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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

समवर्ती सूची में कितने विषय शामिल हैं?

Answer»

समवर्ती सूची में 47 विषय शामिल हैं।

2.

मुख्यमन्त्री की चार शक्तियों तथा स्थिति का वर्णन कीजिए।

Answer»

मुख्यमन्त्री की शक्तियां-मुख्यमन्त्री की शक्तियां निम्नलिखित हैं —

1. मन्त्रियों की नियुक्ति- मुख्यमन्त्री अपने मन्त्रियों की सूची तैयार करके राज्यपाल को भेजता है। राज्यपाल उन्हीं सदस्यों को मन्त्री पद की शपथ दिलाता है।

2. विभागों का बंटवारा- मुख्यमन्त्री मन्त्रियों में विभाग बांटता है।

3. मन्त्रियों को हटाना- वह किसी भी मन्त्री से त्याग-पत्र मांग सकता है। यदि वह त्याग-पत्र देने से इन्कार कर दे तो मुख्यमन्त्री उसे राज्यपाल से कह कर हटा सकता है।

4. मन्त्रिपरिषद् का अध्यक्ष- मुख्यमन्त्री मन्त्रिपरिषद् की बैठक का कार्यक्रम निश्चित करता है तथा इसकी बैठकों की अध्यक्षता करता है।

मुख्यमन्त्री की स्थिति- सच तो यह है कि मुख्यमन्त्री राज्य का एक महत्त्वपूर्ण तथा शक्तिशाली अधिकारी है। राज्य प्रशासन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं होता जिस पर उसका नियन्त्रण न हो। कोई भी मन्त्री मुख्यमन्त्री की इच्छा के बिना मन्त्री पद पर नहीं रह सकता। वह ऐसी धुरी है जिसके चारों ओर राज्य का प्रशासन चक्कर काटता है।

3.

राज्य सूची में कितने विषय शामिल हैं?

Answer»

राज्य सूची में 66 विषय शामिल हैं।

4.

संघ सूची के कोई दो विषय बताओ।

Answer»

रेलवे तथा रक्षा।

5.

जिला न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है?

Answer»

जिला न्यायाधीश की नियुक्ति राज्यपाल करता है।

6.

उच्च न्यायालय के अपील सम्बन्धी क्षेत्राधिकार का वर्णन करो।

Answer»

मूल रूप से उच्च न्यायालय एक अपीलें सुनने वाला न्यायालय होता है। यह अपने अधीनस्थ न्यायालयों के विरुद्ध विभिन्न दीवानी और फ़ौजदारी मामलों में अपीलें सुन सकता है। उदाहरण के लिए किसी अपराधी को तब तक फांसी नहीं लगाई जा सकती. जब तक कि सैशन न्यायालय द्वारा दिये गये फांसी के निर्णय का उच्च न्यायालय अनुमोदन नहीं करता। यदि उच्च न्यायालय फांसी के दण्ड को उचित घोषित करता है, तभी मृत्यु दण्ड दिया जा सकता है।

7.

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमन्त्री के नाम बताए।

Answer»

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक तथा मुख्यमन्त्री श्री योगी आदित्यनाथ हैं।

8.

उच्च न्यायालय के प्रशासकीय क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए।

Answer»

उच्च न्यायालय को निम्नलिखित प्रशासकीय अधिकार प्राप्त हैं —

(क) अधीनस्थ न्यायालयों का निरीक्षण करना तथा उन पर नियन्त्रण रखना।
(ख) जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति में राज्यपाल को परामर्श देना।
(ग) न्यायाधीशों की पदोन्नति इत्यादि के मामले।

9.

(i) राज्य सरकार किस सूची के विषयों पर कानून बना सकती है?(ii) राज्य सूची में कौन-कौन से विषय हैं?

Answer»

(i) राज्य सरकार राज्य सूची के विषयों पर कानून बना सकती है।

(ii) कृषि, भूमि, सिंचाई, सार्वजनिक स्वास्थ्य आदि राज्य सूची के विषय हैं।

10.

राज्य का वैधानिक प्रमुख कौन है? उसकी नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है?

Answer»

राज्य का वैधानिक प्रमुख राज्यपाल होता है। इसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

11.

