InterviewSolution
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राजस्व की विषय-सामग्री में सम्मिलित है(क) सार्वजनिक आय(ख) सार्वजनिक व्यय(ग) सार्वजनिक ऋण(घ) ये सभी |
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Answer» सही विकल्प है (घ) ये सभी |
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सार्वजनिक आय के दो साधन बताइए। |
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Answer» सार्वजनिक आय के दो साधन हैं |
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सार्वजनिक आय-व्यय एवं ऋण से आप क्या समझते हैं ? लिखिए। |
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Answer» ⦁ सार्वजनिक आय – सरकार को विभिन्न प्रकार के स्रोतों से जो आय प्राप्त होती है वह सार्वजनिक आय कहलाती है। सार्वजनिक आय के अन्तर्गत कर, शुल्क, कीमत, अर्थदण्ड, सार्वजनिक उपक्रमों से प्राप्त आय, सरकारी एवं गैर-सरकारी बचते आदि आते हैं। |
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“राजस्व का सम्बन्ध सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा आय प्राप्त करने व व्यय करने के तरीके से है।” यह परिभाषा किस अर्थशास्त्री की है? |
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Answer» प्रो० फिण्डले शिराज की। |
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राजस्व उन साधनों की प्राप्ति, संरक्षण और वितरण का अध्ययन करता है, जो राजकीय या प्रशासन सम्बन्धी कार्यों को चलाने के लिए आवश्यक होते हैं।” यह परिभाषा है(क) लुट्ज की।(ख) प्रो० फिण्डले शिराज की(ग) प्रो० बेस्टेबल की(घ) श्रीमती हिक्स की |
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Answer» सही विकल्प है (क) लुट्ज की। |
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राजस्व की विषय-सामग्री के तत्त्वों को बताइए। |
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Answer» राजस्व की विषय-सामग्री के तत्त्व हैं |
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प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों ने राजस्व को कैसा विज्ञान माना है? |
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Answer» व्यय तथा आय के सिद्धान्त एवं स्वभाव का विज्ञान। |
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सार्वजनिक व्यय से क्या तात्पर्य है ? |
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Answer» विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आय को सरकार जनता के हित में विभिन्न योजनान्तर्गत व्यय करती है। यह व्यय सार्वजनिक व्यय कहलाता है। |
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सरकार की आय के दो प्रमुख स्रोत लिखिए। |
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Answer» सरकार की आय के दो स्रोत हैं ⦁ कर तथा |
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सार्वजनिक ऋण कहाँ से प्राप्त किये जा सकते हैं ? |
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Answer» सार्वजनिक ऋण आन्तरिक एवं बाह्य दोनों साधनों से प्राप्त किये जा सकते हैं। |
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राजस्व या लोकवित्त का अर्थ एवं परिभाषाएँ बताइए तथा लोकवित्त का अध्ययन-क्षेत्र स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» राजस्व या लोकवित्त अर्थशास्त्र का एक महत्त्वपूर्ण विभाग है, जिसका अभिप्राय “सरकारी प्रक्रिया में आयगत व्यय के चारों और जटिल समस्याओं के केन्द्रीकरण से है।” यह अर्थशास्त्र और राजनीतिशास्त्र की मध्य सीमा पर स्थित अर्थविज्ञान का एक महत्त्वपूर्ण अंग है, जो राज्यों के वित्तीय पक्ष का विधिवत् अध्ययन करता है। प्रो० डाल्टन के अनुसार, “राजस्व के अन्तर्गत सार्वजनिक सत्ताओं से आय व व्यय एवं उनका एक-दूसरे से समायोजन एवं समन्वय का अध्ययन किया जाता है।” राजस्व या लोकवित्त का अध्ययन-क्षेत्र 1. सार्वजनिक आय – राजस्व के अन्तर्गत सरकार की आय के विभिन्न स्रोतों, आय के स्रोतों के सिद्धान्तों, आय के साधनों का क्रियान्वयन एवं उनके पड़ने वाले प्रभावों आदि का अध्ययन किया जाता है। संक्षेप में, राजस्व के अन्तर्गत इस बात का अध्ययन किया जाता है कि सरकार की आय के प्रमुख स्रोत कौन-कौन से हैं? इसमें कर, कर के सिद्धान्त एवं करों के प्रभावों आदि का अध्ययन किया जाता है। |
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राज्य व्यय तथा आय के सिद्धान्त एवं स्वभाव के अनुसन्धान को राजस्व कहते हैं। यह परिभाषा किस अर्थशास्त्री की है? |
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Answer» एडम स्मिथ की। |
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संघीय वित्त क्या है? |
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Answer» भारत में संघात्मक वित्तीय प्रणाली को अपनाया गया है। केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों के बीच वित्तीय साधनों के विभाजन के सिद्धान्त एवं आधारों से सम्बन्धित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। |
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राजस्व की परिभाषा लिखिए। |
