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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

संविधान संशोधन से क्या आशय है?

Answer»

संविधान में परिस्थितियों व समय की आवश्यकताओं के अनुसार परिवर्तन कर नए प्रावधानों को शामिल करने व ढालने की प्रक्रिया को संविधान संशोधन कहते हैं।

2.

केशवानन्द मामले में उच्चतम न्यायालय ने किस वर्ष निर्णय दिया?(क) 1973(ख) 1974(ग) 1957(घ) 1975

Answer»

सही विकल्प है (क) 1973

3.

बताएँ कि भारतीय संविधान के निर्माण के बारे में निम्नलिखित अनुमान सहीं हैं या नहीं? अपने उत्तर का कारण बताएँ-(क) संविधान सभा में भारतीय जनता की नुमाइंदगी नहीं हुई। इसका निर्वाचन सभी नागरिकों द्वारा नहीं हुआ था।(ख) संविधान बनाने की प्रक्रिया में कोई बड़ा फैसला नहीं लिया गया क्योंकि उस समय नेताओं के बीच संविधान की बुनियादी रूपरेखा के बारे में आम सहमति थी।(ग) संविधान में कोई मौलिकता नहीं है क्योंकि इसका अधिकांश हिस्सा दूसरे देशों से लिया गया है।

Answer»

(क) भारतीय संविधान की रचना करने वाली संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव समाज के सभी वर्गों के लोगों के बीच से नहीं हुआ था, किन्तु उसमें अधिक-से-अधिक वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया गया था। भारत के विभाजन के बाद संविधान सभा के सदस्यों में कांग्रेस के सर्वाधिक 82 प्रतिशत सदस्य थे। ये सदस्य सभी विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करते थे। अतः यह कहना किसी भी दृष्टि से सही नहीं होगा कि संविधान सभा में भारतीय जनता की नुमाइंदगी नहीं हुई और इसका निर्वाचन सभी नागरिकों द्वारा नहीं हुआ था।

(ख) यह कथन भी सही नहीं है कि संविधान सभा के सदस्यों में प्रत्येक विषय पर आम सहमति थी और संविधान बनाने की प्रक्रिया में कोई बड़ा फैसला नहीं लिया गया। भारतीय संविधान का केवल एक विषय ऐसा था जिस पर संविधान सभा के सदस्यों में आम सहमति थी और वह विषय था-“मताधिकार किसे प्राप्त हो?” इस विषय के अतिरिक्त संविधान के सभी विषयों पर संविधान सभा के सदस्यों के बीच गहन विचार-विमर्श और वाद-विवाद हुआ।

संविधान के विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श के लिए आठ कमेटियों का गठन किया गया था। सामान्यतया पं० जवाहरलाल नेहरू, डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुलकलाम आजाद तथा डॉ० भीमराव अम्बेडकर इन कमेटियों के अध्यक्ष पद पर पदस्थ थे। ये सभी लोग ऐसे विचारक थे जिनके विचार विभिन्न विषयों पर कभी एकसमान नहीं होते थे। डॉ० अम्बेडकर तो कांग्रेस और महात्मा गांधी के कट्टर विरोधी थे। उनका आरोप था कि कांग्रेस और महात्मा गांधी ने कभी अनुसूचित जातियों की उन्नति के लिए गम्भीर प्रयास नहीं किए। पं० जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल के बीच भी अनेक विषयों पर गम्भीर मतभेद थे। किन्तु फिर भी सबने एक साथ मिलकर काम किया। कई विषयों पर फैसले मत-विभाजन द्वारा भी लिए गए। अतः यह कहना गलत है कि संविधान सभा के सदस्यों में प्रत्येक विषय पर आम सहमति थी।
यह कथन भी गलत है कि संविधान बनाने की प्रक्रिया में कोई बड़ा फैसला नहीं लिया गया। निम्नांकित महत्त्वपूर्ण और बड़े फैसले संविधान सभा द्वारा ही लिए गए-

⦁    भारत में शासन प्रणाली केन्द्रीकृत होनी चाहिए अथवा विकेन्द्रीकृत।
⦁    केन्द्र व राज्यों के बीच कैसे सम्बन्ध होने चाहिए।
⦁    राज्यों के बीच कैसे सम्बन्ध होने चाहिए।
⦁    न्यायपालिका की क्या शक्तियाँ होनी चाहिए।
⦁    क्या संविधान को सम्पत्ति के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। उपर्युक्त के अतिरिक्त अनेक ऐसे महत्त्वपूर्ण और बड़े फैसले संविधान सभा द्वारा ही लिए गए जो भारत की शासन व्यवस्था और अर्थव्यवस्था का मूल आधार हैं।

(ग) यह कथन भी गलत है कि भारतीय संविधान मौलिक नहीं है, क्योकि इसकी अधिकांश भाग विश्व के अन्य देशों के संविधान से ग्रहण किया गया है। सही अर्थों में संविधान सभा के सदस्यों ने अन्य देशों की संवैधानिक व्यवस्थाओं के स्वस्थ प्रावधानों को लेने में कोई संकोच नहीं किया। किन्तु इसे नकल करने की मानसिकता भी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि संविधान निर्माताओं ने ग्रहण किए गए प्रावधानों को अपने देश की व्यवस्थाओं के अनुकूल बना लिया। अतः भारतीय संविधान की मौलिकता पर कोई प्रश्न चिह्न लगाना नितान्त गलत है।

4.

दक्षिण अफ्रीका का लोकतांत्रिक संविधान बनाने में, इनमें से कौन-सा टकराव सबसे महत्त्वपूर्ण था(क) दक्षिण अफ्रीका और उसके पड़ोसी देशों का(ख) स्त्रियों और पुरुषों का ।(ग) गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का(घ) रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत अल्पसंख्यकों का

Answer»

सही विकल्प है (घ) रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत अल्पसंख्यकों का

5.

