InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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टैगोर की रचनाओं की विषय-वस्तु क्या है? |
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Answer» टैगोर की कविता गहने धार्मिक भावना, देशभक्ति और अपने देशवासियों के प्रति प्रेम से ओत-प्रोत है। वे एक विचारक, अध्यापक तथा संगीतज्ञ हैं। उनकी रचनाओं में प्रकृति के वर्णन मिलते हैं। टैगोर एक गहरे धार्मिक व्यक्ति थे लेकिन अपने धर्म को मानव का धर्म के नाम से वर्णित करना पसन्द करते थे। यही इनकी कविताओं का मूल विषय भी था। |
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“टैगोर मानव धर्म प्रेमी थे।” स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» टैगोर एक गहरे धार्मिक व्यक्ति थे, लेकिन अपने धर्म को मानव का धर्म के नाम से वर्णित करना पसन्द करते थे। वे पूर्ण स्वतन्त्रता के प्रेमी थे। उन्होंने अपने शिष्यों के मस्तिष्क में सच्चाई का भाव भरा। प्रकृति, संगीत तथा कविता के निकट सम्पर्क के माध्यम से उन्होंने स्वयं अपनी तथा अपने शिष्यों की कल्पना शक्ति को सौन्दर्य, अच्छाई तथा विस्तृत सहानुभूति के प्रति जागृत किया। |
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टैगोर द्वारा रचित रचनाओं का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» टैगोर की प्रमुख रचनायें निम्नलिखित हैंकाव्य-दूज का चाँद, गीतांजलि, भारत का राष्ट्रगान, बागवान। कहानी-हंगरी स्टोन्स, काबुलीवाला, माई लार्ड, जिन्दा अथवा मुर्दा, घर वापिसी। उपन्यास-गोरा, दि होम एण्ड दी वर्ल्ड। नाटक-पोस्ट आफिस, बलिदान, चाण्डालिका, राजा और रानी आदि। |
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टैगोर का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए। |
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Answer» रवीन्द्र नाथ टैगोर का जन्म 6 मई, 1861 ई. को कलकत्ता में हुआ था। इनके बाबा द्वारका नाथ टैगोर अपने वैभव के लिए चर्चित थे। ये राजा राममोहन राय के गहरे मित्र थे और भारत के पुनर्जागरण में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। रवीन्द्रनाथ के पिता देवेन्द्र नाथ द्वारका नाथ के सबसे बड़े पुत्र थे जो प्रसिद्ध विचारक एवं दार्शनिक थे। इसीलिए उन्हें महर्षि कहा जाता था। वे ब्रह्म समाज के स्तम्भ थे। इनकी माता का नाम सरला देवी था, जो एक गृहस्थ महिला थीं। इनका निधन 7 अगस्त, 1947 ई. को हुआ। |
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टैगोर द्वारा लिखित नाटकों का नामोल्लेख कीजिए। |
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Answer» पोस्ट आफिस, बलिदान, प्रकृति का प्रतिशोध, मुक्तधारा एवं चाण्डालिका आदि। |
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रवीन्द्र नाथ टैगोर का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।अथवारवीन्द्र नाथ टैगोर का जीवन-परिचय एवं साहित्यिक सेवाओं का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» ( रविन्द्र नाथ टैगोर ) जन्म- 6 मई, 1861 ई०। मृत्यु- 7 अगस्त 1941 ई०। जन्म-स्थान कोलकाता के जोड़ासाकोकी ठाकुर बाड़ी।
टैगोर की प्रमुख रचनायें- |
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टैगोर द्वारा लिखित कहानियों का नामोल्लेख कीजिए। |
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Answer» हंगरी स्टोन्स, काबुलीवाला, माई लॉर्ड, जिन्दा अथवा मुर्दा एवं घर वापिसी आदि। |
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टैगोर को ‘सर’ की उपाधि से किसने सम्मानित किया था? |
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Answer» ब्रिटिश सरकार ने टैगोर को ‘सर’ की उपाधि से सम्मानित किया था। |
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टैगोर को उनकी किस रचना पर नोबल पुरस्कार मिला? |
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Answer» टैगोर को उनकी रचना ‘गीतांजलि’ पर नोबल पुरस्कार मिला। |
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टैगोर ने शान्ति निकेतन में ललित कला स्कूल की स्थापना कब की? |
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Answer» 1901 ई. में टैगोर ने शान्ति निकेतन में ललित कला स्कूल की स्थापना की। |
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तोता क्यों मर गया? |
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Answer» तोते के पिंजड़े में दाना-पानी बिल्कुल नहीं था । पोथियों के पन्नों को फाड़-फाड़कर कलम की नोंक से उसके चोंच में डाला जाता था। विद्या देने के दौरान उसे कुछ भी दाना-पानी नहीं दिया गया। तोते के पेट में सिर्फ पोथी के पन्ने थे जिसके कारण तोता मर गया। |
