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बाल-अपराध-निरोध के सन्दर्भ में सर्टीफाइड स्कूल का सामान्य परिचय प्रस्तुत कीजिए।

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बाल-अपराध-निरोध का एक उपाय ‘सर्टीफाइड स्कूल’ है। सर्टीफाइड स्कूल ‘बाल अधिनियम’ (Children Act) के अन्तर्गत भारत के लगभग सभी राज्यों में स्थापित किये जा चुके हैं। बाल अधिनियम; बाल-अपराध-निरोध में पर्याप्त रूप से लाभदायक सिद्ध हुआ। समाज में रहने वाले बालकों की प्रवृत्ति अपराधों की ओर न जाए, इस उद्देश्य से बाल अधिनियम लागू किया गया था। सर्टीफाइड स्कूलों में छोटे-छोटे अपराध करने वाले बालकों को रखा जाता है। 14 वर्ष तक के बालक जूनियर स्टफाइड स्कूलों में तथा 14-16 वर्ष तके के बालक सर्टीफाइड स्कूलों में रखे जाते हैं। इन। स्कूलों में 5वीं से 8वीं कक्षा तक शिक्षा प्रदान की जाती है। कुछ राज्यों में बालक और बालिकाओं के अलग-अलग स्कूल हैं किन्तु कुछ राज्यों में ये स्कूल सम्मिलित प्रकार के हैं। सर्टीफाइड स्कूल महाराष्ट्र, बंगाल; आन्ध्र प्रदेश, केरल तथा तमिलनाडु में पर्याप्त संख्या में खुल चुके हैं। कुछ राज्यों में ‘स्वयं सेवी संस्थाएँ भी इस प्रकार के स्कूल चलाती हैं; यथा – महाराष्ट्र में ‘उपयुक्त व्यक्ति संस्थाएँ, कोलकाता में ‘आवारा बच्चों का शरणालय’ तथा ‘कोलकाता विजिलेन्स समिति शरणालय’, आन्ध्र प्रदेश में ‘कुटी नेल्लोडी बाल शरणालय’ तथा ‘गिन्दी बाल शरणालय’ एवं मैसूर में ‘बेलारी का सर्टीफाइड स्कूल’ आदि बाल सुधार की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।



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