Explore topic-wise InterviewSolutions in .

This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

51.

सीखने के उद्दीपक-अनुक्रिया सिद्धान्त के जनक हैं याअधिगम के उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धान्त के प्रतिपादक हैंसीखने के प्रमुख नियमों के प्रतिपादक हैं(क) कोहलर(ख) स्किनर(ग) थॉर्नडाइक(घ) पावलोव

Answer»

सही विकल्प है  (ग) थॉर्नडाइक

52.

सीखने का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा परिभाषा निर्धारित कीजिए। सीखने की विशेषताओं का सामान्य विवरण भी प्रस्तुत कीजिए।

Answer»

सीखने का अर्थ व परिभाषा जीवन की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए गते अनुभवों की सहायता से व्यवहार में परिवर्तन लाने की प्रक्रिया को हम सीखना कहते हैं। वास्तव में, ‘सीखना किसी स्थिति के प्रति एक सक्रिय प्रतिक्रिया है। इस प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप ही व्यक्ति के व्यवहार में प्रगतिशील परिवर्तन होते हैं। प्रत्येक प्रतिक्रिया एक अनुभव देती है और यह अनुभव व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन लाता है। इस सम्पूर्ण प्रतिक्रिया को ही हम सीखना कहते हैं। सीखने की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं।

1. वुडवर्थ :
(Woodworth) के अनुसार, “नवीन ज्ञान और प्रतिक्रियाओं को करने की प्रक्रिया, सीखने की प्रक्रिया है।”
2. गेट्स :
व अन्य के अनुसार, “अनुभवों और प्रशिक्षण द्वारा अपने व्यवहारों का संशोधन करना ही सीखना है।”
3. स्किनर :
(Skinner) के अनुसार, “सीखना व्यवहार में प्रगतिशील सामंजस्य की प्रतिक्रिया
4. क्रॉनबैक :
(Cronback) के अनुसार, “सीखना, अनुभव के फलस्वरूप व्यवहार में परिवर्तन द्वारा अभिव्यक्त होता है।”
5. कॉलविन :
(Colvin) के अनुसार, “अनुभव के आधार पर हमारे पूर्व-निर्मित व्यवहार में परिवर्तन की प्रक्रिया ही सीखना है।”
6. गिलफोर्ड :
(Guilford) के अनुसार, “व्यवहार के कारण, व्यवहार में परिवर्तन ही सीखना
7. जी० डी० बॉज :
(G. D. Boaz) के अनुसार, “सीखना एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति विभिन्न आदतों, ज्ञान एवं दृष्टिकोण सामान्य जीवन की माँगों की पूर्ति के लिए अर्जित करता है।
8. क्रो व क्रो :
(Crow & Crow) के अनुसार, “ज्ञान और अभिवृत्ति की प्राप्ति ही सीखना है।”
9. प्रेसी :
(Pressy) के अनुसार, “सीखना एक अनुभव है, जिसके द्वारा कार्य में परिवर्तन या समायोजन होता है तथा व्यवहार की गयी विधि प्राप्त होती है।”
10. हिलगार्ड :
(Hilgard) के अनुसार, “सीखना एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा कोई प्रक्रिया आरम्भ होती है या सामना की गयी परिस्थिति द्वारा परिवर्तित की जाती है। इसके लिए आवश्यक है कि क्रिया के परिवर्तन की विशेषताओं, मूल-प्रवृत्तियों की प्रक्रिया, परिपक्वता या प्राणी की अस्थायी आवश्यकताओं के आधार पर उस प्रक्रिया को समझाया न जा सके।”

उपर्युक्त परिभाषाओं का विश्लेषण करने से यह निष्कर्ष निकलता है कि

⦁    सीखने का अर्थ व्यवहार में परिवर्तन है।
⦁    सीखना व्यवहार का संगठन है।
⦁    सीखना नवीन प्रक्रिया की पुष्टि है।

