InterviewSolution
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भारत के विदेशी व्यापार का विवरण निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत दीजिए –(i) निर्यात, (ii) आयात, (ii) व्यापार की दिशा।याविदेशी व्यापार का क्या आशय है? भारत में आयात की जाने वाली वस्तुओं का उल्लेख कीजिए। याभारत के विदेशी व्यापार की प्रमुख विशेषताएँ बताइए। याभारत का निर्यात व्यापार पर टिप्पणी लिखिए। याभारत के विदेशी व्यापार की प्रवृत्तियों पर एक निबन्ध लिखिए। याभारत के आयात-निर्यात व्यापार की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए। याभारत से निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुओं का विवरण दीजिए। |
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Answer» भारत का विदेशी व्यापार विदेशी व्यापार की वृद्धि मानवीय सभ्यता के विकास का मापदण्ड होती है। विदेशी व्यापार द्वारा देश में उत्पादित अतिरिक्त वस्तुओं की खपत दूसरे देशों में हो जाती है, जबकि आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति अन्य देशों से मँगाकर कर ली जाती है। इससे आर्थिक विकास में तीव्रता आती है तथा जीवन-स्तर में वृद्धि हो जाती है। स्वतन्त्रता-प्राप्ति से पूर्व भारत का विदेशी व्यापार एक उपनिवेश एवं कृषि पदार्थों तक ही सीमित था। इसका अधिकांश व्यापार ग्रेट ब्रिटेन तथा राष्ट्रमण्डलीय देशों से ही होता था। देश से प्राथमिक उत्पादों का निर्यात किया जाता था, जबकि तैयार वस्तुओं का आयात किया जाता था। स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद भारत के विदेशी व्यापार में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए हैं। आज देश के व्यापारिक सम्बन्ध लगभग सभी देशों से हो गये हैं। वर्तमान में भारत 180 देशों को लगभग 7,500 वस्तुओं से भी अधिक का निर्यात करता है, जबकि 6,000 से अधिक वस्तुएँ 140 देशों से आयात करता है। औद्योगिक एवं आर्थिक विकास की आवश्यकताओं ने आयात में भारी वृद्धि की है। उन्नत मशीनें, अलभ्य कच्चे माल, पेट्रोलियम पदार्थ, रासायनिक उर्वरकों आदि के आयात ने वर्तमान विदेशी व्यापार का सन्तुलन विपरीत दिशा में कर दिया है। वर्ष 2006-2007 में देश ने 5,638 अरब की वस्तुएँ विदेशों को निर्यात की थीं, अब यह बढ़कर 18,941 अरब हो गयी है। जबकि आयात १ 8,206 अरब का था, अब यह बढ़कर 27,141 अरब हो गया है। भारत की प्रमुख आयातक एवं निर्यातक वस्तुएँ Major Imports and exports of India भारत में आयात की जाने वाली वस्तुओं का विवरण निम्नलिखित है (1) पेट्रोल एवं पेट्रोलियम उत्पाद – भारत के आयात में पेट्रोल एवं पेट्रोलियम उत्पादों का विशिष्ट स्थान है। यह आयात बहरीन द्वीप, फ्रांस, इटली, अरब, सिंगापुर, संयुक्त राज्य, ईरान, इण्डोनेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, मैक्सिको, अल्जीरिया, म्यांमार, इराक, रूस आदि देशों से किया जाता है। वर्तमान समय में खाड़ी संकट के कारण पेट्रोल एवं पेट्रोलियम उत्पाद के मूल्य में और अधिक वृद्धि हुई है जिससे इसका आयात मूल्य बढ़ गया है। (2) मशीनें – देश के आर्थिक एवं औद्योगिक विकास के लिए भारी मात्रा में मशीनों का आयात किया जा रहा है। इनमें विद्युत मशीनों का आयात सबसे अधिक किया जाता है। सूती वस्त्र उद्योग की मशीनें, कृषि मशीनें, बुल्डोजर, शीत भण्डारण, चमड़ा कमाने की मशीनें, चाय एवं चीनी उद्योग की मशीनें, वायु-संपीडक, खनिज उद्योग की मशीनें आदि अनेक प्रकार की मशीनों का आयात किया जाता है। मशीनें 46% ब्रिटेन से, 21% जर्मनी से, 14% संयुक्त राज्य अमेरिका से तथा शेष अन्य देशों; जैसे- बेल्जियम, फ्रांस, जापान एवं कनाडा आदि से आयात की जाती हैं। (3) कपास एवं रद्दी रूई – भारत में उत्तम सूती वस्त्र तैयार करने के लिए लम्बे रेशे वाली कपास तथा विभिन्न प्रकार के कपड़ों के लिए रद्दी रूई