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बहुदलीय प्रणाली की प्रमुख (चार) विशेषताएँ बताइए।

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बहुदलीय प्रणाली की प्रमुख (चार) विशेषताएँ निम्नवत् हैं-

⦁    मतदाताओं को अधिक स्वतन्त्रता – जहाँ दलों की संख्या अधिक होती है, वहाँ मतदाताओं को स्वाभाविक रूप से चयन की अधिक स्वतन्त्रता प्राप्त रहती है, क्योंकि वे कई दलों में से अपने ही समान विचार रखने वाले किसी दल का समर्थन कर सकते हैं।
⦁    मन्त्रिमण्डल की तानाशाही सम्भव नहीं – बहुदलीय पद्धति में सामान्यतया व्यवस्थापिका में किसी एक राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हो पाता, अतः मिले-जुले मन्त्रिमण्डल का निर्माण किया जाता है। यह मिले-जुले मन्त्रिमण्डल कभी भी स्वेच्छाचारी नहीं हो सकते, क्योंकि सरकार में साझीदार विभिन्न दलों में किसी एक दल की असन्तुष्टि सरकार के अस्तित्व को खतरे में डाल देती है।
⦁    सभी विचारधाराओं का व्यवस्थापिका में प्रतिनिधित्व – जहाँ बहुदलीय पद्धति होती है, वहाँ व्यवस्थापिका में सभी विचारधाराओं के लोगों को प्रतिनिधित्व मिल जाता है और राष्ट्र के सभी वर्गों के विचार सुने जा सकते हैं।
⦁    राष्ट्र दो विरोधी गुटों में नहीं बँटता – जहाँ बहुदलीय पद्धति होती है वहाँ दलीय भावना प्रबल नहीं हो पाती और विभिन्न दलों के द्वारा कुछ सीमा तक पारस्परिक सहयोग का मार्ग अपनाया जा सकता है। अत: राष्ट्र दो विरोधी वर्गों में बँट जाने से बच जाता है।
⦁    व्यक्तित्व बनाये रखने का अवसर – यह व्यक्ति को कुछ सीमा तक अपना व्यक्तित्व बनाये रखने का अवसर देता है। यदि एक दल उनके विचारों के अनुकूल नहीं रहता, तो विशेष कठिनाई के बिना वह दूसरे दल को अपना सकता है।



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