InterviewSolution
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                                    लौह चुम्बकीय पदार्थ के चुम्बकन वक्र की अनुत्क्रमणीयता, डोमेनों के आधार पर गुणात्मक दृष्टिकोण से समझाइए। | 
                            
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                                   Answer»  जब बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र को शून्य कर दिया जाता है तो भी लौह चुम्बकीय पदार्थ के डोमेन अपनी प्रारम्भिक स्थिति में नहीं लौट पाते अपितु उनमें कुछ चुम्बकन शेष रह जाता है। यही कारण है कि लौह चुम्बकीय पदार्थों का चुम्बकन वक्र अनुत्क्रमणीय होता है।  | 
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| 2. | 
                                    भूगर्भशास्त्रियों का मानना है कि मुख्य N-S चुम्बकीय ध्रुवों के अतिरिक्त, पृथ्वी की सतह पर कई अन्य स्थानीय ध्रुव भी हैं, जो विभिन्न दिशाओं में विन्यस्त हैं। ऐसा होना कैसे सम्भव है? | 
                            
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                                   Answer»  यद्यपि पृथ्वी का सम्पूर्ण चुम्बकीय-क्षेत्र, एकल चुम्बकीय द्विध्रुव के कारण माना जाता है अपितु स्थानीय स्तर पर चुम्बकित पदार्थों के भण्डार अन्य चुम्बकीय ध्रुवों का निर्माण करते हैं।  | 
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| 3. | 
                                    एक जगह से दूसरी जगह जाने पर पृथ्वी का चुम्बकीय-क्षेत्र बदलता है। क्या यह समय के साथ भी बदलता है? यदि हाँ, तो कितने समय अन्तराल पर इसमें पर्याप्त परिवर्तन होते हैं? | 
                            
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                                   Answer»  यद्यपि यह सत्य है कि पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र समय के साथ बदलता है, परन्तु चुम्बकीय-क्षेत्र में प्रेक्षण योग्य परिवर्तन के लिए कोई निश्चित समय सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती। इसमें सैकड़ों वर्ष का समय भी लग सकता है।  | 
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| 4. | 
                                    प्रति तथा अनुचुम्बकीय पदार्थों में मुख्य अन्तर लिखिए। | 
                            
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                                   Answer»  ऐसे पदार्थ जो तीव्र प्रबलता के चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर क्षेत्र की विपरीत दिशा में आंशिक रूप से चुम्बकित होते हैं, प्रति चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। जैसे—सोना, चाँदी, हीरा, नमक, जल, वायु आदि। ऐसे पदार्थ जो प्रबल तीव्रता के चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र की दिशा में आंशिक रूप से चुम्बकित होते हैं, अनुचुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। जैसे-ऐलुमिनियम, प्लैटिनम, सोडियम, कॉपर क्लोराइड, ऑक्सीजन आदि।  | 
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| 5. | 
                                    किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर प्रतिचुम्बकीय पदार्थों का व्यवहार अनुचुम्बकीय पदार्थों से किस प्रकार भिन्न होता है? | 
                            
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                                   Answer»  प्रतिचुम्बकीय पदार्थों की छड़ों को शक्तिशाली चुम्बक के ध्रुवों के बीच स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाने पर इनकी अक्ष (लम्बाई) चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् दिशा में हो जाती है। जबकि अनुचुम्बकीय पदार्थों की छड़ों को शक्तिशाली चुम्बक के ध्रुवों के बीच स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाने पर इनकी अक्ष (लम्बाई) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में हो जाती है।  | 
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| 6. | 
                                    निम्नलिखित पदार्थों में से प्रतिचुम्बकीय तथा अनुचुम्बकीय पदार्थों को चुनिए-ताँबा, सोडियम, प्लैटिनम तथा चाँदी। | 
                            
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                                   Answer»  प्रतिचुम्बकीय – ताँबा, चाँदी अनुचुम्बकीय – सोडियम, प्लैटिनम  | 
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| 7. | 
                                    यदि पृथ्वी का चुम्बकीय क्षैतिज घटक H तथा नमन कोण θ है, तो सम्पूर्ण क्षेत्र की तीव्रता कितनी होगी? | 
                            
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                                   Answer»  दिया है, पृथ्वी का चुम्बकीय घटक H तथा नमन कोण θ है, H = Be cos θ सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता Be = H/cos θ  | 
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| 8. | 
                                    किन्हीं दो प्रतिचुम्बकत्व वाले पदार्थों के नाम लिखिए। | 
                            
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                                   Answer»  बिस्मथ तथा ऐण्टीमनी।  | 
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| 9. | 
                                    किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर घटक समान हैं। उस स्थान पर नमन कोण का मान ज्ञात कीजिए। | 
                            
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                                   Answer»  tan θ = V/H = H/H = 1 1 [∵ V = H] tan θ = tan 45° ⇒ θ = 45° अतः नमन कोण 45° होगा।  | 
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| 10. | 
                                    किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर घटक प्रत्येक 0.35 गौस के बराबर हैं। उस स्थान पर नमन कोण का मान ज्ञात कीजिए। | 
                            
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                                   Answer»  tan θ = V/H = 1 [V = H = 0.35] नति कोण θ = 45°  | 
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| 11. | 
                                    अनुचुम्बकत्व के विपरीत, प्रतिचुम्बकत्व पर ताप का प्रभाव लगभग नहीं होता। क्यों ? | 
                            
