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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

ध्रुवीय शिरोबिन्दु प्रक्षेप को समदूरी प्रक्षेप क्यों कहा जाता है?

Answer»

ध्रुवीय शिरोबिन्दु प्रक्षेप में सभी अक्षांश रेखाओं के बीच की दूरी बराबर रहती है; अतः इसे ‘समदूरी’ प्रक्षेप कहते हैं।

2.

गोलीय शिरोबिन्दु ध्रुवीय प्रक्षेप को ध्रुवीय शिरोबिन्दु क्यों कहते हैं?

Answer»

समतल कागज को ग्लोब के ध्रुवों पर स्पर्श करने के कारण इसे गोलीय शिरोबिन्दु ध्रुवीय प्रक्षेप कहते हैं।

3.

बोन प्रक्षेप किस प्रक्षेप का संशोधित रूप है?

Answer»

बोन प्रक्षेप एक प्रामाणिक अक्षांश वाले शंक्वाकार प्रक्षेप को संशोधित रूप है।

4.

बोन प्रक्षेप का उपयोग बताइए।

Answer»

बोन प्रक्षेप का उपयोग फ्रांस, बेल्जियम तथा भारत जैसे देशों के मानचित्रों की रचना के लिए किया जाता है।

5.

बोन प्रक्षेप के निर्माणकर्ता का नाम क्या है?

Answer»

बोन प्रक्षेप के निर्माणकर्ता फ्रांसीसी मानचित्रकार ‘रिग्रोबर्ट बोन’ हैं।

6.

मानचित्र रेखाचित्र से किस प्रकार भिन्न हैं?

Answer»

मानचित्र सम्पूर्ण पृथ्वी या उसके किसी भाग का समतल पृष्ठ पर समानीत मापनी द्वारा वर्णात्मक, प्रतीकात्मक तथा व्यापकीकृत निरूपण करता है; जबकि रेखाचित्र बिना मापनी के खींचा गया खाका है, जिसमें विषय-वस्तु को सामान्य जानकारी के लिए प्रदर्शित किया जाता है।

7.

शंक्वाकार प्रक्षेप का क्या उपयोग है?

Answer»

शंक्वाकार प्रक्षेप का उपयोग पूर्व-पश्चिम अधिक विस्तार वाले समशीतोषण प्रदेशों के मानचित्र प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है।

8.

जब प्रकाश के स्रोत को ग्लोब के मध्य रखा जाता है तथा प्राप्त प्रक्षेप को कहते हैं(क) लम्बकोणीय(ख) त्रिविम(ग) नोमॉनिक(घ) ये सभी

Answer»

सही विकल्प है (ग) नोमॉनिक

9.

एक उत्तम प्रक्षेप में कौन-कौन से लक्षणे होते हैं?

Answer»

एक उत्तम प्रक्षेप में निम्नलिखित लक्षण होते हैं

(क) सरल रचना 

(ख) शुद्ध दिशा

(ग) शुद्ध क्षेत्रफल

(घ) शुद्ध आकृति 

(ङ) शुद्ध मापक

10.

प्रधान अक्षांश रेखा से क्या अभिप्राय है?

Answer»

जिस अक्षांश रेखा पर शंकु ग्लोब को स्पर्श करता है, उसे प्रधान अक्षांश रेखा या प्रामाणिक अक्षांश रेखा अथवा मानक अक्षांश रेखा कहते हैं।

11.

