

InterviewSolution
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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
601. |
Write anuched on Shiksha ka mahatva in 100-120 words |
Answer» | |
602. |
Write anuched on Khel or Vayam in 100-120 words |
Answer» | |
603. |
Antarrashtriya yog diwas pr sandesh lekhan (on notebook) |
Answer» plz plzanswer antarrashtriya yog diwas pr sandesh lekhna on notebook answer me plz |
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604. |
वीर शिवाजी ने मातृभूमि के बंधन काटे to mishr vakya. |
Answer» Shivaji Jo veer the unhone matrbhoomi ke Bandhan kaate | |
605. |
Anuched lekhen |
Answer» | |
606. |
बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं? |
Answer» उत्तर : बड़े भाई साहब को मन की इच्छाएँ दबानी पड़ती थी क्योंकि वे अपने ऊपर पढ़ाई का बहुत भार अनुभव करते थे। वैसे उनका मन भी अन्य लड़कों की तरह खेलने को करता था. लेकिन पढ़ाई का भार सदैव उन्हें मन की इच्छाओं को दबाने के लिए मजबूर करता था। बड़ा भाई छोटे भाई के सम्मुख अपना आदर्श प्रस्तुत करना चाहता था। वह कहता भी है-"इतने मेले-तमाशे होते हैं. मुझे तुमने कभी देखने जाते देखा है? रोज़ ही क्रिकेट और हॉकी के मैच होते हैं। मैं पास नहीं फटकता। हमेशा पढ़ता रहता हूँ।" | |
607. |
बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छा क्यों दबानी पड़ती थी \u200b |
Answer» Iss liye dabani partti thi ki wah apne chote bhai ke prati acha chabi rakhna chahta thaa उत्तर : बड़े भाई साहब को मन की इच्छाएँ दबानी पड़ती थी क्योंकि वे अपने ऊपर पढ़ाई का बहुत भार अनुभव करते थे। वैसे उनका मन भी अन्य लड़कों की तरह खेलने को करता था. लेकिन पढ़ाई का भार सदैव उन्हें मन की इच्छाओं को दबाने के लिए मजबूर करता था।बड़ा भाई छोटे भाई के सम्मुख अपना आदर्श प्रस्तुत करना चाहता था। वह कहता भी है-"इतने मेले-तमाशे होते हैं. मुझे तुमने कभी देखने जाते देखा है? रोज़ ही क्रिकेट और हॉकी के मैच होते हैं। मैं पास नहीं फटकता। हमेशा पढ़ता रहता हूँ।" |
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608. |
कौनसा शब्द भाववाचक संज्ञा नहीं है - 1) संपन्नता 2) जीवंतता 3) समृद्धि 4) साहित्य |
Answer» साहित्य Sahitya साहित्य |
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609. |
Computer hamara Mitra hey |
Answer» Question clear likhiye shreeti Sorry but que samaj nahi aaya. |
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610. |
आपके विद्यालय में " योगा सप्ताह " मनाया जा रहा है। छात्रों को सूचित करने हेतु सूचना तैयार कीजिए। |
Answer» सभी विद्यार्थियों को यह सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय मे \'योगा सप्ताह\' 22 जनवरी 2020 se लेकर 29 जनवरी 2020 तक मनाया जा रहा है । इच्छुक विद्यार्थी अपना नाम स्पोर्ट्स के सर के पास लिखवा दे और अपना टीशर्ट व लोवर लेकर आये । नाम देने की आखिरी तारीख 26 जनवरी होगी । | |
611. |
Mera priya kahanikar par vaachan koshal |
Answer» | |
612. |
" Sapno ke se din " Mai p.t. teacher ka naam Kya tha?Class 10 Hindi course B |
Answer» Master pritamchandra | |
613. |
I\'m confused with padbandh |
Answer» Same problem Same |
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614. |
Doha aur sortha chand matra ko laga kar paribhaashit kijiye. |
Answer» | |
615. |
Kabir ko _____ kavi kaha jatha hai |
Answer» कबीर को क्रांतिदर्शी कवि कहा जाता है। Do lghukthay saransh lekhan |
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616. |
Shatru |
Answer» Dushman enemy, ☺️ | |
617. |
Mahavir ka samas konsa h |
Answer» महावीर : महान है जो वीर ( कर्मधारय समास ) कर्मधारय\xa0समास\xa0–\xa0महावीर\xa0शब्द में कर्मधारय\xa0समास\xa0है। |
