InterviewSolution
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निश्चयवाद की उपयुक्त उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए। |
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Answer» निश्चयवाद-निश्चयवादी विचारधारा के अनुसार मानव के समस्त क्रियाकलाप पर्यावरण द्वारा नियन्त्रित होते हैं। निश्चयवाद का अनुसरण करने वाले मानते हैं कि भौतिक कारक; जैसे-जलवायु, उच्चावच, प्राकृतिक वनस्पति आदि, मानव के समस्त क्रियाकलाप और जीवन-शैली को नियन्त्रित करते हैं उदाहरण के लिए-टुण्ड्रा क्षेत्र के एस्किमो के बर्फ के घर (इग्लू) व भोजन वालरस व सील मछली होती है। ह्वेल भी उनके जीवन का प्रमुख अंग है। वे मछली के तेल का भी उपयोग करते हैं। थार, सहारा जैसे गर्म मरुस्थलों के लोग भेड़, बकरी तथा ऊँट आदि जैसे जानवरों पर निर्भर करते हैं। निश्चयवादी, साधारणतया मानव को एक निष्क्रिय कारक मानते हैं जो कि पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित हैं। |
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मानवतावाद के लक्षणों पर प्रकाश डालिए। |
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Answer» मानवतावाद के लक्षण/विशेषताएँ निम्नलिखित हैं ⦁ मानवतावाद विचारधारा मानव कल्याण, मानव जागृति, मानव चेतना,. मानव संसाधन एवं मानव की सृजनात्मकता के सन्दर्भ में मानव सक्रियता पर बल देती है। |
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सम्भववाद के लक्षणों को समझाइए। |
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Answer» सम्भववाद के लक्षण निम्नलिखित हैं ⦁ सम्भववाद के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है तथा वह प्रकृतिदत्त अनेक सम्भावनाओं का अपने लाभ के लिए इच्छानुसार उपयोग कर सकता है। |
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निश्चयवाद, सम्भववाद, नव-निश्चयवाद किस तरह एक-दूसरे से भिन्न हैं? समझाइए। |
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Answer» निश्चयवाद, सम्भववाद एवं नव-निश्यवाद में अन्तर 1. निश्चयवाद – निश्चयवादी विचारधारा के अनुसार मनुष्य के प्रत्येक क्रियाकलाप को पर्यावरण नियन्त्रित करता है। निश्चयवाद के समर्थक यह मानते हैं कि भौतिक कारक; जैसे-जलवायु, उच्चावच, प्राकृतिक वनस्पति और मानव के समस्त क्रियाकलापों और जीवन-शैली आदि को नियन्त्रित करते हैं। निश्चयवाद सामान्यतया मानव को एक निष्क्रिय कारक समझता है जो पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित है। 2. सम्भववाद – सम्भववाद के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है तथा वह प्रकृतिदत्त अनेक सम्भावनाओं का अपने लाभ के लिए इच्छानुसार उपयोग कर सकता है। सम्भववाद प्रकृति की तुलना में मनुष्य को महत्त्वपूर्ण स्थान देता है और उसे सक्रिय शक्ति के रूप में देखता है। सम्भववाद के अनुसार निश्चयवाद का यह सिद्धान्त कि मनुष्य प्रकृति का दास है, अस्वीकृत कर दिया गया। 3. नव-निश्चयवाद – यह विचारधारा उपर्युक्त दोनों विचारधाराओं की चरम अवस्था के बीच का दर्शन है। ग्रिफिथ टेलर का मानना था कि किसी देश द्वारा अपनाए गए सर्वोत्तम आर्थिक कार्यक्रम का एक बड़ा भाग प्रकृति द्वारा निर्धारित होता है और यह भूगोलवेत्ता का कर्तव्य है कि वह इस कार्यक्रम की व्याख्या करे। देश के विकास की प्रगति को आगे बढ़ाने, धीमा या अवरुद्ध करने में मनुष्य सक्षम होता है। वह प्रगति की दिशा के स्थान पर दर को परिवर्तित करता है, यह एक बड़े शहर में यातायात नियन्त्रक की तरह होता है और सम्भवतया ‘रुको और जाओ’ ग्रिफिथ टेलर के दर्शन ‘नव-निश्चयवाद’ को अधिक स्पष्ट करता है। मनुष्य यदि बुद्धिमान हो, तो वह प्रकृति के कार्यक्रम का पालन कर सकता है, जो सम्भावनाओं के इस विवाद को स्वीकारता है कि पर्यावरण द्वारा स्थापित विस्तृत सीमा में से मनुष्य सबसे अन्त में चयन कर सकता है। |
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पर्यावरण निश्चयवाद से क्या अभिप्राय है? मानव के प्राकृतीकरण के द्वारा इस संकल्पना के विकास को समझाइए। |