मानचित्रों के प्रकारों की विस्तृत व्याख्या करें।

Answer»

भूगोल के विद्यार्थी अनेक प्रकार के मानचित्रों का प्रयोग करते हैं। मानचित्रों का वर्गीकरण उनके मापक, रचना एवं उद्देश्य के आधार पर निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है

(क) मापक के अनुसार मानचित्र के भेद 
मापक के आधार पर मानचित्रों को निम्नलिखित चार भागों में बाँटकर दो समूहों में रखा जा सकता है

⦁    भू-कर, मानचित्र (Cadastral Map)
⦁    भूपत्रक मानचित्र (Topographical Map)
⦁    दीवार मानचित्र (Wall Map) 
⦁    एटलस मानचित्र (Atlas or Chorographical Map)

1. दीर्घ मापक मानचित्र-ये मानचित्र बड़े मापक पर निर्मित किए जाते हैं। इनका निर्माण मानचित्रों | में विस्तृत विवरण प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। इनमें 1 सेमी = 1 किमी तक की दूरी प्रकट की जाती है। भू-कर मानचित्र (Cadastral Map) तथा स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographical Map) इसी श्रेणी में सम्मिलित हैं।

2. लघु मापक मानचित्र-ये मानचित्र छोटे मापक पर निर्मित किए जाते हैं। इनका निर्माण विशाल क्षेत्र में सीमित विवरण प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। इनका मापक 1 सेमी = 1,000 किमी या इससे भी अधिक हो सकता है। मानचित्रावली मानचित्र (Atlas Map) तथा दीवार मानचित्र (Wall Map) इसी प्रकार के मानचित्र होते हैं।

(ख) उद्देश्य के अनुसार मानचित्र के भेद

उद्देश्य के आधार पर मानचित्रों को निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है

⦁    प्राकृतिक या उच्चावच मानचित्र
⦁    भू-तात्त्विक मानचित्र
⦁    जलवायु मानचित्र
⦁    वनस्पति मानचित्र
⦁    यातायात मानचित्र
⦁    सांस्कृतिक मानचित्र
⦁    जनसंख्या मानचित्र
⦁    आर्थिक मानचित्र
⦁    भाषा मानचित्र
⦁    जाति मानचित्र
⦁    अन्तर्राष्ट्रीय मानचित्र
⦁    वितरण मानचित्र
⦁    राजनीतिक मानचित्र
⦁    खगोल मानचित्र
⦁    भूगर्भिक मानचित्र

12.

बृहत मापनी मानचित्रों के दो प्रमुख प्रकारों को लिखें।

Answer»

बृहत् मापनी मानचित्रों को अग्रलिखित दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है

1. भूसम्पत्ति मानचित्र-इन मानचित्रों को क्षेत्रीय सम्पत्ति की पंजिका कहा जाता है। ये मानचित्र सरकार द्वारा विशेष रूप से भूमिकर, लगान की वसूली एवं स्वामित्व का रिकॉर्ड रखने के लिए बनाए जाते हैं। इन मानचित्रों का मापक बृहत् होता है। जैसे—गाँवों के भू-सम्पत्ति मानचित्र 1:4,000 की मापनी पर तथा नगरों के मानचित्र 1 : 2,000 और इससे अधिक मापनी पर बनाए जाते हैं।

2. स्थलाकृतिक मानचित्र-ये मानचित्र भी सामान्यतः बृहत् मापनी पर बनते हैं, जो परिशुद्ध सर्वेक्षण पर आधारित होते हैं। इन मानचित्रों को श्रृंखला के रूप में विश्व के लगभग सभी देशों की राष्ट्रीय मानचित्र एजेंसी के द्वारा तैयार किया जाता है। भारत में इनका निर्माण व प्रकाशन सर्वेक्षण विभाग, देहरादून द्वारा किया जाता है। इनका मापक 1 : 2,50,000, 1 : 50,000 तथा 1 : 25,000 होता है। इन मानचित्रों में उच्चावच, अपवाह, वनस्पति, अधिवास, सड़कें आदि भौतिक व सांस्कृतिक तत्त्वों को दर्शाया जाता है।

13.

दिशा मापन क्या है?

