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भारत के विदेशी व्यापार की नवीनतम प्रवृत्तियाँ क्या हैं?याभारतीय विदेशी व्यापार की प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए। 

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(1) आयातों की प्रकृति में परिवर्तन – पहले भारत में निर्मित माल का अधिक आयात किया जाता था, अब कच्चे (अशुद्ध) पेट्रोलियम, कच्चे माल तथा पूँजीगत वस्तुओं का आयात होने लगा है।

(2) गैर-परम्परागत वस्तुओं के निर्यात में वृद्धि – भारत परम्परागत निर्यात पदार्थों (खाद्य पदार्थ, चमड़ा, अभ्रक, मैंगनीज, लौह धातु) के अतिरिक्त साइकिलें, मशीनें, पंखे, इन्जीनियरिंग का सामान, मशीनरी, उपकरण, रेल के इंजन तथा उपकरण, इस्पात का फर्नीचर, चीनी, सीमेण्ट, हौज़री, फल, हस्त- निर्मित वस्तुओं आदि का निर्यात करने लगा है।

(3) विदेशी व्यापार की दिशा में परिवर्तन – विगत चार दशकों में भारत के विदेशी व्यापार की। दिशा में भारी परिवर्तन हुए हैं। 1960 के दशक में जहाँ ब्रिटेन तथा कॉमनवेल्थ के देशों तथा यूरोपीय संघ के देशों से अधिक व्यापार होता था, अब अल्पविकसित एशियाई तथा अफ्रीकी देशों तथा पेट्रोलियम

उत्पादक देशों से आयातों में वृद्धि हुई है। आयातों के स्रोत के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका का वर्चस्व घट गया है, किन्तु निर्यातों में वृद्धि हुई है। सन् 1970 तक जहाँ रूस को अधिक निर्यात होते थे, 1991 ई० में उसके विघटन के बाद निर्यात एकदम घट गये हैं।



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