This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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Convert it to Mishra vakya |
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Answer» यदि कमरा बंद नही किया तो बच्चे आ जाएंगे। |
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Very easy example of ras for 10 CBSE board |
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Answer» RAS........ KYUN........ AAJ LAGTA H.... SAB.. BRAINLY USERS KE DIMAAG MAI RAS BHAR GYA H... AAJ SAB RAS RAS KAR RHE H |
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मां में इतनी विशेषताएं होते हुए भी लेखिका अपनी मां को अपना आदर्श क्यों नहीं बना सकी? एक कहानी यह भी पाठ के आधार पर बताइए। |
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Answer» Answer: hey i am ANSWERING it it may help you |
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Can anyone please tell me in class 10hindi board exam which kind of grammar are included cbse |
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Answer» YES INCLUDE grammar I think you have to learn from branily in my time there is a grammar BOOK for c see board |
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नेताजी की मूर्ति के चश्मे के बदलने का क्या कारण था | Hindi ch. netaji ka chasma | Class 10 |
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Answer» Answer: NETAJI par sangmarmar ka CHASMA nhi tha isliye captain chasmewala unki murti par apni pheri main se ek chasma LAGA DIYA karta tha lekin jab koi grahak uss chasme ko mangta tab veh usse nikalkar uss murti mein doosra chasma laga deta....here is the answer...plzz mark as brainliest.... |
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अपने विद्यालय में मनाए गए बालिका दिवस समारोह का वृत्तांत लगभग 70 से 80 शब्दों में लिखिए |
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Answer» जीवन हमेशा एक-सा नहीं रहता। परिवर्तन को स्वीकार कर ही हम अपनी हताशा-निराशा से उबर सकते हैं और समय के साथ चलकर अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं...क धनी व्यक्ति को व्यवसाय में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। उसे लगने लगा कि उसकी जिंदगी में घटाटोप अंधेरा भर गया है। उसके मन में आत्महत्या का विचार उपजा। वह जैसे ही नदी में कूदने जा रहा था, किसी ने उसे पीछे से पकड़ लिया। वह कोई मुसाफिर था। आत्महत्या करने की कोशिश करने वाला व्यक्ति फूट-फूट कर रोने लगा, 'आपने मुझे क्यों बचा लिया, ऐसी जिंदगी से मर जाना ही अच्छा है।' उस व्यक्ति की पूरी कहानी सुनकर मुसाफिर बोला, 'तुम यह मानते हो कि पहले तुम सुखी थे?' वह व्यक्ति बोला, 'हां, मेरी जिंदगी में उजाला ही उजाला था, लेकिन अब अंधेरे के सिवा कुछ नहीं बचा।' मुसाफिर ने कहा, 'क्या तुम नहीं जानते कि दिन के बाद रात ही आती है और रात के बाद दिन ही आता है?' वह व्यक्ति बोला- 'यह तो सभी लोग जानते हैं।''जानते हो तो आत्महत्या क्यों कर रहे थे? तुमने जब सुखी जीवन को स्वीकार किया, तो अब दुखी जीवन को क्यों स्वीकार नहीं करते। जबकि तुम्हें पता है इस रात के बाद फिर दिन ही आना है।'परिवर्तन प्रकृति का नियममहान दार्शनिक अरस्तू ने कहा है, परिवर्तन प्रकृति का नियम है। हम प्रकृति के इस नियम को जब भी मानने से इनकार करने लगते हैं, तब हम दुखी होते हैं, अवसाद से घिर जाते हैं। हमें स्वीकारना होगा कि जब अच्छे दिन स्थायी नहीं रहते, तो बुरे दिन भी नहीं रहेंगे। जो व्यक्ति इस सत्य को जान लेता है, वह कभी निराश-हताश नहीं होता। उसका कर्मशील जीवन मजबूत होकर सामने आता है।गतिशीलता से होगा विकासदरअसल, परिवर्तन को स्वीकारना ही हमें गतिशील बना सकता है। हम समय की ऐसी रेलगाड़ी के साथ-साथ चल रहे हैं, जिसमें रुकने का मतलब पिछड़ जाना होता है। जीवन के सफर का वास्तविक आनंद हम तभी उठा सकते हैं, जब हम समय के साथ चलें, पुराने स्टेशनों (जड़ रीति-रिवाजों और पुरानी अवधारणाओं) को छोड़ते जाएं और नए स्टेशनों (समय के अनुकूल नवीनता) को अपनाते जाएं। परिवर्तन शाश्वत है। समय के साथ किसी भी वस्तु, विषय और विचार में भिन्नता आती है। मौसम बदलते हैं। मनुष्य की स्थितियां बदलती हैं। समय के साथ उत्तरोत्तर बदलने को ही विकास कहा जाता है। यदि हम बदलाव से मुंह चुराएंगे, तो हमारा विकास नहींहो सकेगा।