InterviewSolution
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गर्म सेंक किन अवस्थाओं में दी जाती है ?(क) तीव्र दर्द में(ख) तीव्र ज्वर में(ग) स्पंज करते समय(घ) इनमें से कोई नहीं |
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Answer» सही विकल्प है (क) तीव्र दर्द में |
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गुम चोट का दर्द कम करने के लिए बाँधी जाती है(क) पट्टी(ख) पुल्टिस(ग) ठण्डी पट्टी(घ) मोटा कपड़ा |
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Answer» सही विकल्प है (ख) पुल्टिस |
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पुल्टिस लगाने से क्या लाभ होता है?(क) दर्द को कम करता है(ख) सूजन बढ़ाता है(ग) ठण्डक पहुँचाता है(घ) इनमें से कोई नहीं |
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Answer» सही विकल्प है (क) दर्द को कम करता है |
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आन्तरिक रक्तस्राव में रोगी को क्या देते हैं?(क) गर्म सेंक(ख) ठण्डी सेंक(ग) बफारा(घ) ये तीनों |
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Answer» सही विकल्प है (ख) ठण्डी सेंक |
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सेंक करने से क्या लाभ होता है?(क) ज्वर घटता है(ख) सूजन घटती है(ग) ठण्डक पहुँचती है(घ) कोई लाभ नहीं होता |
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Answer» सही विकल्प है (ख) सूजन घटती है |
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बर्फ की टोपी का प्रयोग किया जाता है(क) तीव्र ज्वर में(ख) तीव्र दर्द में(ग) अधिक रक्त दाब में(घ) चाहे जब |
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Answer» सही विकल्प है (क) तीव्र ज्वर में |
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ठण्डी और गर्म सेंक में अन्तर लिखिए। |
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Answer» ठण्डी सेंक मुख्य रूप से रक्त-स्राव को रोकने, सूजन एवं दर्द को घटाने तथा तेज बुखार को कम करने में दी जाती है। जबकि गर्म सेंक वात रोग, पेट, गले, दाँत आदि के दर्द तथा रोग में दी जाती है। ठण्डी सेंक में बर्फ की थैली जबकि गर्म सेंक में रबड़ की बोतल में गर्म पानी का प्रयोग किया जाता है। |
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बर्फ की टोपी का प्रयोग कब किया जाता है? |
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Answer» तीव्र ज्वर की अवस्था में रुधिर का बहाव रोकने के लिए तथा सिर में चोट लगने के समय बर्फ की टोपी का प्रयोग किया जाता है। |
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तीव्र ज्वर की अवस्था में रोगी को लाभप्रद रहती है(क) ठण्डी सेक(ख) गर्म सेक(ग) बफारा(घ) पुल्टिस |
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Answer» सही विकल्प है (क) ठण्डी सेक |
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रिंग कुशन क्या है? इसकी उपयोगिता लिखिए।यारिंग कुशन का प्रयोग कब करते हैं?यारिंग कुशन का प्रयोग कब और कैसे करते हैं? |
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Answer» रिंग कुशन का प्रयोग शैय्याघाव की दशा में करते हैं। घाव वाले स्थान पर हवा भरकर रिंग कुशन रखते हैं। इससे घाव को बिस्तर की रगड़ नहीं लगती तथा वह धीरे-धीरे ठीक हो जाता है। |
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बर्फ की टोपी में बर्फ को अधिक समय तक न पिघलने देने के लिए प्रयोग करते हैं(क) नमक(ख) सिरका(ग) कपड़ा(घ) लाल दवा |
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Answer» सही विकल्प है (क) नमक |
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पुल्टिस बनाने के लिए सामान्यतः किन-किन वस्तुओं को उपयोग में लाया जाता है? |
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Answer» पुल्टिस बनाने के लिए प्रायः आटा, अलसी, राई, प्याज, सरसों का तेल, नमक व गर्म पानी इत्यादि वस्तुएँ काम में लाई जाती हैं। |
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ठण्डी सेंक कब दी जाती है?याठण्डी सेंक कब दी जाती है? ठण्डी सेंक देने की विधियाँ भी बताइए। |
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Answer» (1) तीव्र ज्वर की अवस्था में शरीर का तापमान सामान्य करने के ध्येय से। (2) आन्तरिक रक्तस्राव को रोकने के लिए तथा माथे व सिर को ठण्डक पहुँचाने के लिए। ठण्डी सेंक देने की विधियाँ-ठण्डा स्पंज, ठण्डी पट्टी और बर्फ की थैली। |
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बर्फ की टोपी व गर्म पानी की बोतल किस पदार्थ की बनी होती हैं? |
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Answer» ये दोनों वस्तुएँ प्रायः रबर की बनी होती हैं। |
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पुल्टिस की उपयोगिता लिखिए। या पुल्टिस का प्रयोग कब किया जाता है? |
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Answer» शरीर के किसी अंग को गरम सेंक देने के लिए पुल्टिस का प्रयोग किया जाता है। पुल्टिस बाँधने से दर्द में आराम मिलता है, सूजन घटती है तथा फोड़े-फुन्सी शीघ्र पक जाते हैं एवं मवाद निकल जाती है। |
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टिप्पणी लिखिए-बफारा या भाप लेना।याबफारा कब, कैसे और क्यों लेना चाहिए ? इससे किस प्रकार के रोगी को आराम मिलता है? |
