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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

बीहड़ (रेवाइन) निम्न स्थानों पर पाया जाता है-(क) नदी एवं नान्नों के किनारे व आप पास(ख) खेती योग्य भूमि पर(ग) खेत के मैदान में(घ) गाँव में

Answer»

सही विकल्प है (क) नदी एवं नान्नों के किनारे व आप पास

2.

भू-क्षरण से तात्पर्य है-(क) भूमि के कणों का अपने स्थान से  हटना एवं दूसरे स्थान पर इकट्ठा होना(ख) पानी का बहना(ग) बर्फ का पिघलना(घ) खेत की जुताई करना

Answer»

सही विकल्प है (क) भूमि के कणों का अपने स्थान से  हटना एवं दूसरे स्थान पर इकट्ठा होना

3.

वर्षा की बूंद का क्षरण कैसे होता है?

Answer»

वर्षा की बूंद भूमि के कणों को एक मीटर ऊँचा एवं एक मीटर दूर तक उछाल देती है।

4.

पहाड़ी पर किस प्रकार की खेती करते हैं?

Answer»

पहाड़ी पर सीढ़ीदार खेती करते हैं।

5.

ढालू भूमि में ढाल के विपरीत खेती करने से क्या लाभ है?

Answer»

मृदा संरक्षण हेतु कृषि कार्य जैसे जुताई, गुड़ाई, बोआई सदैव ढाल के विपरीत दिशा में करते हैं, जिससे पानी खेतों में रुक जाती है और खेती करने में आसानी होती है।

6.

मृदा संरक्षण का अर्थ है-(क) मृदा को क्षरण से बचाना(ख) मृदा का पानी के साथ खेत से बहना(ग) ढाल पर खेती करना(घ) मिट्टी खोदना

Answer»

सही विकल्प है (क) मृदा को क्षरण से बचाना

7.

पुराने पेड़ों की जड़ें मिट्टी के ऊपर दिखाई देती हैं इसका कारण बताइए।

Answer»

बरसात के दिनों में जलीय भू-क्षरण के कारण पुराने पेड़ के जड़ों की मिट्टी बह जाने से जड़ें दिखाई देने लगती हैं।

8.

बालू के टीले (सैण्डड्यून) कैसे बनते हैं?

Answer»

बालू के टीले तेज हवा के कारण रेतीली भूमि को उड़ाने से बनते हैं।

9.

पानी के साथ मिट्टी बहकर कहाँ चली जाती है? इसका प्रभाव क्या होता है?

Answer»

पानी के साथ मिट्टी की ऊपरी परत बहकर नदी, नालों एवं समुद्र में चली जाती है जिससे इसके पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं और खेत की उपजाऊ शक्ति घट जाती है।

10.

बरसात के दिनों में मटमैले एवं गॅदले पानी के अन्दर क्या होता है?

Answer»

मटमैले व गॅदले पानी में खेत की मृदा के पोषक तत्त्व होते हैं।

11.

खेत से पानी बहने के बाद खेत में अंगुलियों जैसी संरचना कैसे बनती हैं?

Answer»

बरसात के दिनों में ढालू भूमि में मिट्टी, पानी के साथ बहकर अंगुलियों जैसी संरचना बनाती है।

12.

सीढ़ीदार खेती से क्या समझते हैं?

Answer»

सीढ़ीदार खेती-अधिक ढालू एवं पहाड़ों पर ढाल के विपरीत सीढ़ीनुमा संरचना बनाकर खेती करते हैं। इससे मिट्टी का कटाव भी रुकता है।

13.

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-(i) ढालू-खेतों से भू-क्षरण ____ होता है। (अधिक/कम)(ii) सबसे अधिक भू-क्षरण ___ से होता है। (जल/बर्फ)(iii) त्वरित क्षरण ____ द्वारा होता है। (प्रकृति/मानव)(iv) भूस्खलन (लैण्डस्लाइड) ____ में होता है। (पहाड़ी/मैदानी क्षेत्र)(v) मृदा सतह की एक इंच ऊपरी परत बनाने में प्रकृति को ___ से ____ वर्ष लगते हैं।(300/100 वर्ष)

Answer»

(i) ढालू-खेतों से भू-क्षरण अधिक होता है।
(ii) सबसे अधिक भू-क्षरण जल से होता है।
(iii) त्वरित क्षरण मानव द्वारा होता है।
(iv) भूस्खलन (लैण्डस्लाइड) पहाड़ी क्षेत्रों में होता है।
(v) मृदा सतह की एक इंच ऊपरी परत बनाने में प्रकृति को 300 से 100 वर्ष लगते हैं।

14.

ढालू खेतों में फसलों का उत्पादन कम क्यों होता है?

Answer»

ढालू खेतों में भू-क्षरण अधिक होने से उनकी उपजाऊ क्षमता घटती रहती है।

15.