सड़ जाता है ठहरा जलवैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो संसार में कोई भी पदार्थ नहीं, जो स्थिर रहता है। उसमें कुछ न कुछ परिवर्तन सदैव होता रहता है। इसी तरह समाज में भी परिवर्तन होता है। समाज शास्त्री मैकाइवर का कहना है कि समाज परिवर्तनशील है। यदि हम समाज में निरंतरता को बनाए रखना चाहते हैं तो हमें यथास्थिति को छोड़ अपने आचार-व्यवहार को परिवर्तनोन्मुख बनाना ही होगा। तभी हमारी प्रगति संभव है। इसके उलट, यदि हम परिवर्तन को स्वीकार नहीं करते, तो हम रूढि़वादी हो जाते हैं। ठहरे हुए जल की तरह, जिसका सड़ना निश्चित है। रूढि़वादी लोग स्त्री स्वतंत्रता, समान अधिकार, स्त्रियों की शिक्षा आदि शुभ परिवर्तनों को स्वीकार नहीं कर पाते और अंदर ही अंदर दुखी होकर स्वयं को जलाते रहते हैं।मुश्किलों से आती है ऊर्जापरिवर्तन को स्वीकारना साहस का काम है। क्योंकि इसके लिए गतिशील-कर्मशील होना होगा, जीवन में आई मुश्किलों से संघर्ष करना होगा। संघर्ष ही हमारे जीवन में विकास के बीज बोता है। एक लोक कथा है। एक बार एक किसान भगवान से नाराज हो गया कि वे कभी बारिश-ओले से फसल चौपट कर देते हैं, तो कभी तूफान से। उसने भगवान से प्रकृति का संचालन एक साल के लिए अपने हाथ में ले लिया। उसकी फसलों के लिए जितनी जरूरत थी, किसान ने उतना पानी बरसाया। तूफान आने नहीं दिया। जब धूप की जरूरत हुई तो सूरज चमका दिया। उसने फसल के हर खतरे को रोक दिया। सचमुच गेहूं की फसल बहुत अच्छी हुई। बड़ी-बड़ी बालियां लग गईं, लेकिन जब फसल काटी गई, तो पता चला कि बालियों के अंदर गेहूं के दाने तो थे ही नहीं। फिर किसान भगवान से बोला, 'भगवन, यह आपने क्या किया।' भगवान ने कहा, 'जो किया, तुमने ही किया। बालियों में बीज इसलिए नहीं आए, क्योंकि पौधों को तुमने चुनौती दी ही नहीं। उनके पास कोई संकट नहीं था। गेहूं के पौधे संघर्ष की अपनी ताकत खो चुके थे। ऐसे में उनकी सृजनात्मकता भी खो चुकी थी।'जीवन का स्वादइसी तरह हमारे जीवन में जो विपरीत परिस्थितियां आती हैं, वे ही हमारे विकास और सृजनात्मकता में सहायक बनती हैं। बस, हमें बिना आपा खोए उनसे संघर्ष करना चाहिए। अगर हम यह चाहते हैं कि हमारे जीवन में अच्छा ही घटित होता रहे और बुरा कुछ भी न हो, तो यह अच्छा भी बुरा लगने लगेगा। जीवन में दुख और सुख दोनों ही आते हैं। हम हमेशा मीठा ही खाते रहें, तो उससे ऊब जाएंगे। लेकिन यदि नमकीन खाने के बाद मीठा खाएंगे, तो वह ज्यादा स्वादिष्ट लगेगा। इसलिए जीवन में आए परिवर्तनों को स्वीकारें और जीवन के स्वाद का पूरा आनंद लें। |
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Can anyone tell me the hindi Grammer syllabus of class 10 |
| Answer» | |
| 14509. |
Bajay iske ki aap khali baithe,aap kaam Kare ashudhi shodhan |
| Answer» | |
| 14510. |
Give me easy example of vibhatsya ras |
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Answer» sir par baithyo kaag, aankhi dou khaat nikaarat. kheench jeebhahi syaar, atihi anand ur dhaarat . gheedh jhaangi ko khodi khodi kai maas uparat. swaan angurin kati kati ke khaat bidaarat. if you are asking this REGARDING the boards 2020 HINDI course A....then it's better to you to know that there are only 5 RAS in 10th hindi course A syllabus i.e., shringaar, veer, hasya, vatsalya and raudra. HOPE IT HELPS MARK AS BRAINLIEST |
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| 14511. |
Hi please send me the correct format of letter writing in Hindi CBSE class 10.please send the correct answer tomorrow is my examination.Aur please Tell me also ki ham comma (,) Kaha Kaha lagaengeand what is the correct way to start a new paragraph?? |
| Answer» | |
| 14512. |
