InterviewSolution
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बच्चों की शिक्षा के दृष्टिकोण से समुदाय को माना जाता है|(क) अनावश्यक अभिकरण(ख) औपचारिक अभिकरण(ग) अनौपचारिक अभिकरण(घ) कामचलाऊ अभिकरण |
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Answer» सही विकल्प है (ग) अनौपचारिक अभिकरण |
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क्या समुदाय भी शिक्षा का अभिकरण है? यदि हाँ, तो यह शिक्षा का किस प्रकार का अभिकरण है? ‘समुदाय शिक्षा के किस अभिकरण का उदाहरण है ? |
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Answer» समुदाय स्पष्ट रूप से शिक्षा का अभिकरण है। यह शिक्षा का अनौपचारिक अभिकरण है। |
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बालक की शिक्षा में समुदाय के योगदान का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» बालक की शिक्षा में समुदाय का योगदान परिवार और विद्यालय के समान समुदाय भी शिक्षा का महत्त्वपूर्ण अभिकरण है। समुदाय बालक के व्यवहार को इस भाँति रूपान्तरित करता है ताकि वह उस समूह के कार्यों में सक्रिय भाग ले सके, जिसका कि वह सदस्य है। बालक समुदाय से औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों ही प्रकार की शिक्षा प्राप्त करता है। व्यापक अर्थ में शिक्षा आजन्म चलने वाली प्रक्रिया है, जिसके अन्तर्गत बालक अनौपचारिक तथा स्वाभाविक रूप से प्रत्येक क्षण अपने सामुदायिक जीवन से कुछ-न-कुछ सीखता रहता है। जॉन डीवी का मत है, “विद्यालय को समाज का वास्तविक प्रतिनिधि होना चाहिए।’ विद्यालय शिक्षा की एक औपचारिक संस्था है, जिसकी स्थापना समाज या समुदाय करता है। अत: विद्यालय पर समुदाय का प्रभाव पड़ता ही है। इसी तरह से समुदाय भी विद्यालय शिक्षा के उद्देश्य निर्धारित करने में योगदान देता है। बालक के व्यक्तित्व के विकास पर समुदाय का गहरा असर पड़ता है। बालक की संस्कृति, आचरण, रहन-सहन, बोलचाल, स्वभाव, विचारों तथा आदतों के निर्माण में भी समुदाय का परोक्ष, प्रभावशाली एवं महत्त्वपूर्ण योगदान है। बालक की अनुकरण करने की जन्मजात प्रवृत्तियों पर समुदाय के वातावरण का विशेष प्रभाव पड़ता है। प्रायः बालक वैसा ही बनता है जैसा कि समुदाय का नेतृत्व उसे बनने की प्रेरणा देता है। सामुदायिक संगति का गहरा और व्यापक असर होता है। प्राय: देखने में आता है कि कलाकार के साथ रहने वाला बालक उसकी कला से प्रभावित हो जाता है और विशिष्ट कला में रुचि रखने लगता है। इसके अतिरिक्त, धार्मिक, सामाजिक, नागरिक एवं शैक्षिक संस्थाएँ; जैसे-विद्यालय, समाज सेवी तथा राजनीतिक दल, समाचार-पत्र, पुलिस, यात्राएँ, घर, पास-पड़ोस तथा क्रीड़ा-स्थल आदि सामुदायिक इकाइयाँ भी बालक की शिक्षा और उसके सर्वांगीण विकास में भूमिका निभाती हैं। स्पष्टतः बालक की शिक्षा में समुदाय का अभीष्ट योगदान रहता है। |
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कथन सत्य हैं या असत्य⦁ एक सीमित क्षेत्र में सामाजिक जीवन के सम्पूर्ण संगठन को समुदाय कहते हैं।⦁ समुदाय द्वारा बच्चों की शिक्षा-व्यवस्था में कोई उल्लेखनीय योगदान नहीं दिया जाता है।⦁ समुदाय स्पष्ट रूप से शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण औपचारिक अभिकरण है।⦁ विद्यालय तथा समुदाय में घनिष्ठ आपसी सम्बन्ध होता है।⦁ समुदाय द्वारा बच्चों के बहुपक्षीय विकास में विशेष योगदान दिया जाता है। |
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Answer» ⦁ सत्य, ⦁ असत्य, ⦁ असत्य, ⦁ सत्य, ⦁ सत्य। |
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बच्चों की शिक्षा-व्यवस्था के दृष्टिकोण से विद्यालय तथा समुदाय का आपसी सम्बन्धहोता है(क) परस्पर विरोध का(ख) परस्पर सहयोग का(ग) समुदाय विद्यालय पर हावी रहता है।(घ) विद्यालय समुदाय के प्रभाव से मुक्त है। |
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Answer» सही विकल्प है (ख) परस्पर सहयोग का |
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‘समुदाय’ का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान है(क) शिक्षा के अनौपचारिक अभिकरणों की व्यवस्था करना(ख) शिक्षा पर आवश्यक नियन्त्रण रखना(ग) विद्यालय पर आवश्यक नियन्त्रण रखना(घ) उपर्युक्त सभी योगदान |