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618. |
कबीर दास जी का जन्म |
Answer» 1398 कबीर दास जी का जन्म 1398 में हुआ है और मृत्यु 1518 में हुआ है। गुरु रामानंद के शिष्य ने 120 आयु पाई थी 1398 |
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619. |
Kabir ki udat sakhiyo me se bass ki visasta spast kijye |
Answer» कबीर की उद्धत साखियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिए। कबीर ने अपनी साखियाँ सधुक्कड़ी भाषा में लिखी है। अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने बताया है कि हमें अपने आसपास निंदक रखने चाहिए ताकि वे हमारी त्रुटियों को बता सके। वास्तव में निंदक हमारे सबसे अच्छे हितेषी होते हैं। | |
620. |
topi shukla ka charitra chitrn |
Answer» टोपी शुक्ला राही मासूम रज़ा द्वारा लिखा गया एक उपन्यास हैटोपी शुक्ला का चरित्र चित्रण-\tवह बहुत मिलनसार था। \tवह बहुत भावुक था।\tवह बहुत भोला था। \tटोपी शुक्ला बहुत अच्छा दोस्त था |इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला बहुत अच्छे दोस्त थे | इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला अलग-अलग मजहब के होते हुए भी एक दूसरे से प्रेमरूपी अटूट बंधन में बंधे हुए थे। टोपी शुक्ला की दोस्ती पहले-पहल इफ़्फ़न के साथ ही हुई थी। | |
621. |
laghu katha satru se savdhan |
Answer» | |
622. |
Kisi Lokpriye khad par vigyapan likhiye |
Answer» \xa0खेलों का जीवन में बहुत महत्व है | स्वस्थ मस्तिष्क स्वस्थ शरीर में ही निवास करता है । शरीर को स्वस्थ रखने के लिए खेल अनिवार्य हैं । खेल एक अच्छा व्यायाम है ।खेल-कूद का करो विचार, यह देता है स्वास्थ्य जीवन जीने का अधिकार। स्वास्थ्य रहने के लिए हम सब को कोई भी किसी भी प्रकार का खेल अवश्य खेलना चाहिए |खेल-कूद द्वारा होता है स्वास्थ्य का निर्माण, जरूरी हैं खेल क्योंकि स्वास्थ्य है जीवन का प्राण। स्वस्थ मस्तिष्क स्वस्थ शरीर में ही निवास करता है | खेलो और सब को खेलने दो | | |
623. |
दक्षिण से उत्तर तक भारत एक हैं - कौन सा पदबंध |
Answer» Sangaya padbandh.... संज्ञा पदबंध |
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624. |
Yuva varg me hota naitik mulyon ka hasya. Shirshak par nibandh. |
Answer» | |
625. |
Ghar ghar bhar dete ho ye( kon sa alankar hai ) bata do yaar |
Answer» And BTW @alisha afreen ek to help chahiye and upar se patience bhi nhi h ?? .... also ye 10th k syllabus mei nhi h ? Manvikaran alankar Bhak sala. Tmlog koi bata ya nhi Bata do yaar*?????? |
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626. |
Pad Parichay ke 15 udaharan likhiye |
Answer» उदाहरणएकमुझे\xa0एक\xa0पेन दो।\xa0(विशेषण)एक\xa0को तो जाना पड़ेगा।\xa0(सर्वनाम )एक\xa0तो जूथ बोलते हो और माफ़ी नहीं माँगते।\xa0(क्रिया-विशेषण\xa0)अच्छाअच्छो\xa0की मित्रता करनी चाहिए।\xa0(संज्ञा)पार्थ\xa0अच्छा\xa0लड़का है।\xa0(विशेषण)मुझे पहाड़ो में घूमने में\xa0अच्छा\xa0लगता है।\xa0(क्रिया-विशेषण\xa0)क्याबाज़ार से\xa0क्या\xa0लाना है ?\xa0(सर्वनाम)तुम\xa0क्या\xa0चाहते है ?\xa0(क्रिया-विशेषण\xa0)चाहेचाहे\xa0तुम कुछ भी करो ,काम होना चाहिए।\xa0(समुच्चयबोधक\xa0)मैं\xa0चाहे\xa0कुछ भी कर लू , मैं तुम्हे बुरी ही लगती हूँ।\xa0(क्रिया विशेषण\xa0)आपआप\xa0मत जाओ।\xa0(सर्वनाम (मध्यमपुरुष))तुम\xa0आप\xa0ही काम करलो।\xa0(निजवाचक सर्वनाम\xa0)कोईकोई\xa0अंदर आ रहा है।\xa0(सर्वनाम\xa0)काम करने के लिए\xa0कोई\xa0कामवाली चाहिए।\xa0(विशेषण\xa0)कौनकौन\xa0आया है ?\xa0(सर्वनाम )कौन\xa0बच्चा शैतानी कर रहा है ?\xa0(विशेषण\xa0)अवकाश में जाना\xa0कौन\xa0कठिन है ?\xa0(क्रिया-विशेषण\xa0)कुछकुछ\xa0भी खा लो।\xa0(सर्वनाम\xa0)मुझे\xa0कुछ\xa0लड़के चाहिए।