InterviewSolution
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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 51. |
जल में रंगहीन हैं-A. `Ti^(+++)`B. `V^(+++)`C. `Cu^(+++)`D. `Sc^(+++)` |
| Answer» Correct Answer - B | |
| 52. |
Zn परवर्ती संयोजकता प्रदर्शित नहीं करता है, क्यों ? |
| Answer» `Zn^(2+)` आयन में बाह्म कोश (4s ) से दो इलेक्ट्रॉन निकल जाने के बाद 3d- उपकोश पूर्ण भरी स्थिति में आ जाता है | | |
| 53. |
लैंथेनॉइडो में सर्वाधिक सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था कौन-सी है ? |
| Answer» Correct Answer - `+3` | |
| 54. |
`U^(3+), Cm^(4+)` तथा `Th^(4+)` में से रंगहीन आयन कौन-सा है ? |
| Answer» Correct Answer - `Th^(4+)` | |
| 55. |
Zn,Cd और Hg का गलनांक अन्य संक्रमण तत्वों की अपेक्षा कम होता है, क्यों ? |
| Answer» अयुग्मित इलेक्ट्रॉन न होने के कारण इनके परमाणुओं के बीच केवल क्षीण वांडर वाल्स बल कार्य करते है | | |
| 56. |
अम्लीय माध्यम में `MnO_(4)^(-)` आयन अपचयित होकर बनाता हैं-A. `MnO_(2)`B. `Mn_(2)O_(3)`C. `Mn^(2+)`D. `Mn^(+6)` |
| Answer» Correct Answer - C | |
| 57. |
लैंथेनॉइड संकुचन का क्या कारण है ? |
| Answer» लैंथेनॉइड संकुचन `4f-` एलेक्ट्रॉनों के क्षीण परिरक्ष्ण प्रभाव (poor shielding effect ) तथा प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ने के कारण होता है | | |
| 58. |
अम्लीय और क्षारीय माध्यमों में `KMnO_(4)` का तुल्यांकी भर भिन्न होता है, क्यों ? |
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Answer» क्योकि अम्लीय तथा क्षारीय माध्यम में `KMnO_(4)` की रिडॉक्स अभिक्रियाएं भिन्न होती है | अम्लीय में `KMnO_(4)` ( या `Mn^(7+)` )का अपचयन `Mn^(2+)` में होती है जबकि क्षारीय माध्यम में यह `Mn^(6+)(K_(2)MnO_(4))` में अपचयित होता है | अतः अम्लीय माध्यम में, `E_(KMnO_(4)) = (M)/(5)` क्षारीय माध्यम में, `E_(KMnO_(4)) = (M)/(1)` |
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| 59. |
यौगिकों Lu`(OH)_(3)` एवं `La(OH)_(3)` में कौन अधिक क्षारीय हैं एवं क्यों? |
| Answer» फजन के नियम के अनुसार धनायन का आकार छोटा होने पर सहसंयोजक प्रकृति अधिक होती हैं| `La^(3+)` एवं `Lu^(3+)` में `Lu^(3+)` का आकार लैन्थोनाइड संकुचन के कारण छोटा होता हैं इसलिए `Lu(OH)_(3)` में सहसंयोजक प्रकृति अधिक एवं क्षारीय प्रकृति कम होगी| `La(OH)_(3)` की प्रकृति अधिक आयनिक एवं अधिक क्षारीय होगी| | |
| 60. |
परमाणु क्रमांक बढ़ने पर भी 3d श्रेणी के तत्वों की आयनन ऊर्जाएं बहुत अधिक नहीं होती हैं, समझाइये| |
| Answer» प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ने पर आयनन ऊर्जा बढ़ती हैं जो की परिरक्षण प्रभाव (Shielding effect) के कारण संतुलित हो जाती हैं| | |
| 61. |
लैंथेनाइड संकुचन की तुलना में एक तत्व से दूसरे तत्व के बीच एकिटनाइड संकुचन अधिक होता हैं, क्यों? |
| Answer» लैंथेनाइड संकुचन की तुलना में एक तत्व से दूसरे तत्व के बीच एकिटनाइड संकुचन अधिक होता हैं, क्यूंकि 5f इलेक्ट्रान नाभिकीय आवेश से प्रभावी रूप से आकर्षित रहते हैं| अर्थात श्रेणी में एक तत्व से दूसरे तत्व की और जाने पर 5f इलेक्ट्रॉनों का परिक्षण प्रभाव दुर्बल होता हैं| | |
| 62. |