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Answer» बफारा लेना: बारा लेना, भाप से सिकाई करने का एक तरीका है। गले के रोग; जैसेगले का दर्द व टॉन्सिल्स: शरीर के रोग; जैसे—गठिया बाय आदि; में बफारा लेना लाभप्रद रहता है। इसके लिए अग्रलिखित विधियाँ अपनायी जाती हैं ⦁ यदि बफारे में कोई औषधि मिलानी है, तो इसे खौलते जल में डाल दिया जाता है अन्यथा सादा बफारा ही लिया जाता है। |
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किसी रोगी को स्नान तथा स्पंज किस प्रकार कराया जाता है?यासविस्तार वर्णन कीजिए। या। स्पंज करना किसे कहते हैं? रोगी का कब और क्यों स्पंज किया जाता है?यास्पंज करना क्या है? स्पंज करने की विधि लिखिए।यास्पंज कराने से क्या तात्पर्य है? स्पंज कराते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?याकिस प्रकार के रोगी को स्पंज कराते हैं? इसके लाभ लिखिए। |
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Answer» रोगी को स्नान कराना ⦁ रोगी को स्नान कराने से पूर्व चिकित्सक से परामर्श अवश्य ही कर लेना चाहिए। रोगी को स्पंज कराना 1. सामान्य विधि: 2. ठण्डे पानी से स्पंज कराना: |
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स्पंज करने से क्या लाभ हैं? |
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Answer» सामान्य रूप से स्पंज द्वारा शरीर की सफाई की जाती है। यदि तीव्र ज्वर हो, तो ठण्डे पानी से स्पंज करके ज्वर को नियन्त्रित किया जाता है। |
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सामान्य दशाओं में स्पंज का उद्देश्य क्या होता है? |
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Answer» सामान्य दशाओं में स्पंज का उद्देश्य शरीर की सफाई होती है। जब रोगी को स्नान कराना सम्भव न हो, तब स्पंज किया जाता है। |
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पुल्टिस किस काम आती है? पुल्टिस कितने प्रकार की होती है?यापुल्टिस क्या है ? दो प्रकार की पुल्टिस बनाने की विधि लिखिए।यापुल्टिस का प्रयोग कब और क्यों करते हैं? दो प्रकार की पुल्टिस बनाने की विधियों का वर्णन कीजिए। |
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Answer» पुल्टिस का प्रयोग पुल्टिस के प्रकार (1) आटे की पुल्टिस: (2) प्याज की पुल्टिस: (3) राई की पुल्टिस: (4) अलसी की पुल्टिस: खौलते पानी को गर्म की गयी एक तामचीनी की कटोरी में डालकर अलसी के आटे को इसमें धीरे-धीरे मिलाना चाहिए। मिलाते समय इसे चम्मच से हिलाते रहना चाहिए। गाढ़ा पेस्ट बन जाने पर इसे मेज पर रखे लिएट के कपड़े पर एक समान मोटी तह के रूप में बिछा देना चाहिए। लिण्ट के सिरों को अलसी की तह पर मोड़ देना चाहिए। इस पर अब थोड़ा-सा जैतून का तेल डाल देना चाहिए तथा पुल्टिस को दोहरा करके व गर्म तश्तरियों के बीच में रखकर रोगी के बिस्तर के पास ले जाना चाहिए। इस गर्म पुल्टिस को रोगी के प्रभावित अंग पर लगाया जाता है। (5) रोटी की पुल्टिस: |
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राई का पलस्तर कैसे बनता है? इसका क्या उपयोग है? |
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Answer» राई का पलस्तर बनाने के लिए आटे व राई की कुचलन को समान मात्रा में लेकर गर्म पानी में लेई के समान बना लिया जाता है। इसे किसी कपड़े या कागज के टुकड़े पर समान रूप से फैलाकर तह के रूप में बिछा दिया जाता है। इसे सूजन वाले भाग पर लगाने से सूजन कम हो जाती है। |
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गर्म सेंक क्या है? यह कब दी जाती है? इसकी क्या उपयोगिता है? |
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Answer» शरीर के किसी कष्ट के निवारण के लिए सम्बन्धित अंग को ताप प्रदान करना ही गर्म सेंक कहलाता है। वात रोग, पेट दर्द, गले में दर्द तथा दाँत में दर्द के निवारण में गर्म सेक उपयोगी होता है। इसके अतिरिक्त गुम चोट, मोच, सूजन तथा फोड़े-फुन्सी को पकाने में भी गर्म सेंक उपयोगी है। |
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गर्म सेंक की विभिन्न विधियाँ बताइए।यागर्म सेंक की दो विधियों का नाम लिखिए। |
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Answer» गर्म सेंक की मुख्य विधियाँ हैं-शुष्क गर्म सेंक, पुल्टिस बाँधना, गर्म पानी की बोतल का प्रयोग करना, बफारा लेना तथा गरारे करना। |
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गरारा करने के लिए पानी में क्या विशेषताएँ होनी चाहिए? |
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Answer» गरारा करने का पानी गर्म होना चाहिए तथा इसमें नमक या फिटकरी अथवा लाल दवा मिलाना प्रभावकारी रहता है। |
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जलन में आराम पहुँचाने वाली औषधियाँ कौन-सी है। |
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Answer» जलन दूर करने में प्रयुक्त होने वाली सामान्य औषधियाँ हैं ⦁ आयोडीन |
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गरारा करने से क्या लाभ हैं? |
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Answer» गरारा करने से गले में दर्द;-टॉन्सिल्स व जुकाम में लाभ होता है। |
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बफारे का प्रयोग कब किया जाता है? |
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Answer» बफारे का प्रयोग प्राय: गले में सूजन, दर्द, टॉन्सिल्स व श्वास मार्ग में बलगम जमा होने तथा गठिया आदि रोग में किया जाता है। |
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