InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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मानव विकास का उद्देश्य क्या है? |
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Answer» मानव विकास का उद्देश्य जीवन की गुणवत्ता में सुधार है। |
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गांधी जी के अनुसार एक व्यक्ति और एक राष्ट्र के जीवन में उच्चतर लक्ष्य प्राप्त करने की कुंजी क्या है? |
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Answer» गांधी जी के अनुसार व्यक्तिगत मितव्ययिता, सामाजिक धन की न्यासधारिता और अहिंसा एक व्यक्ति और एक राष्ट्र के जीवन में उच्चतर लक्ष्य प्राप्त करने की कुंजी है। |
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भारत से कम मानव विकास अंकवाले एशियाई देशों के नाम लिखिए । |
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Answer» भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, म्यानमार और अफगानिस्तान आदि एशियाई देश भारत से कम मानव विकासवाले देश है। |
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मानव विकास का मापन पर टिप्पणी लिखिए। अथवा मानव विकास सूचकांक क्या है? इसे कैसे मापा जाता है? |
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Answer» मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) का निर्धारण कुछ चुने हुए विकास मापदण्डों के आधार पर देशों का क्रम तैयार करके किया जाता है। यह क्रम 0 से 1 के मध्य स्कोर पर आधारित होता है। विकास मापदण्ड में स्वास्थ्य, जन्म के समय जीवन प्रत्याशा, साक्षरता दर, क्रयशक्ति क्षमता आदि को सम्मिलित किया जाता है। इनमें से प्रत्येक आयाम को 1/3 भार (अंक) दिया जाता है। सभी विकास आयामों का सम्मिलित योग मानव विकास सूचकांक को दर्शाता है। यह सूचकांक स्कोर 1 के जितना अधिक निकट होता है, मानव विकास का स्तर उतना ही उच्च होता है। वास्तव में मानव विकास सूचकांक विकास में उपलब्धियों का मापन करता है। यह दर्शाता है कि विभिन्न देशों ने मानव विकास के क्षेत्र में क्या-क्या उपलब्धियाँ अर्जित की हैं। मानव गरीबी सूचकांक मानव विकास से सम्बन्धित है। यह सूचकांक मानव विकास में कमी को मापता है। मानव विकास के इन दोनों मापों का संयुक्त अवलोकन ही किसी देश में मानव विकास की स्थिति का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करता है। |
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UNDP का पूरा नाम क्या है? |
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Answer» ‘United Nations Development Programme’ (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम)। |
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शूमाकर की पुस्तक का क्या नाम है? |
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Answer» ‘स्मॉल इज ब्यूटीफुल’ (1974)। |
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मानव विकास सूचकांक का मान कितना होता है? |
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Answer» मानव विकास के पैमाने पर मानव विकास सूचकांक का मान 0 (शून्य) से 1 (एक) होता है। |
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सन् 1993 की मानव विकास रिपोर्ट के प्रमुख मुद्दे क्या थे? |
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Answer» लोगों की प्रतिभागिता और उनकी सुरक्षा सन् 1993 की मानव विकास रिपोर्ट के प्रमुख मुद्दे थे। |
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मानव विकास के संकेतक/पक्ष बताइए। |
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Answer» मानव विकास के संकेतक/पक्ष हैं ⦁ मानव संकेतक |
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मानव विकास सूचकांक के आधार बताइए। |
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Answer» मानव विकास सूचकांक के आधार तीन हैं- ⦁ दीर्घजीविता |
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मानव विकास के उपागमों के नाम बताइए। |
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Answer» मानव विकास के प्रमुख चार उपागम हैं ⦁ आय उपागम |
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अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (I.L.O.) ने मूलरूप से किस मानव विकास के उपागम को प्रस्तावित किया था? |
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Answer» अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (I.L.0.) ने मूलरूप से आधारभूत आवश्यकता उपागम को प्रस्तावित किया था। |