“संविधान सभा ने एक व्यवस्थित, खुले एवं सहमतिपूर्ण तरीके से कार्य किया।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।

Answer»

सर्वप्रथम कुछ मूलभूत सिद्धान्त निर्धारित किए गए और उन पर सहमति कायम हुई। तत्पश्चात् डॉ. भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता वाली एक प्रारूप कमेटी ने परिचर्चा के लिए संविधान का मसौदा तैयार किया। संविधान के मसौदे की एक-एक धारा पर गहन चर्चा के कई दौर हुए। दो हजार से अधिक संशोधनों पर विचार किया गया।

सदस्यों ने 3 वर्षों के दौरान 114 दिन विचार-विमर्श किया। सभा में प्रस्तुत किए गए प्रत्येक दस्तावेज और संविधान सभा में बोले गए प्रत्येक शब्द को रिकार्ड रखा गया और सहेज कर रखा गया। इन्हें ‘कांस्टीट्युएंट असेम्बली डीबेट्स’ कहा जाता है। मुद्रण के उपरान्त ये 12 विशाल खण्डों में समाहित हैं। इन अभिभाषणों (डीबेट्स) की सहायता से प्रत्येक प्रावधान के पीछे की सोच और तर्क को समझा जा सकता है। इनका प्रयोग संविधान के अर्थ की व्याख्या करने के लिए किया जाता है।

उपरोक्त के प्रकाश में हम कह सकते हैं कि भारत की संविधान सभा ने एक व्यवस्थित, खुले एवं सहमतिपूर्ण तरीके से कार्य किया।

6.

अगर संशोधन की शक्ति जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों के पास होती है तो न्यायपालिका को संशोधन की वैधता पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। क्या आप इस बात से सहमत हैं?

Answer»

नहीं, हम इस बात से सहमत नहीं हैं। न्यापालिका को संशोधन की वैधता पर निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए। हमारे यहाँ सर्वोच्च न्यायालय संविधान की सर्वोच्चता एवं पवित्रता की सुरक्षा करता है; अत: संविधान द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को संविधान के संरक्षण का कार्य भी प्रदान किया गया है, जिसका अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय को संसद अथवा राज्य विधानमण्डलों द्वारा निर्मित कानून की वैधानिकता की जाँच कराने का अधिकार प्राप्त है। अनुच्छेद 131 और 132 सर्वोच्च न्यायालय को संघीय तथा राज्य सरकारों द्वारा निर्मित विधियों के पुनरावलोकन का अधिकार प्रदान करते हैं; अतः यदि संसद अथवा राज्य विधानमण्डल, संविधान का अतिक्रमण करते हैं या संविधान के विरुद्ध विधि का निर्माण करते हैं, तो संसद या राज्य विधानमण्डल द्वारा निर्मित ऐसी प्रत्येक विधि को सर्वोच्च न्यायालय अवैधानिक घोषित कर सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय की इस शक्ति को ‘न्यायिक पुनरवलोकन की शक्ति (Power of Judicial Review) कहा जाता है। इसी प्रकार, वह संघ सरकार अथवा राज्य सरकार के संविधान का अतिक्रमण करने वाले समस्त कार्यपालिका आदेशों को भी अवैध घोषित कर सकता है। सर्वोच्च न्यायालय संविधान की व्याख्या करने वाला (Interpreter) अन्तिम न्यायालय है। उसे यह घोषित करना पड़ता है कि किसी विशेष अनुच्छेद का क्या अर्थ है। भारत का सर्वोच्च न्यायालय अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की भाँति कानून की उचित प्रक्रिया (Due Process of the Law) के आधार पर न्यायिक पुनरवलोकन की शक्ति का प्रयोग न कर कानून के द्वारा स्थापितं प्रक्रिया (Procedure Established by the Law) के आधार पर करता है। इस दृष्टि से भारत का सर्वोच्च न्यायालय केवल संवैधानिक आधारों पर ही संसद अथवा विधानमण्डल के द्वारा पारित कानूनों को अवैध घोषित कर सकता है। इस दृष्टिकोण से भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थिति अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय से कमजोर है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय को न्यायिक पुनरवलोकन की शक्ति के आधार पर संसद का तीसरा सदन नहीं कहा जा सकता है।

7.

नीचे कुछ गलत वाक्य हैं। हर एक में की गई गलती पहचानें और इस अध्याय के आधार पर उसको ठीक करके लिखें।(क) स्वतन्त्रता के बाद देश लोकतांत्रिक हो या नहीं, इस विषय पर स्वतन्त्रता आन्दोलन के नेताओं ने अपना दिमाग खुला रखा था।(ख) भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य संविधान में कही गई हरेक बात पर सहमत थे।(ग) जिन देशों में संविधान है वहाँ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था ही होगी।(घ) संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है इसलिए इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता।

Answer»

(क) अंग्रेजी शासन से स्वतन्त्रता प्राप्त करने के लिए भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को एक लंबा और कठिन संघर्ष करना पड़ा था। स्वतन्त्रता के पश्चात् वे देश में लोकतंत्र की स्थापना के लिए वचनबद्ध थे। सन् 1936 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के फैजपुर अधिवेशन में अपने अध्यक्षीय भाषण में जवाहरलाल नेहरू ने लोकतन्त्र के प्रति अपनी वचनबद्धता को दोहराते हुए कहा था-“कांग्रेस भारत में पूर्ण लोकतन्त्र का समर्थन करती है और एक लोकतंत्रीय राज्य के लिए संघर्ष कर रही है।”

(ख) भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य संविधान की सभी व्यवस्थाओं के बारे में समान विचार नहीं रखते थे।इनमें से कई सदस्य देश में एकात्मक शासन प्रणाली का समर्थन करते थे जबकि अन्य संघीय व्यवस्था के पक्ष में थे। संविधान सभा में सभी विषयों पर खुलकर विचार-विमर्श किया जाता था और निर्णय प्रायः बहुमत या पारस्परिक सहमति से लिए जाते थे।

(ग) यह आवश्यक नहीं है कि जिस देश में संविधान है- वहाँ पर लोकतंत्रीय व्यवस्था ही होगी। संविधान में तानाशाही अथवा सैनिक शासन व्यवस्था भी की जा सकती है।

(घ) विश्व में कोई भी ऐसा संविधान नहीं है जिसमें परिवर्तन न किया जा सके। प्रत्येक देश में परिवर्तित होती हुई सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक परिस्थितियों के अनुसार संविधान में संशोधन करना आवश्यक होता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 में भी संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। सन् 1950 में भारत के संविधान के लागू होने के बाद से इसमें लगभग 100 से अधिक बार संशोधन किया जा चुका है।

8.

