InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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बेलनाकार प्रक्षेप में भूमध्य रेखा की लम्बाई ज्ञात करने का सूत्र क्या है? |
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Answer» बेलनाकार प्रक्षेप में भूमध्य रेखा की लम्बाई ज्ञात करने का सूत्र 2πR है। |
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समक्षेत्रफल बेलनाकार प्रक्षेप का उपयोग बताइए। |
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Answer» समक्षेत्रफल बेलनाकार प्रक्षेप विषुवत्रेखीय प्रदेशों (उष्णकटिबन्धीय प्रदेशों) के प्रदर्शन के लिए प्रयुक्त किया जाता है। इसमें चाय, चावल, गन्ना, रबड़, कहवा आदि उष्ण प्रदेशों की उपजों का उत्पादन एवं वितरण भली-भाँति प्रदर्शित किया जा सकता है। |
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निरूपक भिन्न को कोष्ठक में दी गई माप-प्रणाली के अनुसार मापनी के प्रकथन में परिवर्तित करें :(i) 1:1,00,000 (किलोमीटर में)(ii) 1: 31,680 (फर्लाग में)(iii) 1:1,26,720 (मील में)(iv) 1:50,000 (मीटर में) |
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Answer» (i) 1 सेमी व्यक्त करता है 1 किलोमीटर को। (ii) 1 इंच व्यक्त करता है 4 फर्लाग को। (क्योंकि 1 मील = 8 फर्लंग या 1 मील = 63,360 इंच तथा 1 फर्लाग =7,920 इंच; अत: यदि 31,680 को 7,920 से भाग दिया जाता है तो =4 फर्लाग आता है।) (iii) 1 इंच व्यक्त करता है =2 मील को। (1,26,720 ÷ 63,360 = 2 मील)। (iv) 1 सेमी व्यक्त करता है = 500 मीटर को। (50,000 ÷ 100 सेमी = 500 मीटर)। |
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मापनी बनाने की आवश्यकता क्यों होती है? |
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Answer» मापनी द्वारा बहुत बड़े क्षेत्रों को छोटा या छोटे क्षेत्रों को बड़े आकार में प्रदर्शित किया जा सकता है, जो अन्यथा सम्भव नहीं है। इसके द्वारा मानचित्र पर प्रदर्शित क्षेत्र से वास्तविक क्षेत्रफल ज्ञात किया जा सकता है। |
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रेखात्मक मापक में रेखा की लम्बाई कितनी होनी चाहिए? |
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Answer» रेखात्मक मापक में रेखा की लम्बाई 6 इंच अथवा 15 सेमी उपयुक्त रहती है। |
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रेखात्मक मापनी की क्या विशेषता है? |
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Answer» रेखात्मक मापनी वाले मानचित्र को किसी भी आकार में मुद्रित करने पर मुद्रित मानचित्र की मापनी शुद्ध बनी रहती है, क्योंकि जिस अनुपात में मानचित्र का आकार बदलता है, उसी अनुपात में मापनी की लम्बाई भी बदल जाती है। |
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मापक का महत्त्व एवं प्रकार बताइए तथा मानचित्र पर मापक प्रकट करने की विधियों का वर्णन कीजिए। |
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Answer» मापक का महत्त्व ⦁ मापक के माध्यम से छोटे क्षेत्रों को बड़े आकार में तथा बड़े क्षेत्रों को छोटे आकार में मानचित्रों के | द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है। ⦁ मापक द्वारा किसी भी मानचित्र में दो स्थानों (बिन्दुओं) के मध्य धरातल की वास्तविक दूरी ज्ञात | की जा सकती है। ⦁ मापक के माध्यम से एक मानचित्रकार अपने उद्देश्य के अनुसार किसी भी क्षेत्र का छोटा या बड़ा मानचित्र तैयार कर सकता है। मापक के प्रकार । साधारण रूप से मानचित्रों में दो प्रकार के मापक प्रयोग में लाए जाते हैं- 1. दीर्घ मापक मानचित्र-इन मापकों में धरातल की छोटी दूरियों को मानचित्र पर बड़ी माप से प्रदर्शित किया जाता है; जैसे-5 सेमी = 1 किमी या 10″ = 1 मील। 2. लघु मापक मानचित्र-इन मापकों में धरातल की विशालतम दूरियों को मानचित्र में लघुतम दूरी | से प्रकट किया जाता है; जैसे-1 सेमी = 1,000 किमी या 1″ = 100 मील। लघु मापकों का चुनाव विशाल क्षेत्रों के मानचित्र बनाने के लिए किया जाता है। मानचित्र पर मापक प्रकट करने की विधियाँ मापक अभिव्यक्त करने की निम्नलिखित तीन विधियाँ हैं (I) कथनात्मक विधि (II) प्रदर्शक भिन्न विधि |
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पाश्र्व-चित्रण कितने प्रकार का होता है ? |
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Answer» पाश्र्व-चित्रण दो प्रकार का होता है ⦁ सामान्य पार्श्व-चित्रण ⦁ तिर्यक पार्श्व-चित्रण |
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पाश्र्व-चित्रण में कौन-कौन से मापकं प्रयुक्त किए जाते हैं ? |
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Answer» पाश्र्व-चित्रण में क्षैतिज तथा लम्बवत् मापकों को प्रयोग किया जाता है। |
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पाश्र्व-चित्रण क्या है ? |
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Answer» पार्श्व-चित्रण धरातल (भू-आकृतियों) की वास्तविक दशा को प्रदर्शित करने की एक विधि है। इसे खण्ड-चित्रण भी कहते हैं। इस विधि द्वारा समोच्च रेखाओं की सहायता से विभिन्न भू-आकृतियों को चित्रित किया जाता है। |
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निर्देशिका (बेंच मार्क) क्या है ? |
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Answer» किसी स्थान की समुद्रतल से वास्तविक ऊँचाई जिस चिह्न द्वारा प्रदर्शित की जाती है, उसे निर्देशिका (बेंच मार्क) कहते हैं। |
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