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मानव विकास के सबसे पुराने उपागमों में से एक है(a) आय उपागम(b) ल्याण उपागम(c) आधारभूत आवश्यकता उपागम(d) क्षमता उपागम। |
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Answer» (a) आय उपागम। |
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मानव विकास क्या है? मानव विकास की आवश्यकता क्यों है? कारण बताइए। |
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Answer» मानव विकास का अर्थ मानव के अस्तित्व के लिए अनिवार्य भोजन, वस्त्र और आवास तथा सुखदायक वस्तुओं को जुटाना मानव विकास है। मानव विकास का उद्देश्य जीवन की गुणवत्ता को सुधारना है। मानव विकास की आवश्यकता के कारण मानव विकास की आवश्यकता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं ⦁ मानव विकास सामाजिक अशान्ति को कम करता है और राजनीतिक स्थिरता में वृद्धि करता है। |
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स्त्री और पुरुष में …….. भिन्नता पायी जाती है । |
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Answer» सही उत्तर है जैविक |
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मानव विकास उपागम क्या है? मानव विकास के मुख्य उपागमों का वर्णन कीजिए। |
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Answer» मानव विकास के उपागम मानव विकास की अवधारणा गतिशील है। मानव विकास का किस रूप में अध्ययन किया जाए या अध्ययन का आधार क्या हो, मानव विकास उपागम कहलाता है। इस समस्या के प्रति सभी लोगों का एक समान दृष्टिकोण नहीं है। इसीलिए मानव विकास के उपागम भी भिन्न-भिन्न हैं। इसके चार महत्त्वपूर्ण उपागम निम्नलिखित हैं 1. आय उपागम – आय उपागम मानव विकास का सबसे प्राचीन उपागम है। इस उपागम में मानव विकास को आय के सम्बन्ध में देखा जाता है। इस उपागम में यह माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की आय अधिक है तो उसका विकास स्तर भी उच्च होगा। अर्थात् आय का स्तर व्यक्ति द्वारा उपभोग की जा रही स्वतन्त्रता या अवसरों के स्तर को परिलक्षित करता है। 2. कल्याण उपागम – यह उपागम सरकार द्वारा मानव कल्याणकारी कार्यों में अधिकतम व्यय करके मानव विकास के स्तरों में वृद्धि करने पर बल देता है। इससे लोगों को अधिक-से-अधिक लाभ प्राप्त करने के अवसर प्राप्त होते हैं। इस उपागम में लोग केवल निष्क्रिय प्राप्तकर्ता के रूप में होते हैं अर्थात् इसमें मानव को लाभार्थी या सभी विकासात्मक गतिविधियों के लक्ष्य के रूप में देखा जाता है। अतः कल्याण उपागम मानव विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और सुख-साधनों पर उच्चतर सरकारी व्यय का पक्षपाती है। 3. आधारभूत आवश्यकता उपागम – इस उपागम को अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने प्रस्तावित किया था। इसमें छह न्यूनतम आधारभूत आवश्यकताओं; जैसे-स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन, जलापूर्ति, स्वच्छता और आवास की व्यवस्था पर जोर दिया गया है। अत: यह उपागम मानव विकल्पों के प्रश्नों की उपेक्षा करता है और परिभाषित वर्गों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति को महत्त्वपूर्ण मानता है। 4. क्षमता उपागम – इस उपागम को प्रो० अमर्त्य सेन ने महत्त्वपूर्ण स्थान दिया है। इस उपागम में संसाधनों की मानव तक पहुँच की क्षमता में वृद्धि करने पर जोर दिया जाता है। अर्थात् मानव विकास की कुंजी मानव की संसाधन प्राप्त करने की क्षमता में वृद्धि करने में निहित है। |
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……….. समग्र विकास प्रक्रिया का केन्द्र बिन्दु है । |
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Answer» सही उत्तर है स्त्रियाँ |
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मानव विकास अवधारणा के अन्तर्गत समता और सतत पोषणीयता से आप क्या समझते हैं? |
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Answer» मानव विकास के अन्तर्गत समता और सतत पोषणीयता मानव विकास की अवधारणा के मूलत: चार स्तम्भ हैं— ⦁ समता इन चारों आधारी पक्षों में से प्रथम दो पक्षों का सर्वाधिक महत्त्व है। समता का आशय एक सन्तुलित समाज या प्रदेश से है, इसके अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुँच की व्यवस्था करना महत्त्वपूर्ण है जिससे समतामूलक समाज का सृजन हो सके और लोगों को उपलब्ध अवसर-लिंग, प्रजाति, आय और जाति के भेदभाव के विचार के बिना समान रूप से मिल सकें। भारत में स्त्रियों और सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए वर्गों तथा दूरस्थ क्षेत्रों में निवास करने वाले व्यक्तियों को विकास के समान अवसर प्राप्त नहीं होते; अत: मानव विकास में इस अभाव को दूर करने का प्रयास समतामूलक विकास के माध्यम से किया जाता है। |
