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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

इस जातरा को तेलगाणा राज्य का कुंभमेला क्यों कहा जाता है?

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हर दो साल में एक बार माघ पूर्णिमा के दिन सम्मक्का-सारक्का जातरा बडे वैभव के साथ आयोजित की जाती है। जातरा के पहले दिन कन्नेपल्ली से सारलम्मा की सवारी लायी जाती है। दूसरे दिन चिलुकल गुट्टा में भरिणि के रूप में सम्मक्का को प्रतिष्ठापित किया जाता है। देवी की प्रतिष्ठापना के समय भक्तजनों की भीड उमड पडती है। यह भीड किसी कुंभ मेले से कम नहीं होती। इसीलिए इस जातरा को तेलंगाणा राज्य का कुंभ मेला कहा जाता है।

2.

सम्मक्का – सारक्का के जीवन से क्या संदेश मिलता है?

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सम्मक्का – सारक्का का जीवन संदेशात्मक है । अकारण काकतीय राजा, प्रतापरुद्र ने मेडारम पर आक्रमण किया । सांप्रदायिक ढंग से अस्त्र – शस्त्र धारण कर विविध प्रांतों से पगिडिद्दा राजु, सम्मक्का, सारक्का नागुलम्मा जंपन्ना, गोविंद राजु आदि ने वीरता से युद्ध किया । मगर अधिक संख्यक काकतीय सेना से लडते वीरगति प्राप्त की है। सम्मक्का, क्रोधित हो रणचंडी बनकर काकतीय सेना पर टूट पड़ी | जन जातीय युद्ध कला का प्रदर्शन करते घायल होकर चिलुकल गुट्टा की ओर जाती अदृश्य हो गयी। उसके जीवन से हमें यह संदेश मिलता है कि मातृभूमि की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। चाहे जान भी चले जाए, अपने देश को स्वतंत्र रखना हमारा पवित्र धर्म है। तभी हमारा जन्म सार्थक होगा ।