\xa0(विशेषण )कुछ\xa0खा लो।\xa0(क्रिया-विशेषण\xa0)वहवह\xa0घर मेरा है।\xa0(विशेषण )वह\xa0मेरा घर है।\xa0(सर्वनाम\xa0)रेखांकित पदों के पद परिचय बताईये।१)\xa0आज समाज में\xa0विभीषणों\xa0की कमी नहीं है।विभीषणों(देशद्रोहियो)\xa0– संज्ञा (जातिवाचक) , बहुवचन , पुल्लिंग , संबंध कारक (कारक ‘की’)२)\xa0रात में\xa0देर तक\xa0बारिश होती रहीं।देर तक\xa0– क्रिया-विशेषण (कालवाचक)३)\xa0हर्षिता निबंध\xa0लिख रही है।लिख रही है\xa0– क्रिया (संयुक्त) , स्त्रीलिंग , एकवचन , धातु ‘लिख’ , वर्तमान काल , क्रिया का कर्ता ‘हर्षिता’ , क्रिया का कर्म ‘निबंध’४)\xa0इस पुस्तक में\xa0अनेक\xa0चित्र है ।अनेक\xa0– विशेषण (अनिश्चित संख्यावाचक ) , बहुवचन , पुल्लिंग , विशेष्य ‘चित्र ‘५)\xa0गांधीजी\xa0आजीवन\xa0मानवता की सेवा करते रहे ।आजीवन\xa0– क्रिया-विशेषण (कालवाचक)उदाहरणअपने गाँव की मिट्टी छूने के लिए मै तरस गया ।अपने\xa0– विशेषण ( सार्वनामिक ) , एकवचन , पुल्लिंग , विशेष्य ‘गाँव’गाँव की\xa0– संज्ञा (जातिवाचक) , एकवचन , पुल्लिंग , संबंधकारक (कारक ‘की’)मिट्टी\xa0– संज्ञा (द्रव्यवाचक)मैं\xa0– सर्वनाम (उत्तम पुरुष ) , एकवचन , पुल्लिंग , ‘तरस गया’ क्रिया का कर्तातरस गया\xa0– क्रिया (अकर्मक , संयुक्त) , भूतकाल , एकवचन , पुल्लिंग , कर्तृवाच्य , कर्ता “मै”निर्धन लोगो की ईमानदारी देखो ।निर्धन\xa0– विशेषण (गुणवाचक) , बहुवचन , पुल्लिंग , विशेष्य ‘लोगो’लोगो की\xa0– संज्ञा (जातिवाचक) , बहुवचन , पुल्लिंग , संबंध कारक (कारक ‘की’)ईमानदारी\xa0– संज्ञा (भाववाचक) , कर्म कारक , ‘देखो ‘ क्रिया का कर्मदेखो\xa0– क्रिया (सकर्मक) , बहुवचन , धातु ‘देख’ , वर्तमानकाल , क्रिया का कर्म ‘ईमानदारी’यह पुस्तक मेरे मित्र की है।यह\xa0–\xa0विशेषण (सार्वनामिक) , एकवचन , स्त्रीलिंग ,विशेष्य ‘पुस्तक’पुस्तक\xa0– संज्ञा (जातिवाचक ), एकवचन ,\xa0स्त्रीलिंग , कर्म कारक , ‘है ‘ क्रिया का कर्ममेरे\xa0–\xa0सर्वनाम (पुरुषवाचक – उत्तम पुरुष ) , पुल्लिंग , एकवचन ,\xa0संबंधकारकमित्र की\xa0– संज्ञा (जातिवाचक ), एकवचन , पुल्लिंग , संबंध कारक (कारक ‘की’) , ‘है ‘ क्रिया से संबंधहै\xa0– क्रिया , वर्तमानकाल , एकवचननेहा यहाँ इसी मकान में रहती है।नेहा\xa0– संज्ञा (व्यक्तिवाचक संज्ञा) , स्त्रीलिंग ,एकवचन ,करता कारक , ‘नेहा’ रहना क्रिया की कर्ता हैयहाँ\xa0– क्रिया विशेषण (स्थानवाचक क्रिया विशेषण)इसी\xa0– विशेषण (सार्वनामिक ) ,पुल्लिंग , एकवचन , विशेष्य – ‘मकान ‘मकान में\xa0– संज्ञा (जातिवाचक ) ,पुल्लिंग ,एकवचन ,अधिकरण कारक (कारक ‘में’), मकान ‘रहना’ क्रिया का कर्म हैरहती है\xa0– क्रिया (सकर्मक ), स्त्रीलिंग ,एकवचन , अन्य पुरुष , वर्तमानकाल , कर्तृवाच्य , ‘रहती है ‘ क्रिया की कर्ता ‘नेहा ‘ और कर्म ‘मकान’ हैअरे वाह ! तुम भी पुस्तक पढ़ सकते हो।अरे वाह !\xa0– विस्मयादिबोधक , आश्चर्य का भावतुम\xa0– सर्वनाम (मध्यमपुरुष ), एकवचन , पुल्लिंग , कर्ताकारक , ‘पढ़ सकते हो ‘ क्रिया का कर्ता हैभी\xa0– निपातपुस्तक\xa0– संज्ञा (जातिवाचक ) , स्त्रीलिंग , एकवचन , कर्मकारक , पुस्तक ‘पढ़ सकते हो’ क्रिया का कर्म हैपढ़ सकते हो\xa0– क्रिया ( सकर्मक ) , पुल्लिंग ,एकवचन , अन्य पुरुष , वर्तमानकाल , कर्तृवाच्य , क्रिया का कर्ता तुम व कर्म पुस्तकशाम तक वर्षा हो सकती है।शाम तक\xa0– क्रिया-विशेषण (कालवाचक) , हो सकती है क्रिया से संबंधवर्षा\xa0– संज्ञा (जातिवाचक) , एकवचन , स्त्रीलिंग , अन्य पुरुष , कर्म कारक , ‘हो सकती है ‘ क्रिया का कर्म हैहो सकती है\xa0– क्रिया (सकर्मक ), स्त्रीलिंग , एकवचन , अन्य पुरुष , भविष्यकाल , कर्मवाच्य , क्रिया का कर्म ‘वर्षा ‘मै क्रिकेट खेलता हूँ।मै\xa0– सर्वनाम , (परुषवाचक – उत्तम पुरुष ), पुल्लिंग , एकवचन , कर्ता कारक , ‘खेलता हूँ ‘ क्रिया का कर्ताक्रिकेट\xa0– संज्ञा , (जातिवाचक ) , एकवचन , पुल्लिंग , कर्म कारक , ‘खेलता हूँ ‘ क्रिया का कर्मखेलता हूँ\xa0– क्रिया (सकर्मक ) , पुल्लिंग , एकवचन , उत्तम पुरुष , धातु – ‘खेल’ , वर्तमानकाल , कर्तृवाच्य , क्रिया का कर्ता ‘मै ‘, क्रिया का कर्म ‘क्रिकेट’मयंक पतंग उड़ा रहा है।