Answer»

दिशा मानचित्र पर एक काल्पनिक सीधी रेखा है, जो एकसमान आधार से दिशा की कोणीय स्थिति को प्रदर्शित करती है। मानचित्र पर प्रदर्शित दिशा रेखा उत्तर व दक्षिण दिशा को प्रकट करती है, किन्तु यह शून्य दिशा या आधार दिशा रेखा कहलाती है। अतः एक मानचित्र सदैव उत्तर दिशा को दर्शाता है, अन्य सभी दिशाएँ इसके सम्बन्ध में निर्धारित होती हैं।

14.

मानचित्र व्यापकीकरण क्या है?

Answer»

मानचित्र के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उसकी विषय-वस्तु को नियोजित किया जाना मानचित्र व्यापकीकरण कहलाता है। चूंकि मानचित्रों को एक निश्चित उद्देश्य के लिए लघुकृत मापनी पर तैयार किया जाता है। ऐसा करते समय मानचित्रकार को चुनी गई विषय-वस्तु से सम्बन्धित सूचनाओं (आँकड़ों) को एकत्रित करके आवश्यकतानुसार सरल रूप में प्रदर्शित करना ही वास्तव में व्यापकीकरण है।

15.

मानचित्र के आवश्यक लक्षण कौन-से हैं?

Answer»

शीर्षक, मापक, निर्देश, प्रक्षेप, दिशा तथा परम्परागत या रूढ़ चिह्न मानचित्र के आवश्यक लक्षण हैं।

16.

लघुमान वाले मानचित्रों के विभिन्न प्रकार कौन-कौन से हैं?

Answer»

लघुमान वाले मानचित्रों को निम्नलिखित दो वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है-

1. भित्ति मानचित्र-यह मानचित्र बड़े आकार के कागज या प्लास्टिक पर बनाया जाता है। इसकी| मापनी स्थलाकृतिक मानचित्र से लघु किन्तु एटलस मानचित्र से बृहत् होती है।

2. एटलस मानचित्र-ये मानचित्र बड़े आकार वाले क्षेत्रों को प्रदर्शित करते हैं तथा भौतिक एवं सांस्कृतिक विशिष्टताओं को सामान्य ढंग से दर्शाते हैं।

17.

मानचित्र अभिकल्पना क्यों महत्त्वपूर्ण है?

Answer»

मानचित्र अभिकल्पना किसी मानचित्र का ऐसा पक्ष है जो उसकी पृष्ठभूमि का समकलित प्रदर्शन करता है। इसके अन्तर्गत मानचित्र निर्माण में प्रयुक्त संकेतों का चयन, उनके आकार एवं प्रकार, लिखने का ढंग, रेखाओं की चौड़ाई का निर्धारण, रंगों का चयन आदि को सम्मिलित किया जाता है। अतः मानचित्र अभिकल्पना मानचित्र निर्माण की एक जटिल अभिमुखता है जिसमें उन सिद्धान्तों की व्यापक जानकारी आवश्यक होती है जो आलेखी संचार द्वारा मानचित्र को प्रभावी व उद्देश्यपरक बना सकें।

18.

एक मानचित्र जिसकी मापनी 1:4,000 एवं उससे बड़ी है, उसे कहा जाता है(क) भूसम्पत्ति मानचित्र(ख) स्थलाकृतिक मानचित्र(ग) भित्ति मानचित्र (घ) एटलस मानचित्र

Answer»

सही विकल्प है (क) भूसम्पत्ति मानचित्र

19.

रेखाओं एवं आकृतियों के मानचित्र कहे जाने के लिए निम्नलिखित में से क्या अनिवार्य है?(क) मानचित्र रूढ़ि(ख) प्रतीक(ग) उत्तर दिशा(घ) मानचित्र मापनी

Answer»

सही विकल्प है (ख) प्रतीक

20.

मानचित्र पर दूरी मापन कैसे सम्भव है?

Answer»

मानचित्र पर सीधी रेखाओं को पट्टी के द्वारा तथा टेड़ी-मेढ़ी रेखाओं को धागे के द्वारा मापा जाता है और उसे मानचित्र के मापक के द्वारा व्यक्त किया जाता है।

21.

