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अक्षीय झुकाव(अंग्रेजी: Axial tilt)खगोलशास्त्रमें किसीकक्षा(ऑरबिट) में परिक्रमा करतीखगोलीय वस्तुकेघूर्णन अक्ष(एक्सिस) और उसकी कक्षा पर खड़े किसी काल्पनिक लम्ब (परपॅन्डीक्यूलर) के बीच बने कोण (ऐंगल) को कहते हैं।

अगर किसीपृथ्वीजैसी गोल वस्तु की दोनों मुख हिलावाटों को देखा जाए - अपने अक्ष परघूर्णन(रोटेशन) औरसूरजके इर्द-गिर्द परिक्रमा - तो अक्षीय झुकाव होने से उसके ध्रुव कक्षा (ऑरबिट) के मार्ग के ठीक ऊपर या नीचे नहीं होते। एक ध्रुव कक्षा से ज़रा अन्दर सूरज के थोड़ा अधिक समीप होता है और दूसरा कक्षा से ज़रा बाहर सूरज से थोड़ा दूर। परिक्रमा करते हुए कुछ देर बाद अन्दर वाला ध्रुव बाहर आ जाता है और दूसरा वाला अन्दर। यही मौसम बदलने का मुख्य कारण है - जब दक्षिणी ध्रुव अन्दर को होता है तो दक्षिणी गोलार्ध (हेमिस्फ़ीयर) में गर्मी का मौसम चलता है और उत्तरी में सर्दी का। छह महीने बाद जब पृथ्वी अपनी कक्षा के दूसरी पार होती है तो पासा पलट जाता है - दक्षिणी गोलार्ध (हेमिस्फ़ीयर) में सर्दियाँ होती हैं और उत्तरी में गर्मियाँ।



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