संघ और राज्य के मध्य वैधानिक अधिकारों का विभाजन किस प्रकार किया गया है?

Answer»

संघीय शासन से हमारा अभिप्राय ऐसे शासन से है जिसमें शक्तियां संघ तथा उसकी इकाइयों में बांट दी जाती है। संक्षेप में शक्तियों का बंटवारा इस प्रकार होता है —

  1. संघीय-सूची-संघीय सरकार को उन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है जो राष्ट्रीय महत्त्व के होते हैं। सुरक्षा, डाक-तार, मुद्रा आदि सभी संघीय विषय होते हैं।
  2. राज्य-सूची-राज्य-सूची में वे विषय होते हैं जिन पर केवल राज्य विधानमण्डलों को कानून बनाने का अधिकार होता है। बिक्री-कर, राज्य-वित्त, कृषि आदि राज्य सूची के विषय हैं। यदि कोई राज्य-सूची का विषय राष्ट्रीय महत्त्व धारण कर ले तो एक विशेष प्रक्रिया द्वारा संघीय सरकार को उस विशेष विषय पर कानून बनाने के अधिकार प्राप्त हो जाते हैं।
  3. समवर्ती-सूची-इस सूची में दिए गए विषयों पर राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार दोनों ही कानून बना सकती हैं, परन्तु यदि किसी एक ही विषय पर राज्य तथा केन्द्र द्वारा बनाए गए कानून में विरोध हो तो केन्द्र द्वारा बनाए गए कानून को ही मान्य समझा जाता है।
12.

जिला न्यायालय पर एक टिप्पणी लिखिए।

Answer»

न्यायिक प्रशासन के लिए प्रत्येक राज्य को विभिन्न जिलों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक जिला एक जिला न्यायाधीश के अधीन कार्य करता है। जिला न्यायालयों के न्यायाधीशों को राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के परामर्श से राज्यपाल नियुक्त करता है, उन्हीं व्यक्तियों को जिला न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किया जा सकता है जो कि कम-से-कम सात वर्ष तक वकील के रूप में कार्य कर चुके हों या जो कि संघ या राज्य सरकार की सेवा में अधिकारी के रूप में कार्य कर चुके हों। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि जज स्वतन्त्रतापूर्वक न्याय कर सकें और जनता का न्यायपालिका में विश्वास दृढ़ हो।

13.

निम्न में से कौन-सा केंद्र शासित (संघीय) क्षेत्र नहीं है?(A) राजस्थान(B) दिल्ली(C) चंडीगढ़(D) पांडिचेरी

Answer»

सही विकल्प है (A) राजस्थान

14.

रिक्त स्थानों की पूर्ति-भारत में ……….. राज्य हैं।भारत में …………… संघीय (केंद्र शासित) क्षेत्र हैं।पंजाब में ……………. सदनीय विधानमंडल है।विधानसभा का सदस्य बनने के लिए कम-से-कम ……….. वर्ष की आयु होनी चाहिए।संवैधानिक संकट के समय …………. राज्य का वास्तविक कार्याध्यक्ष बन जाता है।राज्य के सबसे बड़े न्यायालय को ……….. न्यायालय कहते हैं।राज्यपाल अपनी ………….. शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छा से कर सकता है।उच्च न्यायालय के न्यायाधीश …………. वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकते हैं।राज्यपाल की नियुक्ति ………… करता है।।विधान परिषद् में ………….. सदस्य राज्यपाल मनोनीत करता है।

Answer»
  1. 28
  2. 8
  3. एक
  4. 25
  5. राज्यपाल
  6. उच्च
  7. विवेकशील
  8. 62
  9. राष्ट्रपति
  10. 1/6
15.

राज्यपाल की तीन प्रमुख कार्यकारी शक्तियां बताएं।

Answer»

राज्यपाल की तीन प्रमुख कार्यकारी शक्तियां निम्नलिखित हैं —

  1. वह मुख्यमंत्री का चयन करता है तथा मुख्यमन्त्री की सलाह से राज्य मन्त्रिपरिषद् के अन्य सदस्यों की नियुक्ति करता है।
  2. वह राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों तथा एडवोकेट जनरल की नियुक्ति करता है।
  3. वह अपने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकता है।
16.

