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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 1. | संयुक्त राष्ट्र का घोषणा-पत्र किस वर्ष तैयार हुआ? | 
| Answer» सन् 1945 में। | |
| 2. | भारत में दहेज प्रतिषेध अधिनियम कब बना? | 
| Answer» सन् 1961 में। | |
| 3. | महिलाओं के लिए प्रसूति सहायता की व्यवस्था किस अनुच्छेद में की गई है।(क) अनु० 42.(ख) अनु० 47(ग) अनु० 51(घ) अनु० 48 | 
| Answer» सही विकल्प है (क) अनु० 42 | |
| 4. | मानवाधिकार घोषणा-पत्र के महत्त्व पर प्रकाश डालिए। | 
| Answer» मानवाधिकार घोषणा-पत्र का महत्त्व राष्ट्रों के कानून के विकास में घोषणा-पत्र ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। यह एक ऐसी शक्ति के रूप में उभरा है जो न केवल कानून का एक स्रोत है, बल्कि कानूनों को बाध्यकारी भी बनाता है। समाज के सभी हिस्सों से जिस प्रकार की नैतिक तथा राजनीतिक स्वीकृति घोषणा-पत्र को प्राप्त है इस प्रकार की अन्तर्राष्ट्रीय स्वीकृति किसी अन्तर्राष्ट्रीय संगठन को कभी प्राप्त नहीं हुई है। इस घोषणा-पत्र का अपना एक विशिष्ट महत्त्व है। अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में घोषणा-पत्र ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में प्रायः मानवाधिकारों का समर्थन किया जाता रहा है; उदाहरणार्थ-दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की नीति का विरोध मानवाधिकारों के हनन के आधार पर किया गया। रंगभेद की नीति से घोषणापत्र की आत्मा का हनन होता है। इसी प्रकार शीत युद्ध के दौरान हंगरी, रूमानिया, बुल्गारिया की आलोचना की गई, क्योंकि वह शांति संधियों और मानवाधिकारों के घोषणा-पत्र की वचनबद्धता को पूरा करने में असमर्थ रहे थे। संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकारों के हनन को रोकने के लिए कई देशों को बाध्य भी किया है क्योंकि मानवाधिकारों का हनन देश के मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों में बाधक है। मानवाधिकारों की घोषणा से नवस्वतंत्र देशों के संविधान तथा क्षेत्रीय अनुबन्ध बहुत प्रभावित हुए जिसके कारण इंडोनेशिया, सीरिया, अल-साल्वाडोर, हैती, लिबिया, जॉर्डन तथा अन्य कई देशों के संविधानों में काफी कुछ घोषणा-पत्र से ग्रहण किया गया है। संधियों तथा क्षेत्रीय अनुबंधों में घोषणा-पत्र का स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता है। अत: संक्षेप में कहा जा सकता है कि घोषणा-पत्र कानूनी रूप से प्रवर्तनीय नहीं है परन्तु फिर भी बहुसंख्यक देशों की सहमति के लिए मानवाधिकार आदर्श रूप में एक महत्त्वपूर्ण साधन सिद्ध हुए हैं। | |
| 5. | मानवाधिकार के घोषणा-पत्र में वर्णित नागरिक और राजनीतिक अधिकारों को वर्णन कीजिए। | 
| Answer» मानवाधिकार घोषणा-पत्र में वर्णित नागरिक और राजनीतिक अधिकार मानवाधिकार सार्वभौमिक घोषणा-पत्र (UDHR) में 30 अनुच्छेद हैं। अनुच्छेद 3 से 21 में नागरिक और राजनीतिक अधिकारों का वर्णन किया गया है – जीवन, स्वतंत्रता और संरक्षण का अधिकार ⦁    दासता और गुलामी से स्वतंत्रता | |
| 6. | मानवाधिकार के सन्दर्भ में चुनौतियों और संभावनाओं की अवधारणा स्पष्ट कीजिए। | 