रूढ़ चिह क्या हैं ?

Answer»

स्थलाकृतिक मानचित्रों में विभिन्न भौतिक और सांस्कृतिक लक्षणों को भिन्न-भिन्न संकेतों की सहायता से प्रकट किया जाता है, जिन्हें रूढ़ या परम्परागत चिह्न कहते हैं। विभिन्न प्रकार के रूढ़ चिह्नों को प्रदर्शित किया गया है।

22.

सर्वे ऑफ इण्डिया क्या है ? इसका मुख्यालय कहाँ स्थित है ?

Answer»

सर्वे ऑफ इण्डिया भारत सरकार का मानचित्र प्रकाशन एवं सर्वेक्षण विभाग है। इसका मुख्यालय हाथीबड़कला, देहरादून (उत्तराखण्ड) में स्थित है।

23.

धरातलीय पत्रकों का महत्त्व बताइए।

Answer»

धरातलीय पत्रकों से किसी क्षेत्र का सूक्ष्म अध्ययन किया जा सकता है। इनसे भावी विकास योजनाएँ निर्धारित की जाती हैं तथा सैन्य-संचालन एवं युद्ध के समय में भी ये प्रयुक्त किए जाते हैं।

24.

उदग्रान्तर (Vertical Interval) किसे कहते हैं ?

Answer»

दो समोच्च रेखाओं के मध्य के लम्बवत् अन्तराल को उदग्रान्तर या उदग्र अन्तराल कहते हैं।

25.

उच्चावच प्रदर्शन की विधियाँ बताइए।

Answer»

उच्चावच प्रदर्शन की निम्नलिखित विधियाँ हैं –

⦁    चित्रीय विधि

⦁    गणितीय विधि 

⦁    मिश्रित विधि

26.

उच्चावच किसे कहते हैं ?

Answer»

धरातल के विषम, ऊबड़-खाबड़ एवं असमतल स्वरूप को उच्चावच कहते हैं।

27.

अभिसामयिक या परम्परागत चिह्न क्या हैं ?

Answer»

मानचित्रों में विभिन्न प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक लक्षणों को प्रस्तुत करने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें अभिसामयिक या परम्परागत अथवा रूढ़ चिह्न कहते हैं।

28.

धरातलीय पत्रक क्या है ?

Answer»

किसी स्थान-विशेष के प्राकृतिक पर्यावरण एवं सांस्कृतिक तथ्यों के विस्तृत अध्ययन हेतु अभिसामयिक चिह्नों से निर्मित मानचित्रों को ‘धरातलीय पत्रक’ कहते हैं।

29.

भारत में भू-पत्रकों का प्रकाशन किसके द्वारा किया जाता है ?

Answer»

भारत में भू-पत्रकों को प्रकाशन सर्वे ऑफ इण्डिया, हाथीबड़कला, देहरादून (उत्तराखण्ड) द्वारा किया जाता है।

30.

परम्परागत चिह्न क्या हैं? भू-पत्रक मानचित्रों में कौन-से रंगों का प्रयोग होता है ?

Answer»

परम्परागत चिह

भू-पत्रकों में विभिन्न विवरणों को प्रदर्शित करने के लिए कुछ निश्चित चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें परम्परागत चिह्न या अभिसामयिक अथवा रूढ़ चिह्न कहते हैं। इन परम्परागत चिह्नों का निर्धारण अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। महत्त्वपूर्ण परम्परागत चिह्नों को में प्रदर्शित किया गया है।

भू-पत्रक मानचित्रों में प्रयुक्त होने वाले रंग।

परम्परागत चिह्नों के साथ-साथ भू-पत्रक मानचित्रों में निम्नांकित रंगों का प्रयोग किया जा सकता है। इन रंगों के द्वारा मानचित्रों में प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक भू-दृश्य प्रस्तुत किए जाते हैं