संविधान में संशोधन करने के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता क्यों पड़ती है? व्याख्या करें।

Answer»

संविधान संशोधन प्रक्रिया को कठिन बनाने के लिए विशेष बहुमत का प्रावधान रखा गया है। जिससे संशोधन की सुविधा का दुरुपयोग न किया जा सके।
विशेष बहुमत में सर्वप्रथम संशोधन बिल के प्रवेश पर सदन की कुल संख्या के बहुमत के सदस्यों द्वारा वह बिल पारित होना चाहिए। इसके अलावा उपस्थित व वोट करने वाले सदन के सदस्यों के 2/3 बहुमत से बिल पास होना चाहिए। इस प्रकार से संविधान बिल दोनों सदनों में अलग-अलग पारित होना चाहिए। इस प्रावधान का यह लाभ है कि बिल को पारित करने के लिए आवश्यक बहुमत होता है।

9.

संविधान सभा में प्रस्तुत किए गए ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ पर संक्षिप्त नोट लिखिए।

Answer»

पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा संविधान सभा की पहली बैठक में उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था। इस उद्देश्य प्रस्ताव में मुख्य रूप से निम्नलिखित बातें शामिल थीं|

⦁    अल्पसंख्यक वर्गों, पिछड़ी जातियों, जनजातियों, दलित तथा अन्य पिछड़े वर्गों के हितों की सुरक्षा की समुचित व्यवस्था की जाएगी।

⦁    भारतीय गणतन्त्र की भौगोलिक अखण्डता तथा इसके भू-भाग, समुद्र तथा वायुमण्डल क्षेत्र पर इसकी प्रभुसत्ता की रक्षा न्यायोचित तथा सभ्य राष्ट्रों के कानूनों के अनुसार की जाएगी।

⦁    यह राज्य विश्व शांति तथा मानव मात्र के कल्याण की उन्नति में अपना सम्पूर्ण तथा स्वैच्छिक योगदान करेगा। इस प्रस्ताव को संविधान सभा द्वारा सर्वसम्मति से पास कर दिया गया था।

⦁    भारत एक प्रभुसत्ता-सम्पन्न लोकतांत्रिक गणराज्य होगा

⦁    भारत ब्रिटिश भारत कहे जाने वाले क्षेत्र, भारतीय रियासतों के क्षेत्र और भारत के ऐसे अन्य क्षेत्र, जो इस समय ब्रिटिश भारत तथा भारतीय रियासतों के क्षेत्र से बाहर हैं और जो भारत में शामिल होना चाहते हैं, उन सबका एक संघ बनेगा।

⦁     स्वतन्त्र एवं प्रभुसत्ता-सम्पन्न भारत संघ और उसके अन्तर्गत आने वाले विभिन्न घटकों की शक्ति का स्रोत जनता होगी।

⦁    भारत के सभी लोगों को सामाजिक, आर्थिक न्याय का आश्वासन, कानून के सामने समानता, विचार, विश्वास, धर्म, पूजा, व्यवसाय की स्वतन्त्रताएँ प्राप्त होंगी।

10.

भारतीय संविधान के बारे में निम्नलिखित प्रत्येक निष्कर्ष की पुष्टि में दो उदाहरण दें-(क) संविधान का निर्माण विश्वसनीय नेताओं द्वारा हुआ। इसके लिए जनता के मन में आदर था।(ख) संविधान ने शक्तियों का बँटवारा इस तरह किया कि इसमें उलट-फेर मुश्किल है।(ग) संविधान जनता की आशा और आकांक्षाओं का केन्द्र है।

Answer»

(क) संविधान की रचना उस संविधान सभा द्वारा की गई जिसके सदस्यों में जनता का अटूट विश्वास था। संविधान सभा के अधिकांश बड़े नेताओं ने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लिया था। देश की तत्कालीन जनता इस तथ्य से भली-भाँति परिचित थी कि इन बड़े नेताओं द्वारा किए गए अथक संघर्ष और परिश्रम के परिणामस्वरूप ही देश को आजादी प्राप्त हुई है। अतः सभी नेताओं के प्रति हृदय में विश्वास होना स्वाभाविक बात थी। ये नेता भारतीय समाज के सभी अंगों, सभी जातियों और समुदायों, सभी धर्मों का प्रतिनिधित्व करते थे। संविधान सभा के सदस्य के रूप में इन नेताओं ने संविधान की रचना करते समय जनता की आशाओं और आकांक्षाओं का पूरा ध्यान रखा। इसीलिए जनता के मन में इन नेताओं के प्रति आदर को भाव था।

(ख) संविधान सभा ने संविधान की रचना करते समय विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों पर बँटवारा इस प्रकार किया ताकि सरकार के तीनों अंग अपना-अपना कार्य सुचारु रूप से कर सकें। तीनों अंगों के बीच शक्तियों के वितरण की व्यवस्था करते समय संविधान निर्माताओं ने ‘नियंत्रण एवं सन्तुलन’ (Checks and Balances) के सिद्धान्त को अपनी कार्यविधि का आधार बनाया है। तीनों में से कोई भी अंग एक-दूसरे के कार्य में किसी प्रकार का अनुचित हस्तक्षेप नहीं कर सकता। कार्यपालिका की सम्पूर्ण कार्यप्रणाली पर संसद का नियन्त्रण रहता है। न्यायिक पुनरावलोकन की प्रक्रिया से संसद एवं मन्त्रिमण्डल के कार्यों पर टीका-टिप्पणी की जा सकती है। संविधान-निर्माताओं ने ऐसा प्रावधान किया है कि कोई भी अंग अपने स्वार्थ के लिए संविधान को नष्ट नहीं कर सकता।

(ग) संविधान सभा द्वारा बनाया गया भारत का संविधान देश की जनता की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुरूप है। संविधान का कार्य यही है कि वह सरकार को ऐसी क्षमता प्रदान करे जिससे वह जनता की आकांक्षाओं को पूरा कर सके और एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए उचित परिस्थितियों का निर्माण कर सके। देश की जनता के कल्याण के लिए जहाँ भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की गई है, वहीं राज्य नीति के निदेशक सिद्धान्तों का भी प्रावधान किया गया है। इन सिद्धान्तों का उद्देश्य समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए सामाजिक, कानूनी और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करना है। मौलिक अधिकारों और राज्य नीति के निदेशक सिद्धान्तों के अतिरिक्त भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, वयस्क मताधिकार, अनुसूचित जातियों व जनजातियों के कल्याण के प्रति विशेष ध्यान रखा गया है। देश में निवास कर रहे प्रत्येक धर्म के लोगों को अपने-अपने धर्म पर चलने की पूर्ण स्वतन्त्रता है। देश के प्रत्येक नागरिक को कानून के सम्मुख समानता का अधिकार प्राप्त है। प्रत्येक नागरिक को विचार और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, सभा और सम्मेलन करने की स्वतन्त्रता तथा संघ और समुदाय बनाने का अधिकार प्रदान किया गया है। इस प्रकार भारत का संविधान देश की जनता की आशाओं व आकांक्षाओं के अनुरूप है।

11.

