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1.

ऊसर भूमि बनने के विभिन्न कारणों का वर्णन विस्तार से कीजिए।

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ऊसर भूमि बनने के प्राकृतिक व अप्राकृतिक दोनों कारण हैं।

प्राकृतिक कारण : वर्षा की कमी, अधिक तापमान, मिट्टी का निर्माण क्षारीय एवं लवणयुक्त चट्टानों से होना, भूमिगत जलस्तर का ऊँचा होना, भूमि के नीचे कड़ी परत का होना तथा लगातार बाढ़ या सूखे की स्थिति

होना। अप्राकृतिक या मानवीय कारण : जल निकास की कमी, अधिक सिंचाई, नहर वाले क्षेत्रों में जल रिसाव, भूमि को परती छोड़ देना, क्षारीय उर्वरकों का अधिकाधिक प्रयोग तथा खारे पानी से सिंचाई ।

2.

ऊसर भूमि को सुधारा जा सकता है|(क) चूना प्रयोग करके(ख) जिप्सम प्रयोग करके(ग) क्षारीय उर्वरकों का प्रयोग करके(घ) क्षारीय उर्वरकों को अधिक मात्रा में उपयोग करके

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सही विकल्प है (ख) जिप्सम प्रयोग करके

3.

मृदा गठन की परिभाषा लिखिए।

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मृदा में तीन प्रकार के कणों- बालू, सिल्ट और मृत्तिका का विभिन्न मात्रा में आपसी जुड़ाव या सम्बन्ध मृदा गठन कहलाता है। विभिन्न मृदा वर्ग में कणों के सापेक्षिक अनुपात को मृदा गठन (कणाकार)  कहते हैं।

4.

निम्नलिखित प्रश्नों में खाली जगह भरिए (भरकर)(क) मृत्तिका का आकार ____ मिमी गिर्ग होता है। (0.2/0.002)(ख) दोमट मिट्टी में सिल्ट की मात्रा ____ % नी हैं। (30-50,80-100)(ग) मेंड़बन्दी करना ऊसर भूमि सुधार की ____ विधि है। (रासा पनेक/भौतिक)(घ) पायराइट का प्रयोग ____ सुधार में किया जाता है। (अम्लीय/क्षारीय)(ङ) अम्लीय भूमि सुधार में ____ का प्रयोग होता है। (जिप्सम/चूना)

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(क) मृत्तिका का आकार 0.002 मिमी गिर्ग होता है।
(ख) दोमट मिट्टी में सिल्ट की मात्रा 30-50 % नी हैं।
(ग) मेंड़बन्दी करना ऊसर भूमि सुधार की भौतिक विधि है।
(घ) पायराइट का प्रयोग क्षारीय सुधार में किया जाता है।

(ङ) अम्लीय भूमि सुधार में चूना का प्रयोग होता है।

5.

ऊसर भूमि बनने का कारण है(क) अत्यधिक वर्षा(ख) घने जंगल होना(ग) जल निकास अच्छा होना(घ) क्षारीय उर्वरकों का अधिक मात्रा में उपयोग

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सही विकल्प है (घ) क्षारीय उर्वरकों का अधिक मात्रा में उपयोग

6.

ऊसर भूमि का सुधार कैसे करेंगे? सविस्तार वर्णन कीजिए।

Answer»

ऊसर भूमि सुधार प्रक्रिया : ऊसर भूमि सुधारने से पहले कुछ प्रक्षेत्र विकास कार्य करने होते हैं, जैसे- मेंड़बन्दी, समतलीकरण, पानी की व्यवस्था, जल विकास की व्यवस्था तथा 8-10 सेमी गहरी जुताई करके खेत तैयार करना। ऊसर भूमि के प्रकार के अनुसार भौतिक, रासायनिक व जैविक सुधार विधियाँ अपनाते

() भौतिक विधि- निम्न प्रकार हैं|

1. भूमि की ऊपरी परत को खुरचकर बाहर करना।

2. भूमि में पानी भरकर बहाना।

3. जल निकास का समुचित प्रबन्ध।

4. निक्षालन व रिसाव क्रिया या लीचिंग।

5. भूमि के नीचे की कड़ी परत को तोड़ना।

6. ऊसर खेत में बोलू या अच्छी मिट्टी का प्रयोग।

7. रासायनिक विधियाँ- मिट्टी की जाँच कराकर जिप्सम पावराइट या गन् , प्रयोग किया जाता है।

8. जैविक विधियाँ- चीनी मिल से निकलने वाले शीरे का प्रयोग, प्रेसमड कार्बनिक खादों का प्रयोग, हरी खाद के रूप में कुँचा की खेती, ऊसर सहनशील फसलों एवं प्रजातियों की खेती।

7.