1 line example of Rudr ras? |
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Answer» if you UNDERSTAND STEP by step |
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Mishra Vakya Mein Badliye Pariksha ki taiyari karne ke liye lekin Kamre Mein padhne baith Gaya. |
| Answer» | |
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Paryavaran ke prati jagrukta badhane k liye ek vigyapan taiyar kijiye lagbhag 40-50 shabdo me. |
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Answer»
इक्कीसवीं सदी की दहलीज पर खड़े देश ने भौतिक प्रगति के नाम पर कंकरीट के शहर, धुआँ फैलाती फैक्ट्रियाँ और शोरगुल पनपाती संस्कृति को तो जन्म दे दिया लेकिन इसके पृष्ठ में होने वाली पर्यावरणीय हानि की ओर किसी का ध्यान नहीं गया और जब गया तो बहुत देर हो चुकी थी। शताब्दी परिवर्तन का उत्सव और वसन्त का अभाव, शान्ति की घोर कमी और वातावरण में अजीब-सा जहर घुला-घुला-सा दिख पड़ता है। यत्र-तत्र अजीब अजनबीपन का शिकार होती हमारी हरी-भरी संस्कृति। पर्यावरणीय-समस्याओं की सूची का क्रम निरन्तर बढ़ रहा है, दूसरी ओर युवा वर्ग की महत्ती भूमिका जो कि इस प्रदूषण को रोक सकती है, वो अपनी ही जिन्दगी बनाने में व्यस्त है। भौतिक सुविधाओं के नाम पर वो अपने ही पर्यावरण को हानि पहुँचा रहे हैं। जीवन के अमूल्य क्षणों को व्यर्थ के कार्यो में बिताने से अच्छा तो यह है कि युवा वर्ग अपना थोड़ा-सा वक्त निकालकर पर्यावरणीय समस्याओं को हल करे व समाज को नई दिशा दे। यदि हम अपनी पर्यावरणीय हानि को ओर ध्यान दें तो हमें अनुभव होगा कि औद्योगिक प्रगति ने जहाँ हमारे लिए प्रगति के द्वार खोले, वहीं हमें इसी ने ऐसे गर्त में पहुँचाया जहाँ से निकलना असम्भव-सा प्रतीत होता है, किन्तु किसी भी कार्य को असम्भव, कायर और ऐसे लोग समझते हैं। जिनमें पुरूषार्थ का अभाव होता है। पर्यावरण प्रदूषण का ज्ञान न होना भी इसके उत्पन्न होने के कारणों में से एक प्रमुख कारण है। निहित स्वार्थो ने व्यक्तिगत आवश्यकताओं ने मानव को इतना अन्धा बना दिया कि वे आगामी पीढ़ी के भविष्य की चिन्ता किए बगैर पर्यावरणीय संसाधनों का दोहन कर दोहन निरन्तर जारी रखे हुए हैं। |
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I need explanation of these lines |
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Answer» मित्र बिस्मिल्ला खाँ काशी में रहते थे। वहाँ उनके खानदान की कई पुश्तों ने शहनाई वादन में नाम कमाया था। यह शहनाई डेढ़ शतक से उनके पुरखों को सम्मान दिला रही थी। जब बिस्मिल्ला खाँ ने शहनाई में अपने स्वर फूँके तो उसके मादक स्वर ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। इस प्रकार देखते ही देखते शहनाई डेढ़ शतक के साज से दो शतक का साज बन गई। मित्र! आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं। शहनाई सांस के माध्यम से बजाई जाती है। फूंक द्वारा बजाए जाने वाला यह ऐसा वाद्य है, जो अपने जैसे अन्य वाद्यों के मध्य सर्वोपरि है। फूंक से बजाये जाने वाले वाद्यों में शहनाई को सरताज भी कहते हैं। धीरे-धीरे शहनाई सब तरफ विख्यात हो गई। |
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Dahej ki len den Bahaut buri baat hai. Ashudhi shodhan |
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Answer» PLS mark as brainliest Explanation: |
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अथवाहरिहर काका के जीवन में आई कठिनाइयों का मूल कारण क्या था ? ऐसी सामाजिक समस्याके समाधान के क्या उपाय हो सकते हैं ? लिखिए । |
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Answer» हरिहर काका. कथावाचक और हरिहर काका के बीच क्या संबंध है और इसके क्या कारण हैं? उत्तर: कथावाचक और |
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Jaane wala kahan rukta hai Mishra Vakya mein badaliye |
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Answer» उत्तर: क्योंकि वह जाता है इसलिए वह नहीं रुकता। • मिश्र वाक्य MARK ME AS BRAINLIST |
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लक्ष्मण परशुराम से पुनः आत्म प्रशंसा के लिए क्यों कहते हैं? |