मयंक\xa0– संज्ञा (व्यक्तिवाचक ) , पुल्लिंग , एकवचन , कर्ता कारक , ‘\xa0उड़ा रहा है ‘ क्रिया से संबंधपतंग\xa0– संज्ञा (जातिवाचक ), पुल्लिंग , एकवचन ,कर्म कारक ,’उड़ा रहा है ‘ क्रिया का कर्मउड़ा रहा है\xa0– क्रिया(सयुंक्त क्रिया ) , एकवचन , पुल्लिंग , अन्य पुरुष ,’उड़ ‘ धातु , वर्तमानकाल , कर्तृ वाच्य , क्रिया का कर्ता ‘मयंक ‘ , क्रिया का कर्म ‘पतंग’डाकिया पत्र लाता है।डाकिया\xa0– संज्ञा(जातिवाचक ) , पुल्लिंग , एकवचन , कर्ता कारक , ‘लाता है ‘ क्रिया का कर्तापत्र\xa0– संज्ञा (जातिवाचक ) , पुल्लिंग , बहुवचन , कर्म कारक , ‘लाता है ‘ क्रिया का कर्मलाता है\xa0– क्रिया(सकर्मक ) , पुल्लिंग , एकवचन ,अन्य पुरुष , ‘ला ‘ धातु , वर्तमानकाल , कर्तृ वाच्य , क्रिया का कर्ता ‘डाकिया ‘ , क्रिया का कर्म ‘पत्र ‘यह उपहार मैं तुम्हें नहीं दे सकता हूँ।यह\xa0– विशेषण (सार्वनामिक ) , एकवचन , पुल्लिंग , विशेष्य ‘उपहार ‘उपहार\xa0– संज्ञा (व्यक्तिवाचक ) , पुल्लिंग , एकवचन , कर्म कारक , ‘\xa0दे सकता हूँ ‘ क्रिया का कर्ममैं\xa0– सर्वनाम (पुरुषवाचक – उत्तम पुरुष ) , पुल्लिंग , एकवचन , कर्ता कारक , ‘दे सकता हूँ’ क्रिया का कर्तातुम्हें\xa0– सर्वनाम (पुरुषवाचक – मध्यम पुरुष ) , पुल्लिंग , एकवचन , कर्म कारक , ‘दे सकता हूँ ‘ क्रिया का कर्मनहीं\xa0–\xa0क्रिया-विशेषण (नकारात्मक ) ,\xa0‘दे सकता हूँ ‘ क्रिया से संबंधदे सकता हूँ\xa0– क्रिया (सयुंक्त क्रिया ) , पुल्लिंग , एकवचन , उत्तम पुरुष , वर्तमानकाल , कर्तृ वाच्य , क्रिया का कर्ता ‘मैं ‘ , क्रिया का कर्म ‘उपहार ‘उपवन में सुंदर फूल खिले है।उपवन में\xa0– संज्ञा (जातिवाचक) , पुल्लिंग , एकवचन , अधिकरण कारक (कारक ‘में ‘) , ‘खिले है’\xa0क्रिया का कर्मसुंदर\xa0– विशेषण (गुणवाचक) , मूलावस्था ,पुल्लिंग ,\xa0बहुवचन , विशेष्य ‘फूल ‘फूल\xa0– संज्ञा (जातिवाचक) , पुल्लिंग , बहुवचन ,\xa0कर्ता कारक , ‘खिले है ‘ क्रिया का कर्ताखिले है\xa0– क्रिया(अकर्मक) , पुल्लिंग , बहुवचन , अन्य पुरुष , धातु ‘खिल’ , वर्तमानकाल , कर्तृ वाच्य , क्रिया का कर्ता ‘फूल’पल्ल्वी प्रतिदिन पार्क में जाती है।पल्ल्वी\xa0– संज्ञा(व्यक्तिवाचक ) , स्त्रीलिंग , एकवचन , कर्ता कारक , ‘जाती है ‘ क्रिया का कर्ता | |
627. |
Hindi b |
Answer» | |
628. |
How to solve apathith padyansh |
Answer» | |
629. |
Manushayta |
Answer» Kavita mein Lekhak hamko batate hain ki saccha manush wo hi hota hai jo dusron ke liye mare | |
630. |
फादि कालमि बुल्के का हहींदी प्रेम ककस प्रसींग से प्रकट होता है? |
Answer» इस पाठ के आधार पर\xa0फादर\xa0कामिल\xa0बुल्के\xa0की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर:\xa0फादर बुल्के\xa0एक सरल इंसान थे। उनमें करुणा लबालब भरी हुई थी। वे कभी भी किसी बात पर खीझते नहीं थे, लेकिन अपनी बात पूरे जोश से किसी के सामने रखते थे। | |
631. |
Chapter 11 hindi questions answer |
Answer» | |
632. |
Bhay kis ras kaa staayi bhaav hai |
Answer» bhayaanak ras ...XD Bhayanak ras ,,????? Bhayanak ras ka |
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633. |
निबंध लिखें 100 से 120 शब्दों में :- जब हम चार रनों से पिछड़ रहे थे ,1 खिलाड़ियों की मनोदशा, |