संविधान निर्माण में इन नेताओं और उनकी भूमिका में मेल बैठाएँ 

Answer»

(क) मोतीलाल नेहरू- 1928 में भारत का संविधान बनाया।।

(ख) बी. आर. अम्बेडकर- प्रारूप समिति के अध्यक्ष।

(ग) राजेंद्र प्रसाद- संविधान सभा के अध्यक्ष।

(घ) सरोजिनी नायडू- संविधान सभा की सदस्या।

12.

संविधान की पवित्रता की सुरक्षा कौन करता है?(क) उच्चतम न्यायालय(ख) राष्ट्रपति(ग) संसद(घ) प्रधानमन्त्री

Answer»

सही विकल्प है (क) उच्चतम न्यायालय।

13.

भारतीय संविधान के निर्माण में कितना समय लगा? संविधान में कितने अनुच्छेद एवं अनुसूचियाँ हैं?

Answer»

भारत के संविधान के निर्माण में 2 वर्ष, 11 माह तथा 18 दिन का समय लगा। संविधान सभा द्वारा संविधान को 26 नवम्बर, 1949 को पारित किया गया। भारत के संविधान में 395 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियाँ हैं।

14.

निम्नलिखित में से कौन-सा वाक्य सही है?संविधान में समय-समय पर संशोधन करना आवश्यक होता है; क्योंकि(क) परिस्थितियाँ बदलने पर संविधान में उचित संशोधन करना आवश्यक हो जाता है।(ख) किसी समय विशेष में लिखा गया दस्तावेज कुछ समय पश्चात् अप्रासंगिक हो जाता(ग) हर पीढ़ी के पास अपनी पसन्द का संविधान चुनने का विकल्प होना चाहिए।(घ) संविधान में मौजूदा सरकार का राजनीतिक दर्शन प्रतिबिम्बित होना चाहिए।

Answer»

(क) परिस्थितियाँ बदलने पर संविधान में उचित संशोधन करना आवश्यक हो जाता है।

15.

निम्नलिखित वाक्यों में कौन-सा वाक्य विभिन्न संशोधनों के सम्बन्ध में विधायिका और न्यायपालिका के टकराव की सही व्याख्या नहीं करता?(क) संविधान की कई तरह से व्याख्या की जा सकती है।(ख) खंडन-मंडन/बहस और मदभेद लोकतंत्र के अनिवार्य अंग होते हैं।(ग) कुछ नियमों और सिद्धांतों को संविधान में अपेक्षाकृत ज्यादा महत्त्व दिया गया है। कतिपय संशोधनों के लिए संविधान में विशेष बहुमत की व्याख्या की गई है।(घ) नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जिम्मेदारी विधायिका को नहीं सौंपी जा सकती।(ङ) न्यायपालिका केवल किसी कानून की संवैधानिकता के बारे में फैसला दे सकती है। वह ऐसे कानूनों की वांछनीयता से जुड़ी राजनीतिक बहसों का निपटारा नहीं कर सकती।

Answer»

(घ) नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जिम्मेदारी विधायिका को नहीं सौंपी जा सकती।

16.

जवाहरलाल नेहरू के नियति के साथ साक्षात्कार वाले भाषण के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों का जवाब दें(क) नेहरू ने क्यों कहा कि भारत का भविष्य सुस्ताने और आराम,करने का नहीं है?(ख) नए भारत के सपने किस तरह विश्व से जुड़े हैं?(ग) वे संविधान निर्माताओं से क्या शपथ चाहते थे?(घ) “हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की कामना हर आँख के आँसू पोंछने की है। वे इस कथन में किसका जिक्र कर रहे थे? 

Answer»

(क) ये शब्द जवाहरलाल नेहरू ने 15 अगस्त, 1947 की मध्य रात्रि के समय संविधान सभा में दिए गए अपने प्रसिद्ध भाषण में कहे थे। उन्होंने कहा था कि भारत का भविष्य, जब भारत स्वतन्त्र हो रहा है, आराम करने या सुस्ताने का समय नहीं है बल्कि उन वायदों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करने का है जिन्हें हमने अक्सर किया है। भारत की सेवा करने का अर्थ है, दुःख और परेशानियों में पड़े लाखों-करोड़ों लोगों की सेवा करना। इसका अर्थ है दरिद्रता का, अज्ञान और बीमारियों का, अवसर की असमानता का अन्त। हमारे युग के महानतम आदमी की कामना हर आँख से आँसू पोंछने की है। संभव है..
संभव है यह काम हमारे अकेले से पूरा न हो पर जब तक लोगों की आँखों में आँसू हैं, कष्ट है तब तक हमारा काम खत्म नहीं होगा।

(ख) भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने अपने भाषण में कहा था कि ऐसे पवित्र क्षण में (जब भारत स्वतन्त्र हो रही है। हम अपने आपको, भारत और उसके लोगों तथा उससे भी अधिक मानवता की सेवा में । समर्पित करें, यही हमारे लिए उचित है।

(ग) जवाहरलाल नेहरू संविधान निर्माताओं से यह शपथ चाहते थे कि हम अपने आपको भारत और उसके लोगों तथा मानवता की सेवा के लिए समर्पित करें।

(घ) वे इस कथन में महात्मा गाँधी का जिक्र कर रहे थे।

17.

‘संविधान सभा’ से क्या आशय है?

Answer»

संविधान सभा से आशय किसी देश के लिए संविधान का निर्माण करने वाली सभा से लिया जाता है। एनसाइक्लोपीडिया ऑफ सोशल साइंसेज (Encyclopaedia of Social Sciences) के अनुसार संविधान सभा एक ऐसी प्रतिनिधि सभा होती है जिससे नवीन संविधान पर विचार करने और अपनाने या मौजूदा संविधान में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन करने के लिए चुना जाए। भारत के संविधान का निर्माण करने के लिए संविधान सभा की स्थापना सन् 1946 में की गई थी।

18.