दो केन्द्र शासित प्रदेशों के नाम लिखो।

Answer»

पाण्डिचेरी और चण्डीगढ़।

17.

केन्द्र शासित प्रदेश किसे कहते हैं?

Answer»

केन्द्र शासित प्रदेश वह प्रशासनिक इकाई है जिसका शासन केन्द्र सरकार के अधीन होता है।

18.

राज्यपाल और राष्ट्रपति की कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियों की तुलना कीजिए।

Answer»

राज्यपाल और राष्ट्रपति की कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियों की तुलना निम्नलिखित है

· राज्यपाल राज्य के शासन का तथा राष्ट्रपति देश के शासन का प्रधान होता है। दोनों क्रमश: विधानमण्डल तथा संसद में कार्यपालिका के प्रधान होते हैं।

· राज्य तथा देश में शासन के सभी कार्य क्रमश: राज्यपाल तथा राष्ट्रपति के नाम से किये जाते हैं।’

· राज्यपाल राज्य के मुख्यमन्त्री की नियुक्ति करता है तथा राष्ट्रपति देश के प्रधानमन्त्री की। राज्यपाल तथा राष्ट्रपति अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति तथा उनके कार्य (विभाग) विभाजन का बँटवारा क्रमशः मुख्यमन्त्री तथा प्रधानमन्त्री की सलाह से करते हैं।

· राज्यपाल मुख्यमन्त्री की सलाह से राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों एवं राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्ति करता है। राष्ट्रपति संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों, सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों एवं राज्यपालों की नियुक्ति करता है।

. राज्यपाल राज्य के मुख्यमन्त्री से तथा राष्ट्रपति देश के प्रधानमन्त्री से शासन सम्बन्धी किसी भी सूचना की जानकारी प्राप्त कर सकता है।

19.

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या कितनी है?

Answer»

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या 26 है।

20.

राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की वैधानिक शक्तियां किसे प्राप्त होती हैं?(A) विधानपरिषद् को(B) संसद् को(C) प्रधानमन्त्री को(D) राज्यसभा को

Answer»

सही विकल्प है (B) संसद् को

21.

राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की वैधानिक शक्तियां किसे प्राप्त हो जाती हैं?

Answer»

राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की वैधानिक शक्तियां संसद् को प्राप्त हो जाती हैं।

22.

केन्द्र शासित क्षेत्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

Answer»

भारत में 8 केन्द्र शासित क्षेत्र हैं। ये जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से छोटे प्रदेश हैं। इसीलिए उन्हें पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान नहीं किया गया है। वे स्वायत्त नहीं हैं। इन क्षेत्रों का प्रशासन केन्द्र के अधीन है तथा इन्हें उसके नियन्त्रण में चलाया जाता है। केन्द्र शासित क्षेत्र के प्रशासन का प्रधान उप-राज्यपाल, मुख्य आयुक्त अथवा प्रशासक होता है। उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। संसद् कानून बना कर किसी क्षेत्र के लिए विधानसभा की स्थापना भी कर सकती है। ऐसे क्षेत्र का शासन मुख्यमन्त्री तथा उसकी मन्त्रिपरिषद् चलाती है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली में यही व्यवस्था है।

23.

जिन आधारों पर राज्यपाल अपने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकता है, उनका वर्णन कीजिए।

Answer»

राज्यपाल निम्नलिखित आधारों पर अपने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकता है —

  1. जब राज्य का शासन संविधान के अनुसार चलाने में बाधा पड़ रही हो।
  2. जब राज्यपाल के लिए यह निश्चित करना कठिन हो जाए कि विधानसभा में किस राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है।
24.

राज्यपाल अपनी कौन-सी शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छानुसार कर सकता है?

Answer»

राज्यपाल अपनी विवेकशील शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छानुसार कर सकता है।

25.