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मानव विकास की अवधारणा के स्तम्भ उत्पादकता तथा सशक्तीकरण का वर्णन कीजिए। |
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Answer» उत्पादकता का अर्थ मानव श्रम उत्पादकता या मानव कार्य के सन्दर्भ में उत्पादकता है। लोगों की कार्य क्षमताओं में वृद्धि करके ऐसी उत्पादकता में निरन्तर वृद्धि की जानी चाहिए। किसी राष्ट्र का सबसे मूल्यवान संसाधन मानव संसाधन है जिसकी कार्यक्षमता में वृद्धि करने के लिए उसे उत्तम स्वास्थ्य तथा शिक्षा के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए। सशक्तीकरण का अर्थ – किसी क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों को सामाजिक एवं आर्थिक शक्ति प्राप्त करने के विकल्पों के अवसर उपलब्ध कराना है। मनुष्य में ऐसी शक्ति बढ़ती हुई स्वतन्त्रता और क्षमता से आती है। लोगों को सशक्त करने के लिए सुशासन एवं लोकोन्मुखी नीतियों की आवश्यकता होती है। वर्तमान समय में मानव विकास सूचकांक की दृष्टि से निम्न स्तर वाले पिछड़े हुए समूहों के देशों के लिए सशक्तीकरण का विशेष महत्त्व है। |
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मानव विकास की अवधारणा निम्नलिखित में से किस विद्वान की देन है(क) प्रो० अमर्त्य सेन(ख) डॉ० महबूब-उल-हक(ग) एलन सी० सेम्पुल ।(घ) रैटजेल। |
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Answer» (ख) डॉ० महबूब-उल-हक। |
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मानव विकास की अवधारणा का प्रतिपादन किसने किया था? |
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Answer» मानव विकास की अवधारणा का प्रतिपादन डॉ० महबूब-उल-हक के द्वारा किया गया था। |
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मानव विकास के सामने चुनौतियाँ बताइए । |
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Answer» मानव विकास के सामने निम्नलिखित चुनौतियाँ: (1) स्वास्थ्य : स्वास्थ्य मानव जीवन के लिए आवश्यक और कीमती पूँजी है । व्यक्ति का पारिवारिक, सामाजिक जीवन उत्तम बने इसके लिए सर्वप्रथम उसका स्वास्थ्य अच्छा रहे यह जरुरी है । भारत जैसे विकासशील देशों में स्वास्थ्य नीतियों ने जनसंख्यावृद्धि, सामान्य रोगों, कुपोषण, अपंगता, एड्स जैसे चेपी रोगों, मानसिक रोगों और संबंधित बातों पर ध्यान केन्द्रित किया । बालचिकित्सा में टिकाकरण कार्यक्रम में OPVC पोलियो के लिए, बीसीजी (क्षय के लिए), हिपोटाईटीस-बी (जहरी रोग), डी.पी.टी. (डिप्थेरिया) बड़ी उधरस – धनुर हेतु, ओरी, M.M.R. और टाइफाईड विरोधी टीका बालक को देने से बालमृत्यु दर में कमी ला सकते है । बढ़ते शहरीकरण, घनी बसावटों में नयी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए समस्याएँ खड़ी हुई है । पर्यावरणीय प्रदूषण और जहरी पदार्थों के उद्भव दैनिक जीवन में नयी चुनौती है । लैंगिक असमानता : सन् 2011 की जनसंख्या के प्रतिवेदन के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या का 48.46% स्त्रियाँ और 51.54% पुरुष है । इस दृष्टि से देखें तो भारत ही नहीं बल्कि विश्व के किसी भी देश की प्रगति और विकास में मानव संसाधन के रूप में स्त्रियों की संख्या महत्त्वपूर्ण है । परंतु स्त्री की जैविक भिन्नता के साथ सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण स्त्रियों के लालनपालन में अलग दृष्टिकोण है । स्त्रियों को परिवार में कोई भी निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं है, स्वास्थ्य की अपूर्ण देखभाल, शिक्षा और आर्थिक अधिकारों में उसे वंचित रखा जाता है । भारतीय संसद में महिलाओं की मात्रा मात्र 12.2% ही है । महिला सशक्तिकरण : स्त्रियाँ संपूर्ण विकास की प्रक्रिया का केन्द्रबिन्दु है । किसी भी विकासशील राष्ट्र में आर्थिक सशक्तिकरण महिला सशक्तिकरण महत्त्वपूर्ण है । स्त्रियाँ सशक्त बनेंगी तो एक घर, एक समाज और एक राष्ट्र सशक्त बनेगा । भारत में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और विविध राज्यों में महिला मुख्यमंत्री समय-समय पर बनी है । टेक्षी चलाने से लेकर विमान के पायलोट तक का सफर तय किया है । वर्तमान में शिक्षा, प्रशिक्षण, कुशलता के कारण स्त्री रोजगार में वृद्धि हो रही है । फिर भी देश की आधी जनसंख्या के विकास की काफी संभावनाएँ है जिसके विस्तरण में हमें अभी भी अनेक प्रयास करने पड़ेंगे । |
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मानव विकास लेख में अपेक्षित आयु ……….. से ……… निश्चित की गयी थी । |
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Answer» सही उत्तर है 20 वर्ष, 83.6 वर्ष |