| Answer» मानवाधिकार : चुनौतियाँ और सम्भावनाएँ मानव अधिकारों के सकारात्मक पहलू के साथ ही मानवाधिकारों का एक नकारात्मक पहलू भी है और हम इसकी अवहेलना नहीं कर सकते। आज सरकारों की यह प्रवृत्ति बन गई है कि वह प्रायः मुकदमों या याचिकाओं की आड़ में मानवाधिकारों की अवहेलना करती है। राज्य ने भारतीय पुलिस को अत्यधिक शक्तियाँ प्रदान की हैं। लोगों को मात्र संदेह के आधार पर हिरासत में लेना उन पर दमन की कठोर थर्ड डिग्री का प्रयोग करना, झूठी मुठभेड़, कारावास में मृत्यु इत्यादि कानून को लागू करवाने वाली संस्थाओं द्वारा मानव अधिकारों के हनन के गंभीर उदाहरण हैं। कानून की सीमा के अन्तर्गत आतंकवादी गतिविधियों पर रोक लगाने तथा उनसे निपटने के लिए पुलिस को आवश्यक शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। परन्तु TADA और POTA जैसे विध्वंसक कानूनों की आड़ में मानवाधिकारों का हनन किया जाता है जो एक अपूर्णीय क्षति है। अन्याय के माध्यम से यह निरंकुश कानून बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का स्रोत भी बन चुके हैं। कारावासीय हिंसा-जिसमें कारावास में मौत और महिलाओं का कारावासीय बलात्कार भी शामिल हैं-एक अन्य अमानवीय क्रूर और गैर-मानवीय व्यवहार है जो मानव अधिकारों के लिए गंभीर चुनौती है। | |
| 7. | मानवाधिकारों की अवधारणा क्या है? | 
| Answer» मानवीय या मानवाधिकारों की भावना का प्रादुर्भाव विश्वयुद्ध के बाद हुआ। इस भावना का अभिप्राय यह है कि प्रत्येक राष्ट्र को ऐसे अधिकार प्रदान करना, जिनके माध्यम से वह अपना समुचित विकास करने में सफल हो सकें। अत: एक प्रकार से मानवाधिकारों की भावना, विश्वबन्धुत्व की भावना पर आधारित है। इस भावना के आधार पर यह जाना जाता है कि विश्व के सभी मनुष्य एक-दूसरे के भाई और सभी को अपने विकास के समान अवसर मिलने चाहिए। | |
| 8. | भारत में राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम कब बना?(क) सन् 1990 में(ख) सन् 1971 में(ग) सन् 1992 में(घ) सन् 1947 में | 
| Answer» सही विकल्प है (क) सन् 1990 में | |
| 9. | आल्टेन तथा प्लेनो द्वारा दी गई मानवाधिकार की परिभाषा दीजिए। | 
| Answer» मानवाधिकार वे अधिकार हैं जो व्यक्तिगत जीवन, व्यक्तिगत विकास और अस्तित्व के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण समझे जाते हैं। | |
| 10. | मानवाधिकार के महत्व का उल्लेख कीजिए। | 
| Answer» मानवाधिकार का महत्त्व मानवाधिकारों की घोषणा सर्वप्रथम अमेरिकी तथा फ्रांसीसी क्रान्तियों के पश्चात् हुई। उसके पश्चात् मानव के महत्त्वपूर्ण अधिकारों को विश्व समुदाय के द्वारा स्वीकार किया गया। सन् 1941 में अमेरिकी कांग्रेस में अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने मानव को निम्न चार स्वतंत्र अधिकारों को प्रदान करने का समर्थन किया ⦁    भाषण तथा विचार अभिव्यक्ति का अधिकार ये चारों अधिकार मानव के व्यक्तित्व के स्वतन्त्र विकास के लिए आवश्यक हैं तथा विश्व के सभी व्यक्तियों को प्रत्येक दशा में प्राप्त होने चाहिए। अटलाण्टिक चार्टर से लेकर द्वितीय महायुद्ध समाप्त होने के पूर्व अनेक सम्मेलनों में मित्र राष्ट्रों के द्वारा मानव के विभिन्न अधिकारों तथा आधारभूत स्वतन्त्रताओं पर बल दिया गया। | |
| 11. | मानवाधिकार की भावना का प्रादुर्भाव हुआ।(क) द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात्(ख) प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात्(ग) सन् 1295 में(घ) इनमें से कोई नहीं | 
| Answer» सही विकल्प है (क) द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् | |