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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ तो क्या बेटे को गांव छोड़ आओ ?​

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EXPLANATION:

जैसे कोई भी गाड़ी एक पहिए से नहीं चल सकती, ऐसे ही जीवन रुपी गाड़ी भी केवल पुरुषों से नहीं चल सकती है। जीवन चक्र में स्त्री और पुरुष दोनों की समान सहभागिता है। बेटियों की घटती संख्या देश के लिए चिंता का विषय है।

नहीं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ से आ गया है कि हमें जितना बेटी का सम्मान करना चाहिए उतना उतना ही ज्यादा बेटों का भी सम्मान करना चाहिए कि उनकी स्त्री और पुरुष हमारे जीवन का एक अमूल्य अंग होता है और इसका सम्मान करना चाहिए



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