InterviewSolution
| 1. |
बाल-अपराध निर्धारण करने में आयु की महत्ता स्पष्ट कीजिए। |
|
Answer» बाल-अपराध का निर्धारण करने में आयु भी एक महत्त्वपूर्ण तथ्य है। भिन्न-भिन्न देशों में बाल-अपराधियों के लिए अलग-अलग आयु निर्धारित की गयी है। अधिकांश देशों में तथा भारत में भी भारतीय दण्ड संहिता’ (Indian Penal Code) के अनुसार 7 वर्ष से कम की आयु के बालक द्वारा किया गया कानून व समाज-विरोधी कार्य अपराध नहीं माना जाता है, क्योंकि इस समय तक बालक में अच्छे-बुरे के भेद की समझ नहीं होती है। भारत में 1960 व 1986 ई० में बाल-अधिनियम बने। इन अधिनियमों में 16 वर्ष से कम की आयु के लड़के एवं 18 वर्ष से कम की आयु की लड़की को बालक माना गया है। इस आधार पर भारत में 7 वर्ष से अधिक एवं 16 वर्ष से कम उम्र के लड़के एवं 7 वर्ष से अधिक एवं 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की द्वारा किये गये कानून-विरोधी कार्य बाल-अपराध की श्रेणी में आते हैं। इसके बाद 21 वर्ष की आयु तक के अपराधियों को ‘किशोर अपराधी’ एवं इससे अधिक आयु के अपराधियों को अपराधी’ कहा जाता है। |
|