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Answer» परशुराम लक्ष्मण को मंदबुद्धि क्यों कह रहे हैं? ... लक्ष्मण भी कहते हैं-'अपने मुँह तुम्ह आपनि ... (क) अपनी प्रशंसा स्वयं करना |
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Aapki ichcha ke Anurup aapka swagat Nahin Hua Mishra Vakya mein badaliye |
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Answer» JAISI apko icha THI Vaida AAPKA SWAGAT nahi hua Explanation: |
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7.निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य में इस प्रकार प्रयोग कीजिए कि उनका अर्थ स्पष्ट हा जाए :काम तमाम कर देना, हक्का-बक्का रह जाना ।4/1 |
Answer» मुहावरे:-1. काम तमाम कर देना, 2. हक्का-बक्का रह जाना 1. काम तमाम कर देना अर्थ :- खत्म कर देना / मार डालना वाक्य :- कार्गिल की लड़ाई में भारतीय सेना नें पाकिस्तानी सेना का काम तमाम कर दिया | 2. हक्का-बक्का रह जाना अर्थ :- हैरान हो जाना वाक्य :- अचानक मास्टर जी को देख कर सब हक्के-ब्क्के रह गए | मुहावरे की परिभाषा :- ऐसे वाक्यांश, जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी विलक्षण अर्थ की प्रतीति कराये, मुहावरा कहलाता है। दूसरे शब्दों में- मुहावरा भाषा विशेष में प्रचलित उस अभिव्यक्तिक इकाई को कहते हैं, जिसका प्रयोग प्रत्यक्षार्थ से अलग रूढ़ लक्ष्यार्थ के लिए किया जाता है। मुहावरों का संबंध भाषा विशेष से होता है अर्थात हर भाषा की प्रकृति, उसकी संरचना तथा सामाजिक सांस्कृतिक संदर्भो के अनुसार उस भाषा के मुहावरे अपनी संरचना तथा अर्थ ग्रहण करते हैं।नमुहावरों के अर्थ सामान्य उक्तियों से भिन्न होते हैं। इसका तात्पर्य यही है कि सामान्य उक्तियों या कथनों की तुलना में मुहावरों के अर्थ विशिष्ट होते हैं। |
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सुबह से शाम हो गयी परन्तु मंजिल नहीं मिली , यही होता है _. Hindi muhawra |
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Answer» खोदा पहाड़ निकली चुहिया। |
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6.निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध रूप में लिखिए :(क) एक सोने का हार ले आओ।(ख) कृपया आज का अवकाश देने की कृपा करें ।(ग) मुझे हजार रुपए चाहिएँ ।(घ) क्या वह देख लिया है ? |
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Answer» Answer: sone ka ek har lao aj ka awakash DENE ki kripya kare mujko sajar rupy chahiye ...........all the best for TMRW.. bro.... |
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Path me aesa kyu kaha gya hai ki nagarpalika thi to kuch na kuch karti rehti thi? (source: Netaji ka Chashma) |
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Answer» Answer: NAGAR palika ek trh se wha ki owner hoti h jis trh prime minister india ka hota h USI prakar se wh us jile ki nagar palika thi wh KUCH n kuch krti rehti thi esa isliye kha gya h kuki wh us jile k liye bhut kuch jese koi sadak pakki karva deti , kbhi kuch peshab ghar bnva deti , kabutro ki cht bnva deti to kbhi kavi smmelan or a deti AUR sbse zada mahtvapurn usne netaji subhash Chandra ki murti BHI bnvaithi isliye esa kha gya h hope u will understand that and plzz translate it into hindi language and also mark me as brainlist if u will understand that okk byeeee... |
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राष्ट्रीय एकता में बाधक तत्व पर निबंध लिखेंin about 250 words |