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सन् 2015 में भारत की अपेक्षित आयु कितनी थी ?(A) 20 वर्षमानव विकास,(B) 68 वर्ष(C) 83.6 वर्ष(D) 72 वर्ष |
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Answer» सही विकल्प है (B) 68 वर्ष |
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राष्ट्रीय एकता के सामने गंभीर चुनौतियाँ कौन-कौन सी है ? |
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Answer» जातिगत झगड़े, सांप्रदायिकता, प्रादेशिक हिंसा आदि । |
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सर्वप्रथम मानव विकास की विभावना किसने दी थी ? |
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Answer» सर्वप्रथम मानव विकास की विभावना पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक और नोबल पुरस्कार विजेता भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने दी थी । |
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भारत में महिला आयोग की रचना कब की गयी थी ?(A) 1980(B) 1999(C) 2001(D) 1975 |
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Answer» सही विकल्प है (B) 1999 |
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UNDP ने शुद्धारों वाला मानव विकास लेख के निर्देशक कब पेश किया ?(A) 1990(B) 2009(C) 2010(D) 2015 |
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Answer» सही विकल्प है (C) 2010 |
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केरल में साक्षरता दर ऊँची होने के क्या कारण हैं? |
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Answer» केरल में साक्षरता दर ऊँची होने के कारण हैं-गैर-कृषि कामगारों का ऊँचा अनुपात, शिक्षा पर पारम्परिक रूप से अधिक ध्यान दिया जाना तथा कुशल व सजग प्रशासन आदि। । |
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जनगणना-2011 के अनुसार भारत में कुल साक्षरता दर थी(a) 74.04 प्रतिशत(b) 62.14 प्रतिशत(c) 60.28 प्रतिशत(d) 58.22 प्रतिशत। |
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Answer» (a) 74.04 प्रतिशत। |
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भारत के निम्नलिखित राज्यों में से किस एक में स्त्री साक्षरता निम्नतम है(क) जम्मू और कश्मीर(ख) अरुणाचल प्रदेश(ग) झारखण्ड(घ) बिहार। |
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Answer» सही विकल्प है (घ) बिहार। |
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भारत के निम्नलिखित केन्द्र शासित प्रदेशों में से किस एक की साक्षरता दर उच्चतम है(क) लक्षद्वीप(ख) चण्डीगढ़(ग) दमन और दीव(घ) अण्डमान और निकोबार द्वीप। |
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Answer» (क) लक्षद्वीप। |
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भारत में साक्षरता दर निम्न होने के कारण बताइए। |
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Answer» भारत में निम्न साक्षरता दर के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं ⦁ गरीबी – भारत में आज भी बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं। |
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सामाजिक संकेतक हैं(a) स्त्री साक्षरता(b) स्कूल जाने वाले बच्चों का नामांकन(c) छात्र-अध्यापक अनुपात(d) उपर्युक्त सभी। |
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Answer» (d) उपर्युक्त सभी। |
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भारत में बच्चों के घटते लिंगानुपात के दो कारण बताइए। |
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Answer» भारत में बच्चों के घटते लिंगानुपात के निम्नलिखित कारण हैं ⦁ परिवार में पुरुष प्रधानता – भारतीय हिन्दू परिवार अधिकतर पुरुष प्रधान हैं। स्त्रियों का स्थान गौण रह जाता है। भारत में बच्चों में घटते लिंगानुपात के दो कारण हैं - कन्या भ्रूण हत्या, महिलाओं की सामाजिक स्थिति। Explanation: कन्या भ्रूण हत्या: लिंग निर्धारण के लिए अल्ट्रासाउंड के साथ-साथ एमनियोसेंटेसिस का तेजी से प्रसार और उपयोग, कन्या भ्रूण-प्रेरित गर्भपात में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिसे अमर्त्य सेन द्वारा हाई-टेक सेक्सिज्म कहा जाता है। महिलाओं की सामाजिक स्थिति : भारत के अधिकांश हिस्सों में महिलाओं को केवल एक वस्तु के रूप में माना जाता है। बेटी के जन्म को लेकर दहेज को लेकर लोग परेशान हैं। वित्तीय समस्या के कारण, ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश परिवार महिला की अपेक्षा पुरुष बच्चे को तरजीह देते हैं।
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