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“पिताजी यह अनर्थ है, अर्थ नहीं”-यह कथन किसने कहा है? तथा क्यों?

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चूड़ामणि रोहिताश्व राज्य के मंत्री थे। वह ममता के पिता थे। भविष्य की सुरक्षा की दृष्टि से उन्होंने शेरशाह से उत्कोच स्वरूप स्वर्ण मुद्रायें ली थीं। ममता ने अपने पिता से उसे लौटा देने के लिए कहा। पवित्र साधन से अर्जित न होने के कारण वह धन अनर्थकारी था। वह हितकारी नहीं था।



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