अम्लीय मृदा बनने के कारण एवं उसके सुधार की विधियों को लिखिए।

Answer»

अम्लीय मृदा बनने का कारण-

1. अधिक वर्षा से निक्षालन क्रिया द्वारा क्षारक तत्त्व गहरी तहों में चले जाते हैं। मिट्टी कणों के साथ हाइड्रोजन आयन अधिशोषित हो जाते हैं। मिट्टी अम्लीय हो जाती है।

2. फसलों द्वारा क्षारक तत्त्वों का अधिक उपयोग किया जाता है, जिससे मिट्टी अम्लीय हो जाती है।

3. कुछ मिट्टी ऐसी होती है जो अम्लीय चट्टानों से बनी होती है।

4. रासायनिक उर्वरकों के प्रभाव से भी मृदा अम्लीय बन जाती है। अमोनियम सल्फेट की अमोनिया मिट्टी-कण ले लेते हैं। लेकिन सल्फेट घोल बच जाता है जो मिट्टी द्वारा छोड़े गए हाइड्रोजन आयनों H+ से मिलकर सल्फ्युरिक अम्ल बनाता है, जिससे मृदा अम्लीय हो जाती है।

5. बंजर भूमि पर जब कृषि कार्य किए जाते हैं तो मिट्टी से क्षारकों के बहकर नीचे जाने की क्रिया को बल मिलता। हैं। धीरे-धीरे मिट्टी के क्षार नष्ट हो जाते हैं और उनके स्थान पर मिट्टी के कणों पर हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता बढ़ जाती है।

अम्लीय मिट्टी का सुधार : चूने का प्रयोग, जल निकास की उचित व्यवस्था, अम्ल रोथक फसन्नों का उगाना, क्षारक उर्वरकों का प्रयोग तथा पोटाशयुक्त उर्वरकों का प्रयोग करना कुछ ऐसे उपाय हैं, जिनसे अम्लीय मृदा को सुधार किया जा सकता है।

8.

ऊसर भूमि की परिभाषा लिखिए |

Answer»

ऐसी भूमि जिसमें लवणों (सोडियम कार्बोनेट, सोडियम बाईकार्बोनेट, सोडियम क्लोराइड आदि) की अधिकता के कारण ऊपरी सतह सफेद दिखाई देने लगती है और फसलें नहीं उगाई जा सकतीं, उसे ऊसर भूमि कहते हैं।

9.

ऊसर भूमि किसे कहते हैं? ऊसर भूमि के प्रभाव का वर्णन कीजिए।

Answer»

ऐसी भूमि, जिसमें लदणे की अधिकता के कारण ऊपरी सतह सफेद दिखाई देने लगती है और फसलें नहीं उगाई जा सकतीं, उसे ऊसर भूमि कहते हैं। ऊसर भूमि का प्रभाव

1. ऊसर क्षेत्र में मकान के प्लास्टर जल्दी गिरने लगते हैं,तथा ईंटें गलने लगती हैं।

2. कच्ची, पक्की सड़कें टूटी-फूटी, ऊबड़-खाबड़ दिखती हैं।

3. वर्षा होने पर फिसलन होती है।

4. जमीन पानी नहीं सोखती, बाढ़ आती है, भू-क्षरण होता है।

5. हानिकारक घास उगती है।

6. लाभदायक जीवाणु कम होते हैं, जिसमें पोषक तत्त्व घट जाते हैं।

7. नमकीन होने से बीजों का जमाव व वृद्धि अच्छी नहीं होती है।

8. ऊसर पर्यावरण को प्रदूषित करती है।

9. ऊसर बहकर अच्छे खेत भी खराब कर देती है।

10.

अम्लीय मृदा की परिभाषा लिखिए।

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अम्लीय मृदा- यह मिट्टी अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है। इस मिट्टी में अथसड़े जीवांश अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। अम्लीयता के कारण उत्पादन नहीं होता। हाइड्रोजन आयनों (H)+ की सान्द्रता अधिक होती है। मृदा का PH सदैव 7 से कम होता है। हमारे देश में अम्लीय मृदा असम, केरल, त्रिपुरा, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, बिहार का तराई क्षेत्र, उत्तर प्रदेश तथा हिमालय के तराई क्षेत्र के कुछ स्थानों में पाई जाती है।

11.

मोटी बालू का आकार होता है(क) 4.0-3.0 मिमी(ख) 3.0-2.0 मिमी(ग) 2.0-0.2 मिमी(ध) 0.2 से .02

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सही विकल्प है (ग) 2.0-0.2 मिमी