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भारतीय अर्थव्यवस्था में उद्योगों का क्या महत्त्व है ? ‘आधुनिक उद्योगों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव की समीक्षा कीजिए।याभारत में कृषि पर आधारित उद्योगों के नाम लिखिए। भारतीय अर्थव्यवस्था में उनका क्या महत्त्व है ?यादेश के आर्थिक विकास में उद्योगों के योगदान पर एक विशिष्ट लेख लिखिए।

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भारतीय अर्थव्यवस्था में उद्योगों का महत्त्व आधुनिक अर्थशास्त्री औद्योगिक विकास और आर्थिक विकास को पर्यायवाची मानते हैं। उनका मानना है कि उद्योगों के विकास के बिना आर्थिक विकास में तेजी नहीं आ सकती। उद्योगों के समुचित विकास के बिना राष्ट्रीय आय के प्रति व्यक्ति आय में अपेक्षित वृद्धि करना बड़ा कठिन है। यही कारण है कि भारत जैसे विकासशील देश के लिए बड़े पैमाने के उद्योगों के विकास का अत्यधिक महत्त्व है। इसी को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने पंचवर्षीय योजनाओं में औद्योगिक विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। परिणामस्वरूप भारत ने कृषि के साथ-साथ उद्योग-धन्धों के विकास के क्षेत्र में अत्यधिक उन्नति की।

आधुनिक उद्योगों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

औद्योगिक विकास किसी भी देश के विकास की गति का सूचक होता है। आज कृषि-प्रधान अर्थव्यवस्था वाले देश भी औद्योगिक विकास के लिए प्रयत्नशील हैं। वास्तव में देश की अर्थव्यवस्था के बहुमुखी विकास के लिए औद्योगिक विकास आवश्यक है। आधुनिक उद्योगों का देश की अर्थव्यवस्था पर निम्नलिखित रूपों में प्रभाव पड़ा है

1. कृषि का विकास – उद्योगों की स्थापना के पूर्व भारतीय कृषि पिछड़ी दशा में थी। उद्योगों के विकास से विशेषत: उर्वरक, कीटनाशकों, मशीनरी, कृषि उपकरण, टूक निर्माण आदि के कारण कृषि उन्नत हो गयी है। उद्योगों के ही विकास से कृषि में हरित क्रान्ति सम्भव हो सकी है।

2. नगरीकरण में वृद्धि – औद्योगीकरण तथा नगरीकरण साथ-साथ चलते हैं। उद्योगों की स्थापना से अनेक नये नगर स्थापित हो जाते हैं तथा छोटे नगरों के आकार में वृद्धि होती है। भारत के प्रायः सभी महानगर औद्योगिक विकास से ही विकसित हुए हैं।

3. रोजगार के अवसरों में वृद्धि – उद्योगों से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है, पिछड़े हुए क्षेत्रों की निर्धनता दूर होती है तथा उनका आर्थिक विकास होता है।

4. राष्ट्रीय आय में वृद्धि – आधुनिक उद्योगों के कारण देश की आय में निरन्तर वृद्धि हो रही है।

5. विदेशी व्यापार में वृद्धि – विदेशी व्यापार में वृद्धि तथा विकास उद्योगों के कारण ही सम्भव हुआ है। उद्योगों की स्थापना के पूर्व भारत केवल कृषि-परक वस्तुओं तथा कच्चे माल का निर्यात करता था, किन्तु औद्योगिक विकास के कारण अब वह विनिर्मित वस्तुओं, मशीनरी आदि का भी निर्यात करने लगा है।

6. परिवहन के साधनों में वृद्धि – औद्योगिक विकास से जनसंख्या की सघनता में वृद्धि होती है। उसके आवागमन के लिए परिवहन के साधनों में वृद्धि होती है, जो आर्थिक प्रगति का सूचक है।

7. बहुमुखी विकास आर्थिक समृद्धि बढ़ने पर देश में शिक्षा, साहित्य, विज्ञान आदि के क्षेत्र में भी विकास होता है।

कृषि पर आधारित उद्योग एवं भारतीय अर्थव्यवस्था में उनका महत्त्व

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि तथा उद्योग एक-दूसरे के पूरक हैं। दोनों का विकास एक-दूसरे पर निर्भर करता है। कृषि के विकास के लिए आवश्यक वस्तुएँ; जैसे-रासायनिक खाद, औजार, ट्रैक्टर, कीटनाशक आदि उद्योगों से ही प्राप्त होते हैं।

उद्योगों को कच्चा माल; जैसे—कपास, जूट, गन्ना, तिलहन, रबड़ आदि कृषि क्षेत्र से ही प्राप्त होते हैं। ऐसे उद्योग जिनका कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है, कृषि पर आधारित उद्योग कहलाते हैं। सूती वस्त्र उद्योग, चीनी व खाण्डसारी उद्योग, जूट उद्योग, रबड़ उद्योग, चाय उद्योग, तेल उद्योग आदि कृषि पर आधारित उद्योग हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि पर आधारित उद्योगों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनके महत्त्व को निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है–

  • भारत में बेकारी और अर्द्धबेकारी पर्याप्त मात्रा में पायी जाती है। कृषि पर आधारित उद्योग इस बेकारी को कम कर सकते हैं; क्योकि इन उद्योगों को छोटे पैमाने पर भी कम पूँजी लगाकर चलाया जा सकता है।
  • कृषि पर आधारित उद्योग भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के अनुकूल हैं। ये उद्योग देश की राष्ट्रीय आय में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
  • कृषि पर आधारित उद्योगों से कृषि पर जनसंख्या के भार में कमी आती है और बहुत-से लोगों को रोजगार मिलता है।
  • इन उद्योगों से बड़े उद्योगों को सहायता मिलती है।
  • इन उद्योगों से देश को विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है तथा निर्यातों में वृद्धि के आयातों में कमी होती है।
  • कृषि पर आधारित उद्योगों से देश में औद्योगीकरण के विकास को प्रोत्साहन मिलता है।


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