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Answer» भारत विश्व का एक विशाल देश है। इस विशालता के कारण इस देश में हिन्दू, मुस्लिम, जैन, ईसाई, पारसी तथा सिक्ख आदि विभिन्न धर्मों तथा जातियों एवं सम्प्रदायों के लोग रहते हैं। अकेले हिन्दू धर्म को ही ले लीजिए। यह धर्म भारत का सबसे पुराना धर्म है जो वैदिक धर्म, सनातन धर्म, पौराणिक धर्म तथा ब्रह्म समाज आदि विभिन्न मतों सम्प्रदायों तथा जातियों में बंटा हुआ है। लगभग यही हाल दूसरे धर्मों का भी है। कहने का मतलब यह है कि भारत में विभिन्न धर्मों, सम्प्रदायों जातियों तथा प्रजातियों एवं भाषाओं के कारण आश्चर्यजनक विलक्षणता तथा विभिन्नता पाई जाती है। राष्ट्र एकता एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया व एक भावना है जो किसी राष्ट्र अथवा देश के लोगों में भाई-चारा अथवा राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं अपनत्व का भाव प्रदर्शित करती है। एक देश में रह रहे लोगों के बीच एकता की शक्ति के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिये ‘राष्ट्रीय एकता’ एक तरीका है। अलग संस्कृति, नस्ल, जाति और धर्म के लोगों के बीच समानता लाने के द्वारा राष्ट्रीय एकता की जरूरत के बारे में ये लोगों को जागरूक बनाता है। भारत एक ऐसा देश है जहाँ लोग विभिन्न धर्म, क्षेत्र, संस्कृति, परंपरा, नस्ल, जाति, रंग और पंथ के लोग एक साथ रहते हैं। इसलिये, राष्ट्रीय एकीकरण बनाने के लिये भारत में लोगों का एकीकरण जरूरी है। एकता के द्वारा अलग-अलग धर्मों और संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं, वहाँ पर कोई भी सामाजिक या विचारात्मक समस्या नहीं होगी। भारत में इसे विविधता में एकता के रुप में जाना जाता है हालाँकि ये सही नहीं है लेकिन हमें (देश के युवाओं को) इसे मुमकिन बनाना है। |
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। (क) निम्नलिखित का विग्रह करके समास का नाम लिखिए :हाथी-घोड़े, पीतांबर ।(ख) निम्नलिखित का समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए :घन के समान श्याम, देश का वासी । |
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Answer» Answer:
2. peela vastra vala atharth shri KRISHNA (bahuvrihi smaas ) 2. 1. ghanshyam (karamdharya smaas ) 2. deshvassi (dwigu smaas) Explanation: HOPE it helps youfollow me and hit the like BUTTON |
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EASY EXAMPLE OF ADBHUT RAS |
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Answer» Answer: hey PLEASE MARK it as a BRAINLIST answer it MAY help you |
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निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए:१.आप अपने मन में सोचें। |
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Answer» आप अपनी मन की सोचें । |
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बिस्मिल्लाह खान हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतिक थे, कैसे? |
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Answer» खाँ सहाब सुबह उठकर विश्वनाथ मंदिर में शहनाई बजाते थे , गंगास्नान करते थे और बालाजी के सामने रियाज़ किया करते थे। वे पाँच बार नमाज़ भी पढते थे। काशी में जिस तरह बाबा विश्वनाथ और बिस्मिल्ला खाँ एक-दूसरे के पूरक हैं वैसे ही मुहर॔म-ताजिया और होली-अबीर-गुलाल की गंगा-जमुनी संस्कृति भी एक दूसरे की पूरक रहे हैं।खाँ सहाब ने हमेशा दो कोमों को एक होने व आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा दी। |
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___4.निर्देशानुसार उत्तर दीजिए :(क) सरला ने कहा कि वह कक्षा में प्रथम रही । (रचना के आधार पर वाक्य-भेद बताइए)(ख) लोकप्रियता के कारण उसका ज़ोरदार स्वागत हुआ । (संयुक्त वाक्य में बदलिए)(ग) वे बाज़ार गए और सब्ज़ी ले आए । (सरल वाक्य में बदलिए) |
Answer»
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(क) "संगतकार' कविता में संगतकार त्याग की मूर्ति है, कैसे? |
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Answer» Answer: sangatkar Kavita mein sangatkar tyag KI murti HAI
Explanation: Hope you are satisfiedthanks bolo❤️❤️❤️❤️❤️ |
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पर्वतीय प्रदेश की यात्रा पर निबंध लिखेंin 250 words |