सीखने की प्रमुख विशेषताएँ
सीखने की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. सीखना परिवर्तन है :
अनुभव जन्म से लेकर मृत्यु तक चलता रहता है। हर समय व्यक्ति कुछ-न-कुछ सीखता रहता है और इसके लाभ उठाकर व्यक्ति अपने सीखने की प्रमुख विशेषताएँ व्यवहार में परिवर्तन करता है। अतः सीखना परिवर्तन है।
2. सीखना खोज करना है :
मर्सेल (Mursell) के अनुसार, “सीखना उसे तथ्य खोजने और जानने का कार्य है, जिसे व्यक्ति खोजना और जानना चाहता है। वास्तव में, सीखना एक प्रकार से खोज करना है। आज मानव ने जो प्रगति की है, उसको मूल आधार इस प्रकार का सीखना ही है।
3. सीखना जीवन-पर्यन्त चलता है :
अनुभव का जीवन में विशेष महत्त्व हैं, और यह जन्म से लेकर मृत्यु तक निरन्तर चलता रहता है। व्यक्ति जीवनभर कुछ-न-कुछ सीखता ही रहता है और यह प्रक्रिया निरन्तर मृत्यु तक चलती ही रहती है।
4.सीखना सक्रिय है :
सीखना बिना सक्रियता के सम्भव नहीं है। बालक सक्रिय होकर ही सीखता है।
5. सीखना विकास है :
सीखना एक विकास है, जिसका कभी अन्त नहीं होता है। प्रत्येक पल व्यक्ति कुछ-न-कुछ सीखती रहता है, जिसके परिणामस्वरूप उसका मानसिक विकास होता रहता है।
6.सीखना अनुभवों का संगठन है :
एक व्यक्ति जैसे-जैसे अपने अनुभवों के आधार पर नवीन बातें सीखता है, वैसे-ही-वैसे वह आवश्यकतानुसार अपने अनुभवों को संगठित करता जाता है।
7. सीखना सार्वभौमिक है :
सीखना एक सार्वभौमिक क्रिया है, जो समस्त प्राणियों में पायी जाती है। विकास की श्रेणियों के आधार पर प्राणियों के सीखने में अन्तर होता है। पशु-पक्षी कम सीखते हैं, क्योंकि उनमें अपने अनुभव से लाभ उठाने की क्षमता कम होती है। सीखने की प्रवृत्ति मनुष्य में सबसे अधिक पायी जाती है।
8. सीखना उद्देश्यपूर्ण है :
सीखना उद्देश्यपूर्ण होता है। बिना उद्देश्य के सीखना सफल नहीं हो सकता। उद्देश्य की प्रबलता ही सीखने की क्रिया तीव्र करती है।
9. सीखना समायोजन है :
सीखकर मनुष्य अपने को वातावरण से समायोजित करता है। इस प्रकार का समायोजन करना ही सीखना है।

53.

“समस्यात्मक परिस्थिति को समग्र में समझा जाता है और तुरन्त ही हल स्पष्ट रूप से पूर्व-दृष्टि से मन में आ जाता है।” यह कथन किसकी विशेषता है ? (क) सूझ द्वारा सीखने की(ख) प्रयास एवं भूल द्वारा सीखने की(ग) अनुकरण द्वारा सीखने की(घ) सम्बन्धीकरण द्वारा सीखने की

Answer»

सही विकल्प है (क) सूझ द्वारा सीखने की।

54.

सूझ द्वारा समस्या का समाधान प्राप्त होता है (क) एकाएक(ख) समस्या उत्पन्न होने के एक घण्टे बाद(ग) निद्रा के बाद(घ) कभी नहीं।

Answer»

सही विकल्प है  (क) एकाएक

55.

बिल्लियों पर प्रयोग किसने किया ?(क) थॉर्नडाइक ने(ख) स्किनर ने।(ग) कोहलर ने(घ) टरमन ने

Answer»

सही विकल्प है (क) थॉर्नडाइक ने

56.

नवीन अनुबन्धन सिद्धान्त के प्रवर्तक हैं(क) पावलोव(ख) थॉर्नडाइक(ग) कोहलर(घ) चाल्र्स स्किनर

Answer»

सही विकल्प है  (घ) चार्ल्स स्किनर

57.

सम्बद्ध प्रतिक्रिया सिद्धान्त के प्रतिपादक हैं(क) कोहलर(ख) स्किनर(ग) पावलोव(घ) थॉर्नडाइक

Answer»

सही विकल्प है (ग) पावलोव

58.

प्रारम्भ में बालक किस प्रकार सीखता है ?(क) परीक्षण द्वारा(ख) सूझ द्वारा(ग) विभेदकरण द्वारा(घ) प्रयत्न एवं त्रुटि द्वारा

Answer»

सही विकल्प है  (घ) प्रयत्न एवं त्रुटि द्वारा

59.