⦁    लाल रंग – लाल रंग का प्रयोग भवन (बस्तियों) एवं सड़क मार्गों को प्रदर्शित करने में किया जाता है।

⦁    पीला रंग – इसका प्रयोग कृषि क्षेत्रों के प्रदर्शन में किया जाता है।

⦁    हरा रंग – हरे रंग से वन, प्राकृतिक वनस्पति, घास तथा बाग-बगीचे आदि प्रदर्शित किए जाते हैं।

⦁    नीला रंग – नीले रंग द्वारा तालाब, नदी, झील, सागर तथा अन्य जलाशय क्षेत्रों अर्थात् विभिन्न जल क्षेत्रों को प्रदर्शित किया जाता है।

⦁    काला रंग – इसका प्रयोग सीमाएँ प्रकट करने तथा रेलवेलाइन प्रदर्शित करने में किया जाता है।

⦁    कत्थई रंग – इस रंग द्वारा ऊँचाई प्रदर्शित करने के लिए समोच्च रेखाएँ बनाई जाती हैं।

⦁    भूरा रंग – यह पर्वतीय क्षेत्रों के छायाकरण में प्रयुक्त किया जाता है।

31.

भारतीय भू-पत्रकों की संख्या बताइए।

Answer»

भारत एवं उसके समीपवर्ती देशों में धरातलीय भू-पत्रकों की संख्या 136 है, परन्तु भारत में पत्रक संख्या 39 से 92 तक के भू-पत्रक ही सम्मिलित हैं।

32.

भारतीय सर्वेक्षण विभागं हमारे देश के मानचित्रण में किन मापनियों का उपयोग करता है ?

Answer»

भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा अपने देश के मानचित्र. 1 : 10,00,000; 1 : 22,50,000; 1:1,25,000; 1 : 50,000 तथा 1 : 25,000 की मापनी पर तैयार किए जाते हैं जिसमें अक्षांशीय एवं देशान्तरीय विस्तार क्रमशः 4 x 4°, 1° x 1°, 30° x 30°, 15° x 15° तथा 5° x 7°30′ होते हैं। इनमें से प्रत्यक मानचित्र की संख्यात्मक प्रणाली को चित्र 5.1 में प्रदर्शित किया गया है।

33.

समोच्च रेखाएँ क्या हैं ?

Answer»

समोच्च रेखा माध्य समुद्र तल से समान ऊँचाई वाले बिन्दुओं को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा होती है। उच्चावच लक्षणों को दर्शाने के लिए.समोच्च रेखा एक अत्यन्त लोकप्रिय विधि है।

34.

समोच्च रेखाओं के अन्तराल क्या दर्शाते हैं ?

Answer»

समोच्च रेखाओं को अन्तराल इन रेखाओं की दूरी (ऊँचाई) को दर्शाता है। दो समोच्च रेखाओं के बीच ऊध्र्वाधर अन्तर समान रहता है। समोच्च रेखाएँ भिन्न-भिन्न अन्तर पर खींची जाती हैं; जैसे 20, 50, 100 मीटर आदि।

35.

स्थलाकृतिक मानचित्र निर्वचन को क्या अर्थ है तथा इसकी विधि क्या है? इसकी विवेचना कीजिए।

Answer»

स्थलाकृतिक मानचित्र का अर्थ इन मानचित्रों को पढ़ना, समझना या व्याख्या (Interpretation) करना है। टोपोशीट या स्थलाकृतिक मानचित्र को पढ़ना अत्यन्त रोचक होता है, इसलिए इनको भौगोलिक ज्ञान की कुंजी कहा जाता है। स्थलाकृतिक मानचित्रों के अध्ययन की विधि अत्यन्त सरल होती है। स्थलाकृतिक मानचित्र को दिए गए। निर्देशों या सूचनाओं के आधार पर समझा जा सकता है अर्थात् मानचित्र में दिए गए प्रकार की भौतिक व सांस्कृतिक विशेषताओं के लिए रूढ़ चिह्न दिए होते हैं जिनके आधार पर कोई भी व्यक्ति इन मानचित्रों का अध्ययन सरलतापूर्वक कर सकता है। इस विधि को निम्नलिखित शीर्षकों से स्पष्ट रूप में समझा जा सकता है