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Answer» पर्यटन का अपना अनूठा आनन्द होता है। फिर यदि यह पर्यटन पर्वतीय प्रदेश का हो, तो फिर कहने ही क्या। पर्वतीय प्रदेश की यात्रा अत्यन्त रोमांचक तथा उल्लासमयी होती है। इसके अनुभव स्मृति पटल पर स्थायी रूप से अंकित हो जाते हैं। गत वर्ष दशहरे के अवकाश में मेरे पिताजी ने वैष्णो देवी जाने का कार्यक्रम बनाया। वैष्णो देवी तक जाने के लिए रेल द्वारा जम्मू तक पहुँचा जा सकता है। मेरे पिताजी ने जम्मू तवी एक्सप्रैस के चार टिकट पहले से ही आरक्षित करा लिए थे। इस यात्रा के लिए मेरे माता जी ने रास्ते के लिए खाना बनाया, आवश्यक कपड़े आदि रखे और निश्चित तिथि पर हमने जम्मू तवी द्वारा जम्मू के लिए प्रस्थान किया। |
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वन्य जीवन का संरक्षण इन 250 वर्ड्स |
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Answer» इस शीर्षक का सीधा अर्थ है, वो सारे प्रयास जो वनो एवम वन्य जीवों को संरक्षित और सुरक्षित करने के लिय किए जाते है। वन और वन्यजीवन, यह प्रकृती, ही हमारे असतित्व की नींव है। इनका नष्ट एवम विलुप्त होना हमारे लिए खतरे का संकेत है। संरक्षण के प्रयासो द्वारा पेड़, पौधो, पक्षियों की प्रजातीयां सुरक्षित रहती है एवम फलति फूलती है, जो हमारे पर्यावरणके लिए बहुत लाभदायक है। जंगली जानवरों की प्रजातीयां भी सुरक्षित रहे तो यह भी अति उपयोगी है। वन और वन्य जीवन के संरक्षण से हमें क्या लाभ है? What are the Benefits of CONSERVATION of FOREST and Wildlife? चूंकी मनुष्य प्रलोभी है, हर कार्य में अपना स्वार्थ देखता है, वन्यजीवन संरक्षण के बारे में भी जब सोचते है तो यही सवाल हमारे मन मे आते है। पानी, हवा, मिट्टि – तीनो ही पर्यावरण के अभिन्न अंग है। पानी जिसे हम पीते है और अनगिनत कार्यों में इस्तेमाल करते है, जिसके बिना हमारे जीवन की कल्पना करना भी संभव नही है। हवा, जिसमें घुला होता है पेड़ो द्वारा निर्मित ऑक्सिजन, जिससे हमारी साँसे चलती है। मिट्टि, वो उपजाऊ मिट्टिजिसमें हम तरह तरह के अनाज, दाले, फल, सब्ज़ीयाँ आदी उगाते है, इन सभी से हमारे शरीर को पोषण मिलता है, स्वास्थ बना रहता है और नित नए व्यंजनो का स्वाद चखते है। वन और वन्य जीवन सुरक्षित रहे तो ये सभी संसाधन हमें पर्याप्त मात्रा में मिलते रहेंगे और हम अपना जीवन व्यापन कर पाऐंगे। सोचिये के अगर इन संसाधनो का नष्टीकरण हुआ तो क्या हालात सामने आ सकते है। पर्यावरण में ही प्रकृती की सच्चि सुंदरता है – हरे हरे लहलहाते बाग़, भिन्न भिन्न प्रकार के पशु पक्षियों की प्रजातीयाँ जो मन मोहती है – यही तो वास्तविक लालित्य है। अगर यही नही बचा तो हमारे पास क्या शेष रह जाऐगा, सूखी बेजान बंजर ज़मीन और ख़राब आबोहवा, मनुष्य द्वारा बनाई गई वस्तुऐ तो सब कृत्रिम है, उनमें वो आँखो को ठंडक देने वाला रंग रूप कहाँ !! वन्यजीवन का नष्टिकरण हम अपने ही हाथों से बिना सोचे समझे भावहीन होकर किए जा रहे है। जंगलो की अंधाधुंध कटाई की जाती है, ताकि हमारी “बहुमुल्य इमारते” खड़ी हो सके। जानवरों का अवैध शिकार तथा माँस खाल कि तस्करी करके मनुष्य अपनी जेंबे तो भर लेता है, पर हृद्य तो खाली ही रहता है। पशुओ के मुलायम रुए से बने वस्त्र बहुत आर्कषित करते है, चाहे इसके लिए किसी बेज़ूबान की जान ही क्यों न लेनी पड़े, इस बात से मनुष्य को कोई फर्क नहीं पड़ता। मनुषय यह नहीं सोचता के इनमें भी जान है, इनको भी कष्ट होता है, बस आँखे मूंद के अपना स्वार्थ पूरा करने में लगा है। इन सभी दुर्भाग्यपूर्ण स्थितीयों पर रोकथाम के लिए भारत सरकार द्वारा कई कड़े कदम उठाए जा चुके है। भारत सरकार ने सन 1972 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम दिया ताकी वन्यजीवों का संरक्षण हो सके तथा उनके अवैध शिकार एवम खाल माँस का व्यापार रोका जा सके। सन 2003 ई. में कानून को संशोधित करके भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 में बदल दिया गया। यह कानून पशु, पक्षि, पौधो की प्रजातीयों के अवैध शिकार एवम व्यापार को रोकने का भरपूर प्रयास करता है। यह कानून जम्मु और कशमीर के क्षेत्र को छोड़कर पूरे भारतवर्ष में लागू होता है। अधिनियम के अनुसार गैरकानूनी शिकार एवम व्यापार एक दण्डनीय अपराध है। विलुप्त होती हुई प्रजातीयों को भी सुरक्षा देने का प्रावधान है। अवैध कार्यकलाप वन विभाग में मौजूदा भ्रष्टाचार को दर्शाते है, अगर