थॉर्नडाइक द्वारा प्रतिपादित सीखने के ‘अभ्यास के नियम का सामान्य विवरण प्रस्तुत कीजिए।

Answer»

थॉर्नडाइक द्वारा प्रतिपादित सीखने का दूसरा मुख्य नियम है-अभ्यास का नियम। इसे उपयोग-अनुपयोग का नियम (Law of Use-Disuse) भी कहते हैं। थॉर्नडाइक का विचार है कि अन्य बातें समान रहने पर सीखने की प्रक्रिया में अभ्यास के द्वारा शक्ति में वृद्धि होती है, जबकि अभ्यास की कमी स्थिति और प्रतिक्रिया के सम्बन्ध को कमजोर बना देती है।
हमारी बहुत-सी प्रतिक्रियाओं में उपयोग तथा अनुपयोग के नियम साथ-साथ कार्य करते हैं। हम स्वतन्त्र भाव से उन्हीं उपयोगी क्रियाओं को दोहराते हैं जिनसे हमें आनन्द मिलता है तथा उन अनुपयोगी क्रियाओं को नहीं दोहराते जिनसे हमें दुःख होता है।
अभ्यास के नियम से स्पष्ट है कि जिस काम को जितना अधिक दोहराया जाएगा, जितनी ही उसकी पुनरावृत्ति की जाएगी, उतनी ही दृढ़ता से वह हमारे मन में बैठ जाता है और उसके करने में उतनी ही कुशलता आ जाती है। गायन, खेल, कविता, पहाड़े तथा गणित आदि से सम्बन्धित नियम सिखाने के उपरान्त बालकों को उनका अभ्यास अवश्य करा देना चाहिए।

60.

थॉर्नडाइक द्वारा प्रतिपादित सीखने के प्रभाव के नियम का सामान्य विवरण प्रस्तुत कीजिए।

Answer»

थॉर्नडाइक द्वारा प्रतिपादित सीखने का तीसरा मुख्य नियम है 
प्रभाव का नियम (Law of effect)। प्रभाव के नियम को सन्तोष और असन्तोष का नियम भी कह्ते हैं। थॉर्नडाइक द्वारा प्रतिपादित इस नियम में प्रभावे से तात्पर्य ‘परिणाम’ से है। जिन कार्यों का परिणाम व्यक्ति को सन्तोष प्रदान करता है। तथा उसे सुखद अनुभव देता है-उन कार्यों को मनुष्य सरलता से एवं शीघ्र ही सीख जाता है। इसके विपरीत जिन कार्यों का परिणाम असन्तोषजनक तथा दु:खद अनुभव वाला होता है, उन्हें व्यक्ति भुला, देना चाहता है और बार-बार दोहराना नहीं चाहता।
इसी सन्दर्भ में जिस कार्य को करने से व्यक्ति को प्रशंसा एवं पुरस्कार मिले यानि जिस कार्य का अच्छा प्रभाव (परिणाम) निकले, उसे बालक शीघ्रतापूर्वक सीख जाता है। इसी कारण से शिक्षा में दण्ड एवं पुरस्कार को बहुत अधिक महत्त्व है। बुरा कार्य करने पर बालक दण्ड पाता है किन्तु अच्छे कार्य के लिए उसे पुरस्कृत किया जाता है। प्रभाव का नियम विद्यालय तथा परिवार में पर्याप्त रूप से प्रयोग किया जाता है।

61.

प्रयास एवं त्रुटि द्वारा सीखने के महत्व को स्पष्ट कीजिए।याथॉर्नडाइक द्वारा प्रतिपादित सीखने की विधि की शैक्षिक उपयोगिता को स्पष्ट कीजिए।

Answer»

थॉर्नडाइक द्वारा प्रतिपादित सीखने के सिद्धान्त एवं विधि का विशेष शैक्षिक महत्त्व है। इस विधि के महत्त्व का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है।

⦁    इस सिद्धान्त को अपनाकर बालक को परिश्रमी बनाया जा सकता है।
⦁    यह सिद्धान्त बालकों में धैर्य का पाठ पढ़ाता है।
⦁    मन्दबुद्धि के बालकों के लिए यह सिद्धान्त बहुत उपयोगी है।
⦁    इस सिद्धान्त के आधार पर बालक जो कुछ भी सीखता है, वह उसके मस्तिष्क में स्थायी हो जाता है।
⦁    गणित और विज्ञान जैसे विषयों के लिए इसका प्रयोग सफलतापूर्वक किया जा सकता है।
⦁    इस सिद्धान्त के आधार पर सीखने से बालक विभिन्न समस्याओं का समाधान करना सीखते हैं।

62.