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                                   Answer»  प्रतिचुम्बकीय पदार्थ के परमाणु ऊष्मीय विक्षोभ के कारण, भले ही किसी भी स्थिति में हों, उनमें बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र के कारण, प्रेरित चुम्बकीय आघूर्ण सदैव ही बाह्य क्षेत्र के विपरीत दिशा में प्रेरित होता है। इस प्रकार प्रतिचुम्बकत्व पर ताप का कोई प्रभाव नहीं होता।  | 
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| 12. | 
                                    किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक का मान ऊर्ध्व घटक के मान का √3 गुना है। उस स्थान पर नमन कोण का मान क्या होगा ? | 
                            
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                                   Answer»  tan θ = V/H = V/V√3 = 1/√3 = tan 30° ⇒ नमन कोण θ = 30°  | 
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| 13. | 
                                    यदि एक टोरॉइड में बिस्मथ का क्रोड लगाया जाए तो इसके अन्दर चुम्बकीय-क्षेत्र उस स्थिति की तुलना में (किंचित) कम होगा या (किंचित) ज्यादा होगा, जबकि क्रोड खाली हो? | 
                            
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                                   Answer»  चूँकि बिस्मथ एक प्रतिचुम्बकीय पदार्थ है; अतः चुम्बकीय-क्षेत्र अपेक्षाकृत कुछ कम हो जाएगा।  | 
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| 14. | 
                                    l मीटर लम्बाई के एक चालक तार को वृत्ताकार लूप में मोड़ा जाता है तथा ऐम्पियर की धारा प्रवाहित की जाती है। लूप का चुम्बकीय आघूर्ण होगा- (i) il²/4π (ii) il²/2π (iii) πil² (iv) il | 
                            
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                                   Answer»  लूप का चुम्बकीय आघूर्ण होगा- il²/4π  | 
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| 15. | 
                                    किसी स्थान पर नति कोण, पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक तथा ऊर्ध्व घटक के बीच सम्बन्ध लिखिए।याभू-चुम्बकत्व के अवयवों का आपस में सम्बन्ध लिखिए। | 
                            
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                                   Answer»  tan θ = V/H (जहाँ θ = नति कोण, V = Be sin θ (ऊर्ध्व घटक), H = Be cos θ (क्षैतिज घटक) जहाँ, Be = पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र]  | 
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| 16. | 
                                    पृथ्वी के क्रोड के बाहरी चालक भाग में प्रवाहित होने वाली आवेश धाराएँ भू-चुम्बकीय क्षेत्र के लिए उत्तरदायी समझी जाती हैं। इन धाराओं को बनाए रखने वाली बैटरी (ऊर्जा स्रोत) क्या हो सकती है? | 
                            
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                                   Answer»  यह माना जाता है कि पृथ्वी के गर्भ में उपस्थित रेडियोएक्टिव पदार्थों के विघटन से प्राप्त ऊर्जा ही आवेश धाराओं की ऊर्जा का स्रोत है।  | 
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| 17. | 
                                    एक परमाणु के नाभिक के परितः एक इलेक्ट्रॉन 0.5 Å त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर 5.0 x 1015 चक्कर/से की आवृत्ति से घूम रहा है। परमाणु का चुम्बकीय-आघूर्ण ज्ञात कीजिए। | 
                            
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                                   Answer»  कक्षा में चक्कर काटता इलेक्ट्रॉन एक धारा-लूप के तुल्य है, जिसमें धारा का मान। i = कक्षा के किसी बिन्दु से 1 सेकण्ड में गुजरने वाला आवेश = इलेक्ट्रॉन-आवेण x 1 सेकण्ड में चक्करों की संख्या = (1.6 x 10-19 कूलॉम) x (5.0 x 1015 सेकण्ड-1) = 8 x 10-4 ऐम्पियर तुल्य धारा-लूप का चुम्बकीय आघूर्ण M = Ni A जहाँ, N फेरों की संख्या है तथा A लूप का परिच्छेद-क्षेत्रफल है। यहाँ N = 1; i = 8 x 10-4 ऐम्पियर तथा A = πr² = π (0.5 x 10-10 मीटर)2 M = 1 x (8 x 10-4) x 3.14 x (0.5 x 10-10)2 = 6.28 x 10-24 ऐम्पियर-मीटर  | 
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| 18. | 
                                    पृथ्वी तल के किसी निश्चित स्थान पर, पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का ऊर्ध्वाधर घटक, क्षैतिज घटक का √3 गुना है। इस स्थान पर नति कोण है-(i) 0° (ii) 30° (iii) 45° (iv) 60° | 
                            
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                                   Answer»  पृथ्वी तल के किसी निश्चित स्थान पर, पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का ऊर्ध्वाधर घटक, क्षैतिज घटक का √3 गुना है। इस स्थान पर नति कोण है 60°  | 
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| 19. | 
                                    100 फेरों वाली तथा 15 सेमी x 10 सेमी क्षेत्रफल की एक कुण्डली B = 1.0 वेबर/मी2 के चुम्बकीय क्षेत्र में रखी गई है। कुण्डली में धारा 0.2 ऐम्पियर है तथा कुण्डली का तलं चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर है। कुण्डली पर लगते हुए बल आघूर्ण की गणना कीजिए। | 
                            
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                                   Answer»  τ = NiAB sinθ = 100 x 0.2 (15 x 10 x 10-4) x 1.0 sin 90° = 0.3 न्यूटन-मीटर।  | 
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| 20. | 
                                    परमाणु में परिक्रमण करने वाले इलेक्ट्रॉन के लिए चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण का सूत्र लिखिए। प्रयुक्त संकेतों के अर्थ बताइए। | 
                            
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                                   Answer»  M = NiA जहाँ, N = फेरों की संख्या, i = कक्षा के किसी बिन्दु से 1 सेकण्ड में गुजरने वाला आवेश तथा A = लूप के परिच्छेद का क्षेत्रफल  | 
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