राज्यपाल-पद पर नियुक्ति हेतु अपेक्षित कोई दो अर्हताएँ लिखिए।

Answer»

राज्यपाल-पद पर नियुक्ति हेतु अपेक्षित दो अर्हताएँ निम्नलिखित हैं

·  वह संसद या विधानमण्डले के किसी सदन का सदस्य न हो।

.  वह उस राज्य का निवासी न हो जिस राज्य में उसे नियुक्त किया गया है।

26.

राज्य में अध्यादेश कौन जारी कर सकता है?

Answer»

राज्य में अध्यादेश राज्यपाल जारी कर सकता है।

27.

राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है?(क) उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश(ख) निर्वाचन आयोग(ग) प्रधानमन्त्री(घ) राष्ट्रपति

Answer»

सही विकल्प है (घ) राष्ट्रपति

28.

राज्य की व्यवस्थापिका में वित्तीय-विधेयक किस प्रकार पारित होता है?

Answer»

वित्तीय विधेयक मन्त्रियों द्वारा रखे जाते हैं। ये विधेयक केवल विधानसभा में पेश किए जा सकते हैं। जिन राज्यों में दो सदन होते हैं, वहां विधानसभा से पारित होने के बाद विधेयक विधान परिषद् में भेजा जाता है। विधान परिषद् इसे चौदह दिन तक रोक सकती है। तत्पश्चात् यह विधेयक को विधानसभा को सुझावों या बिना सुझावों के भेज देती है। विधानसभा इन सुझावों को अस्वीकार भी कर सकती है। इस प्रकार पारित विधेयक राज्यपाल की अनुमति के लिए भेजा जाता है। राज्यपाल की अनुमति मिलने पर विधेयक कानून बन जाता है।

29.

राज्य का संवैधानिक मुखिया कौन होता है?

Answer»

राज्य का संवैधानिक मुखिया राज्यपाल होता है।

30.

राज्य का संवैधानिक मुखिया कौन होता है?(A) राज्यपाल(B) मुख्यमन्त्री(C) विधानसभा अध्यक्ष(D) राष्ट्रपति

Answer»

सही विकल्प है (A) राज्यपाल

31.

संवैधानिक संकट की घोषणा का राज्य प्रशासन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

Answer»

राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति में राज्यपाल की सलाह पर राष्ट्रपति राज्य में संवैधानिक आपात्काल की घोषणा कर सकता है। इसका परिणाम यह होता है कि सम्बद्ध राज्य की विधानसभा को भंग अथवा निलम्बित कर दिया जाता है। राज्य की मन्त्रिपरिषद् को भी भंग कर दिया जाता है। राज्य का शासन राष्ट्रपति अपने हाथ में ले लेता है। इसका अर्थ यह है कि कुछ समय के लिए राज्य का शासन केन्द्र चलाता है। व्यवहार में राष्ट्रपति राज्यपाल को राज्य का प्रशासन चलाने की वास्तविक शक्तियां सौंप देता है। विधानमण्डल की समस्त शक्तियां अस्थाई रूप से केन्द्रीय संसद् को प्राप्त हो जाती हैं।

32.

राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती है?

Answer»

राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा पांच वर्ष के लिए की जाती है।

33.

संवैधानिक संकट के समय राज्यपाल की क्या स्थिति होती है?

Answer»

संवैधानिक संकट के समय राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है और राज्यपाल राज्य का वास्तविक कार्याध्यक्ष बन जाता है।

34.

राज्यपाल की नियुक्ति किस प्रकार होती है ? उसके प्रमुख कार्यों/अधिकारों (शक्तियों) का वर्णन कीजिए।याराज्यपाल के अधिकारों पर प्रकाश डालिए। दो उदाहरण दीजिए।याराज्यपाल की विधायी शक्तियों का उल्लेख कीजिए।याराज्यपाल के पद के लिए क्या-क्या योग्यताएँ निर्धारित की गई हैं?याराज्यपाल को न्यायिक क्षेत्र में क्या अधिकार प्राप्त हैं?याराज्यपाल के तीन अधिकारों के विषय में लिखिए।

Answer»

