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चौसा के मुगल-पठान युद्ध को बहुत दिन बीत गये। ममता अब सत्तर वर्ष की वृद्धा है। वह अपनी झोपड़ी में एक दिन पड़ी थी। शीतकाल का प्रभात था। उसका जीर्ण कंकाल खाँसी से गूंज रहा था। ममता की सेवा के लिए गाँव की दो-तीन स्त्रियाँ उसे घेरकर बैठी थीं; क्योंकि वह आजीवन सबके सुख-दु:ख की सहभागिनी रही।(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।(स) 1. ‘मुगल-पठान युद्ध’ से क्या आशय है ? यह किनके बीच हुआ था ?2. जीर्ण-कंकाल खाँसी से गूंज रहा था।’ से क्या आशय है ?[ वृद्धा = बुढ़िया। शीत = सर्दी। प्रभात = प्रात:काल।]

Answer»

(अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक  ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित ‘ममता’ नामक कहानी से उधृत है। इसके लेखक छायावादी युग के प्रवर्तक श्री जयशंकर प्रसाद हैं।
अथवा निम्नवत् लिखिए
पाठ का नाम-ममता। लेखक का नाम-श्री जयशंकर प्रसाद।

(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या – लेखक कहता है कि शीतकाल को प्रात:काल था। ममता को खाँसी थी। खाँसी के कारण उसे श्वास लेने में भी कठिनाई महसूस हो रही थी। उसका गला सँध रहा था। श्वास के साथ बलगम की आवाज स्पष्ट सुनायी दे रही थी। ममता अकेली थी। उसका किसी से इस संसार में खून का रिश्ता नहीं था और न तो उसका कोई रिश्तेदार ही था। जीवन के दुःखपूर्ण इन अन्तिम क्षणों में यदि कोई उसकी मदद करने वाला था तो केवल उस गाँव की दो या तीन औरतें जो उसके पास उसकी सेवा करने में संलग्न थीं, उसे घेरकर बैठी हुई थीं क्योंकि ममता भी मानवता की साक्षात् प्रतिमूर्ति थी। उसने भी निराश्रयों को आश्रय दिया था। सभी के सुख-दु:ख में सहभागिनी रही थी।

(स) 1. मुगल-पठान युद्ध से आशय हुमायूँ (मुगल) और शेरशाह (पठान) के मध्य हुए चौसा के युद्ध से है। यह युद्ध सन् 1536 ई० के आसपास हुआ था।

2. जीर्ण कंकाल से आशय कंकालवत् रह गये शरीर से है। ममता को खाँसी  इतनी तेजी से आ रही थी कि वह कंकाल मात्र रह गये शरीर में से गूंजती हुई बाहर आती प्रतीत हो रही थी।



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