1. प्रारम्भिक सूचना – इसके अन्तर्गत मानचित्र में राज्य, जिला, संस्था, वर्ष, मापक, दिक्पात, । स्थिति एवं परम्परागत चिह्न आदि दिए होते हैं, जिसके आधार पर स्थलाकृतिक मानचित्रं की
समस्त प्रारम्भिक सूचनाओं को सरलता से समझ लिया जाता है।

2. उच्चावच एवं जल-प्रवाह – भू-पत्रकों में समोच्च रेखाओं द्वारा धरातल की संरचना तथा ढाल प्रकट किया जाता है। ढाल द्वारा जल-प्रवाह तथा नदी-घाटियों के आकार का ज्ञान प्राप्त हो जाता है।

3. प्राकृतिक वनस्पति – भू-पत्रकों पर विभिन्न रंगों द्वारा वनस्पति के विभिन्न प्रकार एवं उनका वितरण प्रकट किया जाता है। पीले रंग से कृषि क्षेत्र तथा हरे रंग से प्राकृतिक वनस्पति; यथा-घास, झाड़ियाँ तथा वृक्ष आदि प्रदर्शित किए जाते हैं।

4. सिंचाई के साधन – भू-पत्रंकों में झील, तालाब, कुएँ, नदियों तथा नहरों का चित्रण प्रायः नीले रंग से किया जाता है जिनसे सिंचाई साधनों का ज्ञान हो जाता है। यदि पत्रक में सिंचाई के साधन
नहीं दिए गए हैं तो इसका यह अर्थ हुआ कि कृषि वर्षा पर ही निर्भर करती है।

5. यातायात के साधन – इन पत्रकों में रेलमार्गों, सड़क-मार्गों, पगडण्डियों तथा वायुमार्गों को परम्परागत चिह्नों द्वारा प्रकट किया जाता है जिनके द्वारा क्षेत्र-विशेष में यातायात मार्गों एवं उन पर
संचालित परिवहन साधनों का ज्ञान प्राप्त किया जाता है।

6. जनसंख्या का वितरण – भू-पत्रकों में नगरीय तथा ग्रामीण अधिवासों की व्यापकता को देखकर जनसंख्या के वितरण को समझा जा सकता है।

7. मानव अधिवास – भू-पत्रकों में बस्तियों की स्थिति से मानव-अधिवास के ढंग का सामान्य ज्ञान प्राप्त हो जाता है। सघन एवं विरल जनसंख्या द्वारा ग्रामीण एवं नगरीय बस्तियों का अध्ययन किया जा सकता है।

8. उद्योग-धन्धे – भू-पत्रकों के अध्ययन द्वारा मानवीय क्रियाकलापों; जैसे—कृषि, पशुचारण तथा कला-कौशल का ज्ञान भी प्राप्त होता है। इनके अध्ययन से स्पष्ट होता है कि किस क्षेत्र के लोग कृषि करते हैं, वनों का शोषण करते हैं, खनन कार्य करते हैं, मछली पकड़ते हैं या भारी उद्योग-धन्धे चलाते हैं। इसी प्रकार खनिज पदार्थों के अध्ययन द्वारा उद्योगों के विषय में जानकारी
प्राप्त की जा सकती है।

9. सभ्यता एवं संस्कृति – इन भू-पत्रकों में विद्यालय, मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा, चिकित्सालय, रेलवे स्टेशन, निरीक्षण भवन, धर्मशालाएँ आदि परम्परागत चिह्नों की सहायता से दर्शाए जाते हैं। इन्हें देखकर इस क्षेत्र की सभ्यता एवं संस्कृति का सहज ही ज्ञान प्राप्त हो जाता है।

10. ऐतिहासिक स्वरूप – इन भू-पत्रकों से युद्ध-स्थल, किला, राजधानियाँ, ऐतिहासिक स्थलों तथा । अन्य महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्यों का बोध होता है।

36.