कुछ दिन पहले नेपाल से आपके एक मित्र ने वहाँ की राजनैतिक स्थिति के बारे में आपको पत्र लिखा था। वहाँ अनेक राजनैतिक पार्टियाँ राजा के शासन का विरोध कर रही थीं। उनमें से कुछ का कहना था कि राजा द्वारा दिए गए मौजूदा संविधान में ही संशोधन करके चुने हुए प्रतिनिधियों को ज्यादा अधिकार दिए जा सकते हैं। अन्य पार्टियाँ नया गणतांत्रिक संविधान बनाने के लिए नई संविधान सभा गठित करने की माँग कर रही थी। इस विषय में अपनी राय बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें।

Answer»

प्रिय मित्र ।

नेपाल की राजनीतिक स्थिति के सम्बन्ध में आपने मुझे जो पत्र लिखा था, उसके सम्बन्ध में मेरा विचार यह है कि लोगों को एक नई संविधान सभा की स्थापना की माँग करनी चाहिए जो नेपाल के लिए गणतंत्रीय संविधान का निर्माण करें और वहाँ पर राजतंत्रीय शासन व्यवस्था को समाप्त कर दें। सन् 2005 में नेपाल के सम्राट ने जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को बर्खास्त कर दिया था और लोगों से समस्त अधिकार एवं स्वतंत्रताएँ छीन ली थीं, जो उन्हें एक दशक पहले प्राप्त हुए थे।

[नोट : वर्तमान में नेपाल में राजतन्त्र पूरी तरह समाप्त हो गया है। नेपाल अब एक लोकतांत्रिक गणतन्त्र । है, जिसका एक स्वतन्त्र संविधान है। देश में लोगों को सारे लोकतांत्रिक मानवाधिकार प्राप्त हैं।

19.

भारत का संविधान 26 जनवरी को ही क्यों लागू किया गया?

Answer»

हमारे देश का संविधान, संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर, 1949 को पारित किया गया था लेकिन यह 26 जनवरी, 1950 से प्रभावी हुआ। इसे 26 जनवरी, 1950 को ही लागू किया गया। प्रश्न उत्पन्न होता है कि इसी तिथि को क्यों चुना गया? इस तिथि के चयन के पीछे भी देश का इतिहास है। दिसंबर 1929 को लाहौर अधिवेशने में भारतीय नेशनल कांग्रेस (पार्टी) ने पूर्ण स्वराज्य प्राप्त करने का संकल्प लिया था और 26 जनवरी, 1930 को पहली बार तथा उसके उपरान्त हर वर्ष स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। यही कारण है कि हमारे नेताओं ने भारतीय संविधान लागू करने के लिए 26 जनवरी, 1950 की तिथि निश्चित की, जो भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक है।

20.

संविधान संशोधन में राष्ट्रपति की क्या भूमिका है?

Answer»

संविधान संशोधन बिल दोनों सदनों से अलग-अलग पास होने पर राष्ट्रपति के पास भेजा। जाता है। राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने पर संशोधन प्रभावी हो जाता है।

21.

निम्नलिखित वाक्यों के सामने सही/गलत का निशान लगाएँ-(क) राष्ट्रपति किसी संशोधन विधेयक को संसद के पास पुनर्विचार के लिए नहीं भेज सकता।(ख) संविधान में संशोधन करने का अधिकार केवल जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के पास ही होता है।(ग) न्यायपालिका संवैधानिक संशोधन का प्रस्ताव नहीं ला सकती परन्तु उसे संविधान की व्याख्या करने का अधिकार है। व्याख्या द्वारा वह संविधान को काफी हद तक बदल सकती है।(घ) संसद संविधान के किसी भी खंड में संशोधन कर सकती है।

Answer»

(क)  सही
(ख)  गलत
(ग)  सही
(घ)  सही

22.

इस अध्याय में आपने पढ़ा कि संविधान का 42वाँ संशोधन अब तक का सबसे विवादास्पद संशोधन रहा है। इस विवाद के क्या कारण थे?(क) यह संशोधन राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान किया गया था। आपातकाल की घोषणा अपने आप में ही एक विवाद का मुद्दा था।(ख) यह संशोधन विशेष बहुमत पर आधारित नहीं था।(ग) इसे राज्य विधानपालिकाओं का समर्थन प्राप्त नहीं था।(घ) संशोध्न के कुछ उपबन्ध विवादास्पद थे।

Answer»

(क) यह संशोधन राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान किया गया था। आपातकाल की घोषणा अपने आप में ही एक विवाद का मुद्दा था।
(घ) संशोधन के कुछ उपबन्ध विवादास्पद थे।

23.

प्रस्तावना का अर्थ बताएँ।।

Answer»

संविधान का वह प्रथम कथन जिसमें कोई देश अपने संविधान के आधारभूत मूल्यों और अवधारणाओं को स्पष्ट ढंग से कहता है, प्रस्तावना कहलाता है।

24.

हमारे संविधान को दिशा देने वाले ये कुछ मूल्य और उनके अर्थ हैं। इन्हें आपस में मिलाकर दोबारा लिखिए।

Answer»

(क) संप्रभु– फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है।

(ख) गणतंत्र– शासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है।

(ग) बंधुत्व- लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए।

(घ) धर्मनिरपेक्ष- सरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी।

25.

भारतीय संविधान संशोधन 52 के मुख्य प्रावधान क्या थे?

Answer»

52वाँ संविधान संशोधन एक महत्त्वपूर्ण व प्रभावकारी संविधान संशोधन था। इसे सभी राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त था। इसे सन् 1985 में पारित किया गया था। इसके निम्नलिखित प्रमुख प्रावधान थे –

⦁    अगर कोई सदस्य किसी पार्टी के टिकट पर जीतने के बाद उस पार्टी को छोड़ता है तो उसकी सदन की सदस्यता समाप्त हो जाएगी।
⦁    अगर कोई निर्दलीय सदस्य चुनाव जीतने के बाद किसी दल में सम्मिलित होता है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी।
⦁    अगर कोई सनोनीत सदस्य किसी दल में शामिल हो जाता है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी।
⦁    विघटन व विलय की स्थिति में यह कानून लागू नहीं होगा। (5) संशोधन के कानून के सम्बन्ध में अन्तिम निर्णय अध्यक्ष का होगा।

26.

राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल तथा राज्यसभा द्वारा संविधान संशोधन किस प्रकार सम्भव है।

Answer»

1. राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल द्वारा संविधान संशोधन – राष्ट्रपति तथा राज्यपाल कुछ धाराओं का प्रयोग करके संविधान में आगामी परिवर्तन कर सकते हैं, उदाहरणतया राष्ट्रपति, धारा 331 के अन्तर्गत दो एंग्लो-इण्डियनों को लोकसभा में मनोनीत कर सकता है, यदि वह अनुभव करे। कि ऐंग्लो-इण्डियन समुदाय को लोकसभा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं हुआ है। राष्ट्रपति द्वारा इस शक्ति के प्रयोग को धारा 81 में निश्चित लोकसभा की संख्या पर प्रभाव पड़ सकता है। राज्यपाल को भी राष्ट्रपति को इस तरह इस शक्ति प्रयोग करके विधानसभा की सदस्य-संख्या में परिवर्तन करने का अधिकार प्राप्त है। राज्यपाल को एंग्लो-इण्डियन को नियुक्त करने का अधिकार संविधान की धारा 333 के अन्तर्गत प्राप्त है। असम का राज्यपाल छठी अनुसूची में दी गई कबाइली प्रदेशों की सूची में स्वयं परिवर्तन कर सकता है। राज्य की भाषा निश्चित करने का अधिकार विधानमण्डल को प्राप्त है। परन्तु यदि राष्ट्रपति को विश्वास हो जाए कि राज्य की जनसंक्ष्या का एक प्रमुख भाग निश्चित भाषा का । प्रयोग करता है तो वह उस भाषा को भी सरकारी रूप से प्रयोग किए जाने का आदेश जारी कर सकता है। राष्ट्रपति धारा 356 का प्रयोग करके राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकता है।

2. राज्यसभा द्वारा संशोधन – संविधान की धारा 249 के अन्तर्गत यदि राज्यसभा दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पास कर दे कि राज्य सूची के अमुक विषय पर संसद द्वारा कानून का बनाया जाना राष्ट्रीय हित के लिए आवश्यक अथवा लाभदायक है तो संसद को राज्य सूची के उस विषय पर समस्त भारत या उसके किसी भाग के लिए कानून बनाने का अधिकार मिल जाता है, परन्तु संसद को यह अधिकार एक वर्ष के लिए ही प्राप्त होता है। संविधान के इस परिवर्तन को हम संशोधन नहीं कह सकते, क्योंकि यह परिवर्तन स्थायी न होकर अस्थायी होता है।

27.

निम्नलिखित में से कौन भारतीय संविधान की संशोधन प्रक्रिया में भूमिका निभाते हैं?इस प्रक्रिया में ये कैसे शामिल होते हैं?(क) मतदाता(ख) भारत का राष्ट्रपति(ग) राज्य की विधानसभाएँ(घ) संसद(ङ) राज्यपाल(च) न्यायपालिका।

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(क) मतदाता लोकसभा व विधानसभाओं में अपने चुने हुए प्रतिनिधि भेजता है। ये चुने हुए प्रतिनिधि ही मतदाता की राय को संसद में या विधानसभा में व्यक्त करते हैं। इसलिए अप्रत्यक्ष रूप से मतदाता ही संविधान में भाग लेता है।

(ख) कोई भी संविधान संशोधन बिल राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद ही प्रभावी माना जाता है।

(ग) राज्य विधानमण्डलों को भी संविधान संशोधनों में भागीदारी दी गई है। बहुत-सी धाराओं में संशोधन का प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों में 2/3 बहुमत से पास होकर राज्यों के पास जाना आवश्यक है और कम-से-कम आधे राज्यों में विधानमण्डल द्वारा साधारण बहुमत से सहमति मिलने पर ही वह प्रस्ताव संशोधन कानून का रूप ले लेता है।

(घ) संसद को ही संविधान में संशोधन प्रस्तावित कानूनी अधिकार है और कुछ धाराएँ तो संसद के दोनों सदनों द्वारा साधारण बहुमत से पारित प्रस्ताव में संशोधित हो सकती है।

(ङ) राज्यपाल की संविधान संशोधन प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं है।

(च) न्यायपालिका की संविधान संशोधन प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं है।

28.

संविधान सभा ने कितनी अवधि और कितनी बैठकों में संविधान पारित किया?

Answer»

दो वर्ष और ग्यारह माह की अवधि में आयोजित 166 बैठकों में संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अन्तिम रूप दिया।

29.

संविधान संशोधन प्रक्रिया की सामान्य विशेषताएँ लिखिए।

Answer»

भारतीय संविधान में दी गई संशोधन विधि की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

⦁    संविधान में संशोधन के कार्य के लिए किसी अलग संस्था की व्यवस्था नहीं की गई। यह शक्ति केन्द्रीय संसद को सौंप दी गई है।
⦁    राज्यों के विधानमण्डलों को संशोधन बिल आरम्भ करने का अधिकार प्राप्त नहीं है।
⦁    संविधान की धारा 368 में लिखे गए विशेष उपबन्धों के अतिरिक्त संशोधन बिल साधारण बिल की भाँति संसद द्वारा ही पास किए जाते हैं। इसके लिए दोनों सदनों का आवश्यक बहुमत प्राप्त हो जाने पर राष्ट्रपति की स्वीकृति ली जाती है। इसके लिए जनमत संग्रह की कोई व्यवस्था नहीं की गई, जबकि स्विट्जरलैण्ड, अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया आदि देशों के कुछ विशेष राज्यों में इस प्रकार की व्यवस्था की गई है।
⦁    संसद में संशोधन बिल पेश करने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व-अनुमति अनिवार्य नहीं है।
⦁    संविधान में कुछ विशेष संशोधनों के लिए कम-से-कम आधे राज्यों की स्वीकृति आवश्यक है, जबकि अमेरिकी संविधान में कम-से-कम तीन-चौथाई राज्यों की स्वीकृति आवश्यक है।
⦁    संविधान की समस्त धाराओं को संशोधित किया जा सकता है, यहाँ तक कि संविधान का संशोधन करने की धारा 368 का भी संशोधन किया जा सकता है।

30.