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Answer» सही विकल्प है (घ) उपर्युक्त सभी योगदान |
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“विद्यालय समाज का सच्चा प्रतिनिधि है।” यह कथन किसका है? |
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Answer» प्रस्तुत कथन जॉन डीवी का है। |
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समुदाय द्वारा अपने युवकों की जीविकोपार्जन की समस्या के समाधान में क्या योगदान दिया जाता है? |
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Answer» समुदाय द्वारा युवकों के औद्योगिक एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था करके उनकी जीविकोपार्जन सम्बन्धी समस्या के समाधान में योगदान दिया जाता है। |
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बच्चों की औपचारिक शिक्षा की व्यवस्था में समुदाय द्वारा क्या योगदान दिया जाता है? |
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Answer» समुदाय विद्यालय एवं अन्य शिक्षण संस्थाओं की स्थापना करके बच्चों की औपचारिक शिक्षा की व्यवस्था करता है। |
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समुदाय की तीन मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» ⦁ ‘सामुदायिक भावना’ अथवा ‘हम की भावना’ का पाया जाना, |
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गृह अथवा परिवार तथा समुदाय के आपसी सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» गृह अथवा परिवार तथा समुदाय के आपसी सम्बन्ध का विवरण निम्नलिखित है- ⦁ व्यक्ति, गृह (परिवार) का एक सदस्य है-परिवारों से समुदाय बनते हैं और समुदाय समाज का महत्त्वपूर्ण अंग है। इस प्रकार व्यक्ति, समुदाय एवं समाज का घनिष्ठ सम्बन्ध दृष्टिगोचर होता है। ⦁ गृह और समुदाय एक-दूसरे से इतने अधिक सम्बद्ध हैं कि एक के बिना दूसरे का अस्तित्व ही नहीं रहता। ⦁ घर में जन्म लेने वाला प्रत्येक बच्चा एक निश्चित समुदाय से जुड़ा होता है। उसके प्रारम्भिक जीवन का अधिकांश समय जिस समुदाय के बीच व्यतीत होता है, उस समुदाय की संस्कृति के अनुसार ही उसके व्यक्तित्व का विकास होता है। ⦁ समुदाय अपने शैक्षिक कर्तव्यों के अन्तर्गत परिवार के बच्चों की शिक्षा-दीक्षा का व्यापक प्रबन्ध करता है। ⦁ दूसरी ओर, जहाँ परिवार का सभ्य-सुसंस्कृत वातावरण, चरित्र, आचरण एवं नैतिक आदर्श समुदाय की दिशा निर्धारित करता है, वहीं परिवार के सदस्यों के दोष भी समुदाय के वातावरण पर प्रभाव डालते हैं। ⦁ रॉस के अनुसार, ‘‘ऐसे व्यक्ति का कोई भी मूल्य नहीं है जो सामाजिक जीवन से पृथक् हो।” |
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समुदाय के महत्त्व का उल्लेख कीजिए। या शिक्षा के औपचारिक अभिकरण के रूप में समुदाय के महत्त्व पर प्रकाश डालिए। |
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Answer» समुदाय का महत्त्व(Importance of Community) ⦁ समुदाय, गृह अथवा विद्यालय की तरह ही, बालक के व्यवहार में परिवर्तन इस भाँति लाता है ताकि वह एक सदस्य के रूप में समूह के कार्यों में सक्रिय भाग ले सके। |
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‘समुदाय’ की एक स्पष्ट परिभाषा लिखिए। |
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Answer» “समुदाय एक ऐसा सामाजिक समूह है जिसमें कुछ अंशों में हम की भावना पाई जाती है तथा जो एक निश्चित क्षेत्र में रहता है।” -बोगस |
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विद्यालय तथा समुदाय के आपसी सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» विद्यालय तथा समुदाय का आपसी सम्बन्ध निम्नलिखित विवरण द्वारा स्पष्ट हो जाएगा– ⦁ विद्यालय का समुदाय से गहरा सम्बन्ध है और दोनों ही अपने विकास के लिए एक-दूसरे पर आश्रित हैं। ⦁ विद्यालय औपचारिक शिक्षा के माध्यम से तथा समुदाय अनौपचारिक शिक्षा द्वारा बालक के व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं। अतः व्यक्तित्व के समुचित विकास हेतु विद्यालय एवं समुदाय में आपसी सहयोग अनिवार्य है। ⦁ प्रत्येक समुदाय अपनी प्रगति हेतु विद्यालय की स्थापना करता है। विद्यालय, समुदाय के प्रतिनिधि तथा राष्ट्र के भावी नागरिक के रूप में बालक को शिक्षा प्रदान