InterviewSolution
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आधुनिक नगरों का वर्णन कीजिए। |
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Answer» आधनिक नगर सन् 1707 के बाद की अवधि के भारत के नगरीय परिदृश्य को अंग्रेजों और अन्य यूरोपवासियों ने आकर बदला। बाहरी शक्ति के रूप में आए इन विदेशियों ने सर्वप्रथम भारत के तटीय स्थानों पर अपने पैर जमाए थे। व्यापार के इरादे से आए इन लोगों ने सबसे पहले कुछ व्यापारिक पत्तनों जैसे गोवा, पुड्डुचेरी, सूरत व दमन आदि का विकास किया। बाद में अंग्रेजों ने देश में रेलमार्गों का विस्तार किया और तीन मुख्य नगरों मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता में अपनी प्रशासनिक जड़ों को मजबूत किया। अंग्रेजों द्वारा निर्मित नगर अंग्रेजी स्थापत्य कला के अनुसार विकसित हुए थे। अंग्रेज प्रत्यक्ष नियन्त्रण द्वारा भारतीय रियासतों पर तेजी से कब्जा करते गए और इसी दौरान उन्होंने प्रशासनिक केन्द्रों व पर्यटन स्थलों के रूप में अनेक पर्वतीय नगरों का विकास किया। उन्होंने पहले से विद्यमान नगरों में छावनी क्षेत्र, प्रशासनिक क्षेत्र व सिविल लाइन्स इत्यादि जोड़ दिए। सन् 1850 के बाद भारत में आधुनिक उद्योगों पर आधारित अनेक नगरों का विकास हुआ। जमशेदपुर इसका उदाहरण है। . स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् भारत में अनेक नगरों का उदय प्रशासनिक मुख्यालयों तथा औद्योगिक नगरों के रूप में हुआ। गांधीनगर, चण्डीगढ़, भुवनेश्वर तथा दिसपुर प्रशासनिक मुख्यालयों तथा भिलाई, दुर्गापुर, बरौनी तथा सिंदरी नए औद्योगिक केन्द्रों के उदाहरण हैं। सन् 1960 के बाद कुछ प्राचीन नगरों का महानगरों के चारों तरफ उपनगरों के रूप में विकास किया गया। उदाहरणत: दिल्ली के चारों तरफ विकसित आधुनिक नगरों में नोएडा व गुरुग्राम का नाम प्रमुख है। इसके अलावा फरीदाबाद, गाजियाबाद, रोहतक इत्यादि भी दिल्ली के उपनगर हैं। सन् 1980 के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में विनिवेश बढ़ने के फलस्वरूप भारत में अधिक संख्या में मध्यम और छोटे कस्बों का विकास हुआ है। |
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ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों को निर्धारित करने वाले कारकों की व्याख्या कीजिए। |
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Answer» ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों को निर्धारित करने वाले कारक ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों को निर्धारित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं 1. भौतिक कारक – बस्तियों के प्रकार और विभिन्न बस्तियों के बीच आपसी दूरी के निर्धारण में उच्चावच, ऊँचाई, अपवाह-तन्त्र, भौम जल-स्तर की गहराई, जलवायु तथा मिट्टी जैसे भौतिक कारकों का महत्त्वपूर्ण योगदान है। उदाहरण के लिए; शुष्क क्षेत्रों में बस्ती का प्रकार निर्धारित करने वाला पानी अकेला महत्त्वपूर्ण कारक है। वहाँ मकान जल के स्रोत जैसे कुएँ या तालाब के चारों तरफ बनाए जाते हैं। 2. सांस्कृतिक एवं मानवजातीय कारक – नृ-जातीय एवं सांस्कृतिक कारण जैसे जन-जातीयता, जाति व्यवस्था अथवा साम्प्रदायिक पहचान आदि भी ग्रामीण बस्तियों के अभिन्यास को प्रभावित करते हैं। भारत के गाँवों में उच्च जातियों के जमींदारों के घर गाँव के बीचों-बीच उनके केन्द्र के रूप में बने होते हैं। इनके चारों तरफ सेवा व चाकरी करने वाले कमजोर वर्ग की जातियों जैसे कुम्हार, लोहार, बुनकर, बढ़ई आदि के घर होते हैं। अनुसूचित जाति के लोगों के घर प्रायः बस्ती से दूर गाँव की सीमा पर होते हैं। यह प्रवृत्ति सामाजिक अलगाव का उदाहरण है। इससे गुच्छित बस्ती का छोटी इकाइयों से विखण्डन हो जाता है। 3. सुरक्षा सम्बन्धी कारक – भारत के इन प्रदेशों में जहाँ बाहर से आने वाले आक्रमणकारी बार-बार युद्ध करते थे, लोग फौजों के आतंक से बचने के लिए संहत बस्तियों में रहने को प्राथमिकता देते थे। भारत के उत्तरी भाग में संहत बस्तियों के निर्माण में इन बाहरी युद्धों का भी योगदान है। ये संहत बस्तियाँ राजनीतिक अराजकता के समय भी ग्रामीण लोगों को सुरक्षा प्रदान करती थीं, जब राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने की होड़ में कुछ दल आपसी लड़ाई के भय और लूट का माहौल बना देते थे। |