“सीखना व्यवहार के परिणामस्वरूप व्यवहार में कोई परिवर्तन है।” यह परिभाषा किसने दी है?(क) वुडवर्थ ने(ख) चार्ल्स स्किनर ने(ग) कॉलविन ने(घ) गिलफोर्ड ने

Answer»

सही विकल्प है  (घ) गिलफोर्ड ने

63.

“व्यवहार के अर्जन में उन्नति की प्रक्रिया को सीखना कहते हैं।” यह परिभाषा किसने दी है ?

Answer»

प्रस्तुत परिभाषा स्किनर द्वारा प्रतिपादित है।

64.

प्रयास एवं त्रुटि द्वारा सीखना ही(क) सूझ का सिद्धान्त है(ख) सम्बन्ध प्रतिक्रिया को सिद्धान्त है(ग) अनुकरण का सिद्धान्त है(घ) उद्दीपक प्रतिक्रिया को सिद्धान्त है

Answer»

सही विकल्प है  (घ) उद्दीपक प्रतिक्रिया का सिद्धान्त है

65.

थॉर्नडाइक के अभ्यास के नियम के कितने उपनियम हैं ?

Answer»

थॉर्नडाइक के अभ्यास के नियम के तीन उपनियम हैं
⦁    पुनरावृत्ति का नियम
⦁    नवीनता का नियम तथा
⦁    अनुपयोग का नियम।

66.

थॉर्नडाइक ने अधिगम के कितने नियम प्रतिपादित किये हैं।

Answer»

थॉर्नडाइक ने अधिगम के तीन मुख्य नियम प्रतिपादित किये हैं

⦁    तत्परता का नियम
⦁    अभ्यास का नियम तथा
⦁    प्रभाव का नियम

67.

कोहलर ने सीखने के निम्नलिखित में से किस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया ?(क) प्रयास एवं त्रुटि’ द्वारा सीखने का सिद्धान्त(ख) ‘सूझ’ द्वारा सीखने का सिद्धान्त(ग) सम्बन्ध प्रत्यावर्तन का सिद्धान्त(घ) अनुकरण का सिद्धान्त

Answer»

सही विकल्प है  (ख) ‘सूझ’ द्वारा सीखने का सिद्धान्त

68.

“व्यवहार के कारण व्यवहार में परिवर्तन ही सीखना है।” यह परिभाषा किसने दी है?

Answer»

गिलफोर्ड ने।

69.

अधिगम में चिम्पैंजी पर किसने प्रयोग किया?

Answer»

अधिगम में चिम्पैंजी पर कोहलर ने प्रयोग किया।

70.

सीखने के पठार की दशा में (क) सीखने की गति घट जाती है।(ख) सीखने की गति बढ़ जाती है।(ग) सीखने की गति में वृद्धि नहीं होती।(घ) सब कुछ भूल जाता है।

Answer»

(ग) सीखने की गति में वृद्धि नहीं होती।

71.

सीखने की प्रक्रिया में उस दशा को क्या कहते हैं, जब व्यक्ति की सीखने की दर स्थिर हो जाती है?

Answer»

सीखने का पठार।

72.

सीखने की प्रक्रिया पर व्यक्ति के शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य का क्या प्रभाव प्रड़ता है?

Answer»

सीखने की तीव्रता व्यक्ति के शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य अच्छा न होने पर ज्ञानेन्द्रियाँ ठीक काम नहीं कर पातीं, व्यक्ति रुचि लेकर कार्य नहीं करता और जल्दी ही थक जाता है। जो व्यक्ति देखने, सुनने, बोलने आदि क्रियाओं में निर्बल होते हैं, वे सीखने में पर्याप्त उन्नति नहीं कर पाते। वस्तुतः सीखने की प्रक्रिया का भौतिक और शारीरिक आधार स्नायु संस्थान है।
स्नायु संस्थान के अन्तर्गत मस्तिष्क और स्नायु आते हैं जिनके कार्य करने की शक्ति पर सीखने की प्रक्रिया निर्भर करती है। मस्तिष्क और स्नायु की शक्ति, व्यक्ति के स्वास्थ्य पर निर्भर है। स्पष्टतः सीखने की क्रिया शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य के सीधे रूप में प्रभावित होती है।

73.

सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले शारीरिक कारक हैं(क) आयु एवं परिपक्वता(ख) लिंग-भेद(ग) स्वास्थ्य(घ) ये सभी कारक

Answer»

सही विकल्प है  (घ) ये सभी कारक