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भारत में किशोर अपराध की समस्या पर एक लेख लिखिए।

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भारत में किशोर अपराध (Juvenile Delinquency in India) – भारत में बालअपराध की समस्या गम्भीर है। बढ़ती हुई जनसंख्या, नगरीकरण तथा औद्योगीकरण के कारण बाल-अपराध निरन्तर बढ़ रहे हैं। वर्ष 1988 के सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 24,827 स्थानीय व 25,468 विशेष नियमों के उल्लंघन के दोषी बाल-अपराधी थे। भारत में बाल-अपराध कुल अपराधों को 2% है। भारत में बाल-अपराध की समस्या गाँवों की अपेक्षा नगरों में अधिक है। युवतियों की अपेक्षा युवक बाल-अपराधी अधिक हैं। निम्न जातियों के बच्चों में बाल-अपराध की दर अधिक पायी जाती है।
भारत के महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, आन्ध्र प्रदेश आदि राज्यों में बाल-अपराध की समस्या विकट बनी हुई है। इन राज्यों में भारत के कुल 68% बाल-अपराधी पाये जाते हैं। भारत में बाल-अपराधी व्यक्तिगत स्तर पर कानूनों का उल्लंघन कम करते हैं, इस कार्य में उन्हें पूरे समूह अथवा परिवार का सहयोग मिलता है। भारत में बाल-अपराधी सम्पत्ति के विरुद्ध अपराधों में संलिप्त पाये गये हैं। भारत में 50% बाल-अपराधी अनुसूचित जातियों या जनजातियों के होते हैं, क्योंकि इन जातियों में 1951 ई० में बाल अधिनियम पारित किया गया, जिसे 1956 ई० में लागू किया गया। बाद में देश के अन्य राज्यों में भी इसे लागू किया गया। भारत में बाल-अपराध की रोकथाम के लिए किशोर जेल, सुधारवादी सेवाएँ, अवलोकन-गृह, परिवीक्षा-गृह तथा एप्रूव्ड स्कूल आदि व्यवस्थाएँ लागू की गयी हैं।



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