‘संविधान की प्रस्तावना’ का क्या अर्थ है ? इसका महत्त्व लिखिए।

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संविधान की प्रस्तावना किसी पुस्तक की भूमिका की तरह है। यह संविधान की भावना को परिलक्षित करती है। यह उस खिड़की की भॉति है जिसमें झाँककर संविधान निर्माताओं के मन्तव्य को पढ़ा तथा समझा जा सकता है। दूसरे शब्दों में, प्रस्तावना में संविधान के आधारभूत आदर्शों तथा सिद्धान्तों की चर्चा की गयी है। यह उल्लेखनीय है कि प्रस्तावना संविधान का आरम्भिक अंग होते हुए भी कानूनी तौर पर उसका भाग नहीं होती। यद्यपि प्रस्तावना की अवहेलना होती है तो उसकी रक्षा के लिए हम अदालत की शरण में नहीं जा सकते, तथापि यह बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि –

⦁    यह संकेत करती है कि देश की सरकार कैसे चलायी जाए।
⦁    इसमें सरकार के सम्मुख नये समाज के निर्माण हेतु उद्देश्यों को स्पष्ट किया गया है।
⦁    इससे यह पता चलता है कि संविधान देश में किस प्रकार की शासन-व्यवस्था स्थापित करना चाहता है।

31.

भारतीय संविधान के दो एकात्मक तत्त्व लिखिए।

Answer»

भारतीय संविधान के दो एकात्मक तत्त्व निम्नलिखित हैं –

⦁    संविधान में इकहरी नागरिकता का प्रावधान किया गया है।
⦁    संविधान द्वारा एक ही न्याय-व्यवस्था की स्थापना की गयी है।

32.

भारतीय संविधान के दो संघात्मक तत्त्व लिखिए।

Answer»

भारतीय संविधान के दो संघात्मक तत्त्व निम्नलिखित हैं –

⦁    संविधान को सर्वोच्चता प्रदान की गयी है।
⦁    केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच अधिकारों तथा कार्यों को स्पष्ट विभाजन किया गया है।

33.

भारत की संविधान संशोधन प्रक्रिया के दोष लिखिए।

Answer»

भारतीय संविधान में संशोधन की विधि में बहुत दोष हैं, क्योंकि संशोधन विधि में बहुत-सी बातें स्पष्ट नहीं हैं, जिनमें मुख्य निम्नलिखित हैं –

1. सभी धाराओं में संशोधन करने के लिए राज्यों की स्वीकृति नहीं ली जाती – संविधान की सभी धाराओं में संशोधन करने के लिए राज्यों की स्वीकृति नहीं ली जाती, बल्कि कुछ ही धाराओं पर राज्यों की स्वीकृति ली जाती है। संविधान का अधिकांश हिस्सा ऐसा है, जिसमें संसद स्वयं ही संशोधन कर सकती है।
2. राज्यों के अनुसमर्थन के लिए समय निश्चित नहीं – संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह संविधान में किए जाने वाले संशोधन को राज्यों द्वारा समर्थन अथवा अस्वीकृत के लिए भारतीय संविधान में कोई भी समय निश्चित नहीं किया गया है। भारत में अभी तक इस दोष को अनुभव नहीं किया गया, क्योंकि प्रायः एक ही दल का शासन केन्द्र तथा राज्यों में रहा है और आधे राज्यों का अनुसमर्थन आसानी से प्राप्त हो जाता है। परन्तु आज जिस प्रकार की स्थिति है, उससे यह दोष स्पष्ट हो जाता है।
3. संशोधन विधेयक को राज्यों के पास भेजने की भ्रमपूर्ण स्थिति – संविधान में यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि क्या संविधान में संशोधनों के विधेयकों को सभी राज्यों को भेजा जाना आवश्यक है अथवा उसे उनमें से कुछ एक राज्यों को भेजा जाना पर्याप्त है। संविधान में संशोधन के तीसरे विधेयक को कुछ राज्यों की राय जानने से पूर्व ही पास कर दिया गया था। और मैसूर की विधानसभा ने इसके विरुद्ध आपत्ति की थी।
4. संशोधन प्रस्ताव पर राष्ट्रपति की स्वीकृति – संविधान के अनुच्छेद 368 के खण्ड 2 में कहा गया है कि जब किसी विधेयक को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित कर दिया जाए, तो उसे राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा उसके पश्चात् राष्ट्रपति विधेयक को अपनी सहमति प्रदान कर हस्ताक्षर कर देगा और तब संविधान संशोधन लागू माना जाएगा।
5. राज्यों को संशोधन प्रस्ताव प्रस्तुत करने का अधिकार नहीं – उल्लेखनीय है कि संविधान में संशोधन का प्रस्ताव केवल संघीय विधानमण्डलों अर्थात् संसद में ही प्रस्तुत किया जा सकता है। कोई भी राज्य विधानमण्डल ऐसा प्रस्ताव केवल उस अवस्था में कर सकता है, जब वह अनुच्छेद 169 के अन्तर्गत विधानपरिषद् को समाप्त करना अथवा उसकी स्थापना करना चाहता हो।
6. अनेक अनुच्छेदों का साधारण प्रक्रिया के द्वारा संशोधन सम्भव – संविधान की धाराएँ ऐसी हैं, जिनके लिए संवैधानिक सुरक्षा की आवश्यकता नहीं थी और संसद के साधारण बहुमत से संशोधन किए जाने से किसी प्रकार की हानि की सम्भावना नहीं थी। उदाहरण के लिए; धारा 224 द्वारा सेवानिवृत्त न्यायाधीश को न्यायालय में न्यायाधीश के पद पर कार्य करने का अधिकार दिया गया है। इस धारा को बदलने के लिए किसी विशेष तरीके को अपनाने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
7. जनमत संग्रह की व्यवस्था नहीं – भारत में संविधान संशोधन की विधि ऐसी है, जिसमें जनता की अवहेलना हो सकती है, क्योंकि इसमें जनता की राय जानने की कोई व्यवस्था नहीं है। 44वें संशोधन विधेयक के अन्तर्गत यह व्यवस्था की गई है कि संविधान की मूल विशेषताओं को जनमत संग्रह द्वारा ही बदला जा सकता है। इस संशोधन को लोकसभा ने पारित कर दिया, परन्तु राज्यसभा ने इस संशोधन विधेयक की जनमत संग्रह की धारा को पास नहीं किया। राज्यसभा को यह विचार है कि भारत जैसे देश के लिए जनमत संग्रह करवाना बहुत कठिन है। और अव्यावहारिक भी है।

उपर्युक्त विवेचना से स्पष्ट है कि भारतीय संविधान की संशोधन प्रक्रिया इतनी जटिल नहीं है जितनी कि अमेरिका तथा स्विट्जरलैण्ड के संविधानों की है और न ही ब्रिटेन के संविधान के समान इतनी सरल है कि इसे साधारण प्रक्रिया से संशोधित किया जा सके। इस दृष्टिकोण से भारत के संविधान संशोधन की प्रक्रिया सरल तथा जटिल दोनों प्रकार की है। संशोधन की इस प्रक्रिया के कारण ही भारत का संविधान सामाजिक तथा आर्थिक विकास का सूत्रधार बना।

34.