निपुणता से कार्य करे तो यह सब संभव ही न हो। सरकार द्वारा कई राज्यों में राष्ट्रीय उद्दान एवम वन्यजीव अभ्यारण स्थापित किए जा चुके है, जो कि सुचारू रूप से आज भी कार्यरत है, लक्ष्य एक ही था और है – वनो और वन्यजीवन को सुरक्षित करना, बचाए रखना। इन समस्याओं को कम करने के लिए सरकार के साथ साथ बहुत सारे गैरसरकारी विभाग भी बढ़ चढ़कर आगे आते है। वन्यजीवन पारीतंत्र का संतुलन बनाए रखता है जिससेप्रकृति में स्थिरता बनी रहती है। वन्यजीवन संरक्षण का एक लक्ष्य यह भी है कि आगे आने वाली पीढीयां भी प्रकृती का आनंद ले सके एवम वन्यजीवों की उपयोगिता, उनके महत्व को समझे। वन एवम वन्यजीवन का खतरे में होना एक चिंता का विषय है, और अभी भी अगर मन को नही झकझोरा, तो शायद बहुत देर हो जाएगी। कहने का तात्पर्य यह है के हम भी अपनी छोटी छोटी कोशिशों से अपनी भुमिका निभा सकते है, जैसे के – संसाधनो का समझदारी से उपयोग करना। प्लास्टिक का उपयोग न करना। कीटनाशक पदाथ्रो का कम से कम इस्तेमाल करना। हर त्योहार, जन्मदिवस, पर्व पर हर व्यक्ति एक पौधा लगाए, तो इस नन्हे कदम से भी स्थिति में सुधार आ सकता है। अवैध पशु पक्षि संबंधित व्यापार के विरोध में आम आदमी को भी अपनी आवाज़ उठानी होगी, ताकी सरकार इस विषय को लेकर अधिक कठोर नियम बनाए एवम भारी दण्ड और जुर्माने का प्रावधान हो। मानव द्वारा उतपन्न कचरे के निवारण के बारे में भी विचार करना होगा, जिससे ये मानव निर्मित ज़हर पर्यावरण में न घुले। इस बिंदु की शुरुआत हम अपने ही घरो से कर सकते है, जैसे गीले और सूखे कचरे को अलग करके रखना, कूड़े को खाद के रूप में उपयोग करना आदी। फैक्ट्रियों का निर्माण वनो से दूर किया जाए, एवम तथाकथित शहरी करण के नाम पर प्रकृती से खिलवाड़ न हो। बस इन्हीं सब प्रयासों द्वारा ही हम सब अपने इस अनमोल पर्यावरण को जीवंत बनाए रख सकते है। जब हम हिम्मत से कदम आगे बढ़ाएंगे, तभी सम्सया से पूर्ण राहत पाएंगे। |
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ग)रस बताइए :प्रीति-नदी में पाँउ न बोरूयो, दृष्टि न रूप परागी ।सूरदास अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यों पागी ।। |
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Answer» रस बताइए : प्रीति-नदी में पाँउ न बोरूयो, दृष्टि न रूप परागी । सूरदास अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यों पागी ।। इन पंक्तियों में वियोग श्रृंगार रस है। वियोग श्रृंगार रस में नायक और नायिका के मिलन में बाधा उत्पन्न होती है और विरह की उत्पत्ति होती है। नायक और नायिका एक दूसरे के वियोग में तड़पते-तरसते हैं। इस तरह एक दूसरे के प्रेम में अनुरक्त नायक एवं नायिका के मिलन का अभाव वियोग अर्थात विप्रलंभ शृंगार रस प्रकट करता है। इन पंक्तियों में गोपियां श्री कृष्ण के प्रति प्रेम भाव रखते हुए उनके वियोग को सह रही हैं और तड़प रही हैं। उद्धव जी द्वारा उपदेश देने पर उन्हें ताने-उलाहना देते हुए श्री कृष्ण के प्रति अपने प्रेम भावों तुलना के लिए अनेक उदाहरण देती हुई अपने प्रेम का पक्ष रख रही हैं| ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ संबंधित कुछ अन्य प्रश्न...► |
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| 14537. |
काशी में सब कुछ एकाकार कैसे हो गया? |
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Answer» because the people want PEACE and they have to be HAPPY . the meaning of एकाकार is DRAB or साथ |
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| 14538. |
Is it fair to remember only Ambedkar for constitution. |
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Answer» No other LEADER ALSO CONTRIBUTE for CONSTITUTION |
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• 'सादा जीवन उच्च विचार' विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए। |