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Answer» प्रो० डाल्टन के अनुसार, “राजस्व के अन्तर्गत सार्वजनिक सत्ताओं से आय व व्यय एवं उनका एक-दूसरे से समायोजन एवं समन्वय का अध्ययन किया जाता है।” |
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लोक-वित्त के विषय-क्षेत्र (विषय-वस्तु) का वर्णन कीजिए। यालोक-वित्त की विषय-वस्तु के चार प्रमुख भागों का वर्णन कीजिए। |
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Answer» राज्य द्वारा वित्तीय व्यवस्था से सम्बन्धित जो भी नीतियाँ एवं सिद्धान्त निर्मित किये जाते हैं। वे सभी राजस्व की विषय-सामग्री के अन्तर्गत सम्मिलित किये जाते हैं। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित का अध्ययन किया जाता है ⦁ सार्वजनिक आय, |
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आर्थिक विकास हेतु साधन जुटाने में राजस्व के महत्व पर प्रकाश डालिए। |
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Answer» आर्थिक विकास हेतु साधन जुटाने में राजस्व का महत्त्व 1. पूँजी निर्माण – किसी देश के आर्थिक विकास में पूँजी निर्माण का अत्यधिक महत्त्व होता है। अत: राजस्व की कार्यवाहियों का उद्देश्य यह होना चाहिए कि उपभोग व अन्य गैर-विकास कार्यों की ओर से पूँजी निर्माण अर्थात् बचत व विनियोग की ओर साधनों का अन्तरण हो। सरकार पूँजी निर्माण में वृद्धि हेतु निम्नलिखित उपाय अपना सकती है (अ) प्रत्यक्ष भौतिक नियन्त्रण – प्रत्यक्ष भौतिक नियन्त्रण द्वारा विशिष्ट उपभोग व अनुत्पादक विनियोगों को कम किया जा सकता है। (ब) वर्तमान करों की दरों में वृद्धि – इस दृष्टि से कर की संरचना इस प्रकार हो सकती है (स) सार्वजनिक उद्योगों से बचत प्राप्त करना – सार्वजनिक उद्योगों को दक्षता व कुशलता से चलाया जाना चाहिए ताकि उनसे अतिरेक प्राप्त किया जा सके और उसका अधिक उत्पादन कार्यों में उपयोग किया जा सके। (द) सार्वजनिक ऋण – सरकार ऐच्छिक बचतों को ऋण के रूप में प्राप्त कर सकती है। विशेष रूप से विकासशील देशों में लघु बचतों का विशेष महत्त्व होता है। वर्तमान समय में अनेक अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ; जैसे – विश्व बैंक व अन्तर्राष्ट्रीय विकास संघ आदि; विकासशील देशों को पर्याप्त ऋण प्रदान करती है। 2. उत्पादन के स्वरूप में परिवर्तन करके – सार्वजनिक क्षेत्र का विस्तार करके सरकार ऐसे उद्योगों का विस्तार कर सकती है, जिन्हें वह राष्ट्रीय हित की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण समझती है। इसके अतिरिक्त, लोक वित्त कार्यवाहियों का उद्देश्य निजी निवेश को वांछित दिशाओं की ओर गतिशील करने के लिए भी किया जा सकता है। 3. बेरोजगारी दूर करना – विकासशील देशों में व्यापक बेरोजगारी, अदृश्य बेरोजगारी एवं अर्द्ध-बेरोजगारी पाई जाती है। इसका समाधान दीर्घकालिक विकास नीति द्वारा ही किया जा सकता है। देश में करारोपण, सार्वजनिक व्यय व ऋण सम्बन्धी नीतियों के द्वारा निवेश में वृद्धि करके रोजगार के अवसरों का विस्तार किया जा सकता है। |
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राजस्व के महत्त्व का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए। |
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Answer» वर्तमान समय में प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था में राजस्व की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो गयी है और इस महत्त्व में निरन्तर वृद्धि हो रही है। वास्तविकता यह है कि ज्यों-ज्यों सरकार का कार्य-क्षेत्र बढ़ रहा है, राजस्व का महत्त्व भी बढ़ता जा रहा है। राजस्व के महत्त्व का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है 1. सरकार के बढ़ते हुए कार्यों की पूर्ति में सहायक – वर्तमान समय में लोकतान्त्रिक सरकार होने के कारण राज्य के कार्यों में तेजी से वृद्धि हुई है। सरकार को विकास सम्बन्धी बहुआयामी और अनेक कार्य सम्पादित करने पड़ते हैं। परिवहन ऊर्जा, स्वास्थ्य, बीमा, बैंकिंग आदि अनेक क्षेत्रों में सरकार के दायित्व दिन-प्रतिदिन बढ़े हैं जिसके कारण सरकार के खर्चे में भी वृद्धि हुई है। इसके लिए सरकार के आय-स्रोतों में वृद्धि करना आवश्यक हो गया है। सार्वजनिक व्यय और आय के बढ़ते क्षेत्र ने राजस्व के महत्त्व को बढ़ा दिया है। |
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वित्तीय प्रशासन में क्या अध्ययन किया जाता है? |
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Answer» वित्तीय प्रशासन में बजटों के निर्माण व प्रशासन तथा लेखा परीक्षण के कार्यों का अध्ययन किया जाता है। |
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लोक वित्त की विषय-वस्तु सम्बन्धित है(क) सरकार के व्यय से(ख) सरकार की आय से(ग) सरकार ने ऋण से(घ) सरकार के व्यय, आय, ऋण तथा राजकोषीय नीति से |
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Answer» (घ) सरकार के व्यय, आय, ऋण तथा राजकोषीय नीति से। |
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सार्वजनिक आय के साधन हैं(क) कर(ख) शुल्क(ग) उपहार(घ) ये सभी |
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Answer» सही विकल्प है (घ) ये सभी। |
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