राज्यपाल की नियुक्ति

राज्यपाल राज्य की कार्यपालिका का मुखिया होता है। राज्य की समस्त कार्यकारी शक्तियाँ राज्यपाल में निहित होती हैं तथा राज्य का प्रशासन उसी के नाम से चलता है। संविधान के अनुसार, प्रत्येक राज्य के लिए अथवा दो या अधिक राज्यों के लिए एक राज्यपाल होता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार, “राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति अधिकार-पत्र पर अपने हस्ताक्षर और सील लगाकर करेगा। इस प्रकार राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है, किन्तु व्यवहार में राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री की सलाह पर राज्यपाल की नियुक्ति करता है।
कार्यकाल-राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, किन्तु यदि राष्ट्रपति चाहे तो वह इस अवधि से पूर्व भी राज्यपाल को हटा सकता है।
योग्यताएँकेवल वही व्यक्ति राज्यपाल के पद पर नियुक्त किया जा सकता है, जिसमें निम्नलिखित योग्यताएँ होती हैं

·  वह भारत का नागरिक हो।

·  उसकी आयु 35 वर्ष से कम न हो।

·  वह संसद या विधानमण्डल के किसी भी सदन का सदस्य न हो। यदि ऐसा कोई व्यक्ति राज्यपाल नियुक्त हो जाता है तो उसे पद-ग्रहण करने से पूर्व सम्बन्धित संसद या विधानमण्डल की सदस्यता से त्याग-पत्र देना होगा।

·  वह किसी लाभ के पद पर न हो।

·  वह उस राज्य का निवासी न हो जिस राज्य को वह राज्यपाल नियुक्त किया जा रहा है।

·  वह किसी न्यायालय द्वारा दण्डित न किया गया हो।

राज्यपाल के अधिकार/कार्य/शक्तियाँ

राज्य के शासन एवं सुव्यवस्था का सम्पूर्ण उत्तरदायित्व राज्यपाल पर होता है। इस दायित्व को पूरा करने के लिए संविधान के अन्तर्गत उसे निम्नलिखित अधिकार दिये गये हैं

1. कार्यपालिका सम्बन्धी अधिकारकार्यपालिका का प्रधान होने के कारण राज्यपाल को कार्यपालिका सम्बन्धी निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं

·  राज्य के शासन सम्बन्धी कार्य राज्यपाल के नाम से किये जाते हैं।

·  राज्यपाल मुख्यमन्त्री की नियुक्ति करता है तथा मुख्यमन्त्री की सलाह से अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है एवं उनके विभागों का वितरण करता है।

·  वह मुख्यमन्त्री के परामर्श पर राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य, महाधिवक्ता, विश्वविद्यालयों के कुलपतियों आदि की नियुक्तियाँ करता है।

·  वह मुख्यमन्त्री से शासन सम्बन्धी कोई भी सूचना माँग सकता है।

·  यदि राज्य का शासन संविधान के अनुसार नहीं चल रहा हो तो राज्यपाल अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजकर राज्य में राष्ट्रपति शासन के लागू किये जाने की सिफारिश कर सकता है।

2. कानून निर्माण (विधायी) सम्बन्धी अधिकार

·  राज्यपाल को विधानमण्डल के अधिवेशन को बुलाने, स्थगित करने तथा विधानसभा को अवधि से पहले भंग करने का अधिकार है।

·  राज्यपाल को विधानमण्डल के एक सदन या दोनों सदनों को संयुक्त रूप से सम्बोधित करने तथा लिखित सन्देश भेजने का अधिकार है।

·  विधानमण्डल द्वारा पारित कोई भी विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के बिना कानून नहीं बन सकता। कुछ विधेयकों को वह राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रख सकता है। जब विधानमण्डल का अधिवेशन न चल रहा हो तब राज्यपाल को अध्यादेश जारी करने का अधिकार है, जो विधानमण्डल की बैठक आरम्भ होने के छ: सप्ताह तक ही लागू रह सकता है।

·  राज्य विधान-परिषद् की कुल संख्या के 1/6 सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार है, जिन्हें साहित्य, कला, विज्ञान, समाज-सेवा, सहकारिता के क्षेत्र में निपुणता प्राप्त हो।

· राज्यपाल को ऐंग्लो इण्डियन समुदाय का एक सदस्य मनोनीत करने का तथा अध्यक्ष- उपाध्यक्ष की खाली जगह पर नियुक्ति करने का अधिकार भी है।