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विशिष्ट प्रकार्यों के आधार पर भारतीय नगरों को वर्गीकृत कीजिए। |
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Answer» भारतीय नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण विशिष्ट प्रकार्यों के आधार पर भारत के नगरों को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है 1. प्रशासनिक नगर-इन नगरों का प्रमुख कार्य अपने निर्धारित क्षेत्र की सीमाओं में प्रशासनिक कार्यों का निष्पादन होता है। इन नगरों में राजधानी के अलावा नगर भी शामिल होते हैं; जैसे-नई दिल्ली, शिमला, . चण्डीगढ़, भोपाल, शिलांग आदि। 2. औद्योगिक नगर – ये नगर मुख्य रूप से कच्चे माल तथा अर्द्धनिर्मित माल को उपयोगी विनिर्मित वस्तुओं में बदलने का कार्य करते हैं; जैसे-हुगली, भिलाई, जमशेदपुर, मोदीनगर, सेलम आदि। 3. परिवहन नगर – ये नगर सड़क/रेल/वायु/जलमार्ग के प्रमुख केन्द्र होते हैं; जैसे—मुम्बई, कोलकाता, मुगलसराय, इटारसी, कटनी आदि। 4. वाणिज्यिक नगर – व्यापार और वाणिज्य में विशिष्टता प्राप्त शहरों और नगरों को इस वर्ग में रखा जाता है; जैसे-कोलकाता, सहारनपुर, सतना आदि। 5. खनन नगर – खनन कार्यों में विशिष्टता प्राप्त करने वाले भारत के प्रमुख नगर हैं, जैसे-रानीगंज, झरिया, अंकलेश्वर व सिंगरौली आदि। 6. गैरिसन (छावनी) नगर – ये वे नगर हैं जिनका विकास आरम्भ में सुरक्षा सेनाओं की छावनी के रूप में हुआ था; जैसे—अम्बाला, मेरठ, जालन्धर, बबीना, हिसार व महू आदि। 7. धार्मिक और सांस्कृतिक नगर – ऐसे नगरों में धार्मिक व सांस्कृतिक क्रियाकलापों की प्रधानता होती है; जैसे-अमृतसर, मथुरा, वृन्दावन, हरिद्वार, तिरुपति, शिरडी आदि। 8. शैक्षिक नगर – इस श्रेणी के नगरों में शैक्षिक कार्यों की प्रधानता रहती है; जैसे-रुड़की, वाराणसी, दिल्ली, अलीगढ़, पिलानी, रोहतक व कुरुक्षेत्र आदि। 9. पर्यटन नगर – इस श्रेणी के नगरों में स्वास्थ्यवर्धक जलवायु, सुन्दर, मनोहारी प्राकृतिक दृश्यावली तथा मनोरंजन की विभिन्न सुविधाएँ मिलती हैं; जैसे—कुल्लू, मनाली, शिमला, नैनीताल, माउण्ट आबू आदि। |
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बस्ती कितने प्रकार की होती है? |
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Answer» बस्तियाँ सामान्यत: दो प्रकार की होती हैं ⦁ ग्रामीण बस्तियाँ, एवं |
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बस्ती की प्रक्रिया में मूल रूप से किसे शामिल किया जाता है? |
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Answer» बस्ती की प्रक्रिया में मूल रूप से दो बातें शामिल होती हैं ⦁ लोगों का समूहन, एवं |
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ग्रामीण व नगरीय बस्तियाँ किन आधारों पर एक-दूसरे से भिन्न होती हैं? |
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Answer» ग्रामीण व नगरीय बस्तियों में भिन्नता के आधार हैं ⦁ व्यवसाय |
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मानव बस्ती किसे कहते हैं? |
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Answer» किसी भी प्रकार और आकार के घरों का संकुल जिसमें मनुष्य रहते हैं, ‘मानव बस्ती’ कहलाती है। |
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सामान्यतः बस्तियाँ कितने प्रकार की होती हैं(a) दो(b) तीन(c) चार(d) पाँच। |
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Answer» सही विकल्प है (a) दो। |
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भारत के कोई दो प्रशासनिक नगरों के नाम लिखिए। |
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Answer» भारत के प्रशासनिक नगर हैं ⦁ नई दिल्ली |
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भारत में ग्रामीण बस्तियों के प्रकार बताइए। |
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Answer» भारत में ग्रामीण बस्तियाँ चार प्रकार की होती हैं ⦁ गुच्छित, संकुलित अथवा केन्द्रित |
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