Answer» हमारे विद्यालय की फुटबॉल टीम का चंडीगढ़ की टीम से मुकाबला था। कुछ समयोपरांत मैच उस रोमांचक बिंदु पर पहुँच गया, जब हमारी टीम दो गोलों से पिछड़ने लगी। दोनों टीमों के कोच भी अपनी-अपनी यम को प्रोत्साहित करने में जुटे थे। खिलाड़ियों के लिए तो यह प्रतिष्ठा का ही नहीं वरन् जीवन-मरण के प्रश्न जैसा प्रतीत हो रहा था। दोनों यमों के खिलाड़ियों का उत्साह एवं आत्मविश्वास देखने योग्य था। तभी हमारी येम की तरफ से एक गोल दाग दिया गया। दर्शक खुशी से झूमने लगे। अब तो मुकाबले में बेहद रोमांच पैदा हो गया था। हमारी टीम को मैच बराबरी पर लाने के लिए केवल एक गोल की आवश्यकता थी। मेरे दिमाग में मेरे कोच की बातें गूंज रही थीं- “जी भर कर खेलो, पर दिमाग से खेलो। जी लो इस समय को ! महसूस करो कि यह मेरे जीवन का सबसे यादगार लम्हा है। इसके साथ ही मैं तनावरहित होकर जीत की दिशा में अग्रसर हो गया। कुछ देर में ही मैं टीम का हीरो बन गया, जब मैंने दनादन दो गोल दागकर प्रतिपक्षी टीम को हरा दिया। सारा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। हमारी टीम ने इतिहास रच डाला था। टीम के कोच भी बहुत भावुक होकर मेरी पीठ थपथपाने लगे। दर्शक मित्रों का साँस रोककर मैच देखने का रोमांच भी खुशी में तब्दील हो चुका था। टीम के बाकी खिलाड़ियों के कंधों पर सवार मैं अपने जीवन के सर्वाधिक यादगार पल को, ईश्वर को धन्यवाद देता महसूस कर रहा था।\xa0 | |
634. |
Buneyad hi pukhta |
Answer» | |
635. |
parishram aur abyaas safalta ki kulgi nibhandh lekn |
Answer» प्रस्तावना-\xa0मानव जीवन में परिश्रम बहुत आवश्यक है। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। परिश्रम द्वारा छोटे से छोटा मनुष्य बड़ा बन सकता है। परिश्रम के द्वारा सभी कार्य सम्भव हैं। यदि मनुष्य कोई भी काम कठोर परिश्रम एवं दृढ़ संकल्प लेकर करता है तो वह उस काम में सफलता अवश्य पाता है।जीवन के प्राचीन युग से लेकर आधुनिक युग तक ग्राम-नगरों का विकास, अनेक उपकरणों एवं मशीनों का शिल्प लेकर वायुयान तक का निर्माण परिश्रम द्वारा ही सम्भव हुआ है। संसार में मानव अधिक परिश्रम कर अपनी तकदीर बदल सकता है।विभिन्न अर्थशास्त्रिष्यों एवं इतिहासकारों द्वारा परिश्रम को ही जीवन का सार माना गया है। संसार की किसी भी वस्तु का निर्माण परिश्रम बिना सम्भव नहीं है। परिश्रमी व्यक्ति को दूसरों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होती, वह अपना कार्य स्वंय कर लेते हैं।आज मानव ने परिश्रम के द्वारा संसार में स्वर्ग उतारने की कल्पना को साकार कर दिया हैं |\xa0कठोर परिश्रम करके ही मानव ने अनेक आविष्कार किये हैं जो मानव जीवन में बहुत उपयोगी हैं। मनुष्य के मनोरंजन ने दूरदर्शन, सिनेमा, मोबाइल, कम्प्यूटर एवं अनेक प्रकार के मनोरंजन के साधनों का आविष्कार किया है। ये सब केवल परिश्रम द्वारा ही सम्भव हो सकता है। यदि मानव परिश्रम नहीं करेगा तो वह सरल से सरल काम को भी कठिनाई से पूर्ण करेगा। परिश्रमी मनुष्य कभी भी भूखा नहीं रह सकता। परिश्रमी व्यक्ति के लिए सफलता उसकी दासी के रूप में होती है।परिश्रम का महत्व-\xa0परिश्रम ही मानव जीवन की सफलता की कुंजी है। आज जितने भी बड़े-बड़े उधोगपति, राजनेता, अभिनेता, हैं वे सभी कठोर परिश्रम करके ही सफल हुए हैं, वे दिन-रात मेहनत एवं परिश्रम करते हैं और यह उनके परिश्रम का ही नतीजा है कि आज वे पूरे संसार में प्रसिद्व हैं, बड़ी-बड़ी उपलब्धियां प्राप्त कर रहे हैं।हमें किसी भी काम को कठिन नहीं समझना चाहिये। यदि हममें परिश्रम करने की क्षमता है तो हम जटिल से जटिल काम सरलता से कर सकते हैं। परिश्रम के द्वारा मानव अपने में नये जीवन का संसार कर सकता है। अतः परिश्रम का महत्व अद्भुत तथा अनोखा है।मानव जीवन का विकास-\xa0परिश्रम द्वारा मानव जीवन का विकास सम्भव है। प्राचीन काल में मानव का शरीर बन्दर जैसा था। वह अपने खाने तथा जीविका को चलाने के लिए निरन्तर परिश्रम करता रहता रहा। धीरे-धीरे मानव का विकास हुआ और वह कठोर परिश्रम कर एक दिन जानवर सीधा होकर सिर्फ पैरों के सहारे चलने लगा। इस सिद्वान्त का प्रतिपादन महान् वैज्ञानिक डार्विन ने तय किया है। परिश्रम द्वारा ही गुफाओं की दुनिया से निकलकर वह पेड़ों पर विचरण करते हुए जीविका की खोज में आगे बढ़ा। टोली बनाकर रहने लगा और अपनी अधिक प्रगति के लिए वह खेती करने लगा। रहने के लिए घर बनाने लगा, छोटी-छोटी वस्तुओं का निर्माण करने लगा। आज नगरों में जो सभ्यता एवं संस्कृति दिखलाई पड़ती है, वह सब परिश्रम द्वारा सम्भव हुई है। जापान संसार के विकासशील देशों मे इसलिए गिना जाने लगा है क्योंकि वहां के लोग संसार के सबसे अधिक परिश्रमी होते हैं।