लैंथेनॉइड तत्वों का पृथक्क़रण कठिन है, क्यों ? |
| Answer» आकुंचन के कारण परमाण्विक तथा आयनिक त्रिज्याओं में परिवर्तन बहुत सूक्ष्म है तथा ये समान रासायनिक गुण प्रदर्शित करते है | | |
| 63. |
एक तत्व जिसका परमाणु क्रमांक 22 हैं, इसके योगिक में इसकी उच्च ऑक्सीकरण अवस्था होगी-A. 1B. 2C. 3D. 4 |
| Answer» Correct Answer - D | |
| 64. |
`Lu(OH)_(3)` से `La(OH)_(3)` अधिक क्षारीय है, क्यों ? |
| Answer» लैंथेनॉइड संकुचन के कारण लैंथेनॉइड आयनों का आकर `La^(3+)` से `Lu^(3+)` तक घटता है, जिसके कारण सहसंयोजी गुण बढ़ते है | अतः `La(OH)_(3)` से `Lu(OH)_(3)` तक क्षारीय शक्ति घटती है | | |
| 65. |
संक्रमण श्रेणी में परमाणु क्रमांक बढ़ने पर परमाण्विक त्रिज्या बहुत अधिक परिवर्तित नहीं होता है, क्यों ? |
| Answer» संक्रमण श्रेणी में परमाणु क्रमांक बढ़ने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है, जिसके कारण आकार घटता है | परन्तु d-उपकोश में इलेक्ट्रॉन बढ़ने पर परिरक्षण प्रभाव (shielding effect ) बढ़ता है, जो बड़े हुए नाभिकीय आवेश को संतुलित करता है | | |
| 66. |
लैंथेनॉइड श्रेणी में किस त्रिसंयोजी (trivalent) आयनन का आकर अधिकतम होता है ? |
| Answer» Correct Answer - `Ce^(3+)` आयनन* | |
| 67. |
लैंथेनॉइड आकुंचन की अपेक्षा एक तत्व से दूसरे तत्व के बीच एक्टिनॉइड आकुंचन अधिक होता है, क्यों ? |
| Answer» क्योकि लैंथेनॉइड्स के `4f` -इलेक्ट्रॉनों की अपेक्षा ऐक्टिनॉइड्स में `5f`-इलेक्ट्रॉनों द्वारा दुर्बल परिरक्षण प्रभाव होता है | अतः बड़े हुए नाभिकीय आवेश का प्रभाव एक्टिनॉइड तत्वों की त्रिज्याओं पर अधिक पड़ता है | इसलिए एक तत्व से अगले तत्व में जाने पर ऐक्टिनॉइड्स में आकुंचन अधिक होता है और परमाणु क्रमांक बढ़ने से तत्वों की त्रिज्या घटती है | | |
| 68. |
सीरियम (परमाणु क्रमांक 58) की +3 तथा +4 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ स्थायी क्यों होती है ? |
| Answer» सीरियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास `[Xe]4f^(1) 5d^(1) 6s^(2)` होता है | इसकी सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था +3 होती है जबकि +4 ऑक्सीकरण अवस्था में इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास `[Xe]4f^(0)5d^(0) 6s^(0)` हो जाता है | सीरियम की +3एवं +4 दोनों ऑक्सीकरण अवस्थाएँ स्थायी होती है | | |
| 69. |
संक्रमण तत्वों की परमाणु त्रिज्याएँ किसी श्रेणी में किस प्रकार परिवर्तित होती है ? |
| Answer» संक्रमण श्रेणी में परमाणु क्रमांक बढ़ने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है, जिसके कारण आकार घटता है | परन्तु d-उपकोश में इलेक्ट्रॉन बढ़ने पर परिरक्षण प्रभाव (shielding effect ) बढ़ता है, जो बड़े हुए नाभिकीय आवेश को संतुलित करता है | | |
| 70. |
जलीय विलयन में एक द्विसंयोजी (divalent) तथा त्रिसंयोजी (trivalent) आयन का चुम्बकीय आघूर्ण बताइए यदि इसका परमाणु क्रमांक 25 है | |
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Answer» द्विसंयोजी आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास `[Ar] 3d^(5)` होगा अतः अयुग्मित एलेक्ट्रॉनों की संख्या = 5 `therefore` चुम्बकीय आघूर्ण, `mu = sqrt(n ( n+2))` `= sqrt(5 + (5+2)) = 592 B.M.` इसी प्रकार त्रिसंयोजी आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास `[Ar] 3d^(4)` होगा | अतः अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 4 `therefore` चुम्बकीय आघूर्ण, `mu = sqrt(4 + ( 4+ 2)) = 4.90 B.M.` |
