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निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखिए। कहानी से मिलनेवाली सीख भी लिखिए :एक निर्दयी राजा – गुलाम को दंड – गुलाम का जंगल में भाग जाना – सिंह से भेंट – सिंह के पैर से काँटा निकालना – मित्रता – गुलाम की गिरफ्तारी – मौत की सजा – उसे भूखे सिंह के सामने छोड़ना – सिंह का स्नेहपूर्ण व्यवहार – दोनों की रिहाई – सीख।

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कृतज्ञता अथवा सिंह और गुलाम

ग्रीस देश का एक राजा बहुत निर्दयी था। उसके यहाँ अनेक गुलाम थे। वह उनसे सख्त मजदूरी करवाता था।

एक बार एक गुलाम ने चोरी से एक फल खा लिया। गुलाम अभी लड़का ही था, फिर भी राजा ने उसे कठोर दंड देने का निश्चय किया। दंड के भय से वह गुलाम जंगल में भाग गया। वहाँ एक झाड़ी में छिपकर बैठ गया।

झाड़ी में बैठे गुलाम लड़के ने एक सिंह के कराहने की आवाज सुनी। लड़का झाड़ी से निकलकर सिंह के पास आया। उसे लगा कि सिंह के पैर में कुछ तकलीफ है। उसने सिंह के पैर का दाँया पंजा उठाकर देखा। उसमें एक बड़ा काँटा घुस गया था। लड़के ने धीरे से वह काँटा निकाल दिया। सिंह की पीड़ा दूर हो गई। इसके बाद दोनों में मित्रता हो गई। गुलाम लड़के को पकड़ने के लिए राजा के सिपाही चारों ओर घूम रहे थे। उन्होंने लड़के को जंगल में देख लिया। वे उसे गिरफ्तार कर राजा के सामने ले गए। राजा ने लड़के को मौत की सजा सुनाते हुए कहा, “इसे भूखे सिंह के सामने डाल दिया जाए।”

जंगल से सिंह को पकड़कर लाया गया। उसे कई दिनों तक भूखा रखा गया। फिर एक दिन लड़के को उसके पिंजड़े में बंद कर दिया। भूखा सिंह उस लड़के को खाने के लिए झपटा, परंतु एकदम रुक गया। वह उस लड़के के पैर चाटने लगा। वास्तव में यह वही सिंह था, जिसके पैर से उस लड़के ने काँटा निकाला था।

लड़के के प्रति सिंह के स्नेहपूर्ण व्यवहार ने सबको चकित कर दिया। राजा भी इससे बहुत प्रभावित हुआ। उसने कहा, “जब जंगल का राजा इस लड़के के प्रति दयालु है, तो मुझे भी इस पर दया करनी चाहिए।” ऐसा सोचकर उसने लड़के को क्षमा कर दिया। उसने सिंह और लड़के को गुलामी के बंधन से मुक्त कर दिया । सीख : सचमुच, खूखार पशु भी अपने साथ किए गए उपकार को नहीं भूलते।



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