. साकार × निराकार |
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विश्वेश्वरय्या को अदन से कब बुलावा आया? |
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Answer» विश्वेश्वरय्या को अदन से 1906 में बुलावा आया। |
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विश्वेश्वरय्या की प्रसिद्धि तथा पदोन्नति देख कुछ इंजीनियर क्यों जलते थे? |
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Answer» विश्वेश्वरय्या की प्रसिद्धि तथा पदोन्नति देखकर कुछ इंजीनियर उनसे ईर्ष्या करने लगे थे। इसके दो कारण थे – एक तो विश्वेश्वरय्या की उम्र उस वक्त केवल सैंतालीस की थी और दूसरी बात वे अनेक पुराने तथा सीनियर इंजीनियरों से वेतन तथा पद की दृष्टि से भी आगे बढ़ गये थे। वे सूपरिन्टेंडिंग इंजीनियर पहले ही से थे। हर बात में उनकी सलाह ली जाती थी। इसे देखकर अनेक इंजीनियरों में असंतोष और ईर्ष्या की भावना घर कर गई थी। |
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विश्वेश्वरय्या का पूरा नाम लिखिए। |
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Answer» विश्वेश्वरय्या का पूरा नाम मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या था। |
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विश्वेश्वरय्या किसके बड़े पाबंद थे? |
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Answer» विश्वेश्वरय्या समय के बड़े पाबंद थे। |
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विश्वेश्वरय्या मैसूर राज्य के निवासी थे। उन्हें अपनी मातृभूमि की सेवा करने में आनंद का अनुभव हुआ। वे मैसूर के चीफ़ इंजीनियर के पद पर नियुक्त हुए। इस पद पर उन्होंने तीन वर्षों तक कार्य किया। विश्वेश्वरय्या की कार्यकुशलता एवं शासन पटुता पर महाराज मुग्ध हुए। उन्होंने तीन साल बाद विश्वेश्वरय्या जी को अपना दीवान नियुक्त किया। इस पद पर वे छह साल तक कार्य करते रहे। इन नौ वर्षों की अवधि में विश्वेश्वरय्या ने अपनी योजनाओं पर अमल करके मैसूर राज्य का नक्शा ही बदल डाला।विश्वेश्वरय्या किस राज्य के निवासी थे? |
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Answer» विश्वेश्वरय्या मैसूर राज्य के निवासी थे। |
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हैदराबाद नवाब के सामने कौन-सी मुसीबत थी? उसका समाधान विश्वेश्वरय्या ने कैसे किया? |
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Answer» जब विश्वेश्वरय्या हैदराबाद राज्य के इंजीनियरिंग सलाहकार थे, उन दिनों हैदराबाद रियासत पर निज़ाम नवाब का शासन था। उनके सामने एक मुसीबत आ खड़ी हुई थी। हर वर्ष मूसी नदी में भयंकर बाढ़ आती थी। इस वजह से खूब तबाही होती थी। उस बाढ़ का पानी हैदराबाद नगर में घुस आता था, जिससे सारे काम-काज बंद हो जाते थे। विश्वेश्वरय्या ने मूसी नदी के पानी को काबू करने की योजना बनाई, बाँध भी बनवाया। साथ ही हैदराबाद नगर के लिए पानी तथा नालियों का भी बड़ा अच्छा इन्तजाम किया, जिससे नवाब साहब की मुसीबत टल गई। |
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विश्वेश्वरय्या की शिक्षा के बारे में लिखिए। |
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Answer» विश्वेश्वरय्या की प्रारम्भिक शिक्षा कोलार जिले के मुद्देनहल्ली गाँव में ही हुई। हाईस्कूल की शिक्षा बेंगलूर में हुई। मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद वे बेंगलूर में ही सेंट्रल कालेज में भर्ती हुए। वहीं से उन्होंने बी.ए. उत्तीर्ण किया। फिर सेंट्रल कॉलेज के प्रिन्सिपल की सिफारिशी पत्र पर पूना के साइन्स कॉलेज में इंजीनियरिंग सीठ भी मिला साथ उनको छात्र-वृत्ति भी मिल गई। फलस्वरूप बम्बई विश्वविद्यालय भर में इंजीनियरिंग परीक्षा में प्रथम श्रेणी में प्रथम निकले। |
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विश्वेश्वरय्या किस उम्र में असिस्टेंट इंजीनियर के पद पर नियुक्त हुए? |
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Answer» विश्वेश्वरय्या अपनी तेईस साल की उम्र में असिस्टेंट इंजीनियर के पद पर नियुक्त हुए। |
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विश्वेश्वरय्या के बाल्य जीवन के बारे में लिखिए। |