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| 71. |
सीरियम (II) की अपेक्षा यूरोपियम (II) अधिक स्थायी है, क्यों ? |
| Answer» सीरियम (II) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास `[Xe] 4f^(1), 5d^(1)` है, जबकि यूरोपियम (II) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास `[Xe]4f^(7), 5d^(0)` है | | |
| 72. |
संक्रमण तत्व विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते है, क्यों ? |
| Answer» संक्रमण तत्वों में `(n-1)d` आर्बिटलो में उपस्थित इलेक्ट्रॉन भी रासायनिक बन्ध बनाने में भाग लेते है | क्योकि `(n-1)d` तथा ns आर्बिटलो के बीच ऊर्जा में अन्तर बहुत कम होता है | निम्न ऑक्सीकरण अवस्था में केवल ns इलेक्ट्रॉन बन्ध बनाने में भाग लेते है | उच्च ऑक्सीकरण अवस्था (जैसे- `+3, +4, +5, +6 + 7` आदि) में `(n-1)d` तथा ns आर्बिटलो के इलेक्ट्रॉन बन्ध बनाने में भाग लेते है | इसलिए संक्रमण तत्व परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते है | | |
| 73. |
`Mn^(3+)` आयन की अपेक्षा `Mn^(2+)` आयन अधिक स्थायी है, क्यों ? |
| Answer» `Mn^(2+)` का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास `3d^(5)` है | इसमें d-ऑर्बिटल आधे भरे (half filled) है, अर्थात अधिक स्थायी है | `Mn^(2+)` से एक इलेक्ट्रॉन निकलना कठिन है | जबकि `Mn^(3+)` का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास `3d^(4)` है | इसमें 3d-ऑर्बिटल अपूर्ण है | अतः `3d^(5)` की आधी भरी ऑर्बिटल, `3d^(4)` की अपूर्ण ऑर्बिटल की अपेक्षा अधिक स्थायी होती है इस कारण `Mn^(2+)` आयन `Mn^(3+)` आयन की अपेक्षा अधिक स्थायी है | | |
| 74. |
ऑक्सीकरण अवस्थाएँ संक्रमण तत्वों में प्रथम श्रेणी के अभिलक्षणो की तुलना द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी के वर्गो के संगत तत्वो से उनके सापेक्ष ऊर्ध्वाधर वर्गो में कीजिए | निम्नलिखित बिंदुओं पर विशेष प्रकाश डालिए : |
| Answer» ऑक्सीकरण अवस्था : समान ऊर्ध्वाधर वर्गो में तत्वों की ऑक्सीकरण अवस्था प्राय: समान होती है | | |
| 75. |
परमाणु आकार संक्रमण तत्वों में प्रथम श्रेणी के अभिलक्षणो की तुलना द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी के वर्गो के संगत तत्वो से उनके सापेक्ष ऊर्ध्वाधर वर्गो में कीजिए | निम्नलिखित बिंदुओं पर विशेष प्रकाश डालिए : |
| Answer» परमाणु आकार: ऊर्ध्वाधर कॉलम में परमाणु क्रमांक वृद्धि के साथ परमाणु का आकार भी बढ़ता है | 4d तथा 5d श्रेणी के तत्वों के परमाणुओं का आकार 3d श्रेणी के संगत तत्वों के आकार से बढ़ा होता है | 4d श्रेणी के तत्त्वों का आकार 5d श्रेणी के तत्वों के आकार के लगभग बराबर होता है | | |
| 76. |
बताइए निम्न में से कौन जलीय विलयन में रगीन होगा ?`Ti^(3+), V^(3+), Cu^(+), Sc^(3+), Mn^(2+), Fe^(3+), Co^(2+)` तथा `MnO_(4)^(-)` प्रत्येक का कारण दीजिए | |