परिश्रम की उपयोगिता- मानव जीवन में परिश्रम बहुत उपयोगिता रखती है। परिश्रम को अपनाकर ही मानव आसमान की बुलंदियों को अवश्य छूता है।मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में परिश्रम उपयोगी है। चित्रकार या मूर्तिकार कम परिश्रम नहीं करता है। वह एक मूर्ति का निर्माण करने में, उसको आकार देने में रात-दिन एक कर देता है। तब कहीं जाकर वह जिस मूर्ति का निर्माण करता है, उसमे सफल होता है। वह प्रसिद्व मूर्तिकार कहलाता है।किसान भी कड़ी धूप एवं चिलचिलाती गर्मी में कृषि का अत्यधिक परिश्रम करता है और उसी के परिश्रम का फल पूरे संसार को मिलता है। महात्मा गाँधी परिश्रमी जीवन को सच्चा जीवन मानते थे। अतः जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम का अत्यधिक योग एवं महत्व है। व्यापारी और उधोगपति दिन-रात परिश्रम करके बरसों में धनवान और उधोगपति बन जाते हैं तब जाकर दुनिया उनकी ओर देखती है। उनसे उनकी सफलता का राज पूछा जाता है तो वे एक ही वाक्य कहते हैं- कठिन परिश्रम।परिश्रम-\xa0साहित्य के क्षेत्र में- आज विश्व मे साहित्य की जितनी भी सफलता एंव उपलब्धि हैं वह परिश्रम द्वारा ही सम्भव हुई हैं। महाकवि तुलसीदास ने दिन-रात परिश्रम कर प्रसिद्व धार्मिक ग्रन्थ ‘रामचरितमानस‘ की रचना की। इसी प्रकार कालीदास ने कठोर परिश्रम द्वारा ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्‘ की रचना की थी।संस्कृत साहित्य का विशाल ग्रन्थ ‘महाभारत‘ भी अनेक वर्षों तक किये गये परिश्रम का ही फल है।पाश्चात्य विद्वाप एवं कोशाकार वेबस्टर ने अंग्रेजी शब्दकोष का निर्माण करने में अनेक वर्षों तक कठिन परिश्रम किया और अन्त में अपने कार्य में सफलता प्राप्त की।उपसंहार-\xa0इस प्रकार परिश्रम ही मानव जीवन की सफलता की कुंजी है। हमें निरन्तर करते रहना चाहिये तभी हमें अच्छे फल की प्राप्ति होगी।यदि हमें दूसरों की सफलता देखनी है तो इस बात को पहले देखना चाहिये कि उनकी इस सफलता के पीछे उनका परिश्रम लगा हुआ है। परिश्रम को देखकर सफलता का आकंलन हम करने लगें तो खुद भी प्रेरित होकर उतना ही परिश्रम करके वैसा ही सफल होने की हिम्मत जुटा सकते हैं। | |
636. |
kabir ki sakhi ko describe kre all |
Answer» इन साखियों में कबीर ईश्वर प्रेम के महत्त्व को प्रस्तुत कर रहे हैं। पहली साखी में कबीर मीठी भाषा का प्रयोग करने की सलाह देते हैं ताकि दूसरों को सुख और और अपने तन को शीतलता प्राप्त हो। दूसरी साखी में कबीर ईश्वर को मंदिरों और तीर्थों में ढूंढ़ने के बजाये अपने मन में ढूंढ़ने की सलाह देते हैं। तीसरी साखी में कबीर ने अहंकार और ईश्वर को एक दूसरे से विपरीत (उल्टा ) बताया है। चौथी साखी में कबीर कहते हैं कि प्रभु को पाने की आशा उनको संसार के लोगो से अलग करती है। पांचवी साखी में कबीर कहते हैं कि ईश्वर के वियोग में कोई व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता, अगर रहता भी है तो उसकी स्थिति पागलों जैसी हो जाती है। छठी साखी में कबीर निंदा करने वालों को हमारे स्वभाव परिवर्तन में मुख्य मानते हैं। सातवीं साखी में कबीर ईश्वर प्रेम के अक्षर को पढने वाले व्यक्ति को पंडित बताते हैं और अंतिम साखी में कबीर कहते हैं कि यदि ज्ञान प्राप्त करना है तो मोह - माया का त्याग करना पड़ेगा। | |
637. |
ESSAYS IN HINDI ONTopic - Aaj ka yuva sansar PLEASE IT IS VERY IMPORTANT |