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Answer» विश्वेश्वरय्या का जन्म मैसूर राज्य (अब कर्नाटक राज्य) के कोलर जिले के अंतर्गत मुद्धेनहल्ली नामक एक छोटे से गाँव में 15 सितम्बर सन् 1861 को हुआ था। इनका पूरा नाम मोक्षगुंडम् विश्वेश्वरय्या था। विश्वेश्वरय्या के माता-पिता बहुत ही गरीब थे। उन्हें पढ़ाने-लिखाने की शक्ति उनमें नहीं थी। फिर भी विश्वेश्वरय्या के मन में पढ़ने की लगन थी। गाँव में प्रारम्भिक शिक्षा समाप्त कर विश्वेश्वरय्या हाई स्कूल की शिक्षा पाने के लिए बेंगलूर पहुँचे। बेंगलूर में खर्चा चलना मुश्किल था। इसलिए विश्वेश्वरय्या अपने किसी एक रिश्तेदार के घर ठहर गये। ट्यूशन करके अपने दिन काटने लगे। |
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नौकरी से निवृत होने के बाद विश्वेश्वरय्या किस राज्य के सलाहकार के रूप में नियुक्त हुए? |
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Answer» नौकरी से निवृत होने के बाद विश्वेश्वरय्या हैदराबाद (आंध्र) राज्य के इंजीनियरिंग सलाहकार के रूप में नियुक्त हुए। |
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विश्वेश्वरय्या ने बेंगलूर के किस कॉलेज से बी.ए. उत्तीर्ण किया? |
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Answer» विश्वेश्वरय्या ने बेंगलूर के सेंट्रल कॉलेज से बी.ए. उत्तीर्ण किया। |
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विश्वेश्वरय्या मैसूर राज्य के निवासी थे। उन्हें अपनी मातृभूमि की सेवा करने में आनंद का अनुभव हुआ। वे मैसूर के चीफ़ इंजीनियर के पद पर नियुक्त हुए। इस पद पर उन्होंने तीन वर्षों तक कार्य किया। विश्वेश्वरय्या की कार्यकुशलता एवं शासन पटुता पर महाराज मुग्ध हुए। उन्होंने तीन साल बाद विश्वेश्वरय्या जी को अपना दीवान नियुक्त किया। इस पद पर वे छह साल तक कार्य करते रहे। इन नौ वर्षों की अवधि में विश्वेश्वरय्या ने अपनी योजनाओं पर अमल करके मैसूर राज्य का नक्शा ही बदल डाला।विश्वेश्वरय्या ने अपनी योजनाओं के द्वारा किस राज्य का नक्शा ही बदल डाला? |
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Answer» विश्वेश्वरय्या ने अपनी योजनाओं के द्वारा मैसूर राज्य का नक्शा ही बदल डाला। |
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विश्वेश्वरय्या मैसूर राज्य के निवासी थे। उन्हें अपनी मातृभूमि की सेवा करने में आनंद का अनुभव हुआ। वे मैसूर के चीफ़ इंजीनियर के पद पर नियुक्त हुए। इस पद पर उन्होंने तीन वर्षों तक कार्य किया। विश्वेश्वरय्या की कार्यकुशलता एवं शासन पटुता पर महाराज मुग्ध हुए। उन्होंने तीन साल बाद विश्वेश्वरय्या जी को अपना दीवान नियुक्त किया। इस पद पर वे छह साल तक कार्य करते रहे। इन नौ वर्षों की अवधि में विश्वेश्वरय्या ने अपनी योजनाओं पर अमल करके मैसूर राज्य का नक्शा ही बदल डाला।महाराज ने विश्वेश्वरय्या को किस पद पर नियुक्त किया? |
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Answer» महाराज ने विश्वेश्वरय्या को अपना दीवान नियुक्त किया। |
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मैसूर राज्य के विकास में विश्वेश्वरय्या के योगदान के बारे में लिखिए। |
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Answer» मैसूर राज्य के विकास में विश्वेश्वरय्या का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण है। कावेरी नदी पर बाँध जो अब कृष्णराजसागर नाम से मशहूर है, उसे बनाने का पूरा श्रेय श्री विश्वेश्वरय्या को जाता है। इस बाँध से जहाँ उद्योगों के लिए बिजली प्राप्त हुई, वहीं पर हजारों एकड़ भूमि की सिंचाई के लिए पानी भी मिला। ‘बृंदावन गार्डन्स’ जो के.आर.एस. डैम के पास बनाया गया है, उसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। मैसूर की शासन-व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए पंचायतों की रचना की। गाँव और शहरों में जनता के द्वारा प्रतिनिधियों का चुनाव हुआ। जनता और सरकार के बीच सहयोग बढ़ा। फलस्वरूप राज्य का अच्छा विकास हुआ। मैसूर राज्य के लिए अपना एक बैंक भी बनाया। मैसूर के लिए एक विश्वविद्यालय की स्थापना की। इस तरह शैक्षणिक एवं आर्थिक विकास में भी उन्होंने भरपूर योगदान दिया। |
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भारतरत्न विश्वेश्वरय्या कहानी का सारांश लिखें। |