| Answer» केवल या आयन ही रंगीन होते है जिनमे d-ऑर्बिटल अपूर्ण भरे होते है | `Sc^(3+)` रंगहीन है क्योकि इसमें सभी d-ऑर्बिटल रिक्त है | `Cu^(+)` आयन भी रंगहीन है क्योकि इसमें सभी d-ऑर्बिटल पूर्णरूप से भरे हुए है | `MnO_(4)^(-)` आयन आवेश स्थानांतरण के कारण रंगीन है | शेष बचे हुए आयन जैसे `Ti^(3+), V^(3+), Mn^(2+)` आदि अधूरे भरे हुए d-ऑर्बिटलो के कारण रंगीन है | | |
| 77. |
`Fe^(2+)` एवं `C_(2)O_(4)^(2-)` आयनों के आयतनात्मक आकलन में परमैग्नेट को अम्लीकृत करने हेतु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल प्रयुक्त नहीं किया जाता हैं| क्यों? |
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Answer» यदि `KMnO_(4)` को अम्लीकृत करने हेतु HCl का उपयोग किया जाता हैं तब `KMnO_(4)` द्वारा दिए गए ऑक्सीजन का कुछ भाग HCl द्वारा स्वयं के `Cl_(2)` में ऑक्सीकरण हेतु प्रयुक्त किया जाता हैं| `4HCl + 2[O] to 2H_(2)O+ 2Cl_(2)` इसलिए `Fe^(2+)` एवं `C_(2)O_(4)^(2-)` के आयतनात्मक आकलन हेतु HCl द्वारा `KMnO_(4)` अम्लीकृत नहीं किया जाता हैं अथवा HCl की उपस्थित में अधिक `KMnO_(4)` की आवश्यकता होती हैं| |
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| 78. |
`M^(2+)//M` और `M^(3+)//M^(2+)` निकाय के संदर्श में, कुछ धातुओं के `E^(Tesla)` मान के नीचे दिए जाये हैं: `Cr^(2+)|Cr=-0.9 V` `Cr^(3+)|Cr^(2+)= -0.4 V` `Mn^(2+)|Mn = -1.2V` `Mn^(3+)|Mn^(2+) = +1.5 V` `Fe^(2+)|Fe= -0.4 V` `Fe^(3+)|Fe^(2+) = -0.8 V`. उपर्युक्त आकड़ों के आधार पर निम्नलिखित पर टिप्पणी कीजिये- (i) अम्लीय माध्यम में `Cr^(3+)` या `Mn^(3+)` की तुलना में `Fe^(3+)` का स्थायित्व (ii) सामान प्रक्रिया के लिए क्रोमियम या मैगनीज धातुओं की तुलना में आयरन के ऑक्सीकरण में सुगमता| |
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Answer» (i) जब किसी स्पीशीज का अपचयन विभव (इलेक्ट्रोड विभव) अधिक होता है तो इसके अपचयित होने की प्रवृत्ति अधिक होती है| `Mn^(+3)` का अपचयन विभव अधिकतकम है इसलिए यह आसानी से `Mn^(2+)` में अपचयित हो जाता है अतः `Mn^(+3), Fe^(+3)` से कम स्थायी होता है| लेकिन `Cr^(+3), Fe^(+3)` की तुलना में अधिक स्थायी है क्यूंकि `Cr^(+3)` का अपचयन विभव, `Fe^(+3)` के अपचयन वीभत्स से बहुत कम है| (ii) जब किसी धातु आयन के इलेक्ट्रोड विभव (अपचयन विभव) का मान कम होता है तो उस धातु परमाणु की ऑक्सीकृत होने की प्रवृति होगी, अतः Mn की `Mn^(+2)` में ऑक्सीकृत होने की प्रवृति सर्वाधिक होगी तथा Fe की `Fe^(2+)` में ऑक्सीकरण की प्रवृति न्यूनतम होगी| इसलिए इनके ऑक्सीकृत होने का क्रम निम्न प्रकार होगा- `Mn gt Cr gt Fe` |
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| 79. |
पोटाशियम परमैंगनेट की बनाने की विधि का वर्णन कीजिये| अम्लीय पोटाशियम परमैग्नेट किस प्रकार- (i) आयनन (ii) आयन (iii) `SO_(2)` (iv ) ओक्जेलिक अम्ल से अभिक्रिया करता हैं? अभिक्रियाओं के लिए आयनिक समीकरण लिखिए| |