Answer» यौवन जिंदगी का सर्वाधिक मादक अवस्था होता है । इस अवस्था को भोग रहा युवक वर्ग ,केवल देश की शक्ति ही नहीं, बल्कि वहाँ की सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक भी होता है । अगर हम यह मानते हैं कि, यह संसार एक उद्यान है, तो ये नौजवान इस उद्यान की सुगंध हैं । युवा वर्ग किसी भी काल या देश का आईना होता है जिसमें हमें उस युग का भूत, वर्तमान और भविष्य , साफ़ दिखाई पड़ता है । इनमें इतना जोश रहता है कि ये किसी भी चुनौती को स्वीकारने के लिये तैयार रहते हैं । चाहे वह कुर्बानी ही क्यों न हो, नवयुवक अतीत का गौरव और भविष्य का कर्णधार होता है और इसी में यौवन की सच्ची सार्थकता भी है ।\xa0\xa0\xa0\xa0हमारे दूसरे वर्ग, बूढ़े- बुजुर्ग जिनके बनाये ढ़ाँचे पर यह समाज खड़ा रहता आया है; उनका कर्त्तव्य बनता है कि इन नव युवकों के प्रति अपने हृदय में स्नेह और आदर की भावना रखें, साथ ही बर्जना भी । ऐसा नहीं होने पर, अच्छे-बुरे की पहचान उन्हें कैसे होगी ? आग मत छूओ, जल जावोगे; नहीं बताने से वे कैसे जानेंगे कि आग से क्या होता है ? माता-पिता को या समाज के बड़े-बुजुर्गों को भी, नव वर्ग के बताये रास्ते अगर सुगम हों, तो उन्हें झटपट स्वीकार कर उन रास्तों पर चलने की कोशिश करनी चाहिये ।\xa0\xa0\xa0\xa0ऐसे आज 21वीं सदी की युवा शक्ति की सोच में,और पिछले सदियों के युवकों की सोच में जमीं-आसमां का फ़र्क आया है । आज के नव युवक , वे ढ़ेर सारी सुख-सुविधाओं के बीच जीवन व्यतीत करने की होड़ में अपने सांस्कृतिक तथा पारिवारिक मूल्यों और आंतरिक शांति को दावँ पर लगा रहे हैं । सफ़लता पाने की अंधी दौड़, जीवन शैली को इस कदर अस्त-व्यस्त और विकृत कर दिया है कि आधुनिकता के नाम पर पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण ,उनके जीवन को बर्वाद कर दे रहा है । उनकी सहनशीलता खत्म होती जा रही है । युवकों के संयमहीन व्यवहार के लिए हमारे आज के नेता भी दोषी हैं । आरक्षण तथा धर्म-जाति के नाम पर इनका इस्तेमाल कर, इनकी भावनाओं को अपने उग्र भाषणों से भड़काते हैं और युवाओं की ऊर्जा का गलत प्रयोग कर अपने स्वार्थ की पूर्ति करते है ;जिसके फ़लस्वरूप आज युवा वर्ग भटक रहा है । धैर्य, नैतिकता, आदर्श जैसे शब्द उनसे दूर होते जा रहे हैं । पथभ्रष्ट और दिशाहीन युवक, एक स्वस्थ देश के लिए चिंता का विषय है । आज टेलीवीजन , जो घर-घर में पौ फ़टते ही अपराधी जगत का समाचार, लूट, व्यभिचार, चोरी का समाचार लेकर उपस्थित हो जाता है,या फ़िर गंदे अश्लील गानों को बजने छोड़ देता है । कोई अच्छा समाचार शायद ही देखने मिलता है । ये टेलीवीजन चैनल भी युवा वर्ग को भटकाने में अहम रोल निभा रहे हैं । दूसरी ओर इनकी इस दयनीय मनोवृति के लिये उनके माता-पिता व अभिभावक भी कम दोषी नहीं हैं । वे बच्चों की मानसिक क्षमता का आंकलन किये बिना उन्हें आई० ए० एस०, पी०सी० एस०, डाक्टर, वकील, ईंजीनियर आदि बनाने की चाह पाल बैठते हैं और जब बच्चों द्वारा उनकी यह चाहत पूरी नहीं होती है, तब उन्हें कोसने लगते हैं । जिससे बच्चों का मनोबल गिर जाता है । वे घर में तो चुपचाप होकर उनके गुस्से को बरदास्त कर लेते हैं; कोई वाद-विवाद में नहीं जाते हैं, यह सोचकर,कि माता-पिता को भविष्य के लिये और अधिक नाराज करना ठीक नहीं होगा । लेकिन ये युवक जब घर से बाहर निकलते हैं, तब बात-बात में अपने मित्रों, पास-पड़ोसी से झगड़ जाते हैं । इसलिये भलाई इसी में है कि बच्चों की मानसिक क्षमता के अनुसार ही माँ-बाप को अपनी अपेक्षा रखनी चाहिये । अन्यथा उनके व्यक्तित्व का संतुलित विकास नहीं हो पायेगा ; जो कि बच्चों के भविष्य के लिये बहुत हानिकर है । | |
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Sadatt ali ne wazir ali ka Janm apna moth kyun Samja ? |
Answer» उत्तर : सआदत अली अवध के नवाब आसिफउद्दौला का छोटा भाई था। आसिफउद्दौला के कोई लड़का न था अतः सआदत अली यह मान बैठा था कि बड़े भाई के बाद वही अवध का नवाब बनेगा। उसे भाई के यहाँ बेटा होने की कोई उम्मीद न थी। पर जब उनके यहाँ वजीर अली का जन्म हो गया तो उसके सारे सपने चकनाचूर हो गए।यही कारण था कि उसने वजीर अली की पैदाइश को अपनी मौत समझा। Book se dekh na pagal Answers of book NCERT questions of chapter Sapnon Ke vo Din About alankar Kyuki agar Wazir Ali ne janam le liya to ...usse kabhi v singhasan par baithne ka awsar nhi milega...isilye usene Wazir ke janm ko apna maut maan liya |