समोच्च प्रणाली को देखें तथा निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें।1. समोच्च रेखाओं से निर्मित स्थलाकृति का नाम लिखें।2. मानचित्र में समोच्च अन्तराल का पता लगाएँ।3. मानचित्र पर E एवं F के बीच की दूरी को धरातल पर की दूरी में बदलें।4. A तथा B, C तथा D एवं E तथा F के बीच के ढालों के प्रकार का नाम लिखें।5. G से E, D तथा F की दिशाओं को बताएँ।

Answer»

1. पठारे।

2. 100 मीटर

3. यदि मानचित्र पर E एवं F की दूरी मापने पर 2 सेमी है तथा मापक 1 सेमी = 2 किमी को दर्शाता है। तो धरातल की दूरी 4 किमी होगी।

4. A तथा B-मन्द ढाल; C तथा D-तरंगित ढाल; E तथा F—तीव्र ढाल।

5. G से E-पश्चिम; D तथा F-उत्तर एवं दक्षिण।

37.

मानचित्र प्रक्षेप के तत्त्वों की व्याख्या कीजिए।

Answer»

मानचित्र प्रक्षेप के तत्त्व निम्नलिखित हैं–

    पृथ्वी का लघु रूप-प्रक्षेप द्वारा लघु मापनी की सहायता से पृथ्वी के स्वरूप को कागज की | समतल सतह पर दर्शाया जाता है।

⦁    अक्षांश के समान्तर-ये ग्लोब के चारों ओर स्थित वे वृत्त हैं जो विषुवत् वृत्त के समान्तर एवं , ध्रुवों से समान दूरी पर स्थित होते हैं। इनका विस्तार ध्रुव पर बिन्दु से लेकर विषुवत् वृत्त पर ग्लोबीय परिधि तक होता है।इनका सीमांकन 0° से 90° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों में किया जाता है।

⦁    देशान्तर-ये अर्द्धवृत्त होते हैं जो कि उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव तक खींचे जाते हैं तथा दो विपरीत देशान्तर एक वृत्त का निर्माण करते हैं।

⦁    भूमण्डलीय गुण-मानचित्र प्रक्षेप में ग्लोब के गुणों को संरक्षित किया जाता है। यही गुण किसी स्थान की दूरी, आकृति, क्षेत्रफल तथा दिशा को अभिव्यक्त करते हैं।

38.

एक मानचित्र प्रक्षेप, जिसमें दिशा एवं आकृति शुद्ध होती है लेकिन ध्रुवों की ओर यह बहुत अधिक विकृत हो जाती है

Answer»

सही विकल्प है (ख) मर्केटर

39.

प्रक्षेप से आप क्या समझते हैं?

Answer»

दीर्घवृत्तीय या अण्डाकार पृथ्वी अथवा उसके किसी भाग को समतल कागज पर चित्रित करने की विधि को प्रक्षेप कहते हैं। दूसरे शब्दों में, अक्षांश एवं देशान्तर रेखाओं के जाल को प्रक्षेप कहते हैं।

40.

भूमण्डलीय सम्पत्ति से आप क्या समझते हैं?

Answer»

भूमण्डलीय गुण ही भूमण्डलीय सम्पत्ति कहलाता है। एक मानचित्र में चार : भूमण्डलीय गुण-क्षेत्रफल, आकृति, दिशा और दूरी-होते हैं। ये गुण विश्वव्यापी सम्पत्ति है जो प्रत्येक देश या स्थान के पास होती है। वास्तव में भूगोल इसी भूमण्डलीय सम्पत्ति के परिप्रेक्ष्य में मानवीय क्रियाओं का अध्ययन करता है।

41.