3. वित्तीय अधिकारराज्यपाल को निम्नलिखित वित्तीय अधिकार प्राप्त हैं

·  विधानमण्डल के समक्ष राज्यपाल के नाम से वित्तमन्त्री राज्य का बजट प्रस्तुत करता है।

· राज्यपाल की पूर्व स्वीकृति के बिना कोई भी वित्त विधेयक सदन में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।

· वह आकस्मिक निधि में से सरकार को खर्च के लिए धन दे सकता है।

4. न्याय सम्बन्धी अधिकार|

· राज्यपाल उच्च न्यायालय के परामर्श से अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों तथा जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है। |

· उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति उस राज्य के राज्यपाल से भी | परामर्श करता है।

· राज्य विधानमण्डल द्वारा बनाये गये कानूनों को तोड़ने वाले अपराधियों की सजा को (मृत्युदण्ड के अतिरिक्त) माफ कर सकता है, कम कर सकता है तथा बदल सकता है।

5. अन्य अधिकार

· विधानसभा में किसी भी दले का स्पष्ट बहुमत न होने पर वह अपने विवेक से मुख्यमन्त्री की | नियुक्ति करता है।

. संकट काल में वह राज्य के शासन का संचालन अपने विवेक से करता है।

35.

राज्य का मुख्यमन्त्री किसके प्रति उत्तरदायी होता है?(क) राज्यपाल(ख) मन्त्रिपरिषद(ग) विधानसभा(घ) विधानपरिषद्

Answer»

सही विकल्प है (ख) मन्त्रिपरिषद

36.

राज्यपाल के किन्हीं दो अधिकारों का उल्लेख कीजिए।

Answer»

राज्यपाल के दो अधिकार निम्नलिखित हैं

·  वित्तीय अधिकार-कोई भी धन विधेयक राज्यपाल की अनुमति के बिना विधानसभा में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।

.  विधायी अधिकार राज्यपाल विधानसभा को कार्यकाल की समाप्ति के पूर्व भंग कर सकता है।

37.

राज्यपाल बनने के लिए न्यूनतम आयु क्या होती है ?

Answer»

राज्यपाल बनने के लिए न्यूनतम आयु 35 वर्ष है तथा उसे भारत का नागरिक होना चाहिए।

38.

(i) राज्य विधानसभा के एक वर्ष में कितने अधिवेशन होना आवश्यक है?(ii) राज्य विधानमण्डल के दो अधिवेशनों में कम-से-कम कितने समय का अन्तर होना

Answer»

(i) राज्य विधानमण्डल के एक वर्ष में दो अधिवेशन होना आवश्यक है।

(ii) राज्य विधानमण्डल के दो अधिवेशनों में 6 मास से अधिक का अन्तर नहीं होना चाहिए।

39.

विधान-परिषद् की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।

Answer»

विधान-परिषद्, विधानसभा की तुलना में एक कमजोर सदन है। कानून-निर्माण के क्षेत्र में साधारण विधेयक राज्य विधानमण्डल के किसी भी सदन में प्रस्तावित किये जा सकते हैं तथा वे विधेयक दोनों सदनों द्वारा स्वीकृत होने चाहिए। साथ ही यदि कोई विधेयक विधानसभा से पारित होने के बाद विधान-परिषद् द्वारा अस्वीकृत कर दिया जाता है या परिषद् विधेयक में ऐसे संशोधन करती है, जो विधायकों को स्वीकार्य नहीं होते या परिषद् के समक्ष विधेयक रखे जाने की तिथि से तीन माह तक विधेयक पारित नहीं किया जाता है तो विधानसभा उस विधेयक को संशोधन सहित या संशोधन के बिना विधानमण्डल द्वारा पुनः पारित करके विधान परिषद् को भेजती है। इस बार विधान-परिषद् विधेयक को स्वीकृत करे या न करे अथवा ऐसे संशोधन पेश करे, जो विधानसभा को स्वीकार न हों तो भी यह विधेयक एक माह बाद विधान-परिषद् द्वारा स्वीकृत मान लिया जाता है।

