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ईश्वर यद्यपि संसार का मालिक है लेकिन इसके बावजूद कुछ लोगों का मानना है कि यह सच नही है कि ईश्वर हमारे भाग्य का निर्माता है या फिर ईश्वर हमारे भाग्य को पहले से ही तय कर देता है ।इस लिए हमें उसकी इच्छा मानकर अपने भाग्य को स्वीकारते हुए ज्यादा उछल कूद करने की नही सोचना चाहिए ।जो लोग इस विचार धारा को मानते हैं उनका कहना है कि वास्तव में हमारे भाग्य का कोई भी अन्य निर्माता नही होता बल्कि हम स्वयं अपने-अपने भाग्य के मालिक होते हैं ।अर्थात ईश्वर द्वारा नही बल्कि हमारे आचरण और कर्मों के अनुसार हमारे भाग्य का निर्धारण हम स्वयं करते हैं न कि कोई दूसरी अलौकिक शक्ति ।

कर्म वीर और हमारे भाग्य का रहस्य

इस संसार मे जो भी व्यक्ति अपने कर्तव्य को महत्व देते हैं उनका कहना है कि जो कुछ भी हम मनुष्य का जीवन प्राप्त करने के बाद अच्छा बुरा पाप पुण्य हासिल करते हैं उस सब के लिए हमारा खुद का जीवन ही वास्तव में मालिक होता है न कि ईश्वर ।लेकिन जो लोग ईश्वर को बीच में शामिल करते हैं तो उनका उद्देश्य अपनी ड्यूटी या अपने कर्मों के फल से भागने का होता है ।

हमारे भाग्य का निर्माता और पैंतरेबाजी

चूंकि हर मनुष्य को अपने कर्मों पर नही बल्कि अपने भविष्य के सुखद और अच्छे होने पर ज्यादा ध्यान रहता है इसलिए दुनिया में भाग्य की पैंतरेबाजी का विकास हुआ और यह क्रम सैकड़ों सालों से अबाध चल रहा है ।किसी जमाने में तो राजा-महाराजा बाकायदा राज ज्योतिष रखने के प्रति बेहद संवेदनशील थे और मजेदार बात यह है कि आज भले इसका रूप बदल गया हो लेकिन असलियत जरा भी नही बदली ।आज भी बड़े बड़े राजनेता अभिनेता इसी लकीर के फकीर बनकर भाग्य को जानने के लिए हर क्षण लालायित दिखाई देते हैं ।



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