संविधान सभा की पहली बैठक किस तिथि को हुई थी?

Answer»

संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को हुई थी। इस बैठक का आयोजन अविभाजित भारत में किया गया था।

35.

विभाजित भारत में संविधान सभा की बैठक किस तिथि को हुई?

Answer»

14 अगस्त, 1947 को विभाजित भारत में संविधान सभा की बैठक हुई।

36.

संविधान संशोधन प्रक्रिया में कौन-सी संस्थाएँ सम्मिलित होती हैं?

Answer»

संविधान संशोधन की प्रक्रिया एक लम्बी प्रक्रिया है जिसमें निम्नलिखित संस्थाएँ सम्मिलित होती हैं –

⦁    संसद
⦁    राज्यों के विधानमण्डल
⦁    राष्ट्रपति।

37.

संविधान सभा में अनुसूचित वर्गों के कितने सदस्य थे?

Answer»

संविधान सभा में अनुसूचित वर्गों के 26 सदस्य थे।

38.

26 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा की आयोजित बैठक में कितने सदस्य थे?

Answer»

26 नवम्बर, 1949 को आयोजित बैठक में कुल 284 सदस्य उपस्थित थे। इन सदस्यों ने ही अन्तिम रूप से पारित संविधान पर अपने हस्ताक्षर किए।

39.

संविधान की एक सरल परिभाषा लिखिए।

Answer»

संविधान कुछ ऐसे बुनियादी सिद्धान्तों का समूह है जिसके आधार पर राज्य का निर्माण किया जाता है और उसका शासन चलाया जाता है।

40.

संविधान सभा की प्रथम बैठक कब आयोजित की गई?(क) 9 दिसम्बर, 1946 को(ख) 7 दिसम्बर, 1947 को(ग) 14 अगस्त, 1947 को।(घ) 15 अगस्त, 1947 को

Answer»

सही विकल्प है (क) 9 दिसम्बर, 1946 को।

41.

भारत विभाजन के परिणामस्वरूप संविधान सभा के सदस्यों की संख्या घटकर कितनी रह गई?(क) 260(ख) 271(ग) 299(घ) 265

Answer»

सही विकल्प है (ग) 299.

42.

संविधान सभा में अनुसूचित वर्ग के कितने सदस्य थे?(क) 34(ख) 36(ग) 26(घ) 42

Answer»

सही विकल्प है (ग) 26.

43.

73वाँ तथा 74वाँ संविधान संशोधन किससे सम्बन्धित था?(क) स्थानीय संस्थाएँ(ख) राजनीतिक दल(ग) दल-बदल(घ) प्रत्याशी जमानत राशि

Answer»

सही विकल्प है (क) स्थानीय संस्थाएँ
 

44.

संविधान के विषयों पर विचार-विमर्श हेतु कितनी समितियों का गठन किया गया?(क) 7(ख) 6(ग) 8(घ) 10

Answer»

सही विकल्प है (ग) 8.

45.

संविधान सभा में किस राजनीतिक दल का वर्चस्व था?(क) मुस्लिम लीग(ख) हिन्दू महासभा(ग) कांग्रेस(घ) जनसंघ

Answer»

सही विकल्प है (ग) कांग्रेस।

46.

भारत का संविधान कितने समय में तैयार हुआ ?

Answer»

भारतीय संविधान 2 वर्ष, 11 माह और 18 दिन की अवधि में बनकर तैयार हुआ।

47.

संविधान सभा के अध्यक्ष का नाम लिखिए।

Answer»

डॉ० राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे।

48.

प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे ?

Answer»

प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ० भीमराव अम्बेडकर थे।

49.

1912 में प्रकाशित ‘विवाहित महिलाओं के लिए आचरण पुस्तक के निम्नलिखित अंश को पढ़ें“ईश्वर ने औरत जाति को शारीरिक और भावनात्मक, दोनों ही तरह से ज्यादा नाजुक बनाया है, उन्हें आत्म रक्षा के भी योग्य नहीं बनाया है। इसलिए ईश्वर ने ही उन्हें जीवन भर पुरुषों के संरक्षण में रहने का भाग्य दिया है-कभी पिता के, कभी पति के और कभी पुत्र के। इसलिए महिलाओं को निराश होने की जगह इस बात से अनुगृहीत होना चाहिए कि वे अपने आपको पुरुषों की सेवा में समर्पित कर सकती हैं।”क्या इस अनुच्छेद में व्यक्त मूल्य संविधान के दर्शन से मेल खाते हैं या वे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ हैं? 

Answer»

उपरोक्त पंक्तियों में दिए गए सामाजिक मूल्य हमारे संविधान में निहित दर्शन एवं मूल्यों से मेल नहीं खाते हैं। भारत को संविधान समानता, स्वतन्त्रता एवं बंधुत्व की भावना पर जोर देता है। संविधान का प्रथम मौलिक अधिकार समानता का अधिकार है। पुरुषों एवं महिलाओं को समान अधिकार दिए गए हैं। महिलाओं को वोट डालने और चुनाव लड़ने का अधिकार उसी तरह प्राप्त है, जिस प्रकार पुरुषों को।स्त्रियाँ पुरुषों के अधीन नहीं हैं। भारत की राजनीति, समाज, संस्कृति, उद्योग-धन्धे, पुलिस, सेना आदि सभी क्षेत्रों में महिलाएँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की ख्याति एक सशक्त प्रधानमंत्री के रूप में है।

50.

भारत के संविधान निर्माता किन आदर्शों से प्रभावित थे?

Answer»

भारत के संविधान निर्माता फ्रांसीसी क्रांति के आदर्शों, ब्रिटेन के संसदीय लोकतंत्र के कामकाज और अमेरिका के अधिकारों की सूची से काफी प्रभावित थे। रूस में हुई समाजवादी क्रांति ने भी अनेक भारतीयों को प्रभावित किया और वे सामाजिक और आर्थिक समता पर आधारित व्यवस्था बनाने की कल्पना करने लगे थे।