विदेशों से आयात की जाती है। यह कपास एवं रूई मिस्र, संयुक्त राज्य अमेरिका, तंजानिया, कीनिया, सूडान, पीरू, पाकिस्तान आदि देशों से मँगायी जाती है (4) धातुएँ, लोहे तथा इस्पात का सामान – इन वस्तुओं का कुल आयातित माल में दूसरा स्थान है। ऐलुमिनियम, पीतल, ताँबा, काँसा, सीसा, जस्ता, टिन आदि धातुएँ विदेशों से अधिक मात्रा में मँगायी जाती हैं। इन वस्तुओं का आयात प्रायः ब्रिटेन, कनाडा, स्विट्जरलैण्ड, स्वीडन, संयुक्त राज्य अमेरिका, बेल्जियम, कांगो गणतन्त्र, मोजाम्बिक, ऑस्ट्रेलिया, म्यांमार, सिंगापुर, मलेशिया, रोडेशिया, जापान आदि देशों से किया जाता है। (5) खाद्यान्न – देश में जनसंख्या की तीव्र वृद्धि तथा खाद्यान्न उत्पादन की कमी इसके आयात को आकर्षित करती है। परन्तु पिछले कुछ वर्षों से खाद्यान्न उत्पादन में आशातीत सफलता मिलने के कारण इनका आयात कम कर दिया गया है तथा देश निर्यात करने की स्थिति में आ गया है। थाइलैण्ड सदृश देशों को गेहूँ का मैदा निर्यात किया जा रहा है। (6) रासायनिक पदार्थ – रासायनिक पदार्थों के आयात में निरन्तर वृद्धि होती जा रही है। इसमें अमोनियम सल्फेट, नाइट्रेट ऑफ सोडा, सुपर फॉस्फेट, एसेटिक एसिड, नाइट्रिक एसिड, बोरिक एवं टार्टरिक एसिड, सोडा-ऐश, ब्लीचिंग पाउडर, गन्धक, अमोनियम क्लोराइड आदि वस्तुएँ मुख्य हैं। इनका आयात सं० रा० अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, जापान, बेल्जियम आदि देशों से किया जाता है। दवाइयों का आयात मुख्यतः ब्रिटेन, स्विट्जरलैण्ड, कनाडा एवं संयुक्त राज्य अमेरिका से किया जाता है। (7) कागज व स्टेशनरी – देश में साक्षरता की वृद्धि तथा अन्य आवश्यकताओं के कारण कागज की माँग बढ़ रही है। इसका आयात नॉर्वे, स्वीडन, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रिया, फिनलैण्ड एवं ब्रिटेन से किया जाता है। निर्यातक वस्तुएँ Exporting Goods भारत से निम्नलिखित प्रमुख वस्तुओं का निर्यात किया जाता है – ⦁ जूट का सामान – भारत के निर्यात व्यापार में जूट का सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि इसके निर्यात से विदेशी मुद्रा का 35% भाग प्राप्त होता है। इससे निर्मित बोरे, टाट, मोटे कालीन, फर्श, गलीचे, रस्से, तिरपाल आदि निर्यात किये जाते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, अर्जेण्टीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, रूस, अरब गणराज्य आदि देश इसके मुख्य ग्राहक हैं। ⦁ चाय – कुल चाय का 59% भाग ब्रिटेन को निर्यात किया जाता है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका4%, रूस 12%, कनाडा 3%, ईरान 1%, अरब गणराज्य 6%, नीदरलैण्ड्स.2% तथा सूडान एवं जर्मनी अन्य प्रमुख ग्राहक हैं। ⦁ चमड़ा – भारतीय चमड़े की माँग मुख्यतः ब्रिटेन 45%, जर्मनी 10%, फ्रांस 7% एवं संयुक्त राज्य अमेरिका 9% देशों में रहती है। अन्य ग्राहकों में इटली, जापान, बेल्जियम और यूगोस्लाविया आदि देश हैं। ⦁ तम्बाकू – भारत द्वारा ब्रिटेन, जापान, पाकिस्तान, अदन, चीन, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों को तम्बाकू का निर्यात किया जाता है। ⦁ तिलहन – भारत से विभिन्न प्रकार के तिलहन एवं तेलों का निर्यात किया जाता है। इसमें मूंगफली, अलसी, तिल एवं अरण्डी का तेल प्रमुख हैं। तिलहन के उत्पादन में कमी के कारण अब खली का निर्यात अधिक किया जाता है। ब्रिटेन, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, पाकिस्तान, इराक, कनाडा, इटली, बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, हंगरी, सऊदी अरब, श्रीलंका, मॉरीशस आदि देश मुख्य आयातक हैं। ⦁ लाख – लाख के आयातक ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका एवं ऑस्ट्रेलिया आदि देश हैं। ⦁ सूती वस्त्र – भारत मोटा एवं उत्तम, दोनों ही प्रकार का कपड़ा निर्यात करता है। ईरान, इराक, सऊदी अरब, पूर्वी अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, दक्षिणी अफ्रीका, श्रीलंका, म्यांमार, पाकिस्तान, थाइलैण्ड, मिस्र, तुर्की, चीन, सिंगापुर, मलेशिया, इण्डोनेशिया इन वस्त्रों के प्रमुख ग्राहक हैं। ⦁ मसाले – भारत में काली मिर्च, इलायची, सुपारी, हल्दी, अदरख आदि अनेक मसालों का निर्यात संयुक्त राज्य अमेरिका, स्वीडन, सऊदी अरब, ब्रिटेन, पाकिस्तान, श्रीलंका, चीन, इटली, डेनमार्क एवं कनाडा को किया जाता है। ⦁ धातु-निर्मित वस्तुएँ – धातु-निर्मित वस्तुओं के अन्तर्गत देश से बिजली के पंखे, बल्ब, लोहे एवं ताँबे के तार, बैटरियाँ, धातु की चादरों से बने बरतन, सिलाई की मशीनें, रेजर, ब्लेड, कागज बनाने, प्लास्टिक की ढलाई करने, छपाई करने, जूता सीने, चीनी एवं चाय बनाने की मशीनें, मोटरगाड़ियाँ एवं उनके पुर्जे, ताले, साँकलें एवं चटकनियाँ, छाते, लोहे से ढालकर बनाई गयी वस्तुएँ, गैस-बत्तियाँ, रेगमाल आदि वस्तुएँ निर्यात की जाती हैं। भारत से निर्यात की जाने वाली अन्य वस्तुओं में सूखे मेवे-कोजू एवं अखरोट, फल एवं तरकारियाँ, अभ्रक, मैंगनीज, ऊन, कोयला, कहवा, नारियल एवं उससे निर्मित पदार्थ, रासायनिक पदार्थ तथा ऊनी कम्बल आदि प्रमुख हैं। भारत के विदेशी व्यापार की मुख्य विशेषताएँ भारत के विदेशी व्यापार की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं – (1) अधिकांश भारतीय विदेशी व्यापार लगभग (90%) समुद्री मार्गों द्वारा किया जाता है। हिमालय पर्वतीय अवरोध के कारण समीपवर्ती देशों एवं भारत के मध्य धरातलीय आवागमन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसी कारण देश का अधिकांश व्यापार पत्तनों द्वारा अर्थात् समुद्री मार्गों द्वारा ही किया जाता है। (2) भारत के निर्यात व्यापार का 27% पश्चिमी यूरोपीय देशों, 20% उत्तरी अमेरिकी देशों, 51% एशियाई एवं ऑसिआनियाई देशों तथा 2% अफ्रीकी एवं दक्षिणी अमेरिकी देशों को किया जाता है। कुल निर्यात व्यापार का 61.1% भाग विकसित देशों (सं० रा० अमेरिका–17.4%, जापान-7.2%, जर्मनी–6.8% एवं ब्रिटेन-5.8%) को किया जाता है। इसी प्रकार आयात व्यापार में 26% पश्चिमी यूरोपीय देशों, 39% एशियाई एवं ऑसिओनियाई देशों, 13% उत्तरी अमेरिकी देशों तथा 11% अफ्रीकी देशों का स्थान है। (3) यद्यपि भारत में विश्व की 16% जनसंख्या निवास करती है, परन्तु विश्व व्यापार में भारत का भाग लगभग 10% से भी कम है, जबकि अन्य विकसित एवं विकासशील देशों का भाग इससे कहीं अधिक है। इस प्रकार देश के प्रति व्यक्ति विदेशी व्यापार का औसत अन्य देशों से कम है। (4) भारत के विदेशी व्यापार का भुगतान सन्तुलन स्वतन्त्रता के बाद से ही हमारे पक्ष में नहीं रहा है। वर्ष 1960-61 तथा 1970-71 में भुगतानं सन्तुलन हमारे पक्ष में रहा है। वर्ष 1980-81 में घाटा 58.3 अरब था, वर्ष 1990-91 में यह घाटा १ 106.4 अरब तक पहुँच गया है। वर्ष 2013-14 में भारत के पास ₹8200 अरब से अधिक का विदेशी भुगतान शेष था। घाटे में वृद्धि का प्रमुख कारण आयात में भारी वृद्धि का होना है। आयात में भारी वृद्धि पेट्रोलियम पदार्थों के आयात के कारण हुई है। (5) देश का अधिकांश विदेशी व्यापार लगभग 35 देशों के मध्य होता है, जो विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों के आधार पर किया जाता है। (6) भारत के विदेशी व्यापार में खाद्यान्नों के आयात में निरन्तर कमी आयी है, जिसका प्रमुख कारण खाद्यान्न उत्पादन में उत्तरोत्तर वृद्धि का होना है। वर्ष 1989-90 से देश खाद्यान्नों को निर्यात करने की स्थिति में आ गया है तथा उसने पड़ोसी देशों को खाद्यान्न निर्यात भी किये हैं। (7) भारत अपनी विदेशी मुद्रा संकट का हल अधिकाधिक निर्यात व्यापार से ही कर सकता है; अतः उन्हीं कम्पनियों को आयात की छूट दी जाती है जो निर्यात करने की स्थिति में हैं। |
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