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Answer» पोटाशियम परमैग्नेट बनाने के लिए `MnO_(2)` को KOH या `KNO_(3)` जैसे ऑक्सीकारक के साथ संगलित किया जाता हैं, इससे गाढ़े हरे रंग का पोटाशियम मैग्नेट `(K_(2)MnO_(4))` बनता हैं जो उदासीन या अम्लीय माध्यम में असमानुपाती होकर पोटाशियम परमैग्नेट बनाता हैं| `2MnO_(2) + 4KOH + O_(2) to 2K_(2)MnO_(4) + 2H_(2)O` या `MnO_(2) + 2KOH + KNO_(3) underset(Delta) to K_(2)MnO_(4) + KNO_(2) + H_(2)O` `3MnO_(4)^(2-) + 4H^(+) to 2MnO_(4)^(-) + MnO_(2) + 2H_(2)O` प्रयोगशाला में `Mn(II)` आयन के लवणों को परोक्साइड सलफेट द्वारा ऑक्सीकरण कराने पर भी परमैग्नेट बनता हैं| `2Mn^(2+) + 5S_(2)O_(8)^(2-) + 8H_(2)O to 2MnO_(4)^(-) + 10SO_(4)^(2-) + 16H^(+)` अम्लीय माध्यम में `KMnO_(4)` की अभिक्रियाएँ- (i) आयरन (II) आयन से- यह आयरन (II) को आयरन (III) में आक्सीकृत कर देता हैं| `5Fe^(2+) + MnO_(4)^(-) + 8H to Mn^(2+) + 4H_(2)O + 5Fe^(3+)` (ii) `SO_(2)` से- यह जलीय `SO_(2)` को `H_(2)SO_(4)` में ऑक्सीकृत करता हैं| `2MnO_(4)^(-) + 5SO_(2) + 2H_(2)O to 5SO_(4)^(2-) + 2Mn^(2+) + 4H^(+)` (iii) ऑक्सेलिक अम्ल से- `KMnO_(4)` के साथ अभिक्रिया से ऑक्सेलिक अम्ल, `CO_(2)` में ऑक्सीकृत हो जाता हैं| `5C_(2)O_(4)^(2-) + 2MnO_(4)^(-) + 16H^(+) to 2Mn^(2+) + 8H_(2)O + 10CO_(2)` |
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| 80. |
पोटाशियम डैकरोईट की ऑक्सीकरण क्रिया का वर्णन कीजिये तथा निम्नलिखित के साथ आयनिक समीकरण लिखिए- (i) आयोडाइड आयन (ii) विलयन (iii) `H_(2)S` |
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Answer» पोटाशियम डाइक्रोमेट प्रबल ओक्सीकरण होता हैं| अम्लीय माध्यम में डाइक्रोमेट आयन की ऑक्सीकरण क्रिया को निम्न प्रकार दर्शाया जाता हैं, इसमें `Cr^(+6), Cr^(+3)` में बदलता हैं| `Cr_(2)O_(7)^(2-) + 14H + 6e^(-) to 2Cr^(3+) + 7H_(2)O (E=1.33 V)` (i) आयोडाइड आयन `-K_(2)Cr_(2)O_(7)`, आयोडाइड आयन को आयोडीन में ऑक्सीकरण रहता हैं| (i) `Cr_(2)O_(7)^(2-) + 14H^(+) + 61^(-) to 2Cr^(3+) + 7H_(2)O + 3I_(2)` (ii) आयरन (II) विलयन `-K_(2)Cr_(2)O_(7), Fe^(2+)` को `Fe^(+3)` में ऑक्सीकृत कर देता हैं| `Cr_(2)O_(7)^(2-) + 14 H+ 6Fe^(2+) to 2Cr^(3+) + 6Fe^(+3) + 7H_(2)O` (iii) `H_(2)S` - डाइक्रोमेट, `H_(2)S`- डाइक्रोमेट, `H_(2)S` को सल्फर में ऑक्सीकृत करता हैं| `Cr_(2)O_(7)^(2-) + 8H^(+) + 3H_(2)S to 2Cr^(3+) + 7H_(2)O + 3S` |
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| 81. |
संक्रमण धातुओं की ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तनशीलता असंक्रमण धातुओं में ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तनशीलता से किस प्रकार भिन्न हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिये| |
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Answer» संक्रमण धातुएँ बंध निर्माण में ns एलेक्ट्रॉनों के संयोग से (n-1) d- एलेक्ट्रॉनों के भाग लेने के कारण परिवर्तनशील ऑक्सीकरण अवस्थाओं को दर्शाते हैं| अतः परिवर्तनशील ऑक्सीकरण अवस्थाओं की बहुत अधिक संख्या प्रकट होती हैं| दूसरी और, और असंक्रमण धातुएँ सामान्यतः अवस्था नहीं दिखाती हैं क्यूंकि संयोजी s-इलेक्ट्रान की कमी से वे समीपस्थ अक्रिय गैस तत्व का विन्यास प्राप्त कर लेती हैं| विस्तृत जानकारी के लिए संक्रमण धातुओं के सामान्य गुण के अंतर्गत ऑक्सीकरण अवस्थाओं का अध्यन करें| |
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| 82. |
संक्रमण धातुओं की परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था असंक्रमण धातुओं की ऑक्सीकरण अवस्था से किस प्रकार भिन्न है ? उदाहरण के साथ समझाइए | |