करता है। ⦁ विद्यालय में विभिन्न समुदायों से प्रायः सभी संस्कृतियों के बालक शिक्षा पाने हेतु आते हैं और साथ-साथ रहकर एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। ⦁ विद्यालय और समुदाय के वातावरण भी एक-दूसरे के साथ अन्त:क्रिया करते हैं। विद्यालय का वातावरण कृत्रिम, किन्तु समुदाय का वातावरण स्वाभाविक होता है। समुदाय की सभी अच्छाइयाँ और बुराइयाँ विद्यालय के संगठन एवं क्रियाकलापों पर गहरा असर रखती हैं। ⦁ बालक के शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, नैतिक एवं सांस्कृतिक विकास द्वारा विद्यालय समुदाय के विकास में सहयोग करते हैं। हावर्थ लिखते हैं, “विद्यालय समाज के चरित्र में सुधार करने का साधन है। यह सुधार सामाजिक उन्नति की दिशा में है या नहीं, यह विद्यालय के संचालकों के चरित्र एवं आदर्शों पर निर्भर करता है।” |
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शिक्षा के एक अभिकरण के रूप में समुदाय के शैक्षिक कार्यों की विवेचना कीजिए।या“समाज शिक्षा का एक शक्तिशाली अभिकरण है।” इस सन्दर्भ में समाज के शैक्षिक कार्यों को लिखिए।याशिक्षा के अभिकरण के रूप में समुदाय की भूमिका का वर्णन कीजिए।या“समुदाय शिक्षा का सक्रिय एवं अनौपचारिक अभिकरण है।” विवेचना कीजिए।यासमाज के शैक्षिक कार्य क्या हैं?यासमुदाय के शैक्षिक कार्यों का विस्तार से वर्णन कीजिए। |
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Answer» शिक्षा के अभिकरण के रूप में समुदाय के कार्य शिक्षा के अनौपचारिक अभिकरणों में समुदायका महत्त्वपूर्ण स्थान है। समुदाय को अपने सदस्यों विशेष रूप से बच्चों एवं युवा वर्ग के प्रति विशेष दायित्व होता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए समुदाय अपने क्षेत्र में विभिन्न शैक्षिक कार्यों को दायित्वपूर्ण ढंग से सम्पन्न करता है। शिक्षा के एक सक्रिय एवं अनौपचारिक अभिकरण के रूप में समुदाय के शैक्षिक कार्यों का विवरण निम्नलिखित है 1. शारीरिक विकास की व्यवस्था-समुदाय के शैक्षिक कर्तव्य में प्रथम है बालक के शारीरिक विकास की व्यवस्था। समुदाय का कर्तव्य है कि वह विद्यालय में शान्त एवं स्वस्थ वातावरण के माध्यम से विद्यार्थियों का समुचित शारीरिक विकास करे। इसके लिए विद्यालय प्रांगण अथवा किसी सार्वजनिक स्थान पर खेलकूद तथा व्यायामशालाओं का पर्याप्त प्रबन्ध किया जाना चाहिए। प्रत्येक ग्राम और नगर में स्थान-स्थान पर सामुदायिक उद्यान, पार्क, क्रीड़ा-स्थल, मनोरंजन के साधन तथा स्वास्थ्य व चिकित्सा केन्द्र स्थापित किए जाने चाहिए। यही नहीं, समुदाय द्वारा निर्धन वर्ग के बच्चों हेतु मुफ्त आहार की व्यवस्था भी की जानी चाहिए। यह दायित्व भी समुदाय का ही है कि वह विद्यालय की शिक्षा-दीक्षा एवं प्रबन्ध-तन्त्र के संचालन हेतु ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति करे जो पर्याप्त रूप से कुशल और अनुभवी हों। इस सन्दर्भ में हावर्थ के अनुसार, ‘विद्यालय समाज के चरित्र का सुधार करने का साधन है। यह सुधार सामाजिक उन्नति की दिशा में है या नहीं, यह विद्यालय के संचालकों के विचारों तथा आदर्शों पर निर्भर रहता है।” 8. शिक्षा के अनौपचारिक साधनों की व्यवस्था शिक्षा के व्यापक दृष्टिकोण के अन्तर्गत शिक्षा के औपचारिक तथा अनौपचारिक सभी साधन सम्मिलित हैं। सिर्फ औपचारिक साधनों की व्यवस्था करके ही समुदाय का शैक्षिक दायित्व पूरा नहीं हो जाता, उसे बालकों के लिए शिक्षा के अनौपचारिक साधनों का प्रबन्ध भी करना चाहिए। इस दृष्टि से समुदाय द्वारा पुस्तकालयों, चित्रशालाओं, संग्रहालयों, संगीतशालाओं, अभिनय केन्द्रों तथा स्वास्थ्य संगठनों की स्थापना होनी आवश्यक है। उल्लेखनीय रूप से इन अनौपचारिक साधनों में भाँति-भाँति के शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए। उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि शिक्षा के साधन के रूप में समुदाय के अनेक शैक्षिक कर्तव्य हैं। जो बालक की शिक्षा में समुदाय के महत्त्व तथा शैक्षिक प्रभाव का प्रतिपादन करते हैं। वास्तव में समुदाय के सहयोग से ही बालक एक आदर्श नागरिक बनकर व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप से समाज की प्रगति में सहायता दे सकता है। |
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