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639. |
Ghar bechne ke liye suchna SUCHNA LEKHAN |
Answer» Xgu khobovxxj e7jc9dyuuc hxjfyOc | |
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tantara vamiro ki premkhata nicobariyo ke ghar ghar kyu sunayi jati thi |
Answer» Plz correct it it\'s balidan not Baliram and kahaniyan not kqhaniyan Tantara vamiro ki premkathaa ghar Ghar sunai jati thi kyunki samaj k Kalyan me kai bar logon Ko Apne Prem ka Baliram Dena padta h unke sache Prem Ko dekhte huy ghar ghar me unki kqhaniyan sunai jati thi So that they don\'t follow that old rule |
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What is smas in Hindi |
Answer» समास\xa0‘संक्षिप्तिकरण’ को समास कहते हैं। दूसरे शब्दों में समास संक्षेप करने की एक प्रक्रिया है। दो या दो से अधिक शब्दों का परस्पर सम्बन्ध बताने वाले शब्दों अथवा कारक चिह्नों का लोप होने पर उन दो अथवा दो से अधिक शब्दों के मेल से बने एक स्वतन्त्र शब्द को\xa0समास\xa0कहते हैं। उदाहरण ‘दया का सागर’ का सामासिक शब्द बनता है ‘दयासागर’। | |
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(Aaj ka yuva sansar) topic niband |
Answer» | |
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Tantara bahut balishali bhi tha ye kon sa pad h |
Answer» Don\'t know? | |
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Vakay kis se banta h |
Answer» शब्दो के समूह से पदों से पद से जिस शब्द समूह से या लेखक का |
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Mitrata ( friendship) pr anuchchhed |
Answer» मित्रता अनमोल धन है। इसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है। हीरे-मोती या सोने-चाँदी से भी नहीं। मैत्री की महिमा बहुत बड़ी है। सच्चा मित्र सुख और दुख में समान भाव से मैत्री निभाता है। जो केवल सुख में साथ होता है, उसे सच्चा मित्र नहीं कहा जा सकता। साथ-साथ खाना-पीना, सैर, पिकनिक का आनंद लेना सच्ची मित्रता का लक्षण नहीं। सच्चा मित्र तो दीर्घ काल के अनुभव से ही बनता है। सच्ची मित्रता की बस एक पहचान है और वह है-विचारों की एकता। विचारों की एकता ही इसे दिनोंदिन प्रगाढ़ करती है। सच्चा मित्र बड़ा महत्त्वपूर्ण होता है।जहाँ थाह न लगे, वही बाँह बढ़ाकर उबार लेता है। मित्रता करना तो आसान है, लेकिन निभाना बहुत ही मुश्किल। आज मित्रता का दुरुपयोग होने लगा है। लोग अपने सीमित स्वार्थों की पूर्ति के लिए मित्रता का ढोंग रचते हैं। मित्र जो केवल काम निकालना जानते हैं, जो केवल सख के साथी हैं और जो वक्त पड़ने पर बहाना बनाकर किनारे हो जाते हैं. वे मित्रता को कलंकित करते हैं। मित्रता जीवन का सर्वश्रेष्ठ अनुभव है।यह एक ऐसा मोती है, जिसे गहरे सागर में डूबकर ही पाया जा सकता है। मित्रता की कीमत केवल मित्रता ही है। सच्ची मित्रता जीवन का वरदान है। यह आसानी से नहीं मिलती। एक सच्चा मित्र मिलना सौभाग्य की बात होती है। सच्चा मित्र मनुष्य की सोई किस्मत को जगा सकता है और भटके को सही राह दिखा सकता है। | |
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SAMBODHIT PATRA |
Answer» Sambodhit Patra | |
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Bt |
Answer» | |
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दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया |
Answer» | |
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Itihas pe essay |
Answer» | |
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Topi aur iffan ke charitrik visheshtaye |
Answer» | |