| Answer» संक्रमण धातुओं की दो निकटतम ऑक्सीकरण अवस्थाओं में एक का अंतर होता है | जैसे आयरन +2 और +3 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है | असंक्रमण तत्वों में यह अंतर 2 होता है | जैसे Cl की ऑक्सीकरण अवस्था +1,+3,+5 और +7 होती है | | |
| 83. |
संक्रमण धातुओं के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास किस प्रकार असंक्रमण तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से भिन्न हैं? |
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Answer» संक्रमण धातुओं का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास: `(n-1)d^(1-10) ns^(1-2)` असंक्रमण तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास `ns^(1-2)` या `ns^(1-2)` असंक्रमण तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास `ns^(1-2)` या `ns^(2)np^(1-2)` होता हैं| उपर्युक्त विन्यास ये यह स्पष्ट प्रमाणित होता हैं की संक्रमण धातुओं अपूर्ण d-कक्षक (कुछ स्थितियों में s कक्षक) वाली होती हैं जबकि असंक्रमण धातुओं में d-कक्षक उपसिथित नहीं होते हैं| यह वर्गों में सम्बन्धित तत्वों के लक्ष्णों में भिन्नता के लिए उत्तरदायी होता हैं| |
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| 84. |
61, 91, 101 तथा 109 परमाणु क्रमांक वाले तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए | |
| Answer» `Z = 109, [Rn[5f^(14)5d^(7)7s^(2)` | |
| 85. |
लेन्थेनाइड क्या हैं? उनके नाम लिखिए और इलेक्ट्रॉनिक विन्यास दीजिए । परमाणु क्रमांक बढ़ाने के साथ लेन्थेनाइडों के आकर में कमी क्यों आती है ? उनकी ऑक्सीकरण अवस्थाओं को समझाइए।A. `(n-2)f^(1-14) (n-1)s^(2)p^(6)d^(0-10), ns^(2)`B. `(n-2)f^(0-14) (n-1)d^(0-10), ns^(2)`C. `(n-2)f^(0-14)d^(10), ns^(2)`D. `(n-2)d^(0-1) (n-1)f^(0-14), ns^(2)` |
| Answer» Correct Answer - A | |
| 86. |
ऐक्टिनाइड तत्वों का रसायन उतना नियमित नहीं हैं जितना की लैन्थोनाइड तत्वों का रसायन| इन तत्वों की ऑक्सीकरण अवस्थाओं के आधार पर इन कथन का आधार प्रस्तुत कीजिये| |
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Answer» लैंथेनाइड अधिकतर अपने यौगिकों में `+3` ऑक्सीकरण अवस्था प्रकट करते हैं| ऐक्टिनाइड भी सामन्य रूप से `+3` ऑक्सीकरण अवस्था दिखाते हैं| लेकिन उनकी स्थितियों में `5f, 6d` और 7s ऊर्जा स्तर तुलनात्मक हैं व उनमे बहुत कम ऊर्जा का अंतर् होता हैं| परिणामस्वरूप वे बहुत से ऑक्सीकरण अवस्थाएं प्रकट कर सकते हैं| उदाहरण के लिए, नेप्चुनियम `(Np): +3, +4, +5, +6, +7` प्लूटोनियम (Pu): `+3, +4, +5, +6, +7` अमरेशियम (Am) : `+3, +4, +5, +6` |
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| 87. |
हुड नियम के आधार पर `Ce^(3+)` आयन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को व्युतपन्न कीजिये तथा प्रचक्रण मात्र सूत्र के आधार पर इसके चुंबकीय आघूर्ण की गड़ना कीजिये| |
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Answer» Ce का परमाणु क्रमांक 58 हैं तथा इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास `""_(58)Ce=[Xe]4f^(1)5d^(1)6s^(2)` होता हैं अतः `Ce^(3+)` आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास `=[Xe]^(54)4f^(1)` होता जिसमे केवल एक आयुगिमत इलेक्ट्रान उपस्थित हैं अतः इसका चुंबकीय आघूर्ण आयुग्मित इलेक्ट्रान उपस्थित हैं अतः इसका चुंबकीय आघूर्ण `mu = sqrt(n(n+2))` B.M. n=आयुगिमत एलेक्ट्रॉनों की संख्या =1 `mu = sqrt(1(1+2))=sqrt(3)= 1.732` B.M. अतः `Ce^(3+)` का चुंबकीय आघूर्ण `=1.732` B.M. होगा| |