खेत को समतल एवं मेंड़बन्दी करने से क्या लाभ है?

Answer»

खेतों को समतल करके उसके चारों तरफ मेंड़बंदी करने से खेत का पानी बाहर नहीं जाता है और भू-क्षरण नहीं होता है।

16.

खेत व नालों से बहते हुए पानी को रोकने हेतु कौन-सी संरचना बनाते हैं?

Answer»

खेत व नालों से बहते हुए पानी को रोकने के लिए रोक बाँध (चेक डैम) बनाना पड़ता है जिससे भू-क्षरण पर रोक लगती है।

17.

ढालू भूमि में किस विधि से खेती करते हैं?

Answer»

ढाल के विपरीत जुताई करके सीढ़ीदार खेती करते हैं।

18.

पशुओं द्वारा अनियमित चराई करने से मृदा संरक्षण पर क्या प्रभाव पड़ता है?

Answer»

पशुओं द्वारा अनियमित चराई से मृदा संरक्षण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। पशुओं के खुरों से मृदा कटकर पानी के साथ बहती है, जिससे मृदा क्षरण अधिक होता है।

19.

वनस्पतियाँ (पेड़-पौधे) किस तरह से मृदा संरक्षण में सहायक होती हैं?

Answer»

वनस्पतियाँ (पेड़-पौधे) व घोस आदि लगने से भूमि कटाव कम होता है और पानी धीरे-धीरे बहता है।

20.

वायु-क्षरण से आप क्या समझते हैं? इसका वर्णन कीजिए।

Answer»

वायु भू-क्षरण- जब भूमि का कटाव वायु द्वारा होता है, तो उसे वायु भू-क्षरण कहते हैं। यह कम वर्षा व शुष्क जलवायु वाले प्रदेशों में होता है। जहाँ आमतौर पर तेज हवाएँ चलती हैं और भूमि पर वनस्पतियों का आवरण नहीं होता। ऐसी स्थिति में मृदा के छोटे-छोटे कण हवा के साथ अपने स्थान से हटकर कई किलोमीटर दूर उड़कर इकट्ठे हो जाते हैं। कभी-कभी खेतों में जमा होकर फसलें बर्बाद कर देते हैं। रेतीली भूमि में तेज हवा के कारण कभी-कभी बालू के टीले बन जाते हैं। जो वायु वेग के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होते रहते हैं।

21.

मृदा संरक्षण की परिभाषा एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।

Answer»

मृदा संरक्षण- मृदा की सुरक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। इसके लिए हमें उचित मृदा संरक्षण विधियाँ अपनाना आवश्यक है। यदि भूमि पर घास वनस्पतियाँ नही हैं तो भू-क्षरण अधिक होता है। जिससे नदी, नालों में मिट्टी जमा होने से उनकी जल धारण क्षमता घटती है और बाढ़ का कारण बनती है। मृदा कटाव रोकने की प्रक्रिया को ही मृदा संरक्षण कहते हैं।

22.

प्राकृतिक एवं त्वरित भू-क्षरण उदाहरण सहित समझाइए।

Answer»
  1. प्राकृतिक भू-क्षरण – प्राकृतिक भू-क्षरण प्रकृति द्वारा होता है। इसकी गति धीमी व विनाशरहित होती है। इसमें जितनी मिट्टी बनती है उतना ही कटाव होता है। जिससे सन्तुलन बना रहता है। इससे भूपटल पर पठार, मैदान, घाटियाँ और विभिन्न प्रकार की मिटूटियाँ बनती है।।
  2. त्वरित भू-क्षरण – चरागाहों में उगी घास की अनियमित चराई, वनों की अंधाधुंध कटाई आदि से भू-सतह पर स्थित वनस्पतियाँ नष्ट हो जाती हैं। जिसके कारण त्वरित भू-क्षरण होता है। मानव इसके लिए उत्तरदायी है।
23.

भू-क्षरण से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।

Answer»

भू-क्षरण से हानियाँ-

  1. नदी, नालों व समुद्रों में मिट्टी जमा होने से वे उथले हो रहे हैं।
  2. इससे पृथ्वी के अधिकांश भू-भाग डूबने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
  3. बाढ़ एवं पर्यावरण समस्या बढ़ती जा रही है।
  4. धन, जन और स्वास्थ्य की हानि हो रही है।
  5. भू-क्षरण के कारण पृथ्वी की उर्वरा शक्ति एवं उत्पादन क्षमता घट रही है जो देश की अर्थव्यवस्था कमजोर करती है।
24.

वायु भू-क्षरण निम्न कारक द्वारा होता है-(क) जल द्वारा(ख) बर्फ द्वारा(ग) वायु द्वारा(घ) गुरुत्वाकर्षण द्वारा

Answer»

सही विकल्प है (ग) वायु द्वारा