InterviewSolution
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भारत में चीनी उद्योग का सविस्तार वर्णन कीजिए। भारत में किंन्हीं तीन राज्यों के चीनी उद्योग का वर्णन कीजिए।याभारत में चीनी उद्योगं का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों में कीजिए(क) उत्पादक क्षेत्र/राज्य तथा (ख) उत्पादन एवं व्यापार। |
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Answer» भारत में चीनी उद्योग चीनी उद्योग कृषि पर आधारित उद्योगों में प्रमुख स्थान रखता है। भारत में गन्ने से गुड़, शक्कर तथा खाँड बनाने का व्यवसाय (खाँडसारी उद्योग) बहुत प्राचीन काल से प्रचलित रहा है, किन्तु आधुनिक विधि से. चीनी बनाने का उद्योग बीसवीं शताब्दी से ही उन्नत हो पाया है। इससे पूर्व वर्ष 1841-42 में उत्तरी बिहार में डच लोगों तथा सन् 1899 ई० में अंग्रेजों द्वारा चीनी की फैक्ट्रियाँ स्थापित करने के असफल प्रयास किये गये थे। इस उद्योग का वास्तविक आरम्भ सन् 1930 ई० से हुआ। सन् 1931 ई० तक चीनी उद्योग के विकास की गति बहुत धीमी रही और प्रचुर मात्रा में चीनी का आयात विदेशों से किया जाता रहा। सन् 1931 ई० में केवल 31 चीनी की फैक्ट्रियाँ कार्यरत थीं, जिनको उत्पादन 6.58 लाख टन था। सन् 1932 ई० में इस उद्योग की सरकार द्वारा संरक्षण प्रदान किया गया और तभी से चीनी के उत्पादन में वृद्धि होने लगी। संरक्षण के 4 वर्ष बाद मिलों की संख्या बढ़कर 35 हो गयी और चीनी का उत्पादन बढ़कर 9.19 लाख टन हो गया। वर्ष 1938-39 में इनकी संख्या बढ़कर 132 हो गयी। द्वितीय विश्व युद्ध के समय चीनी की माँग बढ़ जाने के कारण चीनी के मूल्य तेजी से बढ़ने आरम्भ हो गये। अतएव सरकार ने सन् 1942 ई० में इसके मूल्य पर नियन्त्रण लगा दिया तथा इसकी राशनिंग आरम्भ कर दी। सन् 1950 ई० में चीनी पर से नियन्त्रण हटा लिया गया। वर्ष 1991-92 में देश में 370 चीनी के कारखाने थे। वर्ष 1998 में देश में चीनी मिलों की संख्या 465 तक पहुँच गयी, जिनमें से लगभग आधी सहकारी क्षेत्र में हैं, जो कुल उत्पादन का 60% उत्पादन करती हैं। इस उद्योग में लगभग १ 1,500 करोड़ की पूँजी लगी हुई है। और लगभग 3 लाख व्यक्तियों को रोजगार मिला हुआ है। वर्ष 2006-07 में देश में चीनी का उत्पादन 281.99 लाख टेन (अस्थायी) से अधिक हो चुका था। उत्पादक राज्य 1. महाराष्ट्र – महाराष्ट्र राज्य ने चीनी के उत्पादन में पिछले कुछ वर्षों में अत्यधिक प्रगति की है। चीनी के उत्पादन में इसका देश में प्रथम स्थान है। यहाँ 129 चीनी मिलें हैं जिनमें देश की लगभग 35% से भी अधिक चीनी उत्पादित की जाती है। गोदावरी, प्रवरा, मूला-मूठा, नीरा एवं कृष्णा नदियों की घाटियों में चीनी मिलें केन्द्रित हैं। मनमाड़, नासिक, पुणे, अहमदनगर, शोलापुर, कोल्हापुर, औरंगाबाद, सतारा एवं साँगली प्रमुख चीनी उत्पादक जिले हैं। 2. उत्तर प्रदेश – इस राज्य का चीनी के उत्पादन में द्वितीय तथा गन्ना उत्पादन की दृष्टि से प्रथम स्थान है। इस प्रदेश में 128 चीनी मिले हैं। प्रदेश में उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों के कारण ही चीनी मिलों का केन्द्रीकरण हुआ है। यह राज्य देश की 24% चीनी का उत्पादन करता है तथा यहाँ देश का सर्वाधिक गन्ना उगाया जाता है। 3. कर्नाटक – चीनी के उत्पादन में कर्नाटक राज्य को देश में तीसरा स्थान है। यहाँ पर चीनी उद्योग के 37 केन्द्र हैं, जिनमें देश की 9% चीनी का उत्पादन किया जाता है। बेलगाम, मांड्या, बीजापुर, बेलारी, शिमोगा एवं चित्रदुर्ग महत्त्वपूर्ण चीनी उत्पादक जिले हैं। 4. तमिलनाडु – इस राज्य में 22 चीनी मिलें हैं। यहाँ देश की लगभग 8% चीनी उत्पादित की जाती है। मदुराई, उत्तरी एवं दक्षिणी अर्कोट, कोयम्बटूर एवं तिरुचिरापल्ली प्रमुख चीनी उत्पादक जिले हैं। 5. बिहार – बिहार में देश की 5% चीनी का उत्पादन किया जाता है। यहाँ चीनी की 40 मिले हैं, जो विशेष रूप से सारन, चम्पारन, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, पटना, गोपालगंज आदि उत्तरी जिलों के गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में केन्द्रित हैं। उपर्युक्त के अतिरिक्त चीनी उत्पादक अन्य राज्यों में गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब, केरल, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं पश्चिम बंगाल मुख्य हैं। व्यापार भारत चीनी का निर्यातक देश है और विश्व के चीनी निर्यात व्यापार में भारत 0.6% का हिस्सा रखता है। देश की आवश्यकता को पूरी करने के उपरान्त केवल 2 लाख टन चीनी निर्यात के लिए शेष बचती है, जिससे निर्यात की मात्रा घटती-बढ़ती रहती है। चीनी उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने 20 अगस्त, 1998 ई० को इसे लाइसेन्स व्यवस्था से मुक्त कर दिया है। |
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