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Answer» पर्यावरण निश्चयवाद का अर्थ-पर्यावरण निश्चयवाद या निश्चयवादी विचारधारा के अनुसार मनुष्य के प्रत्येक कार्यकलाप को पर्यावरण से नियन्त्रित माना जाता है। इसके अनुसार भौतिक कारक; जैसे-जलवायु, उच्चावच, प्राकृतिक वनस्पति आदि मानव के समस्त क्रियाकलापों और जीवन-शैली आदि को नियन्त्रित करते हैं। मानव के प्राकृतीकरण के द्वारा पर्यावरण निश्चयवाद की संकल्पना का विकास मानव के प्राकृतीकरण के द्वारा मनुष्य अपने भौतिक पर्यावरण के साथ तकनीकी ज्ञान की सहायता से पारस्परिक सम्बन्ध रखता है। यह महत्त्वपूर्ण नहीं है कि मनुष्य ने क्या उत्पन्न किया है अपितु यह महत्त्वपूर्ण है कि उसने किन उपकरण और तकनीक की सहायता से उत्पन्न किया है। प्राकृतिक नियमों को समझने के बाद ही मनुष्य ने तकनीकी विकास किया है। जिस प्रकार उसने आग का आविष्कार किया है उसी प्रकार डी०एन०ए० की जानकारी से अनेक रोगों का पता चलता है। मनुष्य एक प्रकार से ‘प्रकृति का दास’ कहलाता था। प्रकृति के अनुसार ही वह अपने आपको बनाता था। आदिमानव समाज तथा प्रकृति की शक्ति को ‘पर्यावरण निश्चयवाद’ कहा जाता है। यही मनुष्य का प्राकृतीकरण था। |
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“भौतिक भूगोल और मानव भूगोल के तत्त्वों के मध्य परस्पर अन्योन्यक्रिया होती है।” उपयुक्त उदाहरण सहित समझाइए। |
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Answer» मानव भूगोल भौतिक वातावरण और मनुष्य द्वारा सामाजिक-सांस्कृतिक पर्यावरण के मध्य अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन करता है। भौतिक भूगोल के अंग हैं-स्थलाकृति, मृदा, जलवायु, जल, प्रकृति, वनस्पति आदि। मानव भूगोल तथा भौतिक भूगोल में परस्पर गहरा सम्बन्ध है। मनुष्य भौतिक वातावरण से तकनीकी सहायता के साथ पारस्परिक प्रभाव डालता है। यह बात महत्त्वपूर्ण है कि मानव ने अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किस तकनीक और उपकरण के साथ उत्पादन किया। भौतिक वातावरण का मानव पर प्रभाव पड़ता है। वह मनुष्य को अपने अनुरूप ढालने को मजबूर करता है। उदाहरण – मरुस्थल में रहने वाले लोगों की जीवनचर्या मैदानों में रहने वाले लोगों से भिन्न होती है। उसकी आवश्यकताएँ भी भिन्न हैं। लेकिन मनुष्य कठिनाई के बावजूद कठिन वातावरण में रहने का प्रयास करता है। वह नवीन तकनीक व उपकरणों का उपयोग करके वातावरण को अपने रहने के लिए अनुकूल बना लेता है। |
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प्रकृति का मानवीयकरण किस प्रकार होता है? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» प्रकृति का मानवीयकरण- मनुष्य भौतिक वातावरण और तकनीकी सहायता से प्रकृति पर प्रभाव डालता है। प्रकृति मानव को प्रभावित करती है तो मनुष्य अपनी तकनीक से प्रकृति को प्रभावित करता है। इसलिए इस बात का महत्त्व होता है कि मानव ने किस तकनीक और उपकरण के साथ प्रकृति पर विजय प्राप्त की है। उदाहरण – घर्षण व ताप से आग की खोज हुई। उसी तरह डी०एन०ए० के ज्ञान से कई तरह के वंशानुगत रोगी की जानकारी प्राप्त हुई। तकनीकी ज्ञान मनुष्य पर प्रकृति की पकड़ को कमजोर करता है। प्रारम्भ में मानव प्रकृति से अधिक प्रभावित था लेकिन अब उसने उपकरणों तथा तकनीक की सहायता से प्रकृति को अपने अनुकूल बना लिया है। |
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“प्रकृति का ज्ञान प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।” कथन की पुष्टि उदाहरण देकर कीजिए। |
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Answer» प्रौद्योगिकी किसी समाज के सांस्कृतिक विकास के स्तर की सूचक होती है। मानव प्रकृति के नियमों को बेहतर ढंग से समझने के बाद ही प्रौद्योगिकी की विकास कर पाया। उदाहरण ⦁ डी०एन०ए० और आनुवंशिकी के रहस्यों की समझ ने हमें अनेक गम्भीर रोगों पर विजय पाने के योग्य बनाया। ⦁ अधिक तेजी से चलने वाले यान विकसित करने के लिए हम वायु गति के नियमों का प्रयोग करते हैं। अतः प्रकृति, प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है और प्रौद्योगिकी मानव पर पर्यावरण की बंदिशों को कम करती है। |
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प्रकृति के मानवीयकरण पर टिप्पणी लिखिए। |
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Answer» प्रकृति का मानवीयकरण-मानव क्रियाओं की छाप प्रत्येक स्थान पर देखी जा सकती है। उच्च स्थानों; जैसे-पर्वतों तथा समतत्त्व क्षेत्रों; जैसे—मैदानों में स्वास्थ्य केन्द्र, विशाल नगरीय विस्तार, चरागाह, उद्यान आदि देखे जा सकते हैं। तटीय भागों में बन्दरगाह, महासागरीय मार्ग तथा अन्तरिक्ष उपग्रह आदि। ये सभी मानव क्रियाएँ हैं। प्रकृति अवसर प्रदान करती है और मनुष्य इसका लाभ उठाता है। इस प्रकार प्रकृति धीरे-धीरे मानवकृत हो जाती है और मानव छाप उस पर पड़नी आरम्भ हो जाती है। |
