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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

हर्षवर्धन किन परिस्थितियों में सिंहासन पर बैठा?

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हर्षवर्धन अपने भाई राज्यवर्धन की मृत्यु पर अत्यधिक दुःखी हुआ और राजपाट छोड़ने को तैयार हो गया। मन्त्रियों के समझाने पर, राजा शीलादित्य उपनाम ग्रहण करके हर्ष 606 ई० में कन्नौज के सिंहासन पर बैठा।

2.

हुवेनसांग ने हर्ष की प्रशंसा में क्या कहा था?

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हवेनसांग ने हर्ष की प्रशंसा में कहा है कि “अनेक राजाओं के सम्पर्क में मैं आया किन्तु हर्ष जैसा कोई नहीं। मैंने अनेक देशों में भ्रमण किया है किन्तु भारत जैसा कोई देश नहीं। भारत वास्तव में महान देश है और महत्ता का मूल है- उसकी जनता तथा हर्ष जैसे उसके शासक।”

3.

हर्ष के दान से संबंधित किसी घटना का उल्लेख कीजिए।

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एक बार राजा हर्षवर्धन दान-दक्षिणा की सभी वस्तुओं को, यहाँ तक कि राज्यकोष की सम्पूर्ण सम्पत्ति और अपने शरीर के समस्त आभूषणों को पण्डितों व विद्वानों को जंब दान दे चुके तो ‘ एक व्यक्ति ऐसा रह गया, जिसे देने के लिए उनके पास कुछ शेष नहीं था। दानार्थी बोला-राजन! आपके पास मुझे देने के लिए कुछ नहीं बचा, मैं वापस जाता हूँ। राजा ने कहा- ठहरो! अभी मेरे वस्त्र शेष हैं जिन्हें मैंने दान नहीं दिया है और पास खड़ी बहन से अपना तन ढकने के लिए दूसरा वस्त्र माँगकर उसने अपने वस्त्र उतारकर उस याचक को दे दिए।

4.

हर्षकालीन भारत का वर्णन कीजिए।

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हर्ष के समय में, भारत को अपने इतिहास के एक अत्यन्त भव्य युग को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

5.

कैसे पता चलता है कि हर्ष की नीति अहिंसावादी थी?

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हर्षवर्धन ने अपने राजय में सर्वत्र माँसाहार को निषेध कर दिया था। उन्होंने जीव हिंसा पर रोक लगा दी थी तथा आदेश के उल्लंघन करने पर कठोर दण्ड का प्रावधान किया था। इससे पता चलता है कि हर्ष नीति की अहिंसावादी थी।