विधान परिषद् प्रश्नों, प्रस्तावों तथा वाद-विवाद के आधार पर मन्त्रिपरिषद् के विरुद्ध जनमत तैयार करके उसको नियन्त्रित कर सकती है, किन्तु उसे मन्त्रिपरिषद् को पदच्युत करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि कार्यपालिका केवल विधानसभा के प्रति ही उत्तरदायी होती है।

वित्त विधेयक केवल विधानसभा में ही प्रस्तावित किये जाते हैं, विधान परिषद् में नहीं। विधानसभा किसी वित्त विधेयक को पारित कर स्वीकृति के लिए विधान परिषद के पास भेजती है तो विधान-परिषद या तो 14 दिन के अन्दर ज्यों-का-त्यों स्वीकार कर सकती है या फिर अपनी सिफारिशों सहित विधानसभा को वापस लौटा सकती है। यह विधानसभा पर निर्भर है कि वह विधान-परिषद् की सिफारिशों को माने या नहीं। यदि परिषद् 14 दिन के अन्दर विधेयक पर कोई निर्णय नहीं लेती तो वह दोनों सदनों द्वारा स्वीकृत मान लिया जाता है।

40.

विधानसभा तथा विधान-परिषद् के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।

Answer»

भारत में वर्तमान समय में मात्र छ: राज्यों में विधानमण्डल में दो सदन हैं और शेष में एक। द्वि-सदनीय विधानमण्डल में निम्न सदन को विधानसभा और उच्च सदन को विधान-परिषद् कहते हैं। विधानसभा विधान परिषद् की अपेक्षा अधिक समर्थ एवं अधिकारसम्पन्न होती है। यह निम्नलिखित शीर्षकों के आधार पर स्पष्ट होता है–

1. वित्तीय क्षेत्र में वित्तीय विधेयक केवल विधानसभा में ही प्रस्तुत किये जा सकते हैं, विधानपरिषद् में नहीं; किन्तु विधान परिषद् की राय जानने के लिए ये विधेयक उसके पास भेजे अवश्य जाते हैं, परन्तु विधेयक पर परिषद् द्वारा दी गयी राय मानने के लिए विधानसभा बाध्य नहीं है। चौदह दिन के अन्दर विधान-परिषद् को अपनी राय भेज देनी होती है। यदि इस अवधि में वह अपनी राय नहीं भेजता है तो भी विधेयक उसके द्वारा स्वीकृत माना जाता है। इस प्रकार वित्तीय क्षेत्र में विधानसभा शक्तिशाली है और विधान-परिषद् विधेयक को मात्र 14 दिन के लिए विलम्बित कर सकती है।

2. विधायिनी क्षेत्र मेंसाधारण विधेयक राज्य विधानमण्डल के किसी भी सदन में प्रस्तावित किये जा सकते हैं, परन्तु ये विधेयक दोनों सदनों द्वारा स्वीकृत होने चाहिए। जब कोई साधारण विधेयक विधानसभा द्वारा स्वीकृत हो जाता है, तब उस पर विधान परिषद् की स्वीकृति लेने के लिए उसे विधान परिषद् के पास भेजा जाता है। यदि विधान-परिषद् द्वारा विधेयक रखे जाने की तिथि से तीन माह तक उसे पारित न किया जाए तो विधानसभा पुन: इसे पारित करके विधान परिषद् में भेजती है। इस बार भी यदि विधान-परिषद् इसे अस्वीकृत करती है या उसे संशोधित करती है या एक महीने तक उस पर कोई निर्णय नहीं लेती है तो ऐसी स्थिति में साधारण विधेयक स्वीकृत मान लिया जाता है और उसे राज्यपाल के पास हस्ताक्षर हेतु भेज दिया जाता है। इस प्रकार विधान-परिषद् साधारण विधेयक को चार माह तक विलम्बित अवश्य कर सकती है; किन्तु उसे पारित होने से नहीं रोक सकती।

3. कार्यपालिका के क्षेत्र में – सम्पूर्ण मन्त्रिपरिषद् विधानसभा के प्रति ही सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है। विधान परिषद् मन्त्रिपरिषद् के सदस्यों से प्रश्न एवं पूरक-प्रश्न पूछ सकती है, उनकी आलोचना कर सकती है; किन्तु उसे मन्त्रिपरिषद् के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव रखने का अधिकार नहीं है। वास्तव में विधानसभा को ही मन्त्रिपरिषद् पर नियन्त्रण रखने का अधिकार प्राप्त होता है और यही उसके विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पारित कर सकती है।

41.