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सम्भववाद की संकल्पना को उपयुक्त उदाहरण द्वारा समझाइए। |
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Answer» सम्भववाद की संकल्पना-सम्भववाद की संकल्पना के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है तथा वह प्रकृतिदत्त अनेक सम्भावनाओं का अपने लिए इच्छानुसार उपयोग कर सकता है। मानव और पर्यावरण में परस्पर सम्बन्ध में यह विचारधारा मानव केन्द्रित है। उदाहरण – वर्षा के कार्य को सिंचाई द्वारा पूरा करना, पर्वतीय ढालों पर सीढ़ीदार खेत बनाकर खेती करना आदि। ये उदाहरण प्राकृतिक पर्यावरण पर मनुष्य की श्रेष्ठता सिद्ध करते हैं। सम्भववाद की संकल्पना के अनुसार नियतिवाद का यह सिद्धान्त कि मनुष्य प्रकृति का दास है को अस्वीकृत कर दिया गया। |
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ग्रिफिथ टेलर ने नव निश्चयवाद को क्या कहा? |
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Answer» ग्रिफिथ टेलर ने नव-निश्चयवाद को ‘रुको और जाओ निश्चयवाद’ कहा। |
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नव-निश्चयवाद से आप क्या समझते हैं? |
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Answer» नव-निश्चयवाद के अनुसार मानव भूगोल में निश्चयवाद तथा सम्भववाद की चरम स्थिति के बीच एक मध्य मार्ग है। इसके अनुसार मानव प्रकृति में विकास के लिए एक सीमा तक ही जा सकता है और अन्ततः उसे प्रकृति के साथ समझौता करना पड़ता है। |
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सांस्कृतिक (मानव-निर्मित) प्रर्यावरण के घटकों के नाम बताइए। |
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Answer» सांस्कृतिक (मानव-निर्मित) पर्यावरण के घटक हैं—मानव जनसंख्या, मानव बस्तियाँ, मानव व्यवसाय, उद्योग, कृषि, पशुचारण, परिवहन, संचार आदि। |
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‘रुको और जाओ निश्चयवाद’ के प्रतिपादक कौन थे? |
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Answer» ग्रिफिथ टेलर। |
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नव-नियतिवाद का प्रतिपादन किया(a) हंटिंगटन ने(b) ब्रून्श ने(c) हम्बोल्ट ने(d) ग्रिफिथ टेलर ने। |
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Answer» (d) ग्रिफिथ टेलर ने। |
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अन्तर-युद्ध अवधि के बीच 1930 के दशक में किस उपागम का मानव भूगोल में प्रयोग किया गया(a) क्षेत्रीय विभेदन(b) स्थानिक संगठन(c) अन्वेषण और विवरण(d) प्रादेशिक विश्लेषणा |
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Answer» (a) क्षेत्रीय विभेदन। |
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‘नव-निश्चयवाद’ की विचारधारा पर टिप्पणी लिखिए। अथवा ‘रुको और जाओ निश्चयवाद’ की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» नव-निश्चयवाद-भूगोलवेत्ता ग्रिफिथ टेलर ने एक नई संकल्पना प्रस्तुत की जो दो विचारों ‘पर्यावरणीय निश्चयवाद’ और ‘सम्भववाद’ के मध्य मार्ग को दर्शाता है। उन्होंने उसे नव-निश्चयवाद अथवा रुको और जाओ निश्चयवाद का नाम दिया। विचारधारा के अनुसार न तो नितान्त आवश्यकता की स्थिति (पर्यावरणीय निश्चयवाद) है और न ही नितान्त स्वतन्त्रता (सम्भववाद) की स्थिति है। इसका अर्थ है कि प्राकृतिक नियमों की अनुपालना करके हम प्रकृति पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। मानव को प्रकृति के ‘रुको’ के संकेतों का प्रत्युत्तर देना होगा और जब प्रकृति रूपान्तरण की स्वीकृति दे तो वे अपने विकास के प्रयत्नों में आगे बढ़ सकता है। अभिप्राय यह है कि उन सीमाओं में, जो पर्यावरण को हानि न पहुँचाते हों, सम्भावनाओं को उत्पन्न किया जा सकता है। |
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निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक भूगोल का वर्णन नहीं करता(क) समाकलनात्मक अनुशासन(ख) मानव और पर्यावरण के बीच अन्तर-सम्बन्धों का अध्ययन(ग) द्वैधता पर आश्रित(घ) प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरूप आधुनिक समय में प्रासंगिक नहीं |
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Answer» (घ) प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरूप आधुनिक समय में प्रासंगिक नहीं। |
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