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| 88. |
61,91, 101, 109 परमाणु क्रमांक वाले तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए| |
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Answer» प्रोमोथियम Pm या `(Z=61) [Xe]^(54)4f^(5)5d^(0)6s^(2)` प्रोक्तिनियम Pa या `(Z=91) [Rn]4f^(2)6d^(1)7s^(2)` मैंडेलीनियम Md या (Z=101) `[Rn]5f^(13)6d^(0)7s^(2)`. मैटनेरियम Mt या `(Z=109) [Rn]5f^(14) 6d^(7) 7s^(2)` |
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| 89. |
प्रथम संक्रमण श्रेणी में कौन-सी धातु अधिकतर +1 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करती है और क्यों ? |
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Answer» कॉपर: `3d^(10) 4s^(1)` कॉपर अपने `5s^(1)` इलेक्ट्रॉन को त्याग कर देता है तथा +1 ऑक्सीकरण अवस्था होता है | |
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| 90. |
एकिटनाइड श्रेणी का अंतिम तत्व कौन-सा हैं? इस तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए| इस तत्व की संभावित ऑक्सीकरण अवस्थाओं पर टिपण्णी कीजिये| |
| Answer» लोरेनिशयम (Lr =103), `[Rn]5f^(14)6d^(1)7s^(2)`, ऑक्सीकरण अवस्था =`+3` | |
| 91. |
लैन्थोनाइड श्रेणी के उन सभी तत्वों का उल्लेख कीजिये जो `+4` और `+2` ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रकट करते हैं| इस प्रकार के व्यवहार तथा इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के बीच सम्बन्ध स्थापित कीजिये| |
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Answer» `+4` ऑक्सीकरण अवस्था : `""_(58)Ce, ""_(59)Pr, ""_(69)Nd, ""_(65)Tb, ""_(66)Dy`. `+2` ऑक्सीकरण अवस्था: `""_(60)Nd, ""_(62)Sm,""_(63)Eu, ""_(69)Tm, ""_(70)Yb`. सामान्यता `+2` ऑक्सीकरण अवस्था `5d^(0)6s^(2)` विन्यास युक्त तत्वों द्वारा प्रकट की जाती हैं ताकि 2 इलेक्ट्रान आसानी से खोये जा सकें| इसी तरह `+4` ऑक्सीकरण अवस्था उन तत्वों द्वारा दिखायी जाती हैं जो चार इलेक्ट्रान खोने के पष्चात `4f^(0)` या `4f^(7)` के लगभग विन्यास प्राप्त कर लें| |
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| 92. |
संक्षेप में स्पष्ट कीजिए कि प्रथम संक्रमण श्रेणी के प्रथम अर्ध भाग में बढ़ते हुए परमाणु के साथ श्रेणी में +2 ऑक्सीकरण अवस्था कैसे अधिक स्थायी हो जाती है ? |
| Answer» `M^(2+)//M` युग्म का `E^(@)` मान ऋणात्मक होता है | इसलिए `M^(2+)` आयन में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके M अवस्था में आने की प्रवृति बहुत कम होती है | `Mn^(2+)` एक स्थायी संरचना है, क्योकि इसका स्थायी `3d^(5)` विन्यास है | `Ni^(2+)` की हाइड्रेशन एन्थैल्पी के अधिक ऋणात्मक होने के कारण `Ni^(2+)` आयन स्थायी होता है | | |
| 93. |
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास किस सिमा तक ऑक्सीकरण अवस्थाओं को निर्धारित करते हैं? उत्तर के उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिये| |