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Answer» सादा जीवन उच्च विचार सरल जीवन उच्च विचार से पता चलता है कि हमें एक सादा जीवन जीना चाहिए लेकिन साथ ही हमारी सोच भी सीमित नहीं होनी चाहिए। यह तथ्य सही है कि हमें अपनी सोच को केवल रोज़ाना के कामों के इर्द-गिर्द तक ही सीमित नहीं करना चाहिए। हमें अपनी जिन्दगी के साथ-साथ हमारे आसपास के सकारात्मक बदलावों के बारे में भी सोचना चाहिए। यह नीतिवचन किसी भी प्रकार के दिखावे के बिना एक साधारण जीवन जीने के महत्व पर जोर देती है। हमें अपनी इच्छाओं और ज़रूरतों की जांच करना चाहिए। हालांकि जब सोच और विचारों की बात आती है तो ये बड़े होने चाहिए। हमें केवल स्वयं के बारे में ही नहीं सोचना चाहिए बल्कि अपने आस-पास के लोगों के बारे में भी सोचना चाहिए। |
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From class 10th hindi pls give me the proper answerwill be marked as brainliest |
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टोपी ने मुन्नी बाबू के बारे में कौन-सा रहस्य छिपाकर रखाथा और क्यों? विस्तार से समझा |
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Answer» Topi ne ek BAAR munni baabu ko kabaab khaate dekh liya tha aur munni baabu ne USE ek ikanni rishwat di thi. topi ko yeh maalum tha parantu VAH chugalkhor nahi tha. Explanation: the answer in the book is AVAILABLE on pg no. 37 of sanchayan-2 |
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शमशेर बहादुर सिंह ने बच्चन के व्यक्तित्व के किन-किनरूपों को उभारा है ? |
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Answer» उत्तर: लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के अनेक रूपों को उभारा है – 1) बच्चन का स्वभाव संघर्षशील तथा फौलादी संकल्पवाला था। 2) बच्चनजी समय के अत्यंत पाबन्द होने के साथ-साथ कला-प्रतिभा के पारखी थे। 3) वे ह्रदय से ही नहीं, कर्म से भी परम सहयोगी थे।
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1. परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?___2. परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हईं उनके आधार पर दोनों के स्वभावकी विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए।गाय कासामान केलिए की... |
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Answer» Explanation: 1) LAXMAN ne anaek tark diye JAISE ● humne to bacpan main anek danus tode. ● ye to RAM ke hath lgte HI tut gya ... 2) QUES nt clear |
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(ख) कहा जा चुका है कि मूर्ति संगमरमर की थी।(आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए) |
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स्कृत नुवाद9:4510:1510002.00 |
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Answer» Answer: 9:45-padon navvadnm 10-15- sapad dashvadnam |
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Explain the poem gaon ki dharti written by Narendra Sharma |
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Answer» Answer: चौथे बोल रहा है कि 5 आज ढलते जाड़े के दिनों में सर्दी में जंगल में नहाते हुए और हड्डी। और पीली खेलती हुई। ढलती दोपहर में सूखा। होगा धरती। Explanation: POEM EK PEELE Rang Ke Dharti ko bataya gaya hai jo kheton SE lahrate Hue SARSON ke kheton se Chamak raha hai |
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5. जो कथन सही नहीं है, उसे रेखांकित कीजिए।कर्तृवाच्य के वाक्य को कर्मवाच्य में परिवर्तित करते समय-(क) कर्ता के साथ के द्वारा या से लगाया जाता है।(ख) कर्म के साथ लगी विभक्ति को हटा दिया जाता है।(ग) क्रिया पुल्लिग में परिवर्तित हो जाती है।(घ) क्रिया के परिवर्तित रूप के अनुसार जाना क्रिया का रूप साथ में जोड़ा जाता है। |
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Answer» OPTION 1 is write please MARK it as a brainlist answer i need it |
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Manushyata ke kya gun hain ? Class 10 cbse |
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Answer» Answer: PLEASE open the TEXT book................................and find it that's EASY |
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