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Answer» मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या जी का जन्म मैसूर राज्य के कोलार जिले के अन्तर्गत मुद्देनहल्ली नामक छोटे-से गाँव में हुआ था। इनके माता-पिता बहुत गरीब थे। उनमें पढ़ाने-लिखवाने की शक्ति नहीं थी। फिर भी विश्वेश्वरय्या के मन में पढ़ने की लगन थी। प्रारंभिक शिक्षा समाप्त कर, हाईस्कूल की पढ़ाई के लिए वे बेंगलूर पहुंचे। बेंगलूर का खर्चा चलाना मुश्किल था। अतः वे अपने एक मित्र के घर में ठहरे थे। सेंट्रल कॉलेज से बी.ए. उत्तीर्ण किया। इस कॉलेज के अंग्रेज प्रिंसिपल की सिफारिश से विश्वेश्वरय्या की पूना में इंजीनियरिंग की शिक्षा प्रारंभ हुई। छात्रवृत्ति भी मिली। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या जी का जन्म मैसूर राज्य के कोलार जिले के अन्तर्गत मुद्देनहल्ली नामक छोटे-से गाँव में हुआ था। इनके माता-पिता बहुत गरीब थे। उनमें पढ़ाने-लिखवाने की शक्ति नहीं थी। फिर भी विश्वेश्वरय्या के मन में पढ़ने की लगन थी। प्रारंभिक शिक्षा समाप्त कर, हाईस्कूल की पढ़ाई के लिए वे बेंगलूर पहुंचे। बेंगलूर का खर्चा चलाना मुश्किल था। अतः वे अपने एक मित्र के घर में ठहरे थे। सेंट्रल कॉलेज से बी.ए. उत्तीर्ण किया। इस कॉलेज के अंग्रेज प्रिंसिपल की सिफारिश से विश्वेश्वरय्या की पूना में इंजीनियरिंग की शिक्षा प्रारंभ हुई। छात्रवृत्ति भी मिली। विश्वेश्वरय्या एक कर्मयोगी थे। समय के पाबंद तथा परिश्रमी थे। उनका मानना था कि भारतीय आलसी होने के कारण आज अन्य देश प्रगति कर रहे हैं। सेवाभाव को वे पवित्र मानते थे। उनका चरित्र आदर्शपूर्ण था। उनमें अहंकार नहीं था। वे सदा देश के विकास का सपना देखा करते थे | ऐसे कर्मयोगी का निधन 14 अप्रैल 1962 को बेंगलूर में हुआ | |
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विश्वेश्वरय्या मैसूर राज्य के निवासी थे। उन्हें अपनी मातृभूमि की सेवा करने में आनंद का अनुभव हुआ। वे मैसूर के चीफ़ इंजीनियर के पद पर नियुक्त हुए। इस पद पर उन्होंने तीन वर्षों तक कार्य किया। विश्वेश्वरय्या की कार्यकुशलता एवं शासन पटुता पर महाराज मुग्ध हुए। उन्होंने तीन साल बाद विश्वेश्वरय्या जी को अपना दीवान नियुक्त किया। इस पद पर वे छह साल तक कार्य करते रहे। इन नौ वर्षों की अवधि में विश्वेश्वरय्या ने अपनी योजनाओं पर अमल करके मैसूर राज्य का नक्शा ही बदल डाला।महाराज विश्वेश्वरय्या के किन गुणों पर मुग्ध हुए? |
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Answer» महाराज विश्वेश्वरय्या की कार्यकुशलता एवम् शासन पटुता पर मुग्ध हुए। |
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विश्वेश्वरय्या के गुण-स्वभाव का परिचय दीजिए। |
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Answer» सर एम. विश्वेश्वरय्या एक कर्मयोगी थे। वे समय के पाबन्द थे। वे समय के सदुपयोग के बारे में अच्छी तरह जानते थे। समय पर अपने सभी काम करते थे। उन्होंने जीवन पर्यंत विश्राम नहीं लिया। वे सदा मेहनत करते थे, दूसरों से भी यही आशा रखते थे। वे सेवाभाव को अत्यंत पवित्र आचरण मानते थे। जिन्दगी भर देश की तथा मानव-समाज की सेवा में लगे रहे। उनका चरित्र आदर्शपूर्ण था। वे विनयशील तथा साधु प्रकृति के थे। ईमानदारी तो उनके चरित्र की अटूट अंग ही थी। असाधारण प्रतिभा रखते हुए भी उन्होंने कभी गर्व का अनुभव नहीं किया। अपने श्रम और स्वावलम्बन द्वारा कोई भी शिखर तक पहुंच सकता है, इसके जबर्दस्त प्रमाण है – विश्वेश्वरय्या। |
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कोष्ठक में दिए गये कारक चिह्नों से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए : (का, के, को, में)1. बैंगलोर ………… खर्च चलाना मुश्किल था।2. विश्वेश्वरय्या समय …………. बड़े पाबंद थे।3. सिंध ………….. बहुत बड़ा भाग रेगिस्तान है।4. पानी ………….. इकट्ठा करना था। |
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Answer» 1. में 2. के 3. का 4. को |
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अन्य लिंग रूप लिखिए :सदस्य, पिता, छात्र, महाराजा, पुरुष।1. सदस्य 2. पिता 3. छात्र 4. महाराजा 5. पुरुष |
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Answer» 1. सदस्य – सदस्या 2. पिता – माता 3. छात्र – छात्रा 4. महाराजा – महारानी 5. पुरुष – स्त्री |
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