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Answer» अपूर्ण अथवा पूर्ण भरे हुए कक्षकों की उपस्थिति किसी विशेष तत्व/आयन की स्थिरता प्रकट करती हैं| ऐसे कक्षकों की संख्या जितिन अधिक होगी, सापेक्षिक स्थायित्व उतना ही अधिक होगा| उदाहरण के लिए, Mn(Z=25) की विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाएँ इलेक्ट्रॉनिक विन्यास सहित लिखें| तत्व का विन्यास `[Ar] 3d^(5) 4s^(2)` होता हैं| `Mn^(2+): [Ar]3d^(6), Mn^(3+): [Ar]3d^(4), Mn^(4+), [Ar]3d^(3)`. तत्व की +2 ऑक्सीकरण अवस्था बहुत अधिक स्थायी होतो हैं क्यूंकि `Mn^(2+)` का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास उच्च सममितीय (सभी पाँचों 3d-कक्षक आधे भरे हुए होते हैं) होता हैं| |
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`Cr^(2+)` अपचायक हैं, जबकि `Mn^(3+)` ऑक्सीकरण, जबकि दोनों का `d^(4)` विन्यास हैं, क्यों? |
| Answer» `Cr^(2+)` अपचायक हैं, क्यूंकि इसका विन्यास `d^(4)` से `d^(3)` में परिवर्तीय होता हैं, जिसमे अर्धपुरित `t_(2g)` स्तर `(t_(2g)^(3))` होता हैं| दूसरी और `Mn^(3+)` से `Mn^(2+)` में परिवर्तन से अर्धपुरित `(d^(6))` स्थायी विन्यास प्राप्त होता हैं, जो इसे अतिरिक्त स्थायित्व प्रदान करता हैं, जिसके कारण यह ऑक्सीकरण होता हैं| | |
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संक्रमण धातुओं की प्रथम श्रेणी के `E^(@)` के मान हैं- `{:(E^(@),V,Cr,Mn,Fe,Co,Ni),(M^(2+)//M,-1.18, -0.91,-0.44,-0.28,-0.25,+0.34):}` इन मानों में अनियमितता के कारण को समझाइये| |
| Answer» प्रथम संक्रमण श्रेणी के धातुओं के लिए `E^(@)(M^(2+)//M)` के मान नियमित नहीं हैं| मानक अपचयन विभव `(E^(@))` का मान, आयनन एनथैलपी में अनियमित परिवर्तन `(triangle_(i)H_(1) + triangle_(t)H_(2))` तथा ऊध्र्वपातन एनथैलपी पर निर्भर करता हैं| V तथा Mn के लिए आयतन एनथैलपी तथा ऊध्र्वपातन एनथैलपी अपेक्षाकृत कम होती हैं, अतः `E^(@)` के मान अनियमित हो जाते हैं| | |
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आप श्रेणी `VO_(2)^(+) lt Cr_(2)O_(7)^(2-) lt MnO_(4)^(-)` में ऑक्सीकरण क्षमता में वृद्धि को कैसे स्पष्ट करेंगे? |
| Answer» इनकी औक्सिकारक क्षमता में वृद्धि का कारण इनके अपचयन के बाद प्राप्त निम्न (Lower) स्पीशीज के स्थायित्व में वृद्धि हैं| | |
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धातु की किसी ऑक्सीकरण अवस्था का स्थायित्त्व किस-किस कारक पर निर्भर करता है ? |
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Answer» (i) उर्ध्वपातन ऊर्जा (ii) आयनन ऊर्जा (iii) जलयोजन ऊर्जा |
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`Cu^(2+)` अनुचुम्बकीय है जबकि `Zn^(2+)` प्रतिचुम्बकीय है क्यों |
| Answer» `Cu^(2+)` में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होने के कारण | | |
| 99. |
`Cu^(2+)` प्रतिचुम्बकीय है जबकि `Cu^(2+)` अनुचुम्बकीय है, क्यों ? |
| Answer» `Cu^(2+)` में कोई अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं है जबकि `Cu^(2+)` में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है | | |
| 100. |
वाष्पशील धातुएँ किन्हे कहते है ? |
| Answer» Zn, Cd, Hg क्योकि इनका गलनांक व क्वथनांक कम होता है | | |