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निम्नांकित गद्यांशों में रेखांकित अंशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या और तथ्यपरक प्रश्नों के उत्तर दीजिये-संसार में और-और अभाव तो अनेक हैं, पर निन्दकों की कोई कमी नहीं है। एक हुँदो हजार मिलते हैं। वे बोले, ‘पिंजरे की तो उन्नति हो रही है, पर तोते की खोज-खबर कोई लेने वाला नहीं है।” बात राजा के कानों में पड़ी। उन्होंने भानजे को बुलाया और कहा, “क्यों भानजे साहब, यह कैसी बात सुनायी पड़ रही है?” भानजे, ”महाराज अगर सचसच सुनना चाहते हों तो सुनारों को बुलाइए। निन्दकों को हलवे-माड़े में हिस्सा नहीं मिलता, इसलिए वे ऐसी ओछी बातें करते हैं।”(1) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।(2) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।(3) संसार में किसकी कमी नहीं है?(4) किसकी उन्नति हो रही है?(5) निन्दक निन्दा क्यों करते हैं? |
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Answer» 1.प्रस्तुत पंक्तियाँ रवीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखित ‘तोता’ नामक कहानी से उधृत हैं। 2.संसार में अनेक अभाव हैं। सामान्य लोग अभाव का ही जीवन व्यतीत करते हैं। किन्तु निन्दकों की संसार में कोई कमी नहीं है। आप जहाँ निगाह डालिए, निन्दक मौजूद रहेंगे। 3.संसार में निन्दकों की कमी नहीं है। 4.पिंजरे की उन्नति हो रही है। 5.किसी के लाभ में निन्दक को कुछ प्राप्त नहीं होता है। इसलिए वह निन्दा करता है। |
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पिंजरा किस धातु का बना था? |
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Answer» पिंजरा सोने का बना था। |
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तोता गाना गाना क्यों बन्द कर दिया था? |
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Answer» तोता ने कई दिनों से अन्न-जल ग्रहण नहीं किया था। उसके पेट में पोथी के पन्ने भर दिये गये थे। उसका मुँह बन्द था। |
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निम्नांकित गद्यांशों में रेखांकित अंशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या और तथ्यपरक प्रश्नों के उत्तर दीजिये-तोते को शिक्षा देने का काम राजा के भानजे को मिला। पण्डितों की बैठक हुई। विषय था, “उक्त जीव की अविद्या का कारण क्या है?” बड़ा गहरा विचार हुआ। सिद्धान्त ठहरा : तोता अपना घोंसला साधारण खर-पतवार से बनाता है। ऐसे आवास में विद्या नहीं आती। इसलिए सबसे पहले यह आवश्यक है कि इसके लिए कोई बढ़िया-सा पिंजरा बना दिया जाय। राज-पण्डितों को दक्षिणा मिली और वे प्रसन्न होकर अपने-अपने घर गये।(1) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।(2) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।(3) तोते को शिक्षा देने का काम किसे मिला?(4) तोता अपना घोंसला किससे बनाता है?(5) दक्षिणा किसे मिली? |
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Answer» 1.प्रस्तुत गद्य पंक्तियाँ रवीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखित ‘तोता’ नामक कहानी से उद्धृत है। 2.राज दरबार में जब तोते को बेवकूफ मान लिया गया तो इस पर विचार हुआ कि तोते को बुद्धिमान कैसे बनाया जाय? इस तोते की अविद्या का क्या कारण है? पण्डितों ने विचार किया कि तोता अपना घोंसला खरपतवार से बनाता है। अतः ऐसे घर में विद्या नहीं आती है। 3.तोते को शिक्षा देने का काम राजा के भानजे को मिली। 4.तोता अपना घोंसला घास-फूस से बनाता है। 5.राज-पण्डितों को दक्षिणा मिली। |
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राजा ने किसके कान उमेठने के लिए कहा? |
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Answer» राजा ने निन्दक के कान उमेठने के लिए कहा। |
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पण्डितों के अनुसार किस तरह के आवास में विद्या नहीं आती? |
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Answer» पण्डितों के अनुसार घास-फूस के आवास में विद्या नहीं आती। |
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राजा ने किसके गले में सोने का हार डाल दिया? |
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Answer» राजा ने अपने भानजे के गले में सोने का हार डाल दिया। |
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तोते को शिक्षा देने का काम राजा ने किसे सौंपा? |
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Answer» तोते को शिक्षा देने का काम राजा ने अपने भानजे को दिया। |
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