विधानसभा, विधानपरिषद से अधिक शक्तिशाली है। क्यों ?

Answer»

वित्त विधेयक को प्रस्तुत करने, कार्यपालिका पर नियन्त्रण रखने तथा राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग लेने का अधिकार केवल विधानसभा को है; अतः वह विधानपरिषद् से अधिक शक्तिशाली है।

42.

राज्यपाल के पद के लिए कम-से-कम कितनी आयु होनी चाहिए?

Answer»

राज्यपाल के पद के लिए कम-से-कम 35 वर्ष आयु होनी चाहिए।

43.

विधानसभा तथा विधान-परिषद के किन्हीं दो अन्तरों को स्पष्ट कीजिए।

Answer»

विधानसभा तथा विधान-परिषद् के दो अन्तर निम्नवत् हैं

· मन्त्रिपरिषद् सामूहिक रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है न कि विधान परिषद् के।

.  विधानसभा की सदस्य संख्या विधान-परिषद् से अधिक होती है।

44.

विधानसभा तथा विधान-परिषद् की निर्वाचन पद्धति में क्या अन्तर है ?

Answer»

विधानसभा के सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा वयस्क मताधिकार के आधार पर गुप्त रीति से होता है। विधान परिषद् के सदस्यों का निर्वाचन जनता प्रत्यक्ष रूप से नहीं करती, वरन् समस्त सदस्यों का 1/3 भाग राज्य के स्थानीय निकायों के द्वारा, 1/3 भाग राज्य की विधानसभा के सदस्यों द्वारा, 1/12 भाग राज्य के स्नातकों द्वारा तथा 1/12 भाग राज्य के शिक्षकों द्वारा किया जाता है। शेष 1/6 सदस्यों को राज्यपाल मनोनीत करता है। ये ऐसे व्यक्ति होते हैं जिन्हें साहित्य, कला, विज्ञान और समाजसेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान प्राप्त होता है।

45.

विधेयक कितने प्रकार के होते हैं ?

Answer»

विधेयक दो प्रकार के होते हैं

(1) साधारण विधेयक तथा
(2) वित्त (धन) विधेयक।

46.

अपने राज्य की विधान-परिषद् में शिक्षकों और स्नातकों के प्रतिनिधित्व पर प्रकाश डालिए।

Answer»

विधानपरिषद् राज्य के विधानमण्डल का उच्च सदन और स्थायी सदन है। प्रदेश में अध्यापकों का निर्वाचन-मण्डल कुल सदस्यों के 1/12 भाग को चुनता है। इसी प्रकार स्नातकों को निर्वाचन–मण्डल भी कुल सदस्यों के 1/12 भाग को चुनता है।

47.

विधानसभा के एक ऐसे अधिकार का उल्लेख कीजिए जो कि विधान-परिषद् को प्राप्त नहीं है।

Answer»

राज्य की मन्त्रिपरिषद् के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित करने का अधिकार केवल विधानसभा को प्राप्त है; विधान-परिषद् को यह अधिकार प्राप्त नहीं है।

48.

विधान-परिषद् के सदस्यों के लिए न्यूनतम आयु कितनी होनी चाहिए ?

Answer»

विधान-परिषद् की सदस्यता के लिए न्यूनतम आयु 30 वर्ष होनी चाहिए।

49.

उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्यों की संख्या कितनी है ?

Answer»

उत्तर प्रदेश की विधानसभा में कुल 403 सदस्य तथा 1 राज्यपाल द्वारा नामित अर्थात् 404 सदस्य हैं।

50.

उन राज्यों के नाम लिखिए, जहाँ विधान-परिषद् का अस्तित्व है।

Answer»

· उत्तर प्रदेश

· बिहार

· महाराष्ट्र

· कर्नाटक

· आन्ध्र प्रदेश

· जम्मू एवं कश्मीर