1.

बालक भरत की निर्भीकता का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

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बालक भरत जन्म से ही बड़ा निर्भय था। सिंहों के शावक उसके सहचर थे। सिंह शावक का मुंह खोलकर उसके दांत गिनने में वह जरा भी सहमता नहीं था। उसके दांतों की कुटिलता और सख्ती देखने में उसे आनंद आता था। इस बहादुर बालक की धृष्टता को देखकर गुस्से से भरी हुई सिंहनी दहाड़ती तो भरत उसे भी डॉटता और मारने की धमकी देकर वहाँ से भाग जाने के लिए कहता। इस प्रकार बालक भरत में आश्चर्यजनक निर्भीकता थी।



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