मानचित्र की दूरी को मापनी में किस रूप में जाना जाता है?(क) अंश (ख) हर(ग) मापनी का प्रकथन (घ) निरूपक भिन्न

Answer»

सही विकल्प है (क) अंश

42.

निम्नलिखित में से कौन-सा मानचित्र के लिए अनिवार्य नहीं है?(क) मानचित्र प्रक्षेप(ख) मानचित्र व्यापकीकरण (ग) मानचित्र अभिकल्पना(घ) मानचित्रों का इतिहास

Answer»

सही विकल्प है (घ) मानचित्रों का इतिहास

43.

मानचित्र प्रक्षेप, जो कि विश्व के मानचित्र के लिए न्यूनतम उपयोगी है(क) मर्केटर(ख) बेलंनी(ग) शंकु(घ) ये सभी

Answer»

सही विकल्प है (ग) शंकु

44.

कोई भी मानचित्र ग्लोब को सही रूप में नहीं दर्शाता है, क्यों?

Answer»

ग्लोब पृथ्वी का लगभग अधिकाधिक शुद्ध प्रतिरूप है। मानचित्र में हम पृथ्वी के किसी भी भाग या सम्पूर्ण पृथ्वी को उसके सही आकार एवं विस्तार में दिखाने का प्रयास करते हैं, लेकिन विकृति किसी-न-किसी रूप में अवश्य बनी रहती है। ऐसा इसलिए है कि पृथ्वी नारंगी की तरह गोल है जिसका प्रतिरूप ग्लोब भी इसी का समरूप है, किन्तु मानचित्र समतल सतह पर ग्लोब का एक प्रदर्शन है, जिसे त्रिविम रूप में प्रदर्शित करना कठिन है। फिर भी मानचित्र एवं ग्लोब दोनों की अपनी-अपनी उपयोगिता एवं महत्ता है।

45.

एक मानचित्र प्रक्षेप, जो न समक्षेत्र हो एवं न ही शुद्ध आकार वाला हो तथा जिसकी दिशा भी शुद्ध नहीं होती है

Answer»

सही विकल्प है (क) शंकु

46.

प्रक्षेप के निर्माण का आधार बताइए।

Answer»

प्रक्षेप के निर्माण का आधार प्रकाश और गणित की गणना है।

47.

स्टीरियोग्रैफिक ध्रुवीय खमध्य प्रक्षेप से क्यों अभिप्राय है?

Answer»

एक ध्रुव पर प्रकाश डालकर तथा दूसरे पर स्पर्शी कागज रखकर जब अक्षांश एवं देशान्तर रेखाओं का जाल प्राप्त किया जाता है तो उसे स्टीरियोग्रैफिक ध्रुवीय खमध्ये प्रक्षेप कहते हैं।

48.

ध्रुवीय प्रक्षेप का प्रयोग किन क्षेत्रों में किया जाता है?

Answer»

ध्रुवीय प्रक्षेप का अधिकांश प्रयोग 60°से 90° अक्षांशों वाले ध्रुवीय प्रदेशों के प्रदर्शन के लिए किया जाता है।

49.

बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप में क्षेत्र को समरूप कैसे रखा जाता है?

Answer»

बेलनाकार प्रक्षेप में अक्षांश एवं देशान्तर रेखाओं की दूरी की गणना कर आनुपातिक रूप में बनाया जाता है। ये रेखाएँ परस्पर समानान्तर तथा एक-दूसरे को समकोण पर काटती हैं, जिसके कारण क्षेत्रफल विकृतियाँ न्यूनतम हो जाती हैं। इस प्रकार बेलनाकार, समक्षेत्र प्रक्षेप में क्षेत्र समरूप हो जाता है।

50.

बेलनाकार प्रक्षेप क्या है?

Answer»

बेलन के आकार वाले प्रक्षेप को